"महाराष्ट्र में बौद्ध धर्म": अवतरणों में अंतर

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2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में बौद्धों की संख्या 84,42,272 हैं, और इनमें से 65,31,200 (77.36%) बौद्ध अकेले महाराष्ट्र राज्य में हैं। महाराष्ट्र में बौद्ध धार्मिक समुदाय भारत का सबसे बड़ा धर्मपरिवर्तित बौद्ध (आम्बेडकरवादि बौद्ध या नवबौद्ध) समुदाय है। विदर्भ के बुलढाना, अकोला, वाशिम, अमरावती, वर्धा, नागपुर, भंडारा, गोंदिया, गडचिरोली, चंद्रपुर और यवतमाल जिलों में बौद्धों का उच्चतम अनुपात हैं। इन 11 जिलों में 65 लाख बौद्धों में से लगभग 30 लाख बौद्ध हैं। एवं इनमे से आठ जिलों में उनकी आबादी 12 से 15% है। अकोला में 18% बौद्धों का सबसे बड़ा अनुपात है। गोंडिया, गडचिरोली और यवतमाल जिलों में अनुसूचित जनजातियों (आदिवासी) की संख्या अधिक है और बौद्धों की संख्या 7 से 10% है। मराठवाड़ा के नांदेड़, हिंगोली, परभनी, जालना और औरंगाबाद जिलों में 12 लाख बौद्ध हैं। पहले के तीन जिलों में उनका हिस्सा 10% से अधिक है, जबकि हिंगोली की कुल आबादी 15% बौद्ध है। ठाणे, मुंबई, मुंबई, रायगढ़, पुणे, सतारा और रत्नागिरी इन महाराष्ट्र पश्चिम के जिलों में 18 लाख से अधिक बौद्ध हैं। इनमे से रत्नागिरी और मुंबई उपनगरीय जिला के अलावा अन्य जिलों में बौद्ध जनसंख्या 5% से कम है। मुंबई उपनगर और रत्नागिरी की आबादी क्रमश: 5% और 7% बौद्ध हैं।
==अनुसूचित जाति==
==अनुसूचित जाति==

==सन्दर्भ==
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04:19, 8 जुलाई 2018 का अवतरण

महाराष्ट्र में बौद्ध धर्म राज्य का एक बड़ा धर्म है। महाराष्ट्र भारत का सबसे ज्यादा बौद्ध आबादी वाला राज्य है। बौद्ध धर्म महाराष्ट्र की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। सातवाहन काल के दौरान महाराष्ट्र में बौद्ध धर्म का प्रसार और प्रसार बहुत बड़े पैमाने पर हुआ था। नाग लोगों ने धर्म प्रसार के लिए अपना जीवन दाव पर लगाया था। हजारों बुद्ध गुफाएँ मूर्तियां बनाई गई हैं। सिद्धाओं के माध्यम से नाथों तक और नाथों से वारकरी संप्रदाय तक बौद्ध धर्म फैलता गया। सातवीं शताब्दी तक महाराष्ट्र में बौद्ध धर्म व्यापक रूप से प्रचलित था।

2011 में भारतीय जनगणना के अनुसार भारत में ८४,४२,९७२ लाख बौद्ध थे और उनमें सें सबसे ज्यादा 65,31,200 या 77.36% बौद्ध महाराष्ट्र में थे। महाराष्ट्र में हिंदू धर्म और इस्लाम के बाद बौद्ध धर्म महाराष्ट्र का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है, जो महाराष्ट्र की कुल जनसंख्या का 6% है। भारत के कुल धर्मपरावर्तित बौद्धों (आम्बेडकरवादि बौद्ध या नवबौद्ध) की संख्या 73 लाख हैं, उनमें से लगभग 90% महाराष्ट्र में हैं। पूरा महार समुदाय बौद्ध धर्मावलंबी हैं, महार एवं औपचारिक बौद्ध इन दो बौद्ध समूहों की संख्या महाराष्ट्र में 1 करोड़ से अधिक हैं। 1956 में, भीमराव आम्बेडकर ने अपने लाखों अनुयायियों को बौद्ध धम्म की दीक्षा दी थी। यह दीक्षा समारोह नागपूर में हुआ था। महाराष्ट्र में विदर्भ, मराठवाडा एवं कोकण यहाँ के दलित समाज ने इसमे बडे पैमाने पर भाग लिया। इसी वजह से भारत में प्रमुख रूप से महाराष्ट्र में बौद्धों की संख्या अधिक हुई है।

इतिहास

महाराष्ट्र में बौद्ध धर्म का प्रसार और प्रसार सातवहन काल के दौरान बडे पैमाने पर हुआ है, जिसमें नाग लोगों का योगदान महत्वपूर्ण है। जब प्राचीन वास्तु और प्राचीन लेखन की खोज की गई, तब पता चला की सातवीं शताब्दी तक महाराष्ट्र में बौद्ध धर्म व्यापक रूप से प्रचलित था। पर्सी ब्राउन इस विद्वान के अनुसार, भारत में मूर्तियों में से आधी से अधिक बौद्ध मूर्तियां पायी जाती हैं, इससे महाराष्ट्र में बौद्ध काल की लोकप्रियता दिखाई देती है। सिद्धाओं के माध्यम से नाथों तक और वारकरी सम्प्रदाय के माध्यम से बौद्ध धर्म फैलता गया। सातवीं शताब्दी तक महाराष्ट्र में बड़े पैमाने पर बौद्ध धर्म का पालन किया गया था।

जनसंख्या

सन 1951 में, महाराष्ट्र में केवल 2,489 बौद्ध (0.01%) थे, डॉ॰ आम्बेडकर ने 14 अक्टूबर 1956 को किये हुए सामूहिक धर्म परिवर्तन के बाद सन 1961 में यह बौद्धों संख्या 1,15,991% से बढकर 27,89,501 (7%) हो गई थी।

जनगणना १९५१ से २०११ तक की महाराष्ट्र में बौद्धों की जनसंख्या[1]
वर्ष बौद्ध जनसंख्या (लाख में) राज्य में प्रमाण (%) बढोतरी (वृद्धी) (%)
१९५१ ०.०२५ ०.०१
१९६१ २७.९० ७.०५ ११५९९०.८
१९७१ ३२.६४ ६.४८ १६.९९
१९८१ ३९.४६ ६.२९ २०.८९
१९९१ ५०.४१ ६.३९ २७.७५
२००१ ५८.३९ ६.०३ १५.८३
२०११ ६५.३१ ५.८१ ११.८५

2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में बौद्धों की संख्या 84,42,272 हैं, और इनमें से 65,31,200 (77.36%) बौद्ध अकेले महाराष्ट्र राज्य में हैं। महाराष्ट्र में बौद्ध धार्मिक समुदाय भारत का सबसे बड़ा धर्मपरिवर्तित बौद्ध (आम्बेडकरवादि बौद्ध या नवबौद्ध) समुदाय है। विदर्भ के बुलढाना, अकोला, वाशिम, अमरावती, वर्धा, नागपुर, भंडारा, गोंदिया, गडचिरोली, चंद्रपुर और यवतमाल जिलों में बौद्धों का उच्चतम अनुपात हैं। इन 11 जिलों में 65 लाख बौद्धों में से लगभग 30 लाख बौद्ध हैं। एवं इनमे से आठ जिलों में उनकी आबादी 12 से 15% है। अकोला में 18% बौद्धों का सबसे बड़ा अनुपात है। गोंडिया, गडचिरोली और यवतमाल जिलों में अनुसूचित जनजातियों (आदिवासी) की संख्या अधिक है और बौद्धों की संख्या 7 से 10% है। मराठवाड़ा के नांदेड़, हिंगोली, परभनी, जालना और औरंगाबाद जिलों में 12 लाख बौद्ध हैं। पहले के तीन जिलों में उनका हिस्सा 10% से अधिक है, जबकि हिंगोली की कुल आबादी 15% बौद्ध है। ठाणे, मुंबई, मुंबई, रायगढ़, पुणे, सतारा और रत्नागिरी इन महाराष्ट्र पश्चिम के जिलों में 18 लाख से अधिक बौद्ध हैं। इनमे से रत्नागिरी और मुंबई उपनगरीय जिला के अलावा अन्य जिलों में बौद्ध जनसंख्या 5% से कम है। मुंबई उपनगर और रत्नागिरी की आबादी क्रमश: 5% और 7% बौद्ध हैं।

अनुसूचित जाति

सन्दर्भ

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ