आमुख

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अंग्रेजी में इंट्रोडक्शन का लघु रूप इंट्रो हैं| अमेरिकी पत्रकारिता में इसे लीड कहा जाता है| हिंदी में इसे आमुख या मुखड़ा कहा जाता है| सन 1880 के पूर्व के पत्रों में कालक्रम से घटना का विवरण दिया जाता था |सर्वप्रथम  एडमिन एल सुमन ने आमुख द्वारा आकर्षक समाचार रचना पर ध्यान दिया| समाचार का पहला अनुच्छेद जिसमें संवाद का सर्वत्र निहित हो, आमुख कहलाता है| क्या,कब,कहां,क्यों, किसने और कैसे और कैसे की तुलना में सीधे-सपाट और छोटे वाक्यों में पाने के लिए आमुख का प्रयोग किया जाता है|यह पूरे समाचार का प्रदर्शन कक्ष है जिसमें कथन का परिचय प्राप्त होता ही है, साथ में पाठकों को आकर्षित किया जाता है|आमुख तो समाचार दुर्ग का परिवेश द्वार होता होता है| आमुख या लीड लेखन में निम्न प्रक्रियाएं अपनाई जाती है :-

1.संवाद के कब,कहां,कैसे,और किसकी की खोज | 2.आमुख में समाहित किए जाने वाले तथ्यों का निर्णय समाचार के मूल तत्त्व का चयन| 3.मूल तत्त्व एवं महत्वपूर्ण सूचनाओं की प्रस्तुति| 4.आमुख की पूर्णता और सुस्पष्टता की जांच|

          समाचार का पहला आकर्षण उसका शीर्षक होता है| लेकिन शीर्षक द्वारा उत्पन्न आकर्षण यदि प्रथम अनुच्छेद नहीं बनाए रखा तो समझिए समाचार लिखना बेकार है |पहला अनुच्छेद समाचार की खिड़की है यदि इसे खोल कर पाठक ने भीतर प्रवेश करने की उत्सुकता जागी तो वह सारा समाचार बिना कोई रुकावट पढ़ जाएगा,यदि नहीं जागी तो वह प्रथम पैरा को अरुचिकर पाकर अन्य समाचारों की ओर चल देगा|
                               समाचार में प्रस्तुत विषय का परिचय यदि प्रदर्शन कक्ष की तरह पहले पैरों में ही करा दिया जाए और वह पाठक को अच्छा लगे तो वह सामग्री बिक जाएगा|मानव-मानव में भेद देश काल के अंदर आदि के कारण जो इंट्रो किसी एक परिवेश में श्रेष्ठ हो सकता है वहीं किसी दूसरे परिवेश में निकृष्ट कहा जा सकता है| समाचार पत्रों का भी अलग-अलग दृष्टिकोण होता है और पाठकों की भी विभिन्न श्रेणियां|इसलिए एक ही नगर के पांच पत्र किसी समाचार विशेष के प्रति प्रायः उतने ही प्रकार आमुख के लिखते हैं| फिर भी अच्छे इंट्रो के कुछ सामान्य मापदंड है जिन्हें सर्वत्र अपनाया जाना चाहिए|सफल आमुख वह है जो न्यूनतम आवश्यक शब्दों में समाचार का परिचय दें और जिसे सरसरी तौर पर पढ़ने पर भी कठिनाई ना हो|
ऐसा आमुख लिखना आसान नहीं परंतु एक बार सही इंट्रो लिखा गया तो शेष समाचार बनाना कठिन नहीं होता है|समाचार लिखने की क्षमता बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करती है कि यह किस खूबी से लिखा जा रहा है|

इंट्रो में आवश्यक बातें निम्नांकित हैं:-

1.उसे समाचार के अनुकूल होना चाहिए यदि किसी गंभीर या दुखद घटना का है तो मजाक किया नहीं होनी चाहिए मानवी के हास्य पद के घटनाओं के समाचारों का इंट्रो गंभीर नहीं हल्का होना चाहिए अगर इंट्रो के अंदर लिखा जाए तो और भी अच्छा है मगर ऐसा सोच समझ कर करना चाहिए ताकि समाचार का मतलब ना बदल जाए उसमें समाचारों की सबसे महत्वपूर्ण या सर्वाधिक रोचक आ जानी चाहिए विलंबित को छोड़कर को नाटकीय ढंग से आरंभ किया जाता है और मूल बात को स्थगित रखा जाता है सभी इंट्रो में महत्वपूर्ण बातें लिखी जाती हैं यह गुण होना चाहिए कि पाठक में समाचार की उत्कंठा जागृत करें संक्षेप में लिखें को पढ़ने में आसानी होती है और उसमें से भी अधिक होती है वे ज्यादा स्पष्ट भी होते हैं यदि समय अधिक वक्त तो कुछ नहीं करना चाहिए एक बार सही इंट्रो और लिखने का संतोष आपके मन में हो गया तो आपको समाचार लिखने में अपेक्षाकृत कम समय लगेगा अनुभवी संवादाता घटनास्थल तक पहुंचने के बीच के समय में ही इंट्रो की रूपरेखा मन में सोच लेता है और दफ्तर पहुंचते हैं समाचार लिखना आरंभ करता है पुरानी मान्यता है कि समाचार में क्या कहा कौन और क्यों और किसके उत्तर मिलने चाहिए लेकिन यह सब जवाब देने की जरूरत नहीं यह समाचार विशेष पर निर्भर करेगा कि किन किन बातों का जवाब में दिया जाना चाहिए फिर भी पराया सब कहां क्या उत्तर इंट्रो में बता ही दिए जाते हैं और बाकी के जवाब समाचार में लिखे जाते हैं सामान्यता आम और तथ्यात्मक और भावात्मक ₹2 बनते हैं अगर संवेदनशीलता की प्रबलता है तो वह भावात्मक हो जाता है और अगर तथ्यों पर बल दिया तो वह तथ्यात्मक हो जाता है समाचारों की प्रकृति के अनुसार निम्न मत रूप में आमुख प्रस्तुत किए जाते हैं सारांश आमुख इसमें समाचार का मूल भाव संक्षेप में प्रस्तुत किया जाता है विस्तृत आमुख इसमें प्रमुख घटना से संबंधित सभी बातों को लिखा जाता है कभी-कभी 23 अनुच्छेदों का प्रयोग हो जाता है दुर्घटना आमुख इसमें घटना संबंधित व्यक्तियों के नाम सविस्तार लिखे जाते हैं पंचमुख इसमें संवाद के सर्वाधिक महत्वपूर्ण घटनाक्रम को लिखा जाता है उधर नाम सभी सभाओं और गोष्ठियों में व्यक्त विचारों को समाचार का रूप देने के लिए इस प्रकार के आमुख का प्रयोग किया जाता है

उदाहरण[संपादित करें]

मूल[संपादित करें]

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हिंदी में[संपादित करें]

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