"गुप्त ऊर्जा": अवतरणों में अंतर

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साँचा:Cosmology

भौतिक ब्रह्माण्ड विज्ञान, खगोल विज्ञान और खगोलीय यांत्रिकी में, गुप्त ऊर्जा , ऊर्जा का एक काल्पनिक रूप है जो सम्पूर्ण अंतरिक्ष में व्याप्त होता है एवं जिसमें ब्रह्माण्ड के विस्तार की दर को बढ़ाने की प्रवृत्ति होती है.[1] गुप्त ऊर्जा हाल के उन पर्यवेक्षणों एवं प्रयोगों को व्यक्त करने का सर्वाधिक लोकप्रिय तरीका है जिसके अनुसार ब्रह्माण्ड का विस्तार एक त्वरणशील दर से होता हुआ मालूम पड़ता है. ब्रह्माण्ड विज्ञान के मानक मॉडल में, गुप्त ऊर्जा को वर्तमान में ब्रह्मांड के कुल ऊर्जा-द्रव्यमान का 74% माना जाता है.[2]

गुप्त ऊर्जा के दो प्रस्तावित रूप ब्रह्माण्ड संबंधी नियतांक, जो अंतरिक्ष को समरूप से[3] क्रमबद्ध करने वाली ऊर्जा घनत्व का स्थिरांक है, और अदिश क्षेत्र जैसे कि सार तत्व या मॉड्यूली, जो गतिशील राशियां हैं जिनका ऊर्जा घनत्व समय एवं स्थान में भिन्न हो सकता है. जो अदिश क्षेत्र अंतरिक्ष में स्थिर रहते हैं उनके योगदान आम तौर पर ब्रह्माण्ड संबंधी स्थिरांक में शामिल किए जाते हैं. ब्रह्माण्ड संबंधी स्थिरांक भौतिक रूप से निर्वात ऊर्जा के समकक्ष होता है. अदिश क्षेत्र जो अंतरिक्ष में परिवर्तित होते हैं उनका ब्रह्मांड संबंधी स्थिरांक से अंतर करना कठिन हो सकता है क्योंकि परिवर्तन अत्यंत धीमा हो सकता है.

समय के साथ विस्तार की दर में परिवर्तन को समझने के लिए ब्रह्मांड के विस्तार के उच्च-यथार्थता मापन को समझना जरूरी है. सामान्य सापेक्षता में, विस्तार दर का विकास ब्रह्माण्ड संबंधी अवस्था समीकरण के द्वारा मानदंड के अनुरूप किया जाता है (अंतरिक्ष के किसी क्षेत्र के लिए ताप, दवाब, एवं संयुक्त पदार्थ, ऊर्जा, एवं निर्वात ऊर्जा घनत्व के बीच संबंध). गुप्त ऊर्जा की अवस्था के समीकरण का मूल्यांकन करना आज मापने आज पर्यवेक्षण संबंधी ब्रह्माण्ड विज्ञान के सबसे बड़े प्रयासों में से एक प्रयास है.

ब्रह्माण्ड संबंधी स्थिरांक को ब्रह्माण्ड विज्ञान के मानक एफएलआरडब्ल्यू (FLRW) मीटर प्रणाली में जोड़ने से लैम्डा-सीडीएम मॉडल (Lambda-CDM model) उत्पन्न होता है, जिसे पर्यवेक्षणों के साथ यथार्थ मेल के कारण ब्रह्मांड विज्ञान का "मॉडल मानक" कहा गया है. हाल के एक प्रयास[4] में गुप्त ऊर्जा का प्रयोग ब्रह्मांड के लिए एक चक्रीय मॉडल का निर्माण करने के लिए एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में किया गया है.

गुप्त ऊर्जा के साक्ष्य

सुपरनोवा

1998 में, हाई-ज़ेड सुपरनोवा अनुसंधान दल[5] द्वारा टाइप ला सुपरनोवा ("वन-ए) के प्रकाशित पर्यवेक्षणों के बाद 1999 में सुपरनोवा ब्रह्माण्ड विज्ञान परियोजना[6] शुरू हुई जिसने सुझाव दिया कि ब्रह्मांड का विस्तार त्वरित गति से हो रहा है. तब से, इन प्रेक्षणों की पुष्टि कई स्वतंत्र स्रोतों से हुई है. ब्रह्माण्डीय (कॉस्मिक) माइक्रोवेव की पृष्ठभूमि के मापन, गुरूत्वीय लेन्सिंग, एवं ब्रह्मांड की व्यापक संरचना और साथ ही साथ सुपरनोवा (अधिनव तारा) के उन्नत मापन लैम्डा-सीडीएम मॉडल के साथ संगत बने रहे हैं.[7]

सुपरनोवा (अधिनव तारा) ब्रह्माण्ड विज्ञान के लिए उपयोगी हैं क्योंकि वे संपूर्ण ब्रह्मांड संबंधी दूरियों में उत्कृष्ट मानक बत्ती हैं. वे ब्रह्मांड के विस्तार इतिहास का मापन किसी वस्तु से दूरी एवं इसके लंबे तरंग दैर्घ्य (लाल रंग) की तरफ इसके विस्थापन के बीच संबंध की तरफ देखकर करने देते हैं, जो यह बताता है कि यह हमसे कितनी तेजी से पीछे हट रहा है. हबल के नियम के अनुसार, संबंध मोटे तौर पर रैखिक होता है. लंबे तरंग दैर्घ्य (लाल रंग) की तरफ विस्थापन की माप करना अपेक्षाकृत रूप से आसान है, लेकिन किसी वस्तु से दूरी का पता लगाना अधिक कठिन है. आमतौर पर, खगोलविद मानक बत्तियों: वस्तुएं जिनके लिए आंतरिक चमक, निरपेक्ष परिमाण, ज्ञात होता है, का उपयोग करते हैं. यह वस्तु की दूरी का मापन इसके वास्तविक रूप से देखी गई चमक, या स्पष्ट परिमाण से करने देता है. टाइप ला सुपरनोवा अपने चरम, एवं अत्यधिक संगत, चमक के कारण ब्रह्माण्ड संबंधी संपूर्ण दूरियों में सर्वोत्तम-ज्ञात मानक बत्ती हैं.

सुपरनोवा के हाल के प्रेक्षण 71.3% गुप्त ऊर्जा एवं 27.4% काले पदार्थ एवं बेरियोन संबंधी पदार्थ के सम्मिश्रण से निर्मित ब्रह्मांड के अनुरूप हैं.[8]

ब्रह्माण्डीय (कॉस्मिक) माइक्रोवेव पृष्ठभूमि

ब्रह्मांड में काले पदार्थ और गुप्त ऊर्जा का अनुमानित वितरण

गुप्त ऊर्जा का अस्तित्व, चाहे जिस रूप में हो, अंतरिक्ष की मापित ज्यामिति का ब्रह्मांड के कुल पदार्थों के साथ मिलान के लिए आवश्यक है. अभी हाल में ही, डब्ल्यूएमएपी (WMAP) अंतरिक्षयान द्वारा मापन की दिशा से भिन्न गुण वाले भौतिक शास्त्र में ब्रह्माण्डीय (कॉस्मिक) माइक्रोवेव पृष्ठभूमि (सीएमबी (CMB)) का मापन, यह सूचित करता है कि ब्रह्मांड लगभग चपटा है. ब्रह्मांड का आकार चपटा होने के लिए, ब्रह्मांड का द्रव्यमान/ऊर्जा घनत्व कुछ क्रांतिक घनत्व के समान होना चाहिए. सीएमबी द्वारा माप किया गया, ब्रह्मांड में पदार्थ का कुल परिमाण (बैरियॉन्स एवं काले पदार्थ सहित), क्रांतिक घनत्व के केवल 30% के लगभग होता है. इसका तात्पर्य शेष 70% के लिए ऊर्जा के एक अतिरिक्त रूप का होना है.[7] सबसे हाल के डब्ल्यू एम ए पी (WMAP) के पर्यवेक्षण 74% गुप्त ऊर्जा, 22% काले पदार्थ और 4% साधारण पदार्थ से निर्मित ब्रह्मांड के अनुरूप हैं.[2]

बृहत संरचना

बृहत संरचना का सिद्धांत, जो ब्रह्मांड (तारे, क्वेज़ार, आकाशगंगाओं एवं आकाशगंगा समूहों) में संरचना के निर्माण को निर्धारित करता है, यह भी सुझाव देता है कि ब्रह्मांड में पदार्थ का घनत्व क्रांतिक घनत्व का केवल 30% है.

देरी से समन्वित सैक्स-वूल्फ प्रभाव

त्वरित ब्रह्मांडीय विस्तार से होकर फोटॉन के गुजरने पर वे चपटा किये जाने वाले गुरुत्वाकर्षण संभावित कुएं एवं पहाड़ियां उत्पन्न करते हैं, जिससे विशाल सुपरवॉयड एवं सुपरक्लस्टर के साथ संरेखित सीएमबी में ठंडे धब्बे एवं गर्म धब्बे उत्पन्न होते हैं. यह तथाकथित देरी से समन्वित सैक्स-वूल्फ प्रभाव (आईएसडब्ल्यू (ISW)) एक चपटे ब्रह्मांड में गुप्त ऊर्जा का एक प्रत्यक्ष संकेत होता है,[9] एवं हाल ही में उसकी पहचान हो एट अल[10] एवं गियान्नाटोनियो के द्वारा उच्च महत्व के रूप में की गई.[11]

गुप्त ऊर्जा की प्रकृति

इस गुप्त ऊर्जा की प्रकृति चिंतन का विषय है. गुप्त ऊर्जा बहुत ही समरूप माना जाता है, जो बहुत अधिक सघन नहीं होता है एवं गुरुत्वाकर्षण के सिवाय किसी अन्य मौलिक बलों के साथ कोई परस्पर क्रिया नहीं करता माना जाता है. चूंकि यह बहुत सघन नहीं है- मोटे तौर पर प्रति क्यूबिक सेंटीमीटर 10−29 ग्राम-प्रयोगशाला में इसका पता लगाने के लिए इसकी कल्पना करना कठिन है. सिर्फ गुप्त ऊर्जा का ब्रह्माण्ड पर इतना गहरा प्रभाव पड़ता है, जो ब्रह्मांड के घनत्व का 74% होता है, क्योंकि यह अन्यथा रिक्त स्थान को भरता है. दो प्रमुख मॉडल आकाश (सारतत्व) एवं ब्रह्मांडीय स्थिरांक हैं. दोनों मॉडलों में आम विशेषता शामिल हैं कि गुप्त ऊर्जा में ऋणात्मक दवाब होना चाहिए.

ऋणात्मक दाब

ब्रह्मांड के विस्तार दर में देखे गए त्वरण (गति वृद्धि) को व्यक्त करने के लिए गुप्त ऊर्जा को अपनी वास्तविक प्रकृति से स्वतंत्र एक ऋणात्मक दवाब (अर्थात अरुचिकर ढंग से कार्य करने वाला प्रभाव) की आवश्यकता होगी.

सामान्य सापेक्षता के अनुसार, एक पदार्थ के भीतर दाब अपने द्रव्यमान घनत्व के सामान ही अन्य वस्तुओं के लिए अपने गुरुत्वीय आकर्षण में योगदान देता है. यह इसलिए होता है क्योंकि पदार्थ को गुरुत्वाकर्षण प्रभाव उत्पन्न करने के लिए प्रेरित करने वाली भौतिक मात्रा तनाव-ऊर्जा टेन्सर होती है, जिसमें किसी पदार्थ का ऊर्जा (या पदार्थ) घनत्व एवं इसका दाब तथा गाढ़ापन होता है.

फ्राइडमैन-लीमैटर-रॉबर्ट्सन-वाकर मेट्रिक में, यह दिखाया जा सकता है कि सभी ब्रह्मांड में एक मजबूत स्थिर ऋणात्मक दाब ब्रह्मांड के विस्तार में त्वरण उत्पन्न करता है यदि ब्रह्मांड का पहले से ही विस्तार हो रहा है, या ब्रह्मांड में मंदन उत्पन्न करता है यदि ब्रह्मांड में पहले से ही संकुचन हो रहा है. अधिक यथार्थ रूप में, ब्रह्मांड के माप कारक का दूसरा व्युत्पन्न धनात्मक होता है यदि ब्रह्मांड की अवस्था का समीकरण होता है

इस त्वरक विस्तार प्रभाव को कभी-कभी "गुरुत्वाकर्षण प्रतिकर्षण" के रूप में वर्गीकृत किया जाता है जो एक रंगीन किन्तु शायद भ्रामक अभिव्यक्ति है. वास्तव में ऋणात्मक दबाव द्रव्यमानों के बीच गुरूत्वाकर्षण संबंधी पारस्परिक क्रिया को प्रभावित नहीं करता है - जो आकर्षक बना रहता है - बल्कि इसके बजाय यह ब्रह्माण्ड संबंधी पैमाने पर ब्रह्मांड के समग्र विकास को परिवर्तित कर देता है, जिसके परिणामस्वरूप आम तौर पर ब्रह्मांड में उपस्थित द्रव्यमानों के बीच आकर्षण के बावजूद ब्रह्मांड का त्वरक विस्तार होता है.

ब्रह्माण्ड संबंधी स्थिरांक

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गुप्त ऊर्जा की सबसे सरल व्याख्या यह है कि यह मात्र "अंतरिक्ष होने की लागत" है: अर्थात, अन्तरिक्ष के एक परिमाण में कुछ आंतरिक, मौलिक ऊर्जा है. यह ब्रह्मांड संबंधी स्थिरांक है, जिसे कभी-कभी ग्रीक अक्षर Λ के नाम से लैम्डा (इसलिए लैम्डा-सीडीएम मॉडल) कहा जाता है, एक प्रतीक जिस का प्रयोग इस राशि को गणितीय रूप में व्यक्त करने के लिए किया जाता है. चूंकि ऊर्जा और द्रव्यमान E = mc 2 से संबंधित हैं, आइंस्टीन का सामान्य सापेक्षता का सिद्धांत यह भविष्यवाणी करता है कि इसका एक गुरुत्वाकर्षण संबंधी प्रभाव होगा. इसे कभी-कभी एक निर्वात ऊर्जा कहा जाता है क्योंकि यह रिक्त निर्वात का ऊर्जा घनत्व है. वास्तव में, कण भौतिकी के अधिकांश सिद्धांत निर्वात में अस्थिरता का पूर्वानुमान करते हैं जो निर्वात को इस प्रकार की ऊर्जा देगा. यह कैसिमिर प्रभाव से संबंधित है, जिसमें उन प्रदेशों में एक छोटा खिंचाव होता है जहां वास्तविक कणों को विकसित होने (जैसे सूक्ष्म अलगाव वाले प्लेटों के बीच) से ज्यामितीय रूप से रोका जाता है. रह्माण्ड विज्ञानियों द्वारा ब्रह्माण्ड संबंधी स्थिरांक का आकलन 10−29 ग्राम/घन सेमी के क्रम में, या घटी हुई प्लैंक इकाइयों में लगभग 10−120 के रूप में किया जाता है. हालांकि, कण भौतिकी घटी हुई प्लैंक इकाइयों में प्राकृतिक मान 1 का पूर्वानुमान करते हैं, जो एक विशाल असंगति है जिसे अब तक नहीं समझा गया है.

ब्रह्माण्ड संबंधी स्थिरांक में ऋणात्मक दवाब उसके ऊर्जा घनत्व के बराबर होता है एवं इसलिए ब्रह्मांड के विस्तार को तेजी से बढ़ाता है. ब्रह्माण्ड के स्थिरांक के ऋणात्मक दवाब होने के कारण को पारंपरिक ऊष्माप्रवैगिकी से समझा जा सकता है; पात्र में कार्य करने के लिए ऊर्जा को पात्र के भीतर से नष्ट करना चाहिए. आयतन dV में परिवर्तन के लिए किये गए कार्य को ऊर्जा में परिवर्तन −p dV के बराबर होना चाहिए, जहां p दाब है. लेकिन वास्तव में निर्वात ऊर्जा के बॉक्स में ऊर्जा की मात्रा आयतन में वृद्धि होने (dV धनात्मक है) से बढ़ जाती है, क्योंकि ऊर्जा ρV के बराबर होती है, जहां ρ (rho) ब्रह्माण्ड संबंधी स्थिरांक का ऊर्जा घनत्व है. इसलिए, p ऋणात्मक है एवं, वास्तव में, p = −ρ .

एक प्रमुख समस्या यह है कि अधिकांश क्वांटम (प्रमात्रा) क्षेत्र सिद्धान्त क्वांटम निर्वात की ऊर्जा से एक विशाल ब्रह्मांड संबंधी स्थिरांक का पूर्वानुमान करते हैं, जिसमें से 100 से अधिक परिमाण क्रम अत्यधिक विशाल होते हैं.[12] इसे लगभग रद्द करने की आवश्यकता होगी, लेकिन विपरीत प्रतीक वाले एक विशाल पद द्वारा समान रूप से बिल्कुल नहीं. कुछ अधिसममितीय सिद्धांतों के लिए एक ब्रह्माण्ड संबंधी स्थिरांक की आवश्यकता होती है जो वास्तव में शून्य होता है, जो सहायक नहीं होता है. वर्तमान वैज्ञानिक सहमति के फलस्वरूप अनुभवजन्य साक्ष्य का बहिर्वेशन होता है जहां यह अधिक सुरूचिपूर्ण हल मिलने तक पूर्वानुमानों, एवं ठीक करने वाले सिद्धांतों के लिए प्रासंगिक होता है. तकनीकी तौर पर, इसके परिणामस्वरूप खुली आंख से देखे जाने योग्य प्रेक्षणों के विरुद्ध परीक्षण सिद्धांत उत्पन्न होता है. दुर्भाग्यवश, चूंकि स्थिरांक में ज्ञात त्रुटि-मार्जिन ब्रह्मांड की वर्तमान अवस्था की तुलना में ब्रह्मांड के भाग्य के संबंध में अधिक भविष्यवाणी करता है, ऐसे कई "गूढ़" प्रश्न अज्ञात बने रहते हैं.

मानक मॉडल में ब्रह्मांड संबंधी स्थिरांक को शामिल करने से एक और समस्या उत्पन्न होती है: अर्थात कम घनत्व वाले पदार्थों के अलगाव (तीन उदाहरणों के लिए अलगाव का वर्गीकरण देखें) क्षेत्रों के साथ समाधानों का प्रकटन.[13] असातत्य ब्रह्मांड संबंधी स्थिरांक को निर्दिष्ट किये गए दवाब के पूर्व के प्रतीक को भी प्रभावित करता है, जो बदलकर वर्तमान ऋणात्मक दवाब से आकर्षक हो जाता है, जब कोई पूर्व के ब्रह्मांड की तरफ पीछे देखता है. मानक मॉडल में ब्रह्मांड संबंधी स्थिरांक को शामिल करने वाले सुपरनोवा आंकड़े का एक व्यवस्थित, मॉडल से स्वतंत्र मूल्यांकन यह संकेत देता है कि इन आंकड़ों में व्यवस्थित त्रुटि हैं. सुपरनोवा आंकड़े एक तेजी से बढ़ते हुए ब्रह्मांड के विस्तार के लिए एक अपरिहार्य साक्ष्य नहीं हैं जो मात्र एक फैलाव हो सकता है.[14] हमारे स्थानीय समूह के अन्य स्थानों की तुलना में कम पदार्थ घनत्व वाले स्थानीय रिक्ति में स्थित होने के प्रमाण के रूप में डब्ल्यूएमएपी एवं सुपरनोवा आंकडे के संख्यात्मक मान के मूल्यांकन ने ब्रह्मांड संबंधी स्थिरांक का समर्थन करने के लिए उपयोग किये जाने वाले विश्लेषण में संभावित संघर्ष को जन्म किया.[15] हाल के एक सैद्धांतिक जांच ने पर्यवेक्षण की भौतिक सीमा को व्यक्त करते हुए ब्रह्माण्ड संबंधी क्षितिज पर पहुंचने वाले पर्यवेक्षक से संबंधित ब्रह्माण्ड संबंधी समय, दिनांक, किसी सीमित अंतराल के लिए विचलन, डीएस का पता लगाया. खगोलीय प्रेक्षणों, विशेष रूप से गुप्त ऊर्जा की प्रकृति से संबंधित, की संपूर्ण व्याख्या के लिए आवश्यक यह एक प्रमुख घटक है.[16] ब्रह्माण्ड संबंधी स्थिरांक के रूप में गुप्त ऊर्जा की पहचान आंकड़ों के साथ संगत प्रतीत नहीं होती है. इन निष्कर्षों को मानक मॉडल की कमियों के रूप में माना जाना चाहिए, लेकिन केवल तभी जब निर्वात ऊर्जा के लिए एक शब्द को शामिल किया जाता है.

अपनी समस्याओं के बावजूद, ब्रह्माण्ड संबंधी स्थिरांक कई दृष्टि में ब्रह्मांडीय त्वरण की समस्या का सर्वाधिक किफायती समाधान है. एक संख्या प्रेक्षणों की बहुतायत की सफलतापूर्वक व्याख्या करती है. इस प्रकार, ब्रह्माण्ड विज्ञान का वर्तमान मानक मॉडल, लैम्डा-सीडीएम मॉडल, ब्रह्मांड संबंधी स्थिरांक को एक आवश्यक सुविधा के रूप में शामिल करता हैं.

सार तत्व

गुप्त ऊर्जा के सार तत्व मॉडल में, मापक कारक का अवलोकित त्वरण एक गतिशील क्षेत्र के स्थितिज ऊर्जा द्वारा उत्पन्न होता है, जिसे सार तत्व क्षेत्र कहा जाता है. सार तत्व ब्रह्मांड संबंधी ऊर्जा से इस अर्थ में भिन्न होता है कि यह स्थान एवं समय में भिन्न हो सकता है. इसे गुच्छेदार एवं संरचना सदृश पदार्थ नहीं बनने देने के लिए, क्षेत्र बहुत हल्का होना चाहिए जिससे कि इसका एक विशाल कॉम्पटन तरंगदैर्ध्य हो.

अब तक सार तत्व का कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं है, लेकिन इसे नकारा भी नहीं गया है. आम तौर पर यह ब्रह्माण्ड संबंधी स्थिरांक की तुलना में यह ब्रह्मांड के विस्तार में थोड़े धीमे गति वर्द्धन का पूर्वानुमान करता है. कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि सार तत्व का सबसे अच्छा साक्ष्य आइंस्टीन के समतुल्यता सिद्धांत के उल्लंघनों से एवं स्थान एवं समय में आधारभूत स्थिरांक की भिन्नता से आयेगा. अदिश क्षेत्र का पूर्वानुमान मानक मॉडल एवं स्ट्रिंग सिद्धांत के द्वारा किया जाता है, लेकिन ब्रह्मांड संबंधी स्थिरांक समस्या (या कॉस्मिक प्रसार वाले मॉडलों की संरचना करने की समस्या) के सदृश समस्या उत्पन्न होती है: पुन:सामान्यीकरण का सिद्धांत यह पूर्वानुमान करता है कि अदिश क्षेत्रों को बृहद द्रव्यमानों को ग्रहण करना चाहिए.

ब्रह्मांडीय संयोग की समस्या यह प्रश्न करता है कि ब्रह्मांडीय त्वरण क्यों शुरू हुआ. यदि ब्रह्मांडीय त्वरण ब्रह्मांड में इससे पहले शुरू हुआ तो आकाशगंगा जैसी संरचनाओं को उत्पन्न होने का समय नहीं मिल पाता एवं जीवन, कम से कम हम लोग इसे जितना जानते हैं, के अस्तित्व का समय नहीं मिल पाता. मानव जीवन सिद्धांत के प्रतिपादक इसे अपने तर्क के समर्थन के लिए सहायक मानते हैं. हालांकि, सार तत्व के कई मॉडलों में एक तथाकथित खोजी व्यवहार होता है, जो इस समस्या का हल करता है. इन मॉडलों में, सार तत्व (आकाश) क्षेत्र में एक घनत्व होता है जो पदार्थ-विकिरण समानता होने तक विकिरण घनत्व की बारीकी से खोज करता है, जो सार तत्व को गुप्त ऊर्जा के जैसा व्यवहार करने के लिए प्रेरित करता है, और अंतत: ब्रह्मांड पर आधिपत्य रखता है. यह स्वाभाविक रूप से गुप्त ऊर्जा के लिए निम्न ऊर्जा पैमाना निर्धारित करता है.

2004 में, जब वैज्ञानिकों ने ब्रह्माण्ड संबंधी आंकड़े के साथ गुप्त ऊर्जा के विकास को काम के उपयुक्त बनाया, तो उन्होंने यह पाया कि अवस्था का समीकरण शायद ब्रह्मांड संबंधी स्थिरांक की सीमा (w=1) को ऊपर से नीचे की तरफ पार कर चुका था. एक नो-गो (No-Go) प्रमेय को इस परिदृश्य को गुप्त ऊर्जा मॉडलों के लिए आवश्यक कम से कम दो डिग्री प्रदान करने के लिए सिद्ध किया गया है. यह परिदृश्य को तथाकथित क्विंटम परिदृश्य कहा जाता है.

सार तत्व ऊर्जा के कुछ विशेष उदाहरण फैन्टम ऊर्जा हैं, जिसमें सार तत्व का ऊर्जा घनत्व वास्तव में समय एवं के-सार तत्व (गतिशील सार तत्व का लघु रूप) के साथ बढ़ता है, जिसमें गतिज ऊर्जा का अमानकीकृत रूप होता है. उनमें असामान्य गुण हो सकते हैं: उदाहरण के लिए, फैन्टम ऊर्जा एक बड़ा दरार उत्पन्न कर सकती है.

वैकल्पिक विचार

कुछ सिद्धांतकारों का मानना है कि गुप्त ऊर्जा एवं कॉस्मिक त्वरण बहुत बड़े पैमाने पर सामान्य सापेक्षता की विफलता है, जो सुपरक्लस्टर से भी अधिक बड़ी होती है. हालांकि सामान्य सापेक्षता को संशोधित करने के अधिकांश प्रयास या तो सार तत्व सिद्धांत के समतुल्य या प्रेक्षणों के साथ असंगत साबित हुये हैं.

गुप्त ऊर्जा के वैकल्पिक विचार स्ट्रिंग सिद्धांत, ब्रेन ब्रह्मांड विज्ञान एवं होलोग्राफिक सिद्धांत से उत्पन्न हुये हैं, लेकिन वे अब तक सार तत्व एवं ब्रह्मांड संबंधी स्थिरांक के समान अकाट्य साबित नहीं हुये हैं. स्ट्रिंग सिद्धांत के संबंध में, नेचर (Nature) पत्रिका में एक लेख में वर्णित है:

स्ट्रिंग सिद्धांत, जो कई परमाणु भौतिकविदों के बीच लोकप्रिय हैं, इस बात को सोचना संभव, यहां तक कि वांछनीय बनाते हैं कि अवलोकनीय ब्रह्मांड अधिक बृहद बहु ब्रह्मांड के 10500 में से मात्र एक है, यह [कैलिफोर्निया में स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के एक ब्रह्मांड विज्ञानी लियोनार्ड सस्किंड] का कहना है. विभिन्न ब्रह्मांडों में निर्वात ऊर्जा का भिन्न मान होगा, और कई या अधिकांश में यह वास्तव में विशाल होगा. लेकिन यह हमारे वाले में छोटा होना चाहिए क्योंकि केवल ऐसे ही ब्रह्मांड में हमलोगों के जैसे प्रेक्षक विकसित हो सकते हैं.[12]

उसी लेख में पॉल स्टीनहार्ड्ट गुप्त ऊर्जा के संबंध में स्ट्रिंग सिद्धांत की यह कहते हुए आलोचना करता है कि ".....मानव संबंधी विज्ञान एवं आकस्मिकता हर चीज की व्याख्या नहीं करते हैं.... मैं उस बात से निराश हूं जिसे अधिकांश सिद्धांतवादी मानने के लिए तैयार हैं".[12]

फिर भी एक और, प्रस्तावों का एक "मौलिक रूप से रूढ़िवादी" वर्ग प्रेक्षणात्मक आंकड़े की व्याख्या गुप्त ऊर्जा की शुरूआत करने की बजाय मान्य सिद्धांतों के एक अधिक परिष्कृत उपयोग के उद्देश्य से करना चाहता है, जो उदाहरण के लिए, घनत्व संबंधी असमरूपता के गुरूत्वाकर्षण संबंधी प्रभावों, या आरंभिक ब्रह्मांड में विद्युतीय रूप से कमजोर सममिति विच्छेदन पर ध्यान केन्द्रित करना चाहता है. यदि हम अंतरिक्ष के औसत से अधिक रिक्त प्रदेश में स्थित होते तो अवलोकित कॉस्मिक (ब्रह्मांडीय) विस्तार दर को भूल से समय या त्वरण में अंतर मान लिया जाता.[17][18][19]

सिद्धांतों का एक अन्य वर्ग काले पदार्थ एवं गुप्त ऊर्जा दोनों के एक व्यापक सिद्धांत को एक ही घटना के रूप में व्यक्त करने के प्रयास के साथ उपस्थित होता है जो विभिन्न पैमाने पर गुरुत्वाकर्षण के नियमों को संशोधित करता है. इस प्रकार के सिद्धांत का उदाहरण काले द्रव का सिद्धांत है.

प्रस्तावों का एक अन्य रूप अंतरिक्ष काल के लिए एक दोहरे मीट्रिक टेन्सर की संभावना पर आधारित है.[20][21] यह तर्क दिया गया है कि सामान्य सापेक्षता के समय विपरीत समाधानों के लिए संगतता हेतु ऐसे दोहरे मीट्रिक की आवश्यकता होती है, एवं यह कि काले पदार्थ एवं गुप्त ऊर्जा दोनों को सामान्य सापेक्षता के समय विपरीत समाधानों के सन्दर्भ में समझा जा सकता है.[22]

ब्रह्मांड के भाग्य के लिए निहितार्थ

ब्रह्मांड विज्ञानियों का अनुमान है कि मोटे तौर पर त्वरण 5 अरब वर्ष पहले शुरू हुआ. उससे पहले, यह सोचा जाता है कि काले पदार्थ एवं बैरियॉन के आकर्षक प्रभाव के कारण विस्तार का मंदन हो रहा था. विस्तार होते ब्रह्मांड में काले पदार्थ का घनत्व गुप्त ऊर्जा की तुलना में अधिक तेजी से कम होता है, और अंतत: गुप्त ऊर्जा का आधिपत्य रह्ता है. विशेष रूप से, जब ब्रह्मांड का आयतन दुगुना हो जाता है, काले पदार्थ का घनत्व आधा हो जाता है लेकिन गुप्त ऊर्जा का घनत्व लगभग अपरिवर्तित है (ब्रह्माण्ड संबंधी स्थिरांक के मामले में यह बिल्कुल स्थिर रहता है).

यदि त्वरण अनिश्चित काल के लिए जारी रहता है, तो अंतिम परिणाम यह होगा कि स्थानीय सुपरक्लस्टर के बाहर आकाशगंगा ब्रह्मांडीय क्षितिज के बाहर चली जाएंगी: अब वे बिल्कुल ही दिखाई नहीं देंगी, क्योंकि उनकी दृष्टिगत रेखा का वेग प्रकाश की गति से अधिक हो जाता है.[23] यह विशेष सापेक्षता का उल्लंघन नहीं है, और प्रभाव का इस्तेमाल उनके बीच संकेत भेजने के लिए नहीं किया जा सकता है. (वास्तव में एक वक्रित अंतरिक्ष काल में "सापेक्ष गति" को परिभाषित करने का कोई तरीका नहीं है. सापेक्ष गति और वेग को केवल एक समान अंतरिक्ष काल में या पर्याप्त रूप से छोटे (अत्यंत सूक्ष्म) प्रदेशों (वक्रित अंतरिक्ष काल के) में अर्थपूर्ण रूप से परिभाषित किया जा सकता है. बल्कि, यह उनके बीच किसी प्रकार के संवाद को रोकता है क्योंकि वस्तु संपर्क से बाहर हो जाते है. शेष ब्रह्मांड के पीछे हटने से हालांकि, पृथ्वी, आकाशगंगा और कन्या राशि के पड़ोसी आकाशगंगाओं का समूह (सुपरक्लस्टर) अछूता रहेगा. इस परिदृश्य में, स्थानीय पड़ोसी आकाशगंगाओं के समूह (सुपरक्लस्टर) की अंतत: ऊष्मा मृत्यु हो जाएगी, जैसा कि एक समान वाली आकाशगंगा के बारे में भी सोचा गया था, ब्रह्मांडीय (कॉस्मिक) त्वरण के मापन के पूर्व पदार्थ का ब्रह्मांड पर आधिपत्य रहा.

ब्रह्मांड के भविष्य के बारे में कुछ बहुत ही प्रत्याशित विचार हैं. एक सुझाव यह है कि फैन्टम ऊर्जा अपसारी प्रसार उत्पन्न करता है, जिसा यह अर्थ होगा कि गुप्त ऊर्जा के प्रभावी स्रोत तब तक बढ़ते रहते हैं जब तक यह ब्रह्मांड की सभी शक्तियों पर आधिपत्य स्थापित नहीं कर लेता है. इस परिदृश्य के तहत, गुप्त ऊर्जा अंततः, आकाशगंगाओं एवं सौर प्रणालियों सहित, गुरुत्वाकर्षण से बंधी हुई सभी संरचनाओं की धज्जियां उड़ा देगा, एवं स्वयं परमाणुओं की धज्जियां उड़ाने के लिए विद्युतीय एवं नाभिकीय शक्तियों को अपने नियंत्रण में कर लेगा, जिससे अंत में ब्रह्मांड का एक "बड़ा टुकड़ा" हो जाएगा. दूसरी तरफ, गुप्त ऊर्जा समय के साथ फैल सकती है, या आकर्षक भी हो सकती है. ऐसी अनिश्चितताएं इस संभावना पैदा करती हैं कि गुरूत्वाकर्षण का अभी भी आधिपत्य हो सकता है और यह एक ऐसा ब्रह्मांड तैयार कर सकता है जो स्वयं को एक "बड़े चरमरहट" में संकुचित कर ले. कुछ परिदृश्य, जैसे कि चक्रीय मॉडल का यह सुझाव है कि ऐसा हो सकता है. जबकि प्रेक्षणों के द्वारा इन विचारों का समर्थन नहीं किया जा सकता है, इनसे इंकार भी नहीं किया जा सकता है. महाविस्फोट (बिग बैंग) सिद्धांत के द्वारा ब्रह्मांड के अंतिम भाग्य का निर्धारण करने के लिए त्वरण का मापन करना महत्वपूर्ण हैं.

इतिहास

ब्रह्माण्ड संबंधी स्थिरांक सर्वप्रथम आइंस्टीन के द्वारा गुरूत्वाकर्षण क्षेत्र समीकरण का एक स्थायी समाधान प्राप्त करने की एक प्रक्रिया के रूप में प्रतिपादित किया गया जिसमें गुरूत्वाकर्षण को संतुलित करने के लिए गुप्त ऊर्जा का प्रभावी ढंग से उपयोग करते हुए एक स्थैतिक ब्रह्मांड का निर्माण होता है. यह प्रक्रिया न केवल ब्रह्मांड को ठीक करने का एक अपरिष्कृत उदाहरण था, जल्द ही यह महसूस किया गया कि आइंस्टीन का स्थैतिक ब्रह्मांड वास्तव में अस्थिर होगा क्योंकि स्थानीय असमरूपताएं या तो ब्रह्मांड का या तो बहुत ही सहज विस्तार या संकुचन करेंगी. संतुलन अस्थिर है: अगर ब्रह्मांड का धीरे-धीरे विस्तार होता है, तो विस्तार निर्वात ऊर्जा छोड़ती है, जो और अधिक विस्तार उत्पन्न करती है. इसी तरह, एक ब्रह्मांड जिसका धीरे-धीरे संकुचन होता है वह संकुचित होता रहेगा. इन प्रकार की गड़बड़ियां पूरे ब्रह्मांड में पदार्थ के विषम वितरण के कारण अपरिहार्य होती हैं. अधिक महत्वपूर्ण बात, एडविन हबल द्वारा किए गए प्रयोगों ने यह दिखाया कि ब्रह्मांड का विस्तार होता मालूम पड़ रहा है एवं वह बिल्कुल ही स्थैतिक नहीं है. आइंस्टीन ने सुविदित रूप से स्थैतिक ब्रह्मांड के विपरीत गतिशील ब्रह्मांड के संबंध में पूर्वानुमान करने में अपनी विफलता को अपनी सबसे बड़ी भूल बताया. इस अहसास के बाद, ब्रह्माण्ड संबंधी स्थिरांक को एक ऐतिहासिक जिज्ञासा के रूप में पूर्ण रूप से अनदेखा किया गया.

एलन गूथ ने 1970 में यह प्रतिपादित किया कि एक ऋणात्मक दाब क्षेत्र, गुप्त ऊर्जा की अवधारणा के समान ही, ब्रह्मांडीय (कॉस्मिक) प्रसार को बहुत आरंभिक ब्रह्मांड में प्रेरित कर सकता था. प्रसार की अभिधारणा है कि कुछ प्रतिक्षेपक बल, गुणात्मक रूप से गुप्त ऊर्जा के समान, के परिणामस्वरूप महा विस्फोट (बिग बैंग) सिद्धांत के बाद धीरे-धीरे ब्रह्मांड का बृहत एवं घातांकी विस्तार हुआ. इस तरह का विस्तार बिग बैंग के अधिकांश वर्तमान मॉडलों की एक अनिवार्य विशेषता है. हालांकि, प्रसार हमारे द्वारा आज देखी जा रही गुप्त ऊर्जा की तुलना में अधिक उच्च घनत्व पर होना चाहिए था एवं जब ब्रह्मांड एक सेकंड का एक अंश मात्र था तो इसे पूरी तरह से समाप्त मान लिया गया. यह स्पष्ट नहीं है कि गुप्त ऊर्जा एवं प्रसार के बीच कोई संबंध, यदि कोई है, मौजूद है. प्रसारित मॉडल को स्वीकृत कर लेने के बाद, ब्रह्माण्ड संबंधी स्थिरांक को वर्तमान ब्रह्मांड के लिए अप्रासंगिक माना गया.

"गुप्त ऊर्जा" शब्द, जो 1930 से फ्रिट्ज ज़्विकी के "काले पदार्थ" की प्रतिछाया है, की रचना 1998 में माइकेल टर्नर ने की.[24] उस समय तक, बिग बैंग के न्युक्लियोसिंथेसिस (पूर्व में स्थित न्यूक्लियॉन से नये परमाणु नाभिक की रचना करने) खोये हुए द्रव्यमान की समस्या एवं व्यापक संरचना स्थापित की जा चुकी थी, एवं कुछ ब्रह्मांड विज्ञानियों ने यह सिद्धांत देना शुरू कर दिया था कि हमारे ब्रह्मांड का एक अतिरिक्त घटक था. गुप्त ऊर्जा के लिए प्रथम प्रत्यक्ष साक्ष्य रिस एट आल [5] में त्वरित विस्तार के सुपरनोवा प्रेक्षणों से प्राप्त हुआ एवं बाद में उसकी पुष्टि पर्लम्यूटर एट आल में हुई.[6] इसका परिणाम लैम्डा-सीडीएम मॉडल था, जो 2006 से उत्तरोत्तर कठिन ब्रह्मांड संबंधी प्रेक्षणों की श्रृंखलाओं के साथ जारी है, जिनमें से नवीनतम 2005 का सुपरनोवा लिगेसी सर्वे है. एस एल एन एस (SNLS) से प्राप्त प्रथम परिणाम यह बताता है कि गुप्त ऊर्जा का औसत व्यवहार (अर्थात अवस्था का समीकरण) 10% तक की शुद्धता के साथ आइंस्टीन के ब्रह्माण्ड संबंधी स्थिरांक के जैसा व्यवहार करता है.[25] हबल स्पेस टेलीस्कोप हायर-ज़ेड टीम से प्राप्त हाल के परिणामों से संकेत मिलता है कि गुप्त ऊर्जा कम से कम 9 अरब वर्ष से एवं कॉस्मिक त्वरण की पूर्ववर्ती अवधि के दौरान उपस्थित रही.

इन्हें भी देखें

  • ब्रह्मांडीय प्रसार
  • आकाशगंगा समूहों का वेग
  • डी सिट्टर सापेक्षता
  • लैम्डा-सीडीएम मॉडल
  • निर्वात ऊर्जा
  • शून्य बिंदु क्षेत्र

संदर्भ

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  24. गुप्त ऊर्जा की प्रथम उपस्थिति एक दूसरे ब्रह्मांड विज्ञानी एवं उस समय टर्नर के शिष्य, ड्रगन ह्यूटेरर द्वारा लिखे गए लेख, "प्रॉस्पेक्ट्स फॉर प्रोबिंग दॅ डार्क ईनर्जी विया सुपरनोवा डिस्टेंस मेजरमेंट्स" में है, जिसे अगस्त 1998 में ArXiv.org ई-मुद्रण अभिलेखागार में पोस्ट किया गया एवं 1999 में भौतिक समीक्षा डी (ह्यूटेरर एंड टर्नर,फिज.) में प्रकाशित किया गया. रेव डी 60, 081301 (1999), हालांकि जिस तरह से वहां शब्द का व्यवहार किया जाता है वह यह सुझाव देता है कि यह पहले से ही सामान्य प्रयोग में था. ब्रह्मांड विज्ञानी शाऊल पर्लम्यूट्टर ने फिजिकल रिव्यू लेटर्स के लिए टर्नर एवं ईलिनोसिस विश्वविद्यालय के मार्टिन व्हाइट के साथ संयुक्त रूप से लिखे गए एक लेख में इस शब्द की रचना करने का श्रेय टर्नर को दिया है, जहां इसे इन्वर्टेड कॉमा में दिखाया गया है जैसे कि यह एक नवनिर्मित प्रयोग हो.
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