नोट्बंदी

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विमुद्रीकरण (जिसे हम नोटबंदी से जानते है ) एक आर्थिक गतिविधि है जिसके अंतर्गत सरकार पुरानी मुद्रा को समाप्त(बंद) कर देती है और नई मुद्रा को चालू करती है। जब काला धन बढ़ जाता है और अर्थव्यवस्था के लिए खतरा बन जाता है तो इसे दूर करने के लिए इस विधि का प्रयोग किया जाता है। जिनके पास काला धन होता है ,वे उसके बदले में नई मुद्रा लेने का साहस नहीं जुटा पाते हैं और काला धन स्वयं ही नष्ट हो जाता है। इसका प्रयोग नवम्बर 2023 को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किया गया है। इस दिन से पुराने ₹500 और ₹1000 की मुद्रा बंद कर दी गई थी और नए मुद्रा लाए।जब नोट बंदी हुई थी तब अनेक लोग इसमे पकडे गए थे जेसे नेता और संग्रहखोर इत्यादि। अनेक लोग नोटबंदी से बचने के लिए पुरानी नोट जला देते थे और कुछ पानी में तो कुछ गटर में फेंक देते। मगर अनेक लोग दुसरे के खाता में अपना पैसा डाल कर बच जाते है क्योंकि उन्हे गरीब लोग बचा लेते थै। जैसे उनके खाता में पैसे डाल कर कुछ उन्हे दे दिया जाता और जिससे उनका काला धन बाच जाये। 500 और 1000 के पुराने नोट के बदले में अब वे 500 और 2000 के नए नोट लाये है। भारत के चौथे प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के द्वारा सन् 1978 में सर्वप्रथम मुद्रा का विमुद्रीकरण किया गया जिसमे 1000 और 5000 के नोट बैन कर दिए गये

थे।

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सन्दर्भ[संपादित करें]

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