पश्चिमी मैथिली

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पश्चिमी मैथिली, जिसे विशेष रूप से "तिरहुतिया" भी कहा जाता है, एक भाषा है जो भारत के पश्चिमी बिहार राज्य में बोली जाती है। यह मैथिली भाषा के एक प्रमुख उपबोली है और इसे तिरहुत, सारण, पश्चिम चम्पारण, पूर्व चम्पारण और गोपालगंज जिलों में बोला जाता है।

पश्चिमी मैथिली का व्याकरण और शब्दावली मैथिली भाषा के अन्य उपबोलियों से थोड़ा अलग होता है, लेकिन इनका मूल आधार मैथिली में ही है। यह भाषा कृषि, संस्कृति, गीत, कविता आदि क्षेत्रों में प्रयुक्त होती है।

पश्चिमी मैथिली की विशेषताएँ उसकी ध्वनिक संरचना, वर्ण विचारधारा, और व्याकरण में होती हैं। यह भाषा व्यक्तिगत सम्प्रदायिकता की पहचान बनती है और इसका उदाहरण बोलचाल में भी देखा जा सकता है।

पश्चिमी मैथिली के विकास में भाषा के प्रेमी, लेखक, कवि और साहित्यिकों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इसका साहित्य उपन्यास, कहानी, कविता, गीत आदि क्षेत्रों में विकसित है और यह भाषा अपनी अनूठी विरासत के साथ भारतीय भाषाओं की धरोहर में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है।