छाड़खाई

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छाड़खाई

छाड़खाई ओडिशा का एक सामाजिक पर्व है । [1] इसे कार्तिक पूर्णिमा के अगले दिन मनाया जाता है । [2] कार्तिक माह को एक पवित्र महीना माना जाता है और बहुत से लोग इस महीने के दौरान मासाहारी भोजन का सेवन नहीं करते हैं। [3] छाड़खाई शब्द का अर्थ है कुछ अवधि के बाद भोजन करना। चूंकि लोग कार्तिक के पूरे महीने में मासाहारी भोजन का सेवन नहीं करते हैं, इसलिए वे अगले दिन मासाहारी भोजन का सेवन करना पसंद करते हैं। [4]

ऐतिहासिक रूप से, अनुष्ठान की शुरुआत बाली जात्रा उत्सव के साथ हुई। पुराने स्पाइस रूट के रिकॉर्ड के अनुसार, साल के इस समय, हवा दिशा बदलति थि। इसलिए नाविक, मछुआरे और व्यापारी इस दौरान अपनी यात्रा के लिए निकलते थे। नाविकों, मछुआरों और व्यापारियों के लिए विदाई एक बड़े दावत के साथ मनाई जाति थी जिसमें मासाहारी भोजन की कई किस्में होती थीं। नवंबर के मध्य के दौरान मांस बेहतर होता था और मछलियों समुद्र तट की और चली आति है। तो यह वक्त मासाहारी भोजन के लिए अच्छा होता है । कई इतिहासकारों को लगता है कि यह अनुष्ठान की इस प्रकार शुरुआत हो सकती है। [5]

संदर्भ[संपादित करें]

  1. Orissa Review. Published and issued by Home (Public Relations) Department, Government of Orissa. February 2008.
  2. T. K. Suman Kumar (1992). India: Unity in Diversity. Anmol Publications. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7041-667-8.
  3. S. Gajrani (2004). History, Religion and Culture of India. Gyan Publishing House. पपृ॰ 209–. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-8205-063-1.
  4. Surendra Mahanty (1982). Lord Jagannatha: The Microcosm of Indian Spiritual Culture. Orissa Sahitya Akademi.
  5. "Chhadakhai: The 'Meatier' of Festivals in Odisha". www.newindianexpress.com. The New Indian Express. मूल से 5 December 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 5 December 2020.