चुटकुला

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किसी घटना की हास्यास्पद प्रस्तुति को चुटकुला या परिहास कहते हैं। इसे अंग्रेज़ी में 'जोक' (joke) कहते हैं और इसे लतीफ़ा भी कहा जाता है। अक्सर कहा जाता है के "लतीफ़े की जान आख़री जुमले (अंतिम वाक्य) में होती है" - अंग्रेज़ी में इस वाक्य को 'पंचलाइन' (punchline) कहते हैं। लतीफ़ा एक छोटी सी कहानी हो सकता है या एक लघु वाक्यांश या वाक्य के रूप में भी हो सकता है। लतीफे प्राय: मित्रों एवं दर्शकों के मनोरंजन के सरल साधन हैं। चुटकुले सुनाने का उद्देश्य अट्टहास पैदा करना होता है। किन्तु किन्हीं कारणों से जब ऐसा नहीं हो पाता तो कभी-कभी चुटकुले का ही मजाक उड़ा दिया जाता है। चुटकुलो से मनुष्य का मनोरंजन भी किया जा सकता है तथा मनुष्य के स्वभाव को कुछ समय के लिये बदला जा सकता हैं।

चुटकुलों पर हंसी क्यों आती है[संपादित करें]

मनोवैज्ञानिकों और साहित्य पर अनुसन्धान करने वालों ने इस प्रश्न पर काफी गहराई से अध्ययन किया है कि चुटकुलों पर लोग बेबसी से हँसते क्यों हैं। इस विषय को लेकर बहुत से सूक्ष्म प्रश्न सामने आते हैं, जैसे कि ऐसा क्यों है के एक ही चुटकुला जब एक आदमी सुनाये तो लोग हँसते हैं लेकिन दूसरा सुनाये तो नहीं हँसते? यह माना जाता है के कई चुटकुलों में तनाव के उतार-चढ़ाव का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है। जैसे कि एक चुटकुला है कि -

"दो पागल पागलख़ाने से फ़रार हो गए। पुलिस उन्हें ढूँढती-ढूँढती थक गयी, तब कहीं जा कर उनमे से एक हाथ आया।
पुलिसवाले ने उस से पूछा - "भई, तेरा साथी कहाँ है?"
उसने कहा - "दरअसल वो भागा था, मैं तो उसे वापस लाने उसके पीछे भागा था।"
पुलिसवाले ने कहा - "शाबाश, यह तो बहुत अच्छा किया। फिर, वो मिला?"
उसने कहा - "वो भागकर नदी में गिर गया था और डूब रहा था। नदी में भयंकर बाढ़ आई हुई थी। मुझे तैरना आता है, इसलिए अन्दर जा कर किसी तरह उसे बचाया और बाहर निकला।"
पुलीसवाले ने कहा - "अरे! तू तो बिलकुल पागल नहीं लगता। हम पागलख़ाने से बात कर के तुझे रिहा करवा लेंगे। अच्छा, तो बता वो गया कहाँ? निकलते ही भाग गया क्या?"
पागल ने कहा - "नहीं, नदी में गीला हो गया था न, इसलिए मैंने उसे सूखने के लिए लटका दिया।"
पप्पू: आई लव यू.,पप्पू: तुम मुझसे कितना प्यार करती हो? पिंकी: जितना तुम करते हो.पप्पू: अच्छा बेटी, मतलब तू भी बस टाइम पास कर रही थी.
डॉक्टर - रात में टेंशन लेकर नहीं सोना चाहिए! मरीज - तो क्या मायके भेज दें...
सुरेश सूट सिलवाने दर्जी के पास गया। दर्जी ने कपड़ा नापा और बोला : " कपड़ा कम है। " वो दूसरे दर्जी के पास चला गया।
उसने नाप लेने के बाद कहा : " आप 2 दिन बाद सूट ले जाइए। " दो दिन बाद सुरेश सूट लिया और पैसे दे रहा था कि, दर्जी का 5 साल का लड़का आ गया। उसने भी बिल्कुल उसी कपड़े का सूट पहन रखा था। सुरेश पहले वाले दर्जी के पास गया और बोला :" तुम तो कहते थे कि, कपड़ा कम है, लेकिन उस दूसरे दर्जी ने उसी कपड़े से न केवल मेरा, बल्कि अपने लड़के का भी सूट बना लिया। " दर्जी बोला : 'वाको छोरो 5 साल को है और मारो 13 साल को।'
"स्टोरकीपर- चीनी यहाँ नहीं मिलती ? सरदार- हम पागल नहीं हैं, पढ़ें लिखे हैं,दवा पर लिखा है शुगर फ्री (Sugar free) चीनी तो तुम्हारा बाप भी देगा हाँ"
मास्टर – सबसे ज्यादा नशा किसमें होता है?, बंटी – किताबो में, मास्टर – वो कैसे?, बंटी – किताबें खोलते ही नींद आ जाती हैं
बंटी ने पिताजी को अपना रिजल्ट दिखाते हुए कहा – पिताजी आप बहुत किस्मत वाले हैं, पिताजी – वो कैसे?, बंटी – क्योंकि, मैं फेल हो गया हूं। अब आपको मेरे लिए नई बुकें नहीं खरीदनी पड़ेंगीं।

इस लतीफ़े में शुरू में पागलों के भाग उठने से तनाव पैदा होता है। और फिर लगता है के यह तो पागल है ही नहीं, इसलिए तनाव कम होता है लेकिन थोड़ा सा शक़ बना रहता है। और फिर एकदम से तनाव फिर से भड़क उठता है। किसी भी लतीफ़े में यह ज़रूरी है के तनाव का यह उतार-चढ़ाव आकस्मिक लगे, यानि जहां तनाव बढ़ने कि उम्मीद हो वहाँ उल्टा घट जाए और जहां घटने कि संभावना लगे वहां उल्टा बढ़ जाए। अच्छे चुटकुला सुनाने वाले इस तनाव के बहाव को अपने नियंत्रण में रखते हैं। कुछ लतीफ़ों में तनाव का इतना उतार-चढ़ाव नहीं होता लेकिन उनमें भी उम्मीद से कुछ विपरीत होता है जो व्यंग्यपूर्ण ढंग से चौंका जाए।


"एक चींटी (दूसरी चींटी से)- सामने से हाथी आ रहा है, हाथ हल्के कर लें क्या?

वैसे भी बहुत दिन हो गए, हमने किसी पर अपने हाथ-पैर नहीं आजमाएं.....।

दूसरी चींटी- नहीं यार! रहने दे, वर्ना लोग कहेंगे कि अकेले देखा तो मारा।"

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

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