चे ग्वेरा

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चे गेवारा

"गेरिलेरो एरोइको/वीर गुरिल्ला"
ला कूब्र विस्फोट की श्रद्धांजलि सभा में चे

मार्च 5, 1960

जन्म - तिथि: जून 14, 1928
जन्म - स्थान: रोज़ारियो, अर्जेंटीना
मृत्यु - तिथि: अक्टूबर 9, 1967(1967-10-09) (उम्र 39)
मृत्यु - स्थान: ला इगुएरा, बोलिविया
प्रमुख संगठन: २६ जुलाई आंदोलन, क्यूबन समाजवादी आंदोलन संयुक्त पार्टी[1] राष्ट्रीय मुक्ति सेना (बोलिविया)
धर्म: कोई नहीं[2]

एर्नेस्तो "चे" गेवारा (स्पेनी: Ernesto Che Guevara; १४ जून १९२८ – ९ अक्टूबर १९६७), अर्जेन्टीना के मार्क्सवादी क्रांतिकारी थे जिन्होंने क्यूबा की क्रांति में मुख्य भूमिका निभाई। इन्हें एल चे या सिर्फ चे भी बुलाया जाता है। ये डॉक्टर, लेखक, गुरिल्ला नेता, सामरिक सिद्धांतकार और कूटनीतिज्ञ भी थे, जिन्होंने दक्षिणी अमरीका के कई राष्ट्रों में क्रांति लाकर उन्हें स्वतंत्र बनाने का प्रयास किया। इनकी मृत्यु के बाद से इनका चेहरा सारे संसार में सांस्कृतिक विरोध एवं वामपंथी गतिविधियों का प्रतीक बन गया है।[3]

चिकित्सीय शिक्षा के दौरान चे पूरे लातिनी अमरीका में काफी घूमे। इस दौरान पूरे महाद्वीप में व्याप्त गरीबी ने इन्हें हिला कर रख दिया।[4] इन्होंने निष्कर्ष निकाला कि इस गरीबी और आर्थिक विषमता के मुख्य कारण थे एकाधिप्तय पूंजीवाद, नवउपनिवेशवाद और साम्राज्यवाद, जिनसे छुटकारा पाने का एकमात्र तरीका था - विश्व क्रांति[5] इसी निष्कर्ष का अनुसरण करते हुए इन्होंने गुआटेमाला के राष्ट्रपति याकोबो आरबेंज़ गुज़मान के द्वारा किए जा रहे समाज सुधारों में भाग लिया। उनकी क्रांतिकारी सोच और मजबूत हो गई जब १९५४ में गुज़मान को अमरीका की मदद से हटा दिया गया। इसके कुछ ही समय बाद मेक्सिको सिटी में इन्हें राऊल कास्त्रो और फिदेल कास्त्रो मिले और ये क्यूबा की २६ जुलाई क्रांति में शामिल हो गए।[6] चे शीघ्र ही क्रांतिकारियों की कमान में दूसरे स्थान तक पहुँच गए और बातिस्ता के राज्य के विरुद्ध दो साल तक चले अभियान में इन्होंने मुख्य भूमिका निभाई।[7]

“Do not shoot! I am Che Guevara and I am worth more to you alive than dead......!”

गोली मारने जा रहे सैनिकों को संबोधित करते हुए चे ग्वेरा कहा कि

क्यूबा की क्रांति के पश्चात चे ने नई सरकार में कई महत्त्वपूर्ण कार्य किए और साथ ही सारे विश्व में घूमकर क्यूबा के समाजवाद के लिए अंतर्राष्ट्रीय समर्थन जुटाया। इनके द्वारा प्रशिक्षित सैनिकों ने पिग्स की खाड़ी आक्रमण को सफलतापूर्वक पछाड़ा।[8] ये सोवियत संघ से नाभिकीय प्रक्षेपास्त्र ले कर आए, जिनसे १९६२ के क्यूबन प्रक्षेपास्त्र संकट की शुरुआत हुई और सारा विश्व नाभिकीय युद्ध के कगार पर पहुँच गया।[9] साथ ही चे ने बहुत कुछ लिखा भी है, इनकी सबसे प्रसिद्ध कृतियाँ हैं - गुरिल्ला युद्ध की नियम-पुस्तक और दक्षिणी अमरीका में इनकी यात्राओं पर आधारित मोटरसाइकल डायरियाँ। १९६५ में चे क्यूबा से निकलकर कांगो पहुंचे जहाँ इन्होंने क्रांति लाने का विफल प्रयास किया। इसके बाद ये बोलिविया पहुँचे और क्रांति उकसाने की कोशिश की, लेकिन पकड़े गए और इन्हें गोली मार दी गई।[10]

मृत्यु के बाद भी चे को आदर और धिक्कार दोनों ही भरपूर मिले हैं। टाइम पत्रिका ने इन्हें २०वीं शताब्दी के १०० सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों की सूची में शामिल किया।[11] चे की तस्वीर गेरिलेरो एरोइको (स्पेनी: Guerrillero Heroico, वीर गुरिल्ला) को विश्व की सबसे प्रसिद्ध तस्वीर माना गया है।[12]

जीवन[संपादित करें]

क्रांतिकारियों की गैलेक्सी के एक चमकते सितारे का नाम अर्नेस्टो चे ग्वेरा है। एक ऐसा नाम जिसे सुनते ही नसें तन जाती हैं। दिलो-दिमाग उत्तेजना से भर जाता है। हर तरह के अन्याय के खिलाफ लड़ने और न्यायपूर्ण दुनिया बनाने के ख्वाब तैरने लगते हैं। उम्र छोटी हो, लेकिन खूबसूरत हो, यह कल्पना हिलोरे मारने लगती है।

कल्पना करना मुश्किल है, लेकिन यह सच है सिर्फ और सिर्फ 39 साल में शहीद हो जाने वाला एक नौजवान इतना कुछ कर गया जिसे करने के लिए सैकड़ों वर्षों की उम्र नाकाफी लगती है। वह फिदेल कास्त्रो के साथ-साथ कंधे से कंधा मिलाकर क्यूबा में क्रांति करता है, अमेरिकी कठपुतली बातिस्ता का तख्ता पलट देता है। ठीक अमेरिका ( यूएसए) के सटे छोटे से देश में क्रांति की चौकी स्थापित कर देता है, जिसका भय आज भी अमेरिका को सताता रहता है।
एक ऐसा क्रांतिकारी जो आज भी दुनिया के युवाओं का प्रेरणास्रोत है। जिसका जन्म अर्जेंटीना में होता, क्रांति क्यूबा में करता है और वोलोबिया में क्रांति की तैयारी करते अमेरिकी जासूसी एजेंसी सीआईए के हाथों शहीद होता है। कोई अकेला व्यक्ति अमेरिकी साम्राज्यवाद के लिए सबसे बड़ा संकट बन गया, तो उसका नाम चे ग्वेरा है। जिसे मारने के लिए अमेरिका ने अपनी सारी ताकत लगा दी। मरने के बाद भी जिसका भूत अमेरिका और उसके पिट्ठू शासकों को सताता रहता है। वे चे ग्वेरा का मारने में सफल हो गए लेकिन उसके क्रांति के सपने को नहीं मार पाए।
दक्षिणी अमेरिकी महाद्वीप की आदिम लोगों का कत्लेआम कर स्पेन ने पहले इन देशों को गुलाम बना लिया। ये देश स्पेन से संघर्ष कर आजाद हो ही रहे थे कि अमेरिका ने अपने कठपुतली शासक बैठाकर इन देशों पर नियंत्रण कर लिया। दक्षिण अमेरिका के क्रांतिकारी निरंतर स्पने और बाद में अमेरिका के खिलाफ संघर्ष करते रहे। इन्हीं कांतिकारियों में से दो को आज पूरी दुनिया जानती है। एक का नाम फिदेल क्रास्त्रो और दूसरे का नाम चे ग्वेरा है।
जन्मजात विद्रोही। उनके पिता कहते थे कि मेरे बेटे की रगों में आयरिश विद्रोहियों का खून बहता रहता है। चे के पिता स्पेन के खिलाफ पूरे दक्षिण अमेरिका में चल रहे संघर्षों के समर्थक थे। चे को अपने देश और अपने महाद्वीप के लोगों की गरीबी बेचैन कर देती थी। होश संभालते ही उनके दिलो-दिमाग में यह प्रश्न उठता था कि आखिर प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न और कड़ी मेहनत करने वाले मेरे देश और मेरे महाद्वीप के लोग इतने गरीब, लाचार, वेबस और गुलाम क्यों हैं? क्यों और कैसे स्पेन और बाद में अमेरिका ने हमारे महाद्वीप पर कब्जा कर लिया और यहां की संपदा को लूटा।
चे ग्वेरा पेशे से डाक्टर थे। बहुत कम उम्र में उन्होंने करीब 3 हजार किताबें पढ़ डाली थीं। पाल्बो नेरूदा और जॉन किट्स उनके प्रिय कवि थे। रूयार्ड किपलिंग उनके पसंदीदा लेखकों में शामिल थे। कार्ल मार्क्स और लेनिन के साथ बुद्ध, अरस्तू और वर्ट्रेड रसेल उनके प्रिय दार्शनिक और चिंतन थे। खुद चे एक अच्छे लेखक थे। वह नियमित डायरी लिखते थे। उन्होंने पूरे लैटिन अमेरिका की अकेले अपनी मोटर साईकिल से य़ात्रा की। इस यात्रा पर आधारित उनकी मोटर साईकिल डायरी है। जो बाद में किताब के रूप में प्रकाशित हुई। जिस पर एक खूबसूरत फिल्म इसी नाम से बनी।
दक्षिण अमेरिका के कई देशों में क्रांतिकारी संघर्षों मे शामिल हुए। बाद में वे कास्त्रो के साथ क्यूबा की क्रांति (1959) के नायक बने। जिस क्रांति ने क्यूबा में अमेरिका की कठपुतली बातिस्ता की सरकार को उखाड फेका। क्यूबा की क्रांतिकारी सरकार में विभिन्न जिम्मेदारियों को संभालते हुए उन्होंने क्यूबी की जनता की जिंदगी में आमूल-चूल परिवर्तन करने में अहम भूमिका निभाई। क्यूबा दुनिया के लिए आदर्श देश बन गया। इस सब में चे ग्वेरा की अहम भूमिका थी।
क्यूबा में अपने कामों को पूरा करने के बाद चे लैटिन अमेरिका के अन्य देशों में क्रांति को अंजाम देने निकल पड़े। वोलोबिया में क्रांतिकारी संघर्ष करते हुए 1967 में वे 39 वर्ष की उम्र में शहीद हुए।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Partido Unido de la Revolución Socialista de Cuba, aka PURSC
  2. Hall 2004
  3. Casey 2009, p. 128.
  4. On Revolutionary Medicine Archived 2010-03-07 at the वेबैक मशीन Speech by Che Guevara to the Cuban Militia on August 19, 1960
  5. At the Afro-Asian Conference in Algeria Archived 2010-04-05 at the वेबैक मशीन A speech by Che Guevara to the Second Economic Seminar of Afro-Asian Solidarity in Algiers, Algeria on February 24, 1965
  6. Beaubien, NPR Audio Report, 2009, 00:09-00:13
  7. "Castro's Brain" 1960.
  8. Kellner 1989, p. 69-70.
  9. Anderson 1997, p. 526-530.
  10. Ryan 1998, p. 4
  11. Dorfman 1999.
  12. Maryland Institute of Art, referenced at BBC News May 26, 2001

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]