बभ्रु शैवाल

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बभ्रु शैवाल बहुकोशिकीय शैवाल का एक बड़ा समूह है, जिसमें उत्तरी गोलार्ध के भीतर शीतल जल में स्थित कई सामुद्रिक शैवाल शामिल हैं। बभ्रु शैवाल समशीतोष्ण और ध्रुवीय क्षेत्रों के प्रमुख समुद्री शैवाल हैं। वे विश्व के शीतल क्षेत्रों में चट्टानी तटों पर हावी हैं। अधिकांश बभ्रु शैवाल सामुद्रिक वातावरण में रहते हैं, जहाँ वे भोजन और सम्भावित पर्यावास दोनों के रूप में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

उनके माप तथा आकार में बहुत विभिन्नताएं होती हैं। ये सरल शाखित, तन्तुमयी से लेकर सघन शाखित जैसे केल्प तक हो सकते हैं। केल्प की औच्च्य 100 मीटर तक हो सकती है। इनमें पर्णहरित a,c, कैरोटिनॉइड तथा पर्णपीत होता है। इनका रंग जैतूनी हरे से लेकर भूरे के विभिन्न छाया तक हो सकता है। ये छाया पर्णपीत वर्णक, शैविलपीत की मात्रा पर निर्भर करते हैं। इनमें जटिल कार्बोहाइड्रेट के रूप में भोजन संचित होता है। यह भोजन लैमिनेरिन अथवा मैनिटॉल के रूप में हो सकता है। कायिक कोशिका में सेलुलोस से बनी कोशिका भित्ति होती है जिसके बाहर की ओर ऐल्जिन का जिलैटिनी अस्तर होता हैं। जीवद्रव्यक में लवक के अतिरिक्त केन्द्र में रसधानी तथा केन्द्रक होते हैं। पौधा प्रायः संलग्नक द्वारा अधःस्तर से जुड़ा रहता है और इसमें एक वृन्त तथा पत्ती की तरह का प्रकाश संश्लेषी अंग होता है। इसमें कायिक जनन विखण्डन विधि द्वारा होता है । अलैंगिक जनन नाशपाती के आकार वाले द्विकशाभिका युक्त ज़ूस्पोर द्वारा होता है। इसके कशाभिका असमान होते हैं तथा वे पार्श्वीय रूप से जुड़े होते हैं।

इसमें लैंगिक जनन समयुग्मकी, असमयुग्मकी अथवा विषययुग्मकी हो सकता है। युग्मकों का संगम जल में अथवा अण्डधानी (विषमयुग्मकी स्पीशीज) (प्रजाति) में हो सकता है। युग्मक पाइरीफोर्म (नाशपाती आकार) की होती हैं और इसके पार्श्व में दो कशाभिकाएँ होते हैं। इसके सामान्य सदस्य एक्टोकार्पस, डिक्ट्योटा, लैमिनेरिया, सर्गास्सम तथा फ़्यूकस हैं

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