अस्तित्व संकट

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अस्तित्व संकट की स्थिति में प्रकृति के सामने अकेलेपन और महत्वहीनता की भावनाएँ आम हैं।

मनोविज्ञान और मनोचिकित्सा के क्ष्रेत्र में अस्तित्व संकट (existential crises) आंतरिक संघर्ष हैं जो इस धारणा के कारण उत्पन्न होते हैं कि जीवन में अर्थ की कमी है अथवा किसी की व्यक्तिगत पहचान के बारे में भ्रम है। अस्तित्व संकट चिंता और तनाव के साथ आते हैं, अक्सर यह संकट इस हद तक होता है कि वो रोजमर्रा की जिंदगी में किसी के सामान्य कामकाज को बाधित कर देता है और अवसाद का कारण बनता है। जीवन और अर्थ के प्रति यह नकारात्मक रवैया अस्तित्व के रूप में पहचाने जाने वाले अस्तित्ववाद की विभिन्न स्थितियों को दर्शाता है। पर्यायवाची और निकट संबंधी शब्दों में अस्तित्व संबंधी भय, अस्तित्व संबंधी शून्यता, अस्तित्व संबंधी तंत्रिकाताप और अलगाव शामिल हैं। अस्तित्व संकट से जुड़े विभिन्न पहलुओं को कभी-कभी भावनात्मक, संज्ञानात्मक और व्यवहारिक घटकों में विभाजित किया जाता है। भावनात्मक घटक दर्द, निराशा, असहायता, अपराधबोध, चिंता अथवा अकेलापन जैसी उन भावनाओं को संदर्भित करते हैं जो इन स्थितियों में प्रभावित होती हैं। संज्ञानात्मक घटकों में अर्थहीनता की समस्या, व्यक्तिगत मूल्यों या आध्यात्मिक विश्वास की हानि और स्वयं की मृत्यु के बारे में विचार शामिल हैं। बाहरी तौर पर अस्तित्व संकट अक्सर लोगों को व्यसनी, असामाजिक और बाध्यकारी व्यवहार की तरफ ले जाता है।

परिभाषा[संपादित करें]

मनोविज्ञान और मनोचिकित्सा के क्ष्रेत्र में अस्तित्व संकट एक आंतरिक विरोधाभाष की अवस्था को बताता है। इसकी विशेषता है कि जीवन में अर्थ का अभाव है और यह तनाव, चिंता, निराशा और अवसाद जैसे विभिन्न नकारात्मक अनुभवों के साथ आता है।[1][2] यह अक्सर इस हद तक होता है कि यह व्यक्ति के रोजमर्रा के जीवन के सामान्य कामकाज को बाधित कर देता है। यह आंतरिक संघर्ष की प्रकृति अस्तित्व संकट को अन्य प्रकार के संकटों से अलग करती है। अन्य प्रकार के संकट में मुख्य रूप से बाहरी परिस्थितियों, जैसे सामाजिक या वित्तीय संकट आदि हैं। हालांकि बाहरी परिस्थितियाँ अस्तित्व संकट को उत्पन्न करने या बढ़ाने में भूमिका निभा सकती हैं लेकिन मुख्य संघर्ष आंतरिक स्तर पर होता है। अस्तित्व संकट को हल करने का सबसे आम तरीका इस आंतरिक संघर्ष से निजात पाना और जीवन में अर्थ के नए स्रोत ढूंढना है।[3]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "APA Dictionary of Psychology: existential crisis". dictionary.apa.org (अंग्रेज़ी में).
  2. James, Richard K. (27 July 2007), Crisis intervention strategies, Cengage Learning, पृ॰ 13, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780495100263
  3. "साइंस ऑफ हैप्पीनेस:अस्तित्व पर संकट टालने और जीवित रहने पर लोग हंसते हैं, यह स्वस्थ रहने में मददगार". दैनिक भास्कर. 2022-09-26.