प्रवेशद्वार:अंतरिक्ष उड़ान/Selected article/3

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चन्द्रयान

चन्द्रयान भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के एक अभियान व यान का नाम है। चंद्रयान चंद्रमा की तरफ कूच करने वाला भारत का पहला अंतरिक्ष यान है। इस अभियान के अन्तर्गत एक मानवरहित यान को २२ अक्टूबर, २००८ को चन्द्रमा पर भेजा गया और यह ३० अगस्त, २००९[1] तक सक्रिय रहा। यह यान पोलर सेटलाईट लांच वेहिकल (पी एस एल वी) के एक परिवर्तित संस्करण वाले राकेट की सहायता से सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से प्रक्षेपित किया गया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र 'इसरो' के चार चरणों वाले ३१६ टन वजनी और ४४.४ मीटर लंबा अंतरिक्ष यान चंद्रयान प्रथम के साथ ही ११ और उपकरण एपीएसएलवी-सी११ से प्रक्षेपित किए गए जिनमें से पाँच भारत के हैं और छह अमरीका और यूरोपीय देशों के।[2] इसे चन्द्रमा तक पहुँचने में ५ दिन लगेंगे पर चन्द्रमा की कक्षा में स्थापित करने में 15 दिनों का समय लग जाएगा।[3] इस परियोजना में इसरो ने पहली बार १० उपग्रह एक साथ प्रक्षेपित किए।

चंद्रयान का उद्देश्य चंद्रमा की सतह के विस्तृत नक्शे और पानी के अंश और हीलियम की तलाश करना था। चंद्रयान-प्रथम ने चंद्रमा से १०० किमी ऊपर ५२५ किग्रा का एक उपग्रह ध्रुवीय कक्षा में स्थापित किया। यह उपग्रह अपने रिमोट सेंसिंग (दूर संवेदी) उपकरणों के जरिये चंद्रमा की ऊपरी सतह के चित्र भेजे।

भारतीय अंतरिक्षयान प्रक्षेपण के अनुक्रम में यह २७वाँ उपक्रम है। इसका कार्यकाल लगभग २ साल का होना था, मगर नियंत्रण कक्ष से संपर्क टूटने के कारण इसे उससे पहले बंद कर दिया गया। चन्द्रयान के साथ भारत चाँद को यान भेजने वाला छठा देश बन गया था। इस उपक्रम से चन्द्रमा और मंगल ग्रह पर मानव-सहित विमान भेजने के लिये रास्ता खुला।