ऐमीन

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से

ऐमीन को अमोनिया के एक , दो अथवा तीनों हाइड्रोजन परमाणुओं को ऐल्किल और/अथवा ऐरिल समूहों द्वारा विस्थापित कर प्राप्त हुए व्युत्पन्न के रूप में माना जा सकता है।

ऐमीन के उदाहरण

ऐमिनों की संरचना[संपादित करें]

अमोनिया क्री भाँति, ऐमीन का नाइट्रोजन परमाणु त्रिसंथोजी है एवं इस पर एक असहभाजित्त इलेक्ट्रॉन युगल है। ऐमीन में नाइट्रोजन के कक्षक sp3 संकरित होते हैं तथा ऐमीन की आकृति पिरैमिडी ढोती है। नाइट्रोजन के तीनों sp3 संकरित कक्षकों में से प्रत्येक ऐमीन कै संगठन के अनुसार हाइड्रोजन अथवा कार्बन के कक्षकों से अतिव्यापन (overlapping)करता है।

वर्गीकरण[संपादित करें]

अमोनिया अणु में ऐल्किल अथवा ऐरिल समूहों द्वारा प्रतिस्थापित हाइड्रोजन परमाणुओं की संख्या के आधार पर ऐमीनों का वर्गीकरण, प्राथमिक (1 ), द्वितीयक (2 ) तथा तृतीयक (3 में किया जाता है। यदि अमोनिया में एक हाइड्रोजन परमाणु R अथवा Ar से प्रतिस्थापित हो तो हमें प्राथमिक (1 ) एमीन R-NH2 अथवा Ar-NH2 प्राप्त होती है। यदि अमोनिया के दो हाइड्रोजन परमाणु अथवा R-N H2 के एक हाइड्रोजन का प्रतिस्थापन अन्य ऐल्किल/ऐरिल (R') समूह से होता है तब आप बया प्राप्त करेंगे? आपको द्वितीयक एमीन, R-NH-R’ प्राप्त होगी। दूसरा एल्किल/ऐरिल समूह समान अथवा भिन्न हो सकता है। एक और हाइड्रोजन परमाणु का विस्थापन ऐल्किल/ऐरिल समूह रने होने यर तृतीयक ऐमीन बनती है। यदि सभी ऐल्किल अथवा ऐरिल समूह समान हों तो ऐमीन को 'सरल‘ तथा भिन्न होने यर "मिश्रित" कहते हैं।

ऐमीन के वर्गीकरणों के उदाहरण

नामपद्धति[संपादित करें]

सामान्य पद्धति में ऐलिफैटिक ऐमीन का नामकरण ऐमीन शब्द में पूर्वलग्न ऐल्किल लगाकर एक शब्द में, यानी ऐल्किलऐमीन के रूप में किया जाता है, जैसे- मेथिलऐमीन। द्वितीयक एवं तृतीयक ऐमीनों में जब दो अथवा अधिक समूह समान होते हैं तब ऐल्किल समूह के नाम से पहल पूर्वलग्न डाइ अथवा ट्राइ का प्रयोग किया जाता है। आइयूपीएसी पद्धति में ऐमीनों का नामकरण ऐल्केनेमीन के रूप में होता है। उदाहरणार्थ CH3NH2 का नाम मेथेनेमीन है। यदि मुख्य श्रृंखला में एक से अधिक स्थानों पर ऐमीन समूह उपस्थित हों तब ऐमीन समूहों की स्थिति कार्बन परमाणु की संख्या जिससे ये जुड़े हों , से व्यक्त कर डाइ, ट्राइ आदि उपयुक्त पूर्वलग्न लगाकर निर्दिष्ट की जाती है। हाइड्रोकार्बन भाग का अनुलग्न बनाए रखा जाता है। उदाहरणार्थ… H2N-CH2-CH2-NH2 का नाम एथेन-1, 2-डाइऐमीन है।

ऐरिल ऐमीनों में -NH2 समूह बेंजीन वलय से सीधे जुड़ा रहता है। ऐरिल ऐमीन का सबसे सरल उदाहरण C6H5NH2 है। सामान्य पद्धति में इसे ऐनिलीन कहते हैं। यह आइयूपीएसी पद्धति में भी स्वीकार्य नाम है। ऐरिल एमीन का नामकरण करते समय ऐरीन के अंग्रेजी में लिखे नाम के अंत में से 'e' अनुलग्न का प्रतिस्थापन एमीन ('amine')शब्द से करते हैं। अत: आइयूपीएसी पद्धति में C6H5-NH2 का नाम बेंजीनएमीन होगा। सारणी में कुछ एल्किल एवं ऐरिल ऐमीनों के सामान्य एवं आइयूपीएसी नाम में दिए गए हैं।

कुछ ऐल्किल एवं ऐरिल ऐमीनों की नामपदृद्भति।

ऐमिनों का विरचन[संपादित करें]

ऐमीनों का विरचन निम्नलिखित विधियों से किया जाता है।

नाइट्रो यौगिकों का अपचयन[संपादित करें]

नाइट्रो यौगिक सूक्ष्म विभाजित निकैल, पैलेडियम अथवा प्लेटिनम की उपस्थिति मे हाइड्रोजन गैस प्रवाहित करने से ऐमीनों में अपचित हो जाते हैं। अम्लीय माध्यम मे धातुओं द्वारा भी इनका अपचयन हो सकता है। इसी प्रकार से नाइट्रोऐल्कीन भी संगत ऐल्केनेमीनों में अपचित की जा सकती हैं।

नाइट्रो यौगिकों का अपचयन

रद्दी लोहे एवं हाइड्रोक्लोरिक अम्ल द्वारा अपचयन को वरीयता दी जाती है, क्योंकि अभिक्रिया में जनित FeCl2 जलअपघटित होकर हाहड्रोक्लोरिक अम्ल देता है। अत: केवल अभिक्रिया प्रारंभ करने के लिए हाइड्रोक्लोरिक अम्ल की बहुत कम मात्रा में आवश्यकता होती है।

ऐल्किल हैलाइडों का ऐमोनीअपघटन[संपादित करें]

आपने एकक 10 में पढ़ा है कि ऐल्किल अथवा बेंजिल हैलाइडों में कार्बन-हैलोजन आबन्ध नाभिकरागी द्वारा सरलता से विदलित हो जाता है। अत: ऐल्किल अथवा बेंजिल हैलाइड अमोनिया के ऐथनॉलिक विलयन से नाभिकरागी प्रतिस्थापन अभिक्रिया करते हैं जिसमें हैलोजन परमाणु ऐमिनो (-NH2) समूह से प्रतिस्थापित हो जाता है। अमोनिया अणु द्वारा C-X आबन्ध के विदलन की प्रक्रिया को अमोनीअपघटन (ammonolysis) कहते हैं। यह अभिक्रिया 373 K ताप पर सील बंद नालिका में कराते हैं। इस प्रकार रने प्राप्त प्राथमिक ऐमीन नाभिकरागी क्री तरह व्यवहार करती है और पुन: ऐल्किल हैलाइड से अभिक्रिया करके द्वितीयक एवं तृतीयक एमीन तथा अंतत: चतुष्क अमोनियम लवण बना सकती है।

ऐल्कित्न हैलाइडों का ऐमोनीअपघटन

इस अभिक्रिया में हैलाइडों की ऐमीनों से अभिक्रियाशीलता का क्रम RI > RBr > RC1 होता है। अमोनियम लवण से मुक्त ऐमीन प्रबल क्षार द्वारा अभिक्रिया से प्राप्त की जा सकती है।

'

अमोनीअपघटन में यह असुविधा है कि इससे प्राथमिक, द्वितीयक एव तृतीयक ऐमीन तथा चतुष्क अमोनियम लवण का मिश्रण प्राप्त होता है। यद्यपि अमोनिया आधिक्य में लेने पर प्राप्त मुख्य उत्पाद प्राथमिक ऐमोन ही सकता है।

नाइट्राइलों का अपचयन[संपादित करें]

नाइट्राइल लीथियम ऐलुमिनियम हाइड्राइड (LiAlH4) अथवा उत्प्रेरकी हाइड्रोजनन द्वारा अपचित होकर प्राथमिक ऐमीन बनाते हैं। इस अभिक्रिया का उपयोग ऐमीन श्रेणी के आरोहण (ascent) में , अर्थात् प्रारंभिक ऐमीन से एक अधिक कार्बन वाले ऐमीन के विरचन में किया जाता है।

नाइट्राइलों का अपचयन

ऐमाइडों का अपचयन[संपादित करें]

ऐमाइड लीथियम ऐलुमिनियम हाइड्राइड द्वारा अपचित्त होकर ऐमीन देते हैं।

ऐमाइडों का अपचयन

गैब्रिएल थैलिमाइड संश्लेषण[संपादित करें]

गैब्रिएल संश्लेषण का प्रयोग प्राथमिक ऐमीनों के विरचन के लिए किया जाता है। थैलिमाइड ऐथेनॉलिक पोटैशियम हाइड्रॉक्सइड से अभिक्रिया द्वारा थैलिमाइड का पोटैशियम लवण बनाता है जो ऐल्किल डैलाइड के साथ गरम करने के पशचात् क्षारीय जलअपघटन द्वारा संगत प्राथमिक ऐमीन उत्पन्न करता है। ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीन इस विधि से नहीं बनाई जा सकतीं क्योंकि ऐरिल हैलाइड थैलिमाइड रने प्राप्त ऋणायन के साथ नाभिकरागी प्रतिस्थापन; अभिक्रिया नहीं कर सकते।

गैब्रिएल धैलिमाइड संश्लेषणI

हॉफमान ब्रोमामाइड निम्मीकरण अभिक्रिया[संपादित करें]

हॉफमान ने प्राथमिक ऐमीनों के विरचन के लिए एक विधि विकसित की जिसमेँ किसी ऐमाइड की NaOH के जलीय अथवा ऐथनॉलिक विलयन में ब्रोमिन से अभिक्रिया करते हैं। इस निम्नीकरण अभिक्रिया में ऐल्किल अथव ऐरिल समूह का स्थानांतरण ऐमाइड के कार्बोनिल कार्बन से ऐमीन के कार्बोनिल परमाणु पर होता है। इस प्रकार प्राप्त ऐमीन में ऐमाइड से एक कार्बन कम होता है।

हाँफमान ब्रोमामाइड निम्मीकरण अभिक्रियाI

भौतिक गुणधर्म[संपादित करें]

निम्नतर ऐलिफैटिक ऐमीन मत्स्य गंध वाली गैसें हैं। तीन अथवा अधिक कार्बन परमाणु वाली प्राथमिक ऐमीन द्रव तथा इससे उच्चतर ऐमीन ठोस हैं। ऐनिलीन तथा अन्य ऐरिलऐमीन प्राय: रंगहीन होती हैं। परंतु भंडारण के दौरान वातावरण द्वारा ऑक्सीकरण होने से रंगीन हो जाती हैं।

निम्नतर ऐलिफैटिक ऐमीन जल में विलेय होती हैं, क्योंकि यह जल के अणुओं के साथ हाइड्रोजन आबंध बना सकती हैं। हालांकि, अणुभार में वृद्धि के साथ जलविरागी (Hydrophlic) ऐल्किल भाग बढ़ जाता है अत: जल में विलेयता घटती है। उच्चतर ऐमीन जल में आवश्यक रूप से अविलेय होती हैं। ऐमीन की नाइट्रोजन एवं अल्कोहॉल की ऑक्सीजन की विद्धुतऋणात्मकता क्रमश: 3.0 एवं 3.5 मानने पर आप ऐमीनों एवं ऐल्कोहलों की जल में विलेयता के पैटर्न की प्रागुक्ति कर सकते हैं। ब्यूटेन-1-ऑल एवं ब्यूटेन-1 -ऐमीन में से कौन जल में अधिक विलेय होगा और क्यों? ऐमीन कार्बनिक विलायकों जैसे अल्कोहॉल, ईथर एवं बेंजीन में विलेय होती है। आपको याद होगा कि अल्कोहॉल ऐमीन की तुलना में अधिक ध्रुवित होती हैं तथा ऐमीन की तुलना में प्रबल अंतराआण्विक हाइड्रोजन आबंध बनाती हैं।

प्राथमिक एवं द्वितीयक ऐमीनों में एक अणु का नाइट्रोजन परमाणु दूसरे अणु के हाइड्रोजन परमाणु से आबंधित होने के कारण इनमें अंतराआण्विक संघटन होता है। यह अंतराआण्विक संघटन प्राथमिक ऐमीनों में द्वितीयक एमीनों की तुलना में हाइड्रोजन आबंधन के लिए दो हाइड्रोजन परमाणुओं की उपलब्धता के कारण अधिक हाता है। तृतीयक ऐमीन में नाइट्रोजन पर हाइड्रोजन अणुओं के अभाव के कारण अंतराआण्विक संघटन नहीं होता। अत: समवयवी ऐमीनों के क्वथनांकों का क्रम निम्नलिखित होगा- प्राथमिक > द्वितीयक > तृतीयक प्राथमिक ऐमीन में उपस्थित अंतराआण्विक हाइड्रोजन आबंधन को चित्र में दर्शाया गया है।

प्राथमिक ऐमीन में अंतराअण्विक हाइड्रोजन आबंधन

लगभग समान आण्विक द्रव्यमान वली ऐमीनों, अल्कोहॉलों एबं एल्केनों के क्वथनांक सारणी में दर्शाए गए हैं।

सारणी -लगभग समान आण्विक द्रव्यमान वाली ऐमीनों, अल्कोहॉलों एबं एल्केनों के क्वथनांक की तुलना।

सन्दर्भ[संपादित करें]

[1] [2] [3] [4] Devesh vishwakarma search on you tube 📲

  1. "संग्रहीत प्रति". मूल से 11 नवंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 नवंबर 2016.
  2. "संग्रहीत प्रति". मूल से 30 अक्तूबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 नवंबर 2016.
  3. "संग्रहीत प्रति". मूल से 18 अप्रैल 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 नवंबर 2016.
  4. "संग्रहीत प्रति". मूल से 4 अगस्त 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 अगस्त 2018.