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अंतर्मन का शंखनाद -काव्य संग्रह
अंतर्मन का शंखनाद (कविता संग्रह) मेरी भावाभिव्यक्ति है। जीवन में जो घटित हुआ, अनुभव किया एवं प्रभावित हुआ, यही मेरी रचनाओं का मूल विषय है।।
कलियुग की भोर ,चलना जारी रख ,पतंग , होंसला रख ,जीने के बहाने , होली फिर आने को हैं ,समुद्रमंथन सा यह जीवन ,उठ-जाग मुसाफिर ,जीवन चक्रव्यूह , हार-दी डेफेट, बहने दो मुज को बेपरवाह ,एक मोहलत -दो पल की , आदि बहुत सी रचनाओं का संकलन आपके हाथों में है जिसे आप तक पहुँचाकर गर्व महसूस कर रहा हूँ। मैं साहित्य की किसी विधा का ज्ञानी न होकर मात्र एक विद्यार्थी हूँ। अंतर मन में विभिन्न विषयों पर जो भाव उत्पन्न हुए, उन अंतर्मन का शंख नाद -पुस्तक में ही कागजों पर उकेरने का प्रयास किया हूँ।
हर एक कविता कुछ कहती है, सुनाती है, कभी साथ चले होंगे - ऐसा अहसास दिलाती है, जोड़ती है, प्रेरणा देती है - कर्त्तव्य पथ पर निडर चलने की, बचपन की यादों को ताजा करती है, चलते चलो-रूको नहीं का पाठ पढ़ाती है, प्रेम को सजीव करती है। अंतर्मन का शंखनाद (कविता संग्रह) आपके जीवन के कितने नजदीक है, इसका निर्णय आप पर छोड़ता हूँ।