इंटरनेशनल रेड क्रॉस एवं रेड क्रेसेन्ट मोवमेंट

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रेड क्रॉस का प्रतीक झंडे के रूप में

अंतरराष्ट्रीय लाल सूली आंदोलन एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जिसका मिशन मानवीय जिन्दगी व सेहत को बचाना है। इंटरनेशनल रेड क्रॉस और रेड क्रीसेंट मूवमेंट दुनिया भर में लगभग 97 मिलियन स्वयंसेवकों, सदस्यों और कर्मचारियों के साथ एक मानवीय आंदोलन है, जिसे मानव जीवन और स्वास्थ्य की रक्षा के लिए, सभी मनुष्यों के लिए सम्मान सुनिश्चित करने और मानव पीड़ा को रोकने और कम करने के लिए स्थापित किया गया था। इसके भीतर तीन अलग-अलग संगठन हैं जो कानूनी रूप से एक दूसरे से स्वतंत्र हैं, लेकिन आम बुनियादी सिद्धांतों, उद्देश्यों, प्रतीकों, विधियों और शासी संगठनों के माध्यम से आंदोलन के भीतर एकजुट हैं।

इसकी स्थापना 1863 ई.में हेनरी ड्यूनेन्ट ने जेनेवा में की। इसका मुख्यालय जेनेवा (सि्वट्जरलेंड) में है। इसे तीन बार (1917,1944,1963)में नोबेल शांति पुरस्कार मिला है। इसका मुख्य उद्देश्य युद्ध या विपदा के समय में कठिनाईंयों से राहत दिलाना है। प्रतिवर्ष 8 मई को मनाया जाता है। जो कि रेडक्रास के संस्थापक हेनरी ड्यूनेंट का जन्मदिन है।

जहां तक रेड क्रांस संस्था के उद्देश्य व उसके कार्य की बात की जाये तो इस संस्था का मुख्य उद्देश्य युद्ध के दौरान घायल सैनिकों की मदद और चिकित्सा करना है.

यह संस्था शांति और युद्ध के समय दुनियाभर के विभिन्न देशों की सरकार के बीच समन्वय का कार्य करती हैं. यह होने वाली महामारी बीमारी जैसी प्राकृतिक आपदा में पीड़ितों की सहायता करती है. इसका मुख्य कार्य मानव सेवा है।

इतिहास[संपादित करें]

नींव[संपादित करें]

उन्नीसवीं सदी के मध्य तक, हताहतों के लिए कोई संगठित या अच्छी तरह से स्थापित सेना नर्सिंग सिस्टम नहीं थे, न ही सुरक्षित या संरक्षित संस्थान, जो युद्ध के मैदान में घायल हुए लोगों को समायोजित करने और उनका इलाज करने के लिए थे। एक धर्मनिष्ठ कैल्विनवादी, स्विस व्यवसायी जीन-हेनरी ड्यूनेंट ने जून 1859 में तत्कालीन फ्रांसीसी सम्राट नेपोलियन III से मिलने के लिए इटली की यात्रा की, अल्जीरिया में व्यापार करने में कठिनाइयों पर चर्चा करने के इरादे से, जिस पर उस समय फ्रांस का कब्जा था।