"नामांतर आंदोलन": अवतरणों में अंतर
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नामांतर आंदोलन के इतिहास की आयु 35 वर्ष है। 27 जुलाई 1978 में विधानमंडल के दोनों सभागृहों में मराठवाडा विश्वविद्यालय को डॉ॰ [[भीमराव आंबेडकर]] जी का नाम देने का निर्णय लिया गया। इसका महाराष्ट्र की बौद्ध, दलित तथा पुरोगामी जनता द्वारा स्वागत हुआ किंतु अधिकांश हिन्दुओं ने इसका विरोध किया और विरोध प्रदर्शन के लिए रैलियां तथा मार्च निकाले। विरोध करने में [[मराठा]] जाति व [[शिवसेना]] पार्टी सबसे आगे थी। बौद्ध व दलित समाज ने भी विश्वविद्यालय को आम्बेडकर का नाम देने के लिए रैलियां निकाली, [[दलित पँथर]] ने इसमें सक्रियता से भाग लिया था। तब महाराष्ट्र में रैलियां व प्रति-रैलियों का दौर था। उस दौरान हिन्दुओं द्वारा अनगिणत बौद्ध ([[महार]]) लोगों पर कई तरह के अत्याचार किये गये। बौद्धों पर अपमान, उनपर हमला, उनकी हत्या, महिलांओ के साथ बलात्कार, उनका सामाजिक बहिष्कार तथा उनके घर व उन्हें भी जलाया गया। यह सिलसिला 35 वर्षों तक चलता रहा। |
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नामांतर आंदोलन के इतिहास की आयु 35 वर्ष है। 27 जुलाई 1978 में विधानमंडल के दोनों सभागृह में मराठवाडा विद्यापीठ को डॉ॰ [[भीमराव आंबेडकर]] जी नाम देणे का निर्णय लिया गया। |
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18:09, 27 अगस्त 2018 का अवतरण
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नामांतर आंदोलन | |||||||||||
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दलित बौद्ध आंदोलन का एक भाग | |||||||||||
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मराठवाडा विश्वविद्यालय नामांतर आंदोलन यह मराठवाडा विश्वविद्यालय के नाम को बदलवाने के लिए किया गया व्यापक व लम्बा आन्दोलन था। यह महाराष्ट्र में १९७६ इसवी में दलित आंदोलन के रूप में उभरा था। इस आंदोलन से औरंगाबाद में स्थित मराठवाडा विश्वविद्यालय का ‘डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाडा विश्वविद्यालय ऐसा नामकरण हुआ।
इतिहास
नामांतर आंदोलन के इतिहास की आयु 35 वर्ष है। 27 जुलाई 1978 में विधानमंडल के दोनों सभागृहों में मराठवाडा विश्वविद्यालय को डॉ॰ भीमराव आंबेडकर जी का नाम देने का निर्णय लिया गया। इसका महाराष्ट्र की बौद्ध, दलित तथा पुरोगामी जनता द्वारा स्वागत हुआ किंतु अधिकांश हिन्दुओं ने इसका विरोध किया और विरोध प्रदर्शन के लिए रैलियां तथा मार्च निकाले। विरोध करने में मराठा जाति व शिवसेना पार्टी सबसे आगे थी। बौद्ध व दलित समाज ने भी विश्वविद्यालय को आम्बेडकर का नाम देने के लिए रैलियां निकाली, दलित पँथर ने इसमें सक्रियता से भाग लिया था। तब महाराष्ट्र में रैलियां व प्रति-रैलियों का दौर था। उस दौरान हिन्दुओं द्वारा अनगिणत बौद्ध (महार) लोगों पर कई तरह के अत्याचार किये गये। बौद्धों पर अपमान, उनपर हमला, उनकी हत्या, महिलांओ के साथ बलात्कार, उनका सामाजिक बहिष्कार तथा उनके घर व उन्हें भी जलाया गया। यह सिलसिला 35 वर्षों तक चलता रहा।
यशस्वीतता
सोळा वर्षाच्या लढाईनंतर औरंगाबादेतील मराठवाडा विद्यापीठाला १४ जानेवारी १९९४ रोजी "डॉ. भीमराव आंबेडकर मराठवाडा विद्यापीठ' असे नाव देण्यात आले.नामांतराची अधिकृत घोषणा तत्कालीन मुख्यमंत्री शरद पवार यांनी केली.