दुर्गेशनन्दिनी

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दुर्गेशनन्दिनी (शाब्दिक अर्थ : दुर्ग के स्वामी की बेटी) बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित प्रथम बांग्ला उपन्यास है। सन १८६५ के मार्च मास में यह उपन्यास प्रकाशित हुआ। दुर्गेशनन्दिनी बंकिमचन्द्र की चौबीस से लेकर २६ वर्ष के आयु में लिखित उपन्यास है। इस उपन्यास के प्रकाशित होने के बाद बांग्ला कथासाहित्य की धारा एक नये युग में प्रवेश कर गयी। १६वीं शताब्दी के उड़ीसा को केन्द्र में रखकर मुगलों और पठानों के आपसी संघर्ष की पृष्टभूमि में यह उपन्यास रचित है। फिर भी इसे सम्पूर्ण रूप से एक ऐतिहासिक उपन्यास नहीं माना जाता।

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