आपदेव

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आपदेव 17वीं शताब्दी के एक भारतीय दार्शनिक थे। उन्होंने संस्कृत में मीमांसा-न्याय-प्रकाश लिखा था, जो पूर्व मीमांसा परम्परा का ग्रंथ है।

आपदेव का जीवनकाल संभवतः 17वीं शताब्दी है। वह एकनाथ के प्रपौत्र थे, जो संभवतः १६वीं शताब्दी के संत कवि एकनाथ से भिन्न हैं। उनके दादा का नाम भी आपदेव था, और उनके पिता का नाम अनन्त-देव था। [1]

अपदेव ने मीमांसा दर्शन के भट्ट सम्प्रदाय का अनुसरण किया और मीमांसा-न्याय-प्रकाश नामक ग्रन्थ की रचना की जिसे जिसे आपदेवी के नाम से भी जाना जाता है। यह पूर्व मीमांसा सम्बन्धि एक दिग्दर्शक ग्रन्थ है।

आपदेव के पुत्र का नाम अनन्त-देव था (जो अपदेव के पिता का भी नाम है), इन्होंने स्मृति-कौस्तुभ की रचना की, जो आजकल आपदेव के बारे में जानकारी का मुख्य स्रोत है। [1] यह स्पष्ट नहीं है कि आपदेव का पुत्र अनन्त ही अनन्त बकरिस्ट हैं जिन्होंने नक्षत्र-सत्रहौत्र नामक ग्रन्थ की रचना की है। आपदेव के पुत्र अनन्त के पोते का नाम भी अनन्त-देव था और उन्होंने ज्योतिष पर नक्षत्रसत्त्रेष्टिर्योग या नक्षत्रेष्टि-निरूपण नामक एक ग्रन्थ की रचना की। [2]

संदर्भ[संपादित करें]

  1. Sures Chandra Banerji (1989). A Companion to Sanskrit Literature (Second संस्करण). Motilal Banarsidass. पपृ॰ 12–13. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788120800632. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> अमान्य टैग है; "SCB" नाम कई बार विभिन्न सामग्रियों में परिभाषित हो चुका है
  2. David Pingree, संपा॰ (1970). Census of the Exact Sciences in Sanskrit Series A. 1. American Philosophical Society. पृ॰ 41.