यह लेख एकाकी है, क्योंकि इससे बहुत कम अथवा शून्य लेख जुड़ते हैं। कृपया सम्बन्धित लेखों में इस लेख की कड़ियाँ जोड़ें। (अक्टूबर 2016)
यह लेख विषयवस्तु पर व्यक्तिगत टिप्पणी अथवा निबंध की तरह लिखा है। कृपया इसे ज्ञानकोष की शैली में लिखकर इसे बेहतर बनाने में मदद करें। (अक्टूबर 2016)
इस लेख में विकिपीडिया के गुणवत्ता मानकों पर खरा उतरने हेतु अन्य लेखों की कड़ियों की आवश्यकता है। आप इस लेख में प्रासंगिक एवं उपयुक्त कड़ियाँ जोड़कर इसे बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं।(अक्टूबर 2016)
इस लेख में शीर्ष अनुच्छेद मौजूद नहीं है। कृपया इस लेख में इसकी पहचान के लिए शीर्ष अनुच्छेद लिखे। (अक्टूबर 2016)
विकिलिंक जोड़ें। उचित स्थानों पर शब्दों के दोनो ओर [[ और ]] डालकर अन्य लेखों की कड़ियाँ जोड़ें। ऐसे शब्दों की कड़ियाँ न जोड़ें जो अधिकतर पाठक जानते हों, जैसे आम व्यवसायों के नाम और रोज़मर्रा की वस्तुएँ। अधिक जानकारी के लिये स्वशिक्षा लें।
जापानी वैज्ञानिकों ने 14 मई 2015 को तत्व की नयी अवस्था की खोज की। यह तत्व एक इंसुलेटर, सुपरकंडक्टर, धातु एवं चुंबक जैसा प्रतीत होता है।
यह अध्ययन तोकुहू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर कोस्मस प्रसीडेस द्वारा किया गया। इसमें उन्होंने पाया कि सुपरकंडक्टर कार्बन-60 मौलिक्युल्स अथवा बकीबॉल्स से मिलकर बना है।
इस शोध का साइंस एडवांसेज नामक पत्रिका में वर्णन किया गया है। इसमें सीज़ियम फ्लुराइड (Cs3C60) की मौजूदगी से यह अन्य तत्वों से स्वयं को भिन्न करता है। इस शोध से पता चला है कि यह नया तत्व उच्च तापमान पर भी नए अणुओं का विकास कर सकता है।
शोध से पता चला है कि इस तत्व में इंसुलेशन, धातु तथा अतिचालकता का मिश्रण है। यह शोध इस बात की ओर इंगित करता है कि अणुओं की इलेक्ट्रॉनिक संरचना इलेक्ट्रॉन्स के बीच अतिचालकता का कारण बन सकती है।
अतिचालक विभिन्न तत्वों से मिलकर बनने वाली संरचना है जो विद्युत धाराओं को प्रवाहित करने के उपरांत शून्य प्रतिरोध पैदा करती है। इसमें तीन अलकाई धातुओं एवं अणुओं का दो दशकों से भी अधिक समय तक अध्ययन करने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचा जा सका।