जैन उपवास

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जैन उपवास विभिन्न जैन व्रतों में एक है। मोटे तौर पर यह भी अन्य धर्मों की तरह भोजन के त्याग पर आधारित है परन्तु इसमें किसी भी तरह का फरियाली, फल या फलारस भी निषेध होता है। विशेष परिस्थतियों में या भिन्न-भिन्न मान्यताओं में सिर्फ उबाल कर थारा हुआ या धोवन पानी सूर्योदय के बाद से सूर्यास्त पूर्व तक लिया जा सकता है। इस प्रकार का उपवास तिविहार उपवास कहलाता है। (यानी की सिर्फ पानी के सिवा कुछ भी नहीं खाया या पीया जा सकता है।) अन्य प्रकार का उपवास जो चौविहार उपवास के नाम से जाना जाता है, उसमें पानी भी निषेध होता है। उपवास वाले दिन से पहले वाली रात्रि से ही भोजन का त्याग शुरू हो जाता है जो की अगले दिन भर और रात भर जारी रहता है।