ग्रेस कुजूर

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ग्रेस कुजूर (जन्मः 3 अप्रैल 1949) भारत की एक प्रमुख आदिवासी कवयित्री हैं। रांची (झारखंड) के इटकी में एक ‘उरांव’ आदिवासी परिवार में इनका जन्म हुआ। इनकी मातृभाषा ‘कुड़ुख’ है। इनके पिता पैट्रिक कुजूर अस्पताल में कंपाउंडर थे और मां रूथ केरकेट्टा हेल्थ विजीटर थीं। [1]

इनकी आरंभिक एवं उच्च शिक्षा रांची में पूरी हुई। इन्होंने क्रमशः उर्सूलाइन कॉन्वेट स्कूल रांची से मैट्रिक, संत जेवियर कॉलेज रांची से एम.ए, बी.एड. की शिक्षा पाई। फरवरी 1976 में उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो की सर्विस में कार्यक्रम अधिशासी के रूप में ज्वाईन किया। इस संस्थान में रहते हुए उन्होंने रांची, पटना दिल्ली, भागलपुर आदि जगहों पर अपनी सेवाएं दी। बाद में वे निदेशक भी बनीं। 2008 में इन्होंने ऑल इंडिया रेडियो (आकाशवाणी) से महानिदेशक (कार्यक्रम) के पद से अवकाश ग्रहण किया।[2]

ग्रेस कुजूर ने 1966 से लेखन कार्य आरंभ किया। ये मुख्यतः हिंदी में लिखती हैं और इनकी कविताएं ‘हिन्दुस्तान’, ‘आज’, ‘युद्धरत आम आदमी’, ‘आर्यावर्त्त’, ‘झारखंडी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा’ आदि विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं।[3] ‘कलम उगलती आग', ‘लोकप्रिय आदिवासी कविताएं’ और ‘कलम को तीर होने दो’ नामक संग्रहों में इनकी कविताएं संकलित हैं।[4] अब तक इनका अपना कोई स्वतंत्र संकलन प्रकाशित नहीं हो सका है। ग्रेस कुजूर ने रेडियो नाटक तथा प्रहसन भी लिखे हैं। डायन-प्रथा पर ‘महुआ गिरे आधी रात’ नामक इनका रेडियो नाटक चर्चित रहा है।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. हिन्दी कविताओं की रचयिता - ग्रेस कुजूर | http://kurukhworld.com/literature/misc/gress.htm Archived 2018-09-23 at the वेबैक मशीन
  2. ग्रेस कुजूर की कविताएं | https://www.facebook.com/AdivasiLiterature/photos/a.159734160887444/178801625647364/?type=1&theater
  3. पूर्वोत्तर भारत का जनजातीय साहित्य, पृ. 12 | https://books.google.co.in/books?id=eRPcDgAAQBAJ
  4. कलम को तीर होने दो, पृ। 82 | https://books.google.co.in/books?id=WTO6DQAAQBAJ&