उसैदुल हक

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हजरत उसैदुल हक कादरी का जन्म 05 मई सन् 1975 को बदायँ जिले के मोहल्ला मोलवी टोला में हुआ था। आपके वालिद का नाम हजरत अब्दुल हमीद मोहम्मद सालिम कादरी है। आप बचपन सेे ही बहुत तीश्रण बुद्धि के व्यक्ति थे।


जीवन परिचयः- आप का जन्म 05 मई सनृ 1975 को बदायूँ में हुआ। आपके वालिद का नाम हज़रत अबदुल हमीद मोहम्मद सालिम कादरी बदायूंनी है, आपने सन 1992 में कुरान शरीफ हिफज़ किया। और उसके बाद वालिद साहब के साथ बग़दाद शरीफ तशरीफ ले गये। फिर सनृ 1994 उसके बाद 1996 में वालिद माजिद के साथ बग़दाद शरीफ गये। सनृ 1999 में वहां के सज्जादा नशीन के हुकुम से आप मिस्र की यूनिवर्सिटी काहिरा जामे अलअजहर पढ़ने के लिये गये। जहां से आपने 05 साल में पढाई पूरी की।

·शहादत- जब आप सन 2014 में बग़दाद शरीफ तशरीफ ले गये तो 04 मार्च को एक आतंकवादी हमले का शिकार हो गये। आपकी कब्र मुबारक हज़रत ग़ौसे पाक के आहते में है। आपकी उम्र केवल 40 साल की रही।

आपकी एक नज्म काफी मशहूर हैः-

ज़ुलमते शव में अचानक दिले तीरा चमका

गौया वादिये तुआ में कोई शौला चमका

या शबे तार में जैसे यदे बैज़ा चमका                                  

यानी सोई हुयी किस्मत का सितारा चमका

                                 आयी आवाज़ कि तू इतना परेशान है क्यों

                                 इतना अफसुरदा व रंजिदा व हैरान है क्यों

एक हस्ती है अगर उससे तू फरियाद करे

उस से गर शिकवा बे रहमी से याद करे

वह अभी तुझ को ग़मे दहर से आज़ाद करे

दिले ऩाशाद को तेरे वह अभी शाद करे

                                 क्या बड़ी बात है उसको ग़मे हस्ती का ईलाज

                                 वह तो कर देता है ड़ूबी हुई कश्ती का ईलाज

हां वही ग़ौस के हर ग़ौस है मंगता जिसका

परतवे नोज़े अज़ल है रूख़े ज़िया जिसका

औलिया चूमते हैं नक्शे कफे पा जिसका

शेर को खतरे में लाता नहीं कुत्ता जिसका


  1. ^ Jaam-e-Noor Dehli