"जनांकिकीय संक्रमण": अवतरणों में अंतर

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* {{cite book|author=John C. Caldwell|title=Demographic Transition Theory|url=https://books.google.com/books?id=_54JBLG7V1QC&pg=PP1|date=21 September 2007|publisher=Springer Science & Business Media|isbn=978-1-4020-4498-4|pages=1–}}


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11:47, 29 मई 2019 का अवतरण

जनांकिकीय संक्रमण[1] अथवा जनसांख्यिकीय संक्रमण एक जनसंख्या सिद्धांत है जो जनसांख्यिक इतिहास के आंकड़ों और सांख्यिकी पर आधारित है। इस सिद्धांत के प्रतिपादक डब्ल्यू. एम. थोम्पसन (1929) और फ्रेंक. डब्ल्यू. नोएस्टीन (1945) हैं। इन्होंने यूरोप, आस्ट्रेलिया और अमेरिका में प्रजनन और मृत्यु-दर की प्रवृत्ति के अनुभवों के आधार पर यह सिद्धांत दिया।

Demographic transition overview, with below-replacement-fertility broken out into a "stage 5"

यह संक्रमण सिद्धांत उच्च प्रजनन दर से न्यून प्रजनन दर और उच्च मृत्यु दर से न्यून मृत्यु दर के जनसांख्यिकीय प्रतिमान को दर्शाता हैं। किसी समाज में अधिकांशतः ग्रामीण, कृषीय, अनपढ़ वर्ग मुख्य रूप से नगरीय, औधोगिक, साक्षर, और आधुनिक समाज वर्ग की ओर अग्रसर होता है, तभी तीन स्पष्ट घोषित प्राकल्पनाएं सामने आती हैं॥

(१) जननक्षमता में ह्रास से पूर्व मृत्यु-दर में कमी आना।

(२) मृत्यु-दर से मेल-जोल बनाए रखने के लिए प्रजनन दर में अन्ततः कमी हो जाना।

(३) समाज में आर्थिक,सामाजिक परिवर्तन उसके जनसांख्यिकीय रूपान्तरण के साथ-साथ होना।

आज विश्व के विभिन्न देश जनसांख्यिकीय संक्रमण के भिन्न-भिन्न स्तर पर हैं। त्रिवार्था के अनुसार यह आरम्भ में मानव की दोहरी नीति की प्रकृति के कारण है। इसके अनुसार, जैविय दृष्टि से सभी स्थानों के मानव एक समान हैं, और सभी प्रजनन की क्रिया में संलग्न हैं, परंतु सांस्कृतिक दृष्टि से विश्व के एक स्थान के मानव दूसरे स्थान के मानव से भिन्न हैं।। मानव की सांस्कृतिक भिन्नताएं के कारण भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में विभिन्न जननक्षमता के प्रतिमान को जन्म देती है । इसके कारण हीं जनसांख्यिकीय संक्रमण की विभिन्न अवस्थाएं होती है।

सन्दर्भ

  1. D R Khullar. Geography Textbook-Hindi. Saraswati House Pvt Ltd. पपृ॰ 34–. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-5041-244-2.

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