कीर्तिसागर का युद्ध
कीर्तिसागर का युद्ध | |||||||
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चन्देल-चौहान युद्ध का भाग | |||||||
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योद्धा | |||||||
अजमेर के चौहान
(सहायक राजवंश)
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चन्देल साम्राज्य
(सम्मिलित राजवंश) | ||||||
सेनानायक | |||||||
पृथ्वीराज चौहान
गोविंदचंद्र पजावन झाला सिंह धीर पुंडीर |
परमर्दिदेव
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शक्ति/क्षमता | |||||||
80 हजार चौहान। | 50 हजार चन्देल, 20 हज़ार काशी के रघुवंशी एवं गहरवार। | ||||||
मृत्यु एवं हानि | |||||||
भारी नुकसान। | कुछ सिपाही मारे जाते है। |
कीर्तिसागर का युद्ध दिल्ली राज्य और चन्देल साम्राज्य के मध्य लड़ा गया जिसमे दिल्ली के राजा पृथ्वीराज चौहान महोबा के सम्राट परमर्दिदेव चन्देल द्वारा पुन: पराजित हुआ एवं भाग गया[1][2][3][4]
कारण[संपादित करें]
महोबा के युद्ध में पराजित होने के बाद पृथ्वीराज ने आल्हा के सन्यास की खबर सुनते ही दुबारा हमले की योजना बनाई और आक्रमण कर दिया।
संदर्भ[संपादित करें]
- ↑ Mohinder Singh Randhawa & Indian Council of Agricultural Research 1980, पृ॰प॰ 472.
- ↑ M.S. Randhawa & Indian Sculpture: The Scene, Themes, and Legends 1985, पृ॰प॰ 532.
- ↑ Parmal Raso, Shyam sunder Das, 1919, 467 pages
- ↑ Pandey(1993) pg197-332