"ज़ुकाम": अवतरणों में अंतर

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'''सर्दी''' या '''जुकाम''', ([[अंग्रेज़ी]]:''Acute viral rhinopharyngitis,'' या ''acute coryza'') [[विषाणु]] (वाइरस) से फैलने वाला ऊपरी [[श्वसन तंत्र]] का रोग है। यह छुआछूत और सम्पर्क से फैलता है। यदि किसी व्यक्ति को जुकाम है और यदि वह छींकता है या अपने नाक को पकड़ने के बाद दूसरे को छूता है तो उस व्यक्ति को भी जुकाम हो जाता है जिसके सामने छींका गया है या जिसे पकड़ा है। इसके अतिरिक्त जुकाम के वायरस पेन, पुस्तक और कॉफी के कप में कई घंटे तक रहते हैं और इस प्रकार के वस्तुओं से भी यह फैल सकता है। खांसी और छींक वास्तव में इसके फैलने के प्रमुख कारण है।सर्दी में बाहर निकलने पर जुकाम लगने की आशंका बहुत कम है। जुकाम सामान्यतः उस व्यक्ति के संपर्क में आने पर लगता है जिसे जुकाम हो। तापमान से इसका इतना असर नहीं पड़ता। इसमें नाक बन्द हो जाती है; नाक से सांस लेने में कठिनाई होती है; बार-बार [[छींक]] आती है और [[ज्वर]] भी हो सकता है।


== बचाव ==
ठंड के मौसम में जुकाम से बचने हेतु कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिये।


'''सामान्य ज़ुकाम''' को '''नैसोफेरिंजाइटिस''', '''राइनोफेरिंजाइटिस''', '''अत्यधिक नज़ला''' या ज़ुकाम के नाम से भी जाना जाता है। यह ऊपरी श्वसन तंत्र का आसानी से फैलने वाला संक्रामक रोग है जो अधिकांशतः नासिका को प्रभावित करता है। इसके लक्षणों में खांसी,गले की खराश,नाक से स्राव (राइनोरिया) और ज्वर आते हैं। लक्षण आमतौर पर सात से दस दिन के भीतर समाप्त हो जाते हैं। हालांकि कुछ लक्षण तीन सप्ताह तक भी रह सकते हैं। ऐसे दो सौ से अधिक वायरस होते हैं जो सामान्य ज़ुकाम का कारण बन सकते हैं। राइनोवायरस इसका सबसे आम कारण है।
* ठंडी शुष्क हवा से बचें : सर्दियों में हवा में वाष्प की मात्र घट जाने से ये हवा सूजन से घिरे हुए गले को शूल-सी चुभती है। इस स्थिति से बचने के लिए किसी बड़े मुंह के बर्तन में पानी भर उसे बिजली के हीटर पर गर्म करने को धीमी आंच पर कमरे में रखें, या फिर कमरे में ह्यूमिडीफाइर चला छोड़ें। कमरे में भाप उड़ते रहने से हवा में वाष्प स्तर बढ़ जाएगा और रोगी बेहतर महसूस करेंगे।


* गुनगुने पेय पदार्थों की घूंट भरते रहें : खूब पेय पदार्थ लें। हर्बल चाय, सूप और हल्का गुनगुना पानी इस दृष्टि से सर्वथा उपयोगी हैं। ऐसी चीजें लेने से गला तर बना रहेगा।


नाक, साइनस, गले या कंठनली (ऊपरी श्वसन तंत्र का संक्रमण (URI या URTI) का तीव्र संक्रमण शरीर के उन अंगों द्वारा वर्गीकृत किया जाता है जो इससे सर्वाधिक प्रभावित होते हैं। सामान्य ज़ुकाम मुख्य रूप से नासिका, फेरिंजाइटिस, श्वासनलिका को और साइनोसाइटिस, साइनस को प्रभावित करता है। यह लक्षण स्वयं वायरस द्वारा ऊतकों को नष्ट किए जाने से नहीं अपितु संक्रमण के प्रति हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया के कारण उत्पन्न होते हैं। संक्रमण को रोकने के लिए हाथ धोना मुख्य तरीका है। कुछ प्रमाण चेहरे पर मास्क पहनने की प्रभावकारिता का भी समर्थन करते हैं।
* गरारे करें : गले में सूजन होने पर गला खुश्क हो जाता है और निगलते वक्त दर्द और रुंधने की परेशानी आती है। इससे उबरने के लिए दिन में तीन-चार बार गरारे करें। गरारे के लिए आधा लीटर गुनगुने पानी में एक छोटी चम्मच नमक मिला लें। इससे गले में आई सूजन दूर हो सकेगी। शहरी आबोहवा में वायु प्रदूषण के कारण भी कुछ लोगों का गला बार-बार खराब होता रहता है। उनमें भी यह नुस्खा काम आता है। सुबह उठते ही और रात में सोने से पहले गुनगुने पानी से गरारे करें।


* जुकाम में गले की खाराश से उपचार हेतु उपलब्ध औषधियुक्त दवाइयां चूसें। गले में खराश होने पर केमिस्ट की दूकान से विक्स, स्ट्रेप्सिल्स या टस-क्यू सरीखी लोजेन्जेस की गोलियां खरीदें और चूसते रहें। इन लोजेन्जेस गोलियों में हल्की बेहोशी के गुण होते हैं। इससे गले की नसें सुन्न हो जाती हैं और कुल मिलाकर राहत महसूस करेंगे। लोजेन्जेस चूसने से लार भी अधिक बनेगी जिससे गला तर बना रहेगा और आप सुकून महसूस करेंगे।


सामान्य ज़ुकाम के लिए कोई इलाज नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों का इलाज किया जा सकता है। यह, मनुष्यों में सबसे अधिक होने वाला संक्रामक रोग है। औसत वयस्क को प्रतिवर्ष दो से तीन बार ज़ुकाम होता है। औसत बच्चे को प्रतिवर्ष छह से लेकर बारह बार ज़ुकाम होता है। ये संक्रमण प्राचीन काल से मनुष्यों में होते आ रहे हैं।
* डिसपर्सिबल डिस्प्रिन का दोहरा लाभ उठाएं : गले में बहुत दर्द हो तो गुनगुने पानी में नमक घोलने की बजाय डिसपर्सिबल डिस्प्रिन की दो टिकिया घोल लें। गरारे करें और गरारों के बाद इसे गटक जाएं। इससे दोहरा लाभ मिलेगा। गले पर डिस्प्रिन के सीधे असर से सूजन और दर्द से आराम मिलेगा। डिस्प्रिन घुल कर जब खून में पहुंचेगी तो बुखार और बदन-दर्द से राहत दिलाने में भी कारगर साबित होगी।


==संकेत एवं लक्षण==
* ठंडी, खट्टी और तीखी चीजें से बचकर रहें : ठंडी, खट्टी और मिर्च-मसाले वाली तीखी चीजें गले की सूजन बढ़ाकर उसे रुंध सकती हैं। इसीलिए जब तक गला ठीक न हो जाए इनसे परहेज बरतने में ही अच्छाई है।
ज़ुकाम के सबसे आम लक्षणों में खांसी, नाक बहना, नासिकामार्ग में अवरोध और गले की खराश शामिल हैं। अन्य लक्षणों में मांसपेशियों का दर्द (माइएल्जिया), थकान का अनुभव, सर में दर्द और भूख का कम लगना सम्मिलित किया जा सकता है। <ref name="E24">Eccles Pg. 24</ref> ज़ुकाम से पीड़ित लगभग 40% लोगों में गले की खराश मौजूद होती है। लगभग 50% लोगों को खांसी/कफ़ होता है। <ref name="CE11"></ref> लगभग आधे मामलों में मांसपेशियों में दर्द होता है। <ref name="Eccles2005"></ref> बुखार वयस्कों में एक असामान्य लक्षण है, लेकिन नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों में यह आम है। <ref name="Eccles2005">{{cite journal |author=Eccles R|title=Understanding the symptoms of the common cold and influenza |journal=Lancet Infect Dis |volume=5 |issue=11 |pages=718–25 |year=2005|month=November |pmid=16253889 |doi=10.1016/S1473-3099(05)70270-X|url=http://ndmat.hosp.ncku.edu.tw:8080/%E5%85%92%E7%A7%91/Feb-27.pdf }}</ref> ज़ुकाम के कारण होने वाली खांसी, फ़्लू (इन्फ्लुएंजा) के कारण होने वाली खांसी की तुलना में हल्की होती है। <ref name="Eccles2005"></ref> वयस्कों में खांसी और बुखार फ़्लू (इन्फ्लुएंजा) के होने की संभावना की और संकेत करते हैं। <ref> Pg.26 Eccles</ref> कई ऐसे वायरस जो सामान्य ज़ुकाम का कारण होते हैं, कोई लक्षण प्रदर्शित नहीं करते। <ref>Eccles Pg. 129</ref> <ref> Eccles Pg.50</ref> निचले वायुमार्ग (स्प्यूटम) से आने वाले बलगम का रंग स्पष्ट से लेकर पीला और हरा तक हो सकता है।बलगम का रंग यह संकेत नहीं देता कि संक्रमण जीवाणु द्वारा हुआ है या विषाणु द्वारा। <ref> Eccles Pg.30</ref>


===क्रमिक विकास===
* एंटीहिस्टामिन दवाएं लेने के लाभ : सर्दीजुकाम में प्रिस्क्राइब की जाने वाली एंटीहिस्टामिन दवाएं जुकाम की कुल मियाद तो नहीं घटातीं, पर इन्हें लेने से नाक चलने और खांसी में जरूर कुछ आराम मिल जाता है, पर इतना ध्यान रखें कि दवा लेकर गाड़ी चलाना ठीक नहीं, चूंकि ज्यादातर लोगों में ये दवाएं सुस्ती पैदा करती हैं।
ज़ुकाम आम तौर पर थकान, बहुत अधिक ठंड का अनुभव करने, छींकने और सर दर्द से शुरू होता है। अतिरिक्त लक्षण जैसे नाक से स्राव और खांसी आदि दो दिनों के बाद दिखने लगते हैं। <ref name="E24"></ref> संक्रमण शुरू होने के दो से तीन दिन बाद सभी लक्षण सपने चरम पर पहुंच जाते हैं। <ref name="Eccles2005"></ref> लगभग सात से दस दिनों में लक्षण समाप्त हो जाते हैं लेकिन कभी-कभी यह तीन सप्ताह तक भी रह सकते हैं। <ref name="Heik2003">{{cite journal |author=Heikkinen T, Järvinen A |title=The common cold |journal=Lancet |volume=361|issue=9351 |pages=51–9 |year=2003 |month=January |pmid=12517470|doi=10.1016/S0140-6736(03)12162-9 }}</ref> बच्चों से संबंधित 35% से 40% मामलों में खांसी दस से भी अधिक दिनों तक बनी रहती है। बच्चों से संबंधित 10% मामलों में यह खांसी 25 से भी अधिक दिनों तक बनी रहती है।<ref>{{cite journal |author=Goldsobel AB, Chipps BE |title=Cough in the pediatric population |journal=J. Pediatr. |volume=156 |issue=3 |pages=352–358.e1 |year=2010 |month=March |pmid=20176183|doi=10.1016/j.jpeds.2009.12.004 }}</ref>


==कारण==
=== अधिक खराबी पर ===
===वायरस===
गला बैठने के साथ-साथ अगर शरीर का तापमान 101 डिग्री फारेनहाइट या उससे तेज हो जाए, निगलने में अधिक परेशानी महसूस होने लगे, सांस लेने में तकलीफ हो, गर्दन में सूजन आ जाए, जोड़ों में दर्द हो, शरीर पर दाने निकल आएं या गला बार-बार खराब हो तो घरेलु इलाज पर भरोसा करने के बजाय चिकित्सक से जांच करा लेने में ही अच्छाई है। समय से सही इलाज शुरू होने से संभावित गंभीर जटिलताओं से साफ बचा जा सकता है।
[[File:Coronaviruses 004 lores.jpg|thumb|{0}{1}[[छवि:{/1} coronaviruses 004 lores.jpg{/0} {2}thumb{/2} {1}|{/1} {3}करोनावायरस{/3}, {2}एक वायरस समूह हैं जो सामान्य ज़ुकाम के कारक माने जाते हैं{/2}{0}इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप के द्वारा देखने पर इनकी आकृति एक मंडल, या मुकुट{/0}{0} जैसी (कोरोना सदृश) दिखती है।{/0}]]
सामान्य ज़ुकाम ऊपरी श्वास नलिका का आसानी से फैलने वाला संक्रमण है। राइनोवायरस सामान्य ज़ुकाम का सबसे आम कारण है। यह सभी मामलों में से 30% से 80% के लिए उत्तरदायी होता है। राइनोवायरस एक आरएनए युक्त वायरस होता है जो की पाईकोर्नावाईराइड परिवार से होता है। वायरस के इस परिवार में 99 ज्ञात वायरस हैं। <ref>{{Cite journal | doi = 10.1126/science.1165557 | title = Sequencing and Analyses of All Known Human Rhinovirus Genomes Reveals Structure and Evolution | year = 2009 | author = Palmenberg, A. C. | journal = Science | pmid = 19213880 | volume = 324 | pages = 55–9 | last2 = Spiro | first2 = D | last3 = Kuzmickas | first3 = R | last4 = Wang | first4 = S | last5 = Djikeng | first5 = A | last6 = Rathe | first6 = JA | last7 = Fraser-Liggett | first7 = CM | last8 = Liggett | first8 = SB | issue = 5923}}</ref> <ref> Eccles Pg.77</ref> सामान्य ज़ुकाम अन्य वायरस के द्वारा भी हो सकता है। सभी मामलों में से 10% से 30% के लिए कोरोनावायरस उत्तरदायी होता है। सभी मामलों में से 5% से 15% के लिए फ्लू (इन्फ़्लुएन्ज़ा) उत्तरदायी होता है।<ref name="Eccles2005"></ref> अन्य मामले ह्यूमन पैराइन्फ़्लुएन्ज़ा वायरस, ह्यूमन रेस्पिरेटरी साइनसाईटियल वायरस, एडेनोवायरस, एन्टेरोवायरस तथा मेटान्यूमोवायरस के कारण हो सकते हैं। <ref name="NIAID2006">{{cite web | title = Common Cold | publisher =[[National Institute of Allergy and Infectious Diseases]] | date = 27 November 2006 | url = http://www3.niaid.nih.gov/healthscience/healthtopics/colds/| accessdate = 11 June 2007}}</ref> सामान्यतया संक्रमण की स्थिति में एक से अधिक वायरस उपस्थित होते हैं। <ref> Eccles Pg.107</ref> कुल मिला कर, दो सौ से अधिक प्रकार के वायरस ज़ुकाम से साथ संबंधित माने गए हैं। <ref name="Eccles2005"></ref>


===प्रसार===
== संदर्भ ==
सामान्य ज़ुकाम का वायरस आम तौर पर एक दो मुख्य तरीकों से फैलता है। वायरस युक्त नन्हीं बूंदों को साँस के द्वारा अथवा मुंह के द्वारा अन्दर लेने से अथवा संक्रमित नासिका के म्यूकस या संक्रमित वस्तुओं के संपर्क में आने से। <ref name="CE11"></ref> <ref name="Cold197">{{cite book|last=editors|first=Ronald Eccles, Olaf Weber,|title=Common cold|year=2009|publisher=Birkhäuser|location=Basel|isbn=9783764398941|pages=197|url=http://books.google.ca/books?id=rRIdiGE42IEC&pg=PA197|edition=Online-Ausg.}}</ref> इनमें से कौन सा कारण ज़ुकाम के प्रसार के लिए उत्तरदायी है, इसका पता नहीं लगाया जा सका है। <ref name="E211"> Eccles Pg.211</ref> ये वायरस वातावरण में लम्बे समय तक बचे रह सकते हैं। इसके बाद वायरस हाथों से नाक अथवा आँखों में प्रसारित हो जाता है, जहाँ संक्रमण हो जाता है। <ref name="Cold197"></ref> एक दूसरे के पास बैठने वाले लोगों के संक्रमित होने का खतरा अधिक होता है। <ref name="E211"></ref> रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी वाले तथा अक्सर खराब साफ-सफाई वाले बच्चों में आपसी नज़दीकी के कारण दैनिक देखभाल केन्द्रों अथवा स्कूलों संक्रमण आम होता है। <ref name="Text2007"></ref> इसके बाद, यह संक्रमण बच्चों से परिवार के अन्य सदस्यों में आ जाता है। <ref name="Text2007">{{cite book|last=al.]|first=edited by Arie J. Zuckerman ... [et|title=Principles and practice of clinical virology|year=2007|publisher=Wiley|location=Hoboken, N.J.|isbn=9780470517994|pages=496|url=http://books.google.ca/books?id=OgbcUWpUCXsC&pg=PA496|edition=6th ed.}}</ref> वायुयान में व्यावसायिक उड़ान के दौरान पुनःपरिचालित वायु के प्रयोग से ज़ुकाम के प्रसार होने का कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं है। <ref name="Cold197"></ref> राइनोवायरस के द्वारा होने वाले ज़ुकाम के पहले तीन दिनों में संक्रमण सबसे अधिक प्रसारित होने की सम्भावना होती है। इसके पश्चात संक्रमण फैलने की सम्भावना काफी कम हो जाती है। <ref name="contagiousness">{{cite journal|title=Questions and answers|journal=Journal of the American Medical Association|date=16 July 1997|volume=278|issue=3|pages=256–257|url=http://jama.ama-assn.org/content/278/3/256|accessdate=16 September 2011}} में आमंत्रित पत्र{{cite journal|contribution=Contagiousness of the common cold|author1=Gwaltney JM Jr|author2=Halstead SB|author-separator=,}}</ref>
<references />


===मौसम===
== बाहरी सूत्र ==
पारंपरिक सिद्धांत यह है कि ज़ुकाम बहुत अधिक समय तक ठंडे मौसम में रहने के कारण होता है जैसे कि, बरसात या सर्दियों में, और इसी कारण इस बीमारी को यह नाम भी दिया गया है। <ref>{{cite news |author=Zuger, Abigail |title='You'll Catch Your Death!' An Old Wives' Tale? Well... |newspaper=[[The New York Times]] |date=4 March 2003 |url=http://query.nytimes.com/gst/fullpage.html?res=9D02E1DD163FF937A35750C0A9659C8B63}}</ref> यह विवादस्पद है कि शरीर के शीतलन से भी सामान्य ज़ुकाम होने का खतरा होता है या नहीं। <ref name="Mourtzoukou">{{cite journal|last=Mourtzoukou|first=EG|coauthors=Falagas, ME|title=Exposure to cold and respiratory tract infections.|journal=The international journal of tuberculosis and lung disease : the official journal of the International Union against Tuberculosis and Lung Disease|date=2007 Sep|volume=11|issue=9|pages=938–43|pmid=17705968}}</ref> कुछ वायरस जो सामान्य ज़ुकाम के कारक होते हैं वे मौसमी होते हैं और ठंडे या गीले मौसम के दौरान इनके होने की आवृत्ति अधिक होती है। <ref> Eccles Pg.79</ref> ऐसा माना जाता है कि यह मुख्यतया अधिक समय तक घर के अन्दर और संक्रमित व्यक्ति के निकट रहने से होता है;<ref> Eccles Pg.80</ref> विशेष रूप से वे बच्चे जो स्कूल वापस लौटते हैं <ref name="Text2007"></ref> हालांकि, यह श्वसन प्रणाली में होने वाले परिवर्तनों से भी संबंधित हो सकता है, जिनके फलस्वरूप हलके-फुल्के संक्रमण हो जाते हैं। <ref> Eccles Pg.80</ref> कम आर्द्रता के कारण इसके फैलने की दर बढ़ सकती है क्योंकि शुष्क वायु में नन्हीं बूँदें सरलता से फैलती हैं और ये हवा में अधिक समय तक रहकर दूर तक जाती हैं। <ref>Eccles Pg. 157</ref>
* [http://www.abhivyakti-hindi.org/gharparivar/2007/sardiyon_me_sardi.htm सर्दियों में सर्दी] - डॉ० भावना कुँअर


===अन्य===
[[श्रेणी:स्वास्थ्य]]
समूह प्रतिरक्षा उसे कहते हैं जब कोई समूह एक विशेष संक्रमण के प्रति प्रतिरक्षित हो जाता है और ऐसा पूर्व में जुकाम के विषाणुओं के संपर्क में आ चुके होने के कारण होता है। इस प्रकार कम आयु वाली जनसंख्या में श्वसन संक्रमण के होने की दर अधिक है और अधिक आयु वाली जनसंख्या में इसकी दर कम है। <ref name="E78"></ref> कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली भी इस बीमारी के लिए एक खतरा है। <ref name="E78"></ref> <ref> Eccles Pg.166</ref> नींद की कमी और कुपोषण को भी इस संक्रमण के प्रति एक जोखिम मना जाता है जिससे बाद में राइनोवायरस का खतरा बढ़ जाता है। यह माना जाता है कि ऐसा प्रतिरक्षा प्रणाली पर इनके प्रभाव के कारण होता है। <ref>{{cite journal |author=Cohen S, Doyle WJ, Alper CM, Janicki-Deverts D, Turner RB |title=Sleep Habits and Susceptibility to the Common Cold |journal=Arch. Intern. Med. |volume=169 |issue=1|pages=62–7|year=2009 |month=January |pmid=19139325 |doi=10.1001/archinternmed.2008.505 |pmc=2629403}}</ref> <ref> Eccles Pg.160 165</ref>
[[श्रेणी:रोग]]


==पैथोफिज़ियोलॉजी(रोग के कारण पैदा हुए क्रियात्मक परिवर्तन)==
[[File:Illu conducting passages.svg|thumb|सामान्य ज़ुकाम ऊपरी श्वास नलिका का आसानी से फैलने वाला संक्रमण है।]]
सामान्य ज़ुकाम के लक्षण आमतौर पर वायरस के प्रति प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया माने जाते हैं। <ref name="E112">Eccles Pg. 112</ref> इस प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया की प्रक्रिया विषाणु विशिष्ट होती है। उदाहरण के लिए, राइनोवायरस आम तौर पर सीधे संपर्क से उपार्जित होता है। यह ICAM-1 मानव अभिग्राहकों से अज्ञात विधि से जुड़ जाता है और उत्तेजक मध्यस्थों के स्राव को सक्रिय करता है। <ref name="E112"></ref> जिससे ये उत्तेजक मध्यस्थ लक्षण पैदा करते हैं। <ref name="E112"></ref> आमतौर पर यह नासिका के ऐपीथैलियम को नुकसान नहीं पहुंचाता है। <ref name="Eccles2005"></ref> इसके विपरीत, रेस्परेट्री सिंक्शियल वायरस (RSV) सीधे संपर्क और वायु में उपस्थित नन्हीं बूंदों, दोनों माध्यम से उपार्जित होता है। इसके पश्चात निचली श्वसननलिका में अधिक फैलने से पूर्व यह नाक और गले में प्रतिकृतियां बनाता है। <ref name="E116"> Eccles Pg.116</ref> RSV से ऐपीथैलियम को नुकसान पहुंचता है। <ref name="E116"></ref> ह्युमन पैराइन्फ्लुएंजा वायरस आमतौर पर नाक, गले और वायुमार्ग में जलन पैदा करते हैं। <ref name="E122"> Eccles Pg.122</ref> कम आयु के बच्चों में ट्रेशिया को प्रभावित करने पर एक कंठ रोग भी हो सकता है, जिसमें सूखी खांसी आती है और सांस लेने में परेशानी होती है। ऐसा बच्चों के वायुमार्ग के छोटे आकार के कारण होता है। <ref name="E122"></ref>

==रोग के लक्षण(रोग-निदान)==
ऊपरी श्वसननलिका संक्रमणों (URTIs) के बीच अंतर अधिकतर लक्षणों के प्रकट होने के स्थानों पर निर्भर करता है। सामान्य ज़ुकाम मुख्य रूप से नाक, फैरिंजाइटिस मुख्य रूप से गले को और ब्रौन्काइटिस मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है। <ref name="CE11"></ref> सामान्य ज़ुकाम को बहुधा नाक की जलन के रूप में परिभाषित किया जाता है और इसमें गले के संक्रमण भी अलग-अलग सीमा तक शामिल हो सकते हैं। <ref name="E51">Eccles Pg. 51–52</ref> इसमें स्व-निदान आम है। <ref name="Eccles2005"></ref> वह वायरस एजेंट जो वास्तव में इसका कारक होता है, उसका पृथक्करण असामान्य है। <ref name="E51"></ref> आमतौर पर लक्षणों के आधार पर विषाणु के प्रकार की पहचान कर पाना संभव नहीं है। <ref name="Eccles2005"></ref>

==रोकथाम==
सामान्य ज़ुकाम के फैलाव को रोकने का एकमात्र प्रभावी तरीका इसके विषाणु को फैलने से रोकना ही है। <ref name="E209"> Eccles Pg.209</ref> इसमें मुख्यतः हाथ को धोना और चेहरे पर मास्क पहनना शामिल होता है। स्वास्थ्य रक्षा परिवेश में लम्बे चोंगे (गाउन) और उपयोग पश्चात फेंक दिए जाने वाले दस्ताने भी पहने जाते हैं। <ref name="E209"></ref> संक्रमित व्यक्तियों को अलग रखना इसमें संभव नहीं होता क्योंकि यह बीमारी बहुत व्यापक है और इसके लक्षण बहुत विशिष्ट नहीं होते। अनेक विषाणु इस बीमारी के कारक हो सकते हैं और उनमें बहुत ज़ल्दी-ज़ल्दी बदलाव होते रहते हैं इसलिए इस बीमारी में टीकाकरण भी कठिन सिद्ध हुआ है। <ref name="E209"></ref> व्यापक स्तर पर प्रभावशाली टीके विकसित कर पाने की संभावना बहुत कम है। <ref>{{cite journal|author=Lawrence DM |journal=Lancet Infect Dis |volume=9 |issue=5 |page=278 |date=May 2009|doi=10.1016/S1473-3099(09)70123-9|url=http://www.thelancet.com/journals/laninf/article/PIIS1473-3099%2809%2970123-9 |title=Gene studies shed light on rhinovirus diversity}}</ref>

नियमित रूप से हाथ धोने से ज़ुकाम के विषाणुओं के संचरण को कम किया जा सकता है। यह बच्चों के बीच सबसे अधिक प्रभावी है। <ref name="CochP11">{{cite journal|last=Jefferson|first=T|coauthors=Del Mar, CB, Dooley, L, Ferroni, E, Al-Ansary, LA, Bawazeer, GA, van Driel, ML, Nair, S, Jones, MA, Thorning, S, Conly, JM|title=Physical interventions to interrupt or reduce the spread of respiratory viruses.|journal=Cochrane database of systematic reviews (Online)|date=2011 Jul 6|issue=7|pages=CD006207|pmid=21735402|doi=10.1002/14651858.CD006207.pub4}}</ref> यह ज्ञात नहीं है कि सामान्य रूप से हाथ धोने के दौरान वायरसरोधी या बैक्टीरियारोधी पदार्थों के प्रयोग से हाथ धोने के लाभ बढ़ते हैं या नहीं <ref name="CochP11"></ref> संक्रमित लोगों के आसपास रहने के दौरान मास्क पहनना लाभकारी होता है। यह निर्धारित करने के लिए पर्याप्त प्रमाण नहीं है कि अधिक शारीरिक और सामाजिक दूरी बनाना इसमें लाभकारी है या नहीं। <ref name="CochP11"></ref> ज़िंक अनुपूरण, किसी व्यक्ति में ज़ुकाम होने की आवृ्ति कम करने में प्रभावी हो सकता है। <ref name="Zinc11">{{cite journal|last=Singh|first=M|coauthors=Das, RR|title=Zinc for the common cold.|journal=Cochrane database of systematic reviews (Online)|date=2011 Feb 16|issue=2|pages=CD001364|pmid=21328251|doi=10.1002/14651858.CD001364.pub3}}</ref> नियमित तौर पर लिया जाने वाला विटामिन सी पूरक सामान्य ज़ुकाम की गंभीरता या जोखिम को कम नहीं करता है। विटामिन सी ज़ुकाम की अवधि को कम कर सकता है। <ref name="Hemilä2010"></ref>

==प्रबंधन ==
[[File:Pneumonia strikes like a man eating shark.jpg|thumb|आम सर्दी के उपचार के लिए नागरिकों को प्रोत्साहित करने के लिए "अपने चिकित्सक से परामर्श लें" शीर्षक वाले पोस्टर]]
अभी तक ऐसी कोई दवा या जड़ी बूटी औषधि नहीं है जो प्रमाणित तौर पर सामान्य ज़ुकाम की अवधि को कम कर सकती हो। <ref>{{cite web|title = Common Cold: Treatments and Drugs| publisher = Mayo Clinic| url =http://www.mayoclinic.com/health/common-cold/DS00056/DSECTION=treatments-and-drugs| accessdate = 9 January 2010}}</ref> इसके उपचार में लक्षणों से मुक्ति शामिल है। <ref name="AFP07"></ref> इसमें खूब आराम करना, शरीर में जलयोजन बनाए रखने के लिए द्रव पदार्थ लेना, हलके गर्म-नमकीन पानी से गरारे करना आदि शामिल हो सकते हैं। <ref name="NIAID2006"></ref> हालांकि इलाज से होने वाले अधिकांश लाभ प्लासेबो प्रभाव के कारण ही माने जा सकते हैं। <ref> Eccles Pg.261</ref>

===रोगसूचक/लाक्षणिक===
लक्षणों को घटने में जो इलाज सहायता करते हैं, वे हैं साधारण दर्द निवारक (एनेल्जेसिक्स) और बुखार कम करने वाली (एंटीपाइरेटिक्स) दवायें जैसे, आईब्रूफेन<ref>{{cite journal |author=Kim SY, Chang YJ, Cho HM, Hwang YW, Moon YS |editor1-last=Kim |editor1-first=Soo Young |title=Non-steroidal anti-inflammatory drugs for the common cold|journal=Cochrane Database Syst Rev |issue=3 |pages=CD006362 |year=2009 |pmid=19588387 |doi=10.1002/14651858.CD006362.pub2 }}</ref> और एसिटामिनोफेन/पैरासेटामॉल।<ref>{{cite journal|journal=Journal of Clinical Pharmacy and Therapeutics|title=Efficacy and safety of over-the-counter analgesics in the treatment of common cold and flu|author=Eccles R|volume=31|issue=4|pages=309–319|year=2006|pmid=16882099|doi=10.1111/j.1365-2710.2006.00754.x}}</ref> इस बात के साक्ष्य नहीं मिलते हैं कि कफ़ संबंधी दवायें, आम दर्द निवारक दवाओं(एनाल्जेसिक) दवाओं से अधिक प्रभावी हैं। <ref>{{cite journal |author=Smith SM, Schroeder K, Fahey T |editor1-last=Smith |editor1-first=Susan M |title=Over-the-counter medications for acute cough in children and adults in ambulatory settings |journal=Cochrane Database Syst Rev |issue=1 |pages=CD001831 |year=2008 |pmid=18253996|doi=10.1002/14651858.CD001831.pub3 }}</ref>बच्चों के लिए खांसी की दवा देने की सलाह नहीं दी जाती है क्योंकि इनसे होने वाले नुकसान के जोखिम को देखते हुए इस बात के पर्याप्त प्रमाण नहीं हैं जो यह सिद्ध करें कि ये प्रभावकारी होती हैं। <ref name="CFP09">{{cite journal |author=Shefrin AE, Goldman RD |title=Use of over-the-counter cough and cold medications in children |journal=Can Fam Physician |volume=55 |issue=11 |pages=1081–3 |year=2009 |month=November |pmid=19910592 |pmc=2776795|url=http://www.cfp.ca/content/55/11/1081.full }}</ref> <ref>{{cite journal|last=Vassilev|first=ZP|coauthors=Kabadi, S, Villa, R|title=Safety and efficacy of over-the-counter cough and cold medicines for use in children.|journal=Expert opinion on drug safety|date=2010 Mar|volume=9|issue=2|pages=233–42|pmid=20001764|doi=10.1517/14740330903496410}}</ref> जोखिम तथा अप्रमाणिक लाभों के कारण 2009 में, कनाडा ने 6 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिये काउंटर पर बिकने वाली खांसी की दवाओं तथा ज़ुकाम की दवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया। <ref name="CFP09"></ref> डेक्सट्रोमेथॉर्थफन (खांसी की काउंटर पर बिकने वाली दवा) के दुरुपयोग के चलते कई देशों में इस पर प्रतिबंध लग गया है।<ref>Eccles Pg. 246</ref>

वयस्कों में नास के स्राव होने का लक्षण एंटीहिस्टामाइन की पहली पीढ़ी की दवाइयों द्वारा कम किया जा सकता है। हालांकि, पहली पीढ़ी की एंटीहिस्टामाइन के साथ सुस्ती जैसे कुछ दुष्प्रभाव जुड़े होते हैं।<ref name="AFP07"></ref> अन्य विसंकुलक (सर्दी/खांसी की दवा) जैसे कि स्यूडोएफेड्राइन भी वयस्कों में बहुत प्रभावी होते हैं। <ref>{{cite journal |author=Taverner D, Latte J |title=Nasal decongestants for the common cold |journal=Cochrane Database Syst Rev |issue=1|pages=CD001953 |year=2007 |pmid=17253470 |doi=10.1002/14651858.CD001953.pub3 |editor1-last=Latte |editor1-first=G. Jenny }}</ref> इप्राट्रोपियम जो कि नाक में डाला जाने वाला एक स्प्रे है, नाक से स्राव के लक्षण को कम कर सकता है, लेकिन स्राव के कारण होने वाली घुटन को यह बहुत प्रभावित नहीं कर पाता है। <ref>{{cite journal|last=Albalawi|first=ZH|coauthors=Othman, SS, Alfaleh, K|title=Intranasal ipratropium bromide for the common cold.|journal=Cochrane database of systematic reviews (Online)|date=2011 Jul 6|issue=7|pages=CD008231|pmid=21735425|doi=10.1002/14651858.CD008231.pub2}}</ref> दूसरी पीढ़ी की एंटीहिस्टामाइन इतनी प्रभावकारी प्रतीत नहीं होती हैं। <ref>{{cite journal|last=Pratter|first=MR|title=Cough and the common cold: ACCP evidence-based clinical practice guidelines.|journal=Chest|date=2006 Jan|volume=129|issue=1 Suppl|pages=72S-74S|pmid=16428695|doi=10.1378/chest.129.1_suppl.72S}}</ref>

अध्ययन के अभाव के कारण, यह ज्ञात नहीं है कि अधिक मात्रा में तरल लेने से लक्षणों में सुधार होता है या श्वसन रोग की अवधि कम होती है। <ref>{{cite journal|last=Guppy|first=MP|coauthors=Mickan, SM, Del Mar, CB, Thorning, S, Rack, A|title=Advising patients to increase fluid intake for treating acute respiratory infections.|journal=Cochrane database of systematic reviews (Online)|date=2011 Feb 16|issue=2|pages=CD004419|pmid=21328268|doi=10.1002/14651858.CD004419.pub3}}</ref> इसी प्रकार तप्त नम वायु के प्रयोग के संबंध में भी आंकड़ों की कमी है।<ref>{{cite journal|last=Singh|first=M|coauthors=Singh, M|title=Heated, humidified air for the common cold.|journal=Cochrane database of systematic reviews (Online)|date=2011 May 11|issue=5|pages=CD001728|pmid=21563130|doi=10.1002/14651858.CD001728.pub4}}</ref> अध्ययन में यह पाया गया कि चेस्ट वेपर रब रात्रि के समय कुछ लक्षणात्मक आराम देने में सहायक हैं जैसे, खांसी, संकुलन और सोने में कठिनाई <ref>{{cite journal |author=Paul IM, Beiler JS, King TS, Clapp ER, Vallati J, Berlin CM |title=Vapor rub, petrolatum, and no treatment for children with nocturnal cough and cold symptoms|journal=Pediatrics |volume=126 |issue=6 |pages=1092–9 |year=2010 |month=December|pmid=21059712|doi=10.1542/peds.2010-1601|url=http://pediatrics.aappublications.org/cgi/reprint/peds.2010-1601v1}}</ref>

====== एंटीबायोटिक दवाएं और एंटीवायरल ======
एंटीबायटिक दवाओं का वायरल संक्रमण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता इसीलिए सामान्य ज़ुकाम पर भी इनका कोई प्रभाव नहीं पड़ता। <ref name="CochraneAR2005">{{cite journal |author=Arroll B, Kenealy T |editor1-last=Arroll |editor1-first=Bruce |title=Antibiotics for the common cold and acute purulent rhinitis |journal=Cochrane Database Syst Rev |issue=3 |pages=CD000247 |year=2005 |pmid=16034850 |doi=10.1002/14651858.CD000247.pub2}}</ref> एंटीबायटिक दवाएं आम तौर पर खूब लिखी जाती हैं जबकि इन दवाओं के दुष्प्रभाव समग्रता में नुकसान पहुंचाते हैं। <ref name="CochraneAR2005"></ref> <ref> Eccles Pg.238</ref> ये दवाएं इसलिए भी आम तौर पर खूब लिखी जाती हैं क्योंकि लोग चिकित्सक से ये अपेक्षा रखते हैं कि वे उन्हें ये दवाएं लिखें और चिकित्सक भी लोगों की सहायता करना चाहते हैं। एंटीबायटिक दवाओं के लिखे जाने का एक कारण यह है कि उन संक्रमणों के कारकों को अलग करना मुश्किल है जो एंटीबायटिक के माध्यम से ठीक हो सकते हैं। <ref> Eccles Pg.234</ref> आम ज़ुकाम के लिए कोई प्रभावी वायरलरोधी दवाएं उपलब्ध नहीं है भले ही कुछ प्रारंभिक अनुसंधानों ने लाभ प्रदर्शित किया है। <ref name="AFP07"></ref> <ref> Eccles Pg.218</ref>

===वैकल्पिक उपचार===
हालांकि आम ज़ुकाम के लिए कई वैकल्पिक उपचार उपयोग में लाए जाते हैं, लेकिन फिर भी अधिकांश उपचारों के समर्थन में पर्याप्त वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं। <ref name="AFP07"></ref> 2010 तक, शहद या नासिका आबपाशी के समर्थन या विरोध में पर्याप्य प्रमाण नहीं थे। <ref>{{cite journal|last=Oduwole|first=O|coauthors=Meremikwu, MM, Oyo-Ita, A, Udoh, EE|title=Honey for acute cough in children.|journal=Cochrane database of systematic reviews (Online)|date=2010 Jan 20|issue=1|pages=CD007094|pmid=20091616|doi=10.1002/14651858.CD007094.pub2}}</ref> <ref>{{cite journal|last=Kassel|first=JC|coauthors=King, D, Spurling, GK|title=Saline nasal irrigation for acute upper respiratory tract infections.|journal=Cochrane database of systematic reviews (Online)|date=2010 Mar 17|issue=3|pages=CD006821|pmid=20238351|doi=10.1002/14651858.CD006821.pub2}}</ref> यदि ज़ुकाम होने के 24 घंटे के अन्दर ही जिंक की पूरक खुराक ले ली जाए तो इससे लक्षणों की गंभीरता और उनकी अवधि दोनों कम हो सकते हैं। <ref name="Zinc11"></ref> आम ज़ुकाम पर विटामिन सी का प्रभाव निराशाजनक है, जबकि इस पर व्यापक शोध किया गया है। <ref name="Hemilä2010">{{cite journal |doi=10.1002/14651858.CD000980.pub3 |pmid=17636648 |title=Vitamin C for preventing and treating the common cold |journal=Cochrane database of systematic reviews |issue=3 |pages=CD000980 |year=2007 |last1=Hemilä |first1=Harri |last2=Chalker |first2=Elizabeth |last3=Douglas |first3=Bob|last4=Hemilä |first4=Harri |editor1-last=Hemilä |editor1-first=Harri}}</ref> <ref name="Heimer2009">{{cite journal |doi= 10.1111/j.1745-7599.2009.00409.x|pmid= 19432914 |title= Examining the evidence for the use of vitamin C in the prophylaxis and treatment of the common cold|journal= Journal of the American Academy of Nurse Practitioners |issue= 5|pages=295–300 |year=2009 |last1=Heiner |first1= Kathryn A |last2= Hart|first2= Ann Marie |last3= Martin |first3= Linda Gore |last4= Rubio-Wallace |first4= Sherrie |volume=21}}</ref> एकानेशिया की उपयोगिता से संबंधित प्रमाण असंगत हैं <ref name="CochE06">{{cite journal |author=Linde K, Barrett B, Wölkart K, Bauer R, Melchart D |editor1-last=Linde|editor1-first=Klaus |title=Echinacea for preventing and treating the common cold |journal=Cochrane Database Syst Rev |issue=1 |pages=CD000530|year=2006 |pmid=16437427 |doi=10.1002/14651858.CD000530.pub2 }}</ref> <ref>{{cite journal|title=Evaluation of echinacea for the prevention and treatment of the common cold: a meta-analysis|author=Sachin A Shah, Stephen Sander, C Michael White, Mike Rinaldi, Craig I Coleman|journal=The Lancet Infectious Diseases|year=2007|volume=7|issue=7|pmid=17597571|pages=473–480|doi=10.1016/S1473-3099(07)70160-3 }}</ref> विभिन्न प्रकार के एकानेशिया पूरकों का प्रभाव भी भिन्न-भिन्न हो सकते हैं। <ref name="CochE06"></ref>

==परिणाम==
आमतौर पर सामान्य ज़ुकाम की तीव्रता अधिक नहीं होती है और यह अधिकांश लक्षणों के एक सप्ताह में सुधरने के साथ ही अपने आप समाप्त भी हो जाता है। <ref name="CE11"></ref> गंभीर जटिलताएं, यदि घटित होती हैं तो उन लोगों में होती हैं जो या तो अत्यंत वृद्ध हैं, बेहद कम आयु के हैं या ऐसे लोग जिनका प्रतिरक्षा तंत्र बहुत कमज़ोर (इम्युनोसप्रेस्ड) हैं। <ref name="E1"></ref> द्वितीयक जीवाणु संक्रमण हो सकते हैं जिनसे साइनोसाइटिस, फैरिंजाइटिस या कान का संक्रमण हो सकता है। <ref> Pg.76 Eccles</ref> ऐसा आंकलन है कि 8% मामलों में साइनोसाइटिस होता है। 30% मामलों में कान का संक्रमण होता है। <ref> Eccles Pg.90</ref>

==संभावना==
आम ज़ुकाम एक सर्वाधिक होने वाली आम मानवीय बीमारी है<ref name="E1">Eccles Pg. 1</ref> और वैश्विक स्तर पर लोग इससे प्रभावित होते हैं। <ref name="Text2007"></ref> वयस्कों को आम तौर पर यह संक्रमण वर्ष में दो से पांच बार तक होता है। <ref name="CE11">{{cite journal|last=Arroll|first=B|title=Common cold.|journal=Clinical evidence|date=2011 Mar 16|volume=2011|pmid=21406124|issue=03}}</ref> <ref name="Eccles2005"></ref> बच्चों को एक वर्ष में छः बार से लेकर दस बार तक ज़ुकाम होता है (स्कूल जाने वाले बच्चों में यह संख्या बारह तक होती है)। <ref name="AFP07">{{cite journal | author = Simasek M, Blandino DA | title = Treatment of the common cold | journal = American Family Physician | volume = 75 | issue = 4 | pages = 515–20 | year = 2007 | pmid = 17323712 | url = http://www.aafp.org/afp/20070215/515.html}}</ref> बड़ी उम्र के लोगों में लक्षणात्मक संक्रमणों की दर अधिक होती है क्योंकि उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमज़ोर होती है। <ref name="E78">Eccles Pg. 78</ref>

==इतिहास ==
हालाँकि आम ज़ुकाम के होने के कारण की पहचान 1950 के दशक में हुई थी, लेकिन यह बीमारी मनुष्यों में बहुत प्राचीन समय से चली आ रही है। <ref>Eccles Pg. 3</ref> इसके लक्षण और उपचार का जिक्र मिस्र के एबर्स पेपाइरस में है, जो प्राचीनतम उपलब्ध चिकित्सकीय सामग्री है तथा जिसे सोलहवीं शताब्दी ईसा पूर्व लिखा गया था। <ref> Pg.6 Eccles</ref> यह नाम "आम ज़ुकाम" सोलहवीं शताब्दी ईसा पूर्व में प्रयोग में आया, जिसका कारण इसके लक्षणों और ठंडक के मौसम के कारण उपजे लक्षणों के बीच की समानता थी।<ref>{{cite web | publisher=Online Etymology Dictionary | url=http://www.etymonline.com/index.php?term=cold | title=Cold |accessdate=12 January 2008 }}</ref>

युनाइटेड किंगडम में, द कॉमन कोल्ड यूनिट (CCU) की स्थापना 1946 में मेडिकल रिसर्च काउंसिल द्वारा की गई थी और यहीं पर 1956 में राइनोवायरस खोजा गया था <ref> Eccles Pg.20</ref> 1970 के दशक में, CCU ने यह दिखाया की राइनोवायरस से होने वाले संक्रमण की इन्क्यूबेशन अवधि के दौरान इंटरफेरॉन के उपचार से इस बीमारी के विरुद्ध कुछ सुरक्षा प्राप्त हुई। <ref name="pmid2438740">{{cite journal|author=Tyrrell DA|title=Interferons and their clinical value|journal=Rev. Infect. Dis.|volume=9|issue=2|pages=243–9|year=1987|pmid=2438740|doi=10.1093/clinids/9.2.243}}</ref> कोई व्यवहारिक उपचार विकासित नहीं किया जा सका। जिंक ग्लूकोनेट लौजेंजेस के द्वारा राइनोवायरस से होने वाले ज़ुकाम के रोकथाम और उपचार पर शोध के पूर्ण होने के बाद, यह ईकाई 1989 में बंद कर दी गयी थी। CCU के इतिहास में जिंक,एकमात्र सफल उपचार था जिसे विकसित किया गया। <ref>{{cite journal| journal = J Antimicrob Chemother.| year = 1987| month = December| volume = 20| issue = 6| pages = 893–901| title = Prophylaxis and treatment of rhinovirus colds with zinc gluconate lozenges|last = Al-Nakib| first = W| pmid = 3440773| doi = 10.1093/jac/20.6.893| last2 = Higgins| first2 = PG| last3 = Barrow| first3 = I| last4 = Batstone|first4 = G| last5 = Tyrrell| first5 = DA}}</ref>

==आर्थिक प्रभाव==
अधिकांश विश्व में आम जुकाम के आर्थिक प्रभाव को अच्छी तरह से समझा नहीं गया है। <ref> Eccles Pg.90</ref> संयुक्त राज्य अमरीका में, आम ज़ुकाम के कारण प्रतिवर्ष 75 मिलियन से 100 मिलियन बार चिकित्सक से परामर्श लेना पड़ता है, इसकी कमतर करके आंकी गई लागत भी $7.7 बिलियन प्रतिवर्ष है। अमेरिकी लोग ओवर द काउंटर (ओटीसी) दवाओं पर $2.9 बिलियन प्रतिवर्ष खर्च करते हैं। इसके अतिरिक्त अमेरिकी लोग लक्षणात्मक आराम के लिए लिखी गयी दवाइयों पर $400 मिलियन खर्च करते हैं। <ref name="Frend03">{{cite journal | author = Fendrick AM, Monto AS, Nightengale B, Sarnes M | title = The economic burden of non-influenza-related viral respiratory tract infection in the United States | journal = Arch. Intern. Med. | volume = 163 | issue = 4 | pages = 487–94 | year = 2003 | pmid = 12588210 | url =http://archinte.ama-assn.org/cgi/content/full/163/4/487 | doi = 10.1001/archinte.163.4.487}}</ref> चिकित्सक के पास जाने वालों में से एक-तिहाई से भी अधिक लोगों को एंटीबायटिक खाने का परामर्श दिया गया। एंटीबायटिक दवाओं का प्रयोग एंटीबायटिक प्रतिरोध को प्रभावित करता रहता है। <ref name="Frend03"></ref> एक आंकलन के अनुसार जुकाम के कारण प्रतिवर्ष स्कूलों में 22 मिलियन से 189 मिलियन स्कूली दिनों का नुकसान होता है। नतीजतन, माता-पिता को 126 मिलियन कार्यदिवसों पर घर रहकर अपने बच्चों की देखभाल करनी पड़ी। जब इसे ज़ुकाम से पीड़ित कर्मचारियों द्वारा कार्यालय न जाने वाले 150 मिलियन कार्यदिवसों से जोड़ा गया तो ज़ुकाम से सम्बंधित कार्यहानि का आर्थिक प्रभाव प्रतिवर्ष $20 बिलियन हो गया। <ref name="NIAID2006"></ref> <ref name="Frend03"></ref> यह संयुक्त राज्य अमरीका के कार्य समय में 40% की हानि के बराबर है।<ref>{{cite journal |author=Kirkpatrick GL|title=The common cold |journal=Prim. Care |volume=23 |issue=4 |pages=657–75 |year=1996 |month=December |pmid=8890137|doi=10.1016/S0095-4543(05)70355-9 }}</ref>

==शोध ==
आम ज़ुकाम में प्रभावकारी होने के लिए कई एंटीवायरल दवाओं का परीक्षण किया गया है। 2009 तक, कोई ऐसी दवा नहीं मिली थी जो कि प्रभावकारी भी हो और उपयोग हेतु लाइसेंसशुदा भी हो। <ref> Eccles Pg.218</ref> एंटीवायरल दावा प्लेसोनारिल के कई परीक्षण किए जा रहे हैं। यह पिकोर्नावायरस के विरुद्ध प्रभावी होने का वादा करती दिखती है। BTA-798 पर भी कई परीक्षण जारी हैं। <ref name="E226"> Eccles Pg.226</ref> प्लेसोनारिल के मौखिक रूप के साथ सुरक्षा मुद्दे जुड़े थे तथा एयरोसॉल रूप पर अध्ययन जारी है। <ref name="E226"></ref>

मेरीलैंड विश्वविद्यालय, कॉलेज पार्क और विस्कॉन्सिन-मैडिसन विश्वविद्यालय के शोधार्थियों ने आम ज़ुकाम के कारक सभी ज्ञात वायरस उपभेदों के जीनोम मैप कर लिए हैं। <ref name="CTgov">{{cite news| url = http://www.cnn.com/2009/HEALTH/02/12/cold.genome/| title = Genetic map of cold virus a step toward cure, scientists say| month = March| year = 2009| accessdate = 28 April 2009| publisher = CNN| work = Val Willingham}}</ref>
{{-}}

==सन्दर्भ==
{{Reflist|colwidth=30em}}
;सन्दर्भ
*{{cite book|last=Ronald Eccles|first=Olaf Weber (eds)|title=Common cold|year=2009|publisher=Birkhäuser|location=Basel|isbn=978-3764398941|url=http://books.google.ca/books?id=rRIdiGE42IEC|edition=Online-Ausg.}}

[[Category:वायरस के कारण पैदा हुये रोग]]

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[[zh:傷風]]
[[zh:傷風]]

15:37, 20 मार्च 2013 का अवतरण

Common Cold
वर्गीकरण एवं बाह्य साधन
A representation of the molecular surface of one type of human rhinovirus.
आईसीडी-१० J00.0
आईसीडी- 460
डिज़ीज़-डीबी 31088
मेडलाइन प्लस 000678
एम.ईएसएच D003139


सामान्य ज़ुकाम को नैसोफेरिंजाइटिस, राइनोफेरिंजाइटिस, अत्यधिक नज़ला या ज़ुकाम के नाम से भी जाना जाता है। यह ऊपरी श्वसन तंत्र का आसानी से फैलने वाला संक्रामक रोग है जो अधिकांशतः नासिका को प्रभावित करता है। इसके लक्षणों में खांसी,गले की खराश,नाक से स्राव (राइनोरिया) और ज्वर आते हैं। लक्षण आमतौर पर सात से दस दिन के भीतर समाप्त हो जाते हैं। हालांकि कुछ लक्षण तीन सप्ताह तक भी रह सकते हैं। ऐसे दो सौ से अधिक वायरस होते हैं जो सामान्य ज़ुकाम का कारण बन सकते हैं। राइनोवायरस इसका सबसे आम कारण है।


नाक, साइनस, गले या कंठनली (ऊपरी श्वसन तंत्र का संक्रमण (URI या URTI) का तीव्र संक्रमण शरीर के उन अंगों द्वारा वर्गीकृत किया जाता है जो इससे सर्वाधिक प्रभावित होते हैं। सामान्य ज़ुकाम मुख्य रूप से नासिका, फेरिंजाइटिस, श्वासनलिका को और साइनोसाइटिस, साइनस को प्रभावित करता है। यह लक्षण स्वयं वायरस द्वारा ऊतकों को नष्ट किए जाने से नहीं अपितु संक्रमण के प्रति हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया के कारण उत्पन्न होते हैं। संक्रमण को रोकने के लिए हाथ धोना मुख्य तरीका है। कुछ प्रमाण चेहरे पर मास्क पहनने की प्रभावकारिता का भी समर्थन करते हैं।


सामान्य ज़ुकाम के लिए कोई इलाज नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों का इलाज किया जा सकता है। यह, मनुष्यों में सबसे अधिक होने वाला संक्रामक रोग है। औसत वयस्क को प्रतिवर्ष दो से तीन बार ज़ुकाम होता है। औसत बच्चे को प्रतिवर्ष छह से लेकर बारह बार ज़ुकाम होता है। ये संक्रमण प्राचीन काल से मनुष्यों में होते आ रहे हैं।

संकेत एवं लक्षण

ज़ुकाम के सबसे आम लक्षणों में खांसी, नाक बहना, नासिकामार्ग में अवरोध और गले की खराश शामिल हैं। अन्य लक्षणों में मांसपेशियों का दर्द (माइएल्जिया), थकान का अनुभव, सर में दर्द और भूख का कम लगना सम्मिलित किया जा सकता है। [1] ज़ुकाम से पीड़ित लगभग 40% लोगों में गले की खराश मौजूद होती है। लगभग 50% लोगों को खांसी/कफ़ होता है। [2] लगभग आधे मामलों में मांसपेशियों में दर्द होता है। [3] बुखार वयस्कों में एक असामान्य लक्षण है, लेकिन नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों में यह आम है। [3] ज़ुकाम के कारण होने वाली खांसी, फ़्लू (इन्फ्लुएंजा) के कारण होने वाली खांसी की तुलना में हल्की होती है। [3] वयस्कों में खांसी और बुखार फ़्लू (इन्फ्लुएंजा) के होने की संभावना की और संकेत करते हैं। [4] कई ऐसे वायरस जो सामान्य ज़ुकाम का कारण होते हैं, कोई लक्षण प्रदर्शित नहीं करते। [5] [6] निचले वायुमार्ग (स्प्यूटम) से आने वाले बलगम का रंग स्पष्ट से लेकर पीला और हरा तक हो सकता है।बलगम का रंग यह संकेत नहीं देता कि संक्रमण जीवाणु द्वारा हुआ है या विषाणु द्वारा। [7]

क्रमिक विकास

ज़ुकाम आम तौर पर थकान, बहुत अधिक ठंड का अनुभव करने, छींकने और सर दर्द से शुरू होता है। अतिरिक्त लक्षण जैसे नाक से स्राव और खांसी आदि दो दिनों के बाद दिखने लगते हैं। [1] संक्रमण शुरू होने के दो से तीन दिन बाद सभी लक्षण सपने चरम पर पहुंच जाते हैं। [3] लगभग सात से दस दिनों में लक्षण समाप्त हो जाते हैं लेकिन कभी-कभी यह तीन सप्ताह तक भी रह सकते हैं। [8] बच्चों से संबंधित 35% से 40% मामलों में खांसी दस से भी अधिक दिनों तक बनी रहती है। बच्चों से संबंधित 10% मामलों में यह खांसी 25 से भी अधिक दिनों तक बनी रहती है।[9]

कारण

वायरस

[[File:Coronaviruses 004 lores.jpg|thumb|{0}{1}[[छवि:{/1} coronaviruses 004 lores.jpg{/0} {2}thumb{/2} {1}|{/1} {3}करोनावायरस{/3}, {2}एक वायरस समूह हैं जो सामान्य ज़ुकाम के कारक माने जाते हैं{/2}{0}इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप के द्वारा देखने पर इनकी आकृति एक मंडल, या मुकुट{/0}{0} जैसी (कोरोना सदृश) दिखती है।{/0}]] सामान्य ज़ुकाम ऊपरी श्वास नलिका का आसानी से फैलने वाला संक्रमण है। राइनोवायरस सामान्य ज़ुकाम का सबसे आम कारण है। यह सभी मामलों में से 30% से 80% के लिए उत्तरदायी होता है। राइनोवायरस एक आरएनए युक्त वायरस होता है जो की पाईकोर्नावाईराइड परिवार से होता है। वायरस के इस परिवार में 99 ज्ञात वायरस हैं। [10] [11] सामान्य ज़ुकाम अन्य वायरस के द्वारा भी हो सकता है। सभी मामलों में से 10% से 30% के लिए कोरोनावायरस उत्तरदायी होता है। सभी मामलों में से 5% से 15% के लिए फ्लू (इन्फ़्लुएन्ज़ा) उत्तरदायी होता है।[3] अन्य मामले ह्यूमन पैराइन्फ़्लुएन्ज़ा वायरस, ह्यूमन रेस्पिरेटरी साइनसाईटियल वायरस, एडेनोवायरस, एन्टेरोवायरस तथा मेटान्यूमोवायरस के कारण हो सकते हैं। [12] सामान्यतया संक्रमण की स्थिति में एक से अधिक वायरस उपस्थित होते हैं। [13] कुल मिला कर, दो सौ से अधिक प्रकार के वायरस ज़ुकाम से साथ संबंधित माने गए हैं। [3]

प्रसार

सामान्य ज़ुकाम का वायरस आम तौर पर एक दो मुख्य तरीकों से फैलता है। वायरस युक्त नन्हीं बूंदों को साँस के द्वारा अथवा मुंह के द्वारा अन्दर लेने से अथवा संक्रमित नासिका के म्यूकस या संक्रमित वस्तुओं के संपर्क में आने से। [2] [14] इनमें से कौन सा कारण ज़ुकाम के प्रसार के लिए उत्तरदायी है, इसका पता नहीं लगाया जा सका है। [15] ये वायरस वातावरण में लम्बे समय तक बचे रह सकते हैं। इसके बाद वायरस हाथों से नाक अथवा आँखों में प्रसारित हो जाता है, जहाँ संक्रमण हो जाता है। [14] एक दूसरे के पास बैठने वाले लोगों के संक्रमित होने का खतरा अधिक होता है। [15] रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी वाले तथा अक्सर खराब साफ-सफाई वाले बच्चों में आपसी नज़दीकी के कारण दैनिक देखभाल केन्द्रों अथवा स्कूलों संक्रमण आम होता है। [16] इसके बाद, यह संक्रमण बच्चों से परिवार के अन्य सदस्यों में आ जाता है। [16] वायुयान में व्यावसायिक उड़ान के दौरान पुनःपरिचालित वायु के प्रयोग से ज़ुकाम के प्रसार होने का कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं है। [14] राइनोवायरस के द्वारा होने वाले ज़ुकाम के पहले तीन दिनों में संक्रमण सबसे अधिक प्रसारित होने की सम्भावना होती है। इसके पश्चात संक्रमण फैलने की सम्भावना काफी कम हो जाती है। [17]

मौसम

पारंपरिक सिद्धांत यह है कि ज़ुकाम बहुत अधिक समय तक ठंडे मौसम में रहने के कारण होता है जैसे कि, बरसात या सर्दियों में, और इसी कारण इस बीमारी को यह नाम भी दिया गया है। [18] यह विवादस्पद है कि शरीर के शीतलन से भी सामान्य ज़ुकाम होने का खतरा होता है या नहीं। [19] कुछ वायरस जो सामान्य ज़ुकाम के कारक होते हैं वे मौसमी होते हैं और ठंडे या गीले मौसम के दौरान इनके होने की आवृत्ति अधिक होती है। [20] ऐसा माना जाता है कि यह मुख्यतया अधिक समय तक घर के अन्दर और संक्रमित व्यक्ति के निकट रहने से होता है;[21] विशेष रूप से वे बच्चे जो स्कूल वापस लौटते हैं [16] हालांकि, यह श्वसन प्रणाली में होने वाले परिवर्तनों से भी संबंधित हो सकता है, जिनके फलस्वरूप हलके-फुल्के संक्रमण हो जाते हैं। [22] कम आर्द्रता के कारण इसके फैलने की दर बढ़ सकती है क्योंकि शुष्क वायु में नन्हीं बूँदें सरलता से फैलती हैं और ये हवा में अधिक समय तक रहकर दूर तक जाती हैं। [23]

अन्य

समूह प्रतिरक्षा उसे कहते हैं जब कोई समूह एक विशेष संक्रमण के प्रति प्रतिरक्षित हो जाता है और ऐसा पूर्व में जुकाम के विषाणुओं के संपर्क में आ चुके होने के कारण होता है। इस प्रकार कम आयु वाली जनसंख्या में श्वसन संक्रमण के होने की दर अधिक है और अधिक आयु वाली जनसंख्या में इसकी दर कम है। [24] कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली भी इस बीमारी के लिए एक खतरा है। [24] [25] नींद की कमी और कुपोषण को भी इस संक्रमण के प्रति एक जोखिम मना जाता है जिससे बाद में राइनोवायरस का खतरा बढ़ जाता है। यह माना जाता है कि ऐसा प्रतिरक्षा प्रणाली पर इनके प्रभाव के कारण होता है। [26] [27]

पैथोफिज़ियोलॉजी(रोग के कारण पैदा हुए क्रियात्मक परिवर्तन)

सामान्य ज़ुकाम ऊपरी श्वास नलिका का आसानी से फैलने वाला संक्रमण है।

सामान्य ज़ुकाम के लक्षण आमतौर पर वायरस के प्रति प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया माने जाते हैं। [28] इस प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया की प्रक्रिया विषाणु विशिष्ट होती है। उदाहरण के लिए, राइनोवायरस आम तौर पर सीधे संपर्क से उपार्जित होता है। यह ICAM-1 मानव अभिग्राहकों से अज्ञात विधि से जुड़ जाता है और उत्तेजक मध्यस्थों के स्राव को सक्रिय करता है। [28] जिससे ये उत्तेजक मध्यस्थ लक्षण पैदा करते हैं। [28] आमतौर पर यह नासिका के ऐपीथैलियम को नुकसान नहीं पहुंचाता है। [3] इसके विपरीत, रेस्परेट्री सिंक्शियल वायरस (RSV) सीधे संपर्क और वायु में उपस्थित नन्हीं बूंदों, दोनों माध्यम से उपार्जित होता है। इसके पश्चात निचली श्वसननलिका में अधिक फैलने से पूर्व यह नाक और गले में प्रतिकृतियां बनाता है। [29] RSV से ऐपीथैलियम को नुकसान पहुंचता है। [29] ह्युमन पैराइन्फ्लुएंजा वायरस आमतौर पर नाक, गले और वायुमार्ग में जलन पैदा करते हैं। [30] कम आयु के बच्चों में ट्रेशिया को प्रभावित करने पर एक कंठ रोग भी हो सकता है, जिसमें सूखी खांसी आती है और सांस लेने में परेशानी होती है। ऐसा बच्चों के वायुमार्ग के छोटे आकार के कारण होता है। [30]

रोग के लक्षण(रोग-निदान)

ऊपरी श्वसननलिका संक्रमणों (URTIs) के बीच अंतर अधिकतर लक्षणों के प्रकट होने के स्थानों पर निर्भर करता है। सामान्य ज़ुकाम मुख्य रूप से नाक, फैरिंजाइटिस मुख्य रूप से गले को और ब्रौन्काइटिस मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है। [2] सामान्य ज़ुकाम को बहुधा नाक की जलन के रूप में परिभाषित किया जाता है और इसमें गले के संक्रमण भी अलग-अलग सीमा तक शामिल हो सकते हैं। [31] इसमें स्व-निदान आम है। [3] वह वायरस एजेंट जो वास्तव में इसका कारक होता है, उसका पृथक्करण असामान्य है। [31] आमतौर पर लक्षणों के आधार पर विषाणु के प्रकार की पहचान कर पाना संभव नहीं है। [3]

रोकथाम

सामान्य ज़ुकाम के फैलाव को रोकने का एकमात्र प्रभावी तरीका इसके विषाणु को फैलने से रोकना ही है। [32] इसमें मुख्यतः हाथ को धोना और चेहरे पर मास्क पहनना शामिल होता है। स्वास्थ्य रक्षा परिवेश में लम्बे चोंगे (गाउन) और उपयोग पश्चात फेंक दिए जाने वाले दस्ताने भी पहने जाते हैं। [32] संक्रमित व्यक्तियों को अलग रखना इसमें संभव नहीं होता क्योंकि यह बीमारी बहुत व्यापक है और इसके लक्षण बहुत विशिष्ट नहीं होते। अनेक विषाणु इस बीमारी के कारक हो सकते हैं और उनमें बहुत ज़ल्दी-ज़ल्दी बदलाव होते रहते हैं इसलिए इस बीमारी में टीकाकरण भी कठिन सिद्ध हुआ है। [32] व्यापक स्तर पर प्रभावशाली टीके विकसित कर पाने की संभावना बहुत कम है। [33]

नियमित रूप से हाथ धोने से ज़ुकाम के विषाणुओं के संचरण को कम किया जा सकता है। यह बच्चों के बीच सबसे अधिक प्रभावी है। [34] यह ज्ञात नहीं है कि सामान्य रूप से हाथ धोने के दौरान वायरसरोधी या बैक्टीरियारोधी पदार्थों के प्रयोग से हाथ धोने के लाभ बढ़ते हैं या नहीं [34] संक्रमित लोगों के आसपास रहने के दौरान मास्क पहनना लाभकारी होता है। यह निर्धारित करने के लिए पर्याप्त प्रमाण नहीं है कि अधिक शारीरिक और सामाजिक दूरी बनाना इसमें लाभकारी है या नहीं। [34] ज़िंक अनुपूरण, किसी व्यक्ति में ज़ुकाम होने की आवृ्ति कम करने में प्रभावी हो सकता है। [35] नियमित तौर पर लिया जाने वाला विटामिन सी पूरक सामान्य ज़ुकाम की गंभीरता या जोखिम को कम नहीं करता है। विटामिन सी ज़ुकाम की अवधि को कम कर सकता है। [36]

प्रबंधन

आम सर्दी के उपचार के लिए नागरिकों को प्रोत्साहित करने के लिए "अपने चिकित्सक से परामर्श लें" शीर्षक वाले पोस्टर

अभी तक ऐसी कोई दवा या जड़ी बूटी औषधि नहीं है जो प्रमाणित तौर पर सामान्य ज़ुकाम की अवधि को कम कर सकती हो। [37] इसके उपचार में लक्षणों से मुक्ति शामिल है। [38] इसमें खूब आराम करना, शरीर में जलयोजन बनाए रखने के लिए द्रव पदार्थ लेना, हलके गर्म-नमकीन पानी से गरारे करना आदि शामिल हो सकते हैं। [12] हालांकि इलाज से होने वाले अधिकांश लाभ प्लासेबो प्रभाव के कारण ही माने जा सकते हैं। [39]

रोगसूचक/लाक्षणिक

लक्षणों को घटने में जो इलाज सहायता करते हैं, वे हैं साधारण दर्द निवारक (एनेल्जेसिक्स) और बुखार कम करने वाली (एंटीपाइरेटिक्स) दवायें जैसे, आईब्रूफेन[40] और एसिटामिनोफेन/पैरासेटामॉल।[41] इस बात के साक्ष्य नहीं मिलते हैं कि कफ़ संबंधी दवायें, आम दर्द निवारक दवाओं(एनाल्जेसिक) दवाओं से अधिक प्रभावी हैं। [42]बच्चों के लिए खांसी की दवा देने की सलाह नहीं दी जाती है क्योंकि इनसे होने वाले नुकसान के जोखिम को देखते हुए इस बात के पर्याप्त प्रमाण नहीं हैं जो यह सिद्ध करें कि ये प्रभावकारी होती हैं। [43] [44] जोखिम तथा अप्रमाणिक लाभों के कारण 2009 में, कनाडा ने 6 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिये काउंटर पर बिकने वाली खांसी की दवाओं तथा ज़ुकाम की दवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया। [43] डेक्सट्रोमेथॉर्थफन (खांसी की काउंटर पर बिकने वाली दवा) के दुरुपयोग के चलते कई देशों में इस पर प्रतिबंध लग गया है।[45]

वयस्कों में नास के स्राव होने का लक्षण एंटीहिस्टामाइन की पहली पीढ़ी की दवाइयों द्वारा कम किया जा सकता है। हालांकि, पहली पीढ़ी की एंटीहिस्टामाइन के साथ सुस्ती जैसे कुछ दुष्प्रभाव जुड़े होते हैं।[38] अन्य विसंकुलक (सर्दी/खांसी की दवा) जैसे कि स्यूडोएफेड्राइन भी वयस्कों में बहुत प्रभावी होते हैं। [46] इप्राट्रोपियम जो कि नाक में डाला जाने वाला एक स्प्रे है, नाक से स्राव के लक्षण को कम कर सकता है, लेकिन स्राव के कारण होने वाली घुटन को यह बहुत प्रभावित नहीं कर पाता है। [47] दूसरी पीढ़ी की एंटीहिस्टामाइन इतनी प्रभावकारी प्रतीत नहीं होती हैं। [48]

अध्ययन के अभाव के कारण, यह ज्ञात नहीं है कि अधिक मात्रा में तरल लेने से लक्षणों में सुधार होता है या श्वसन रोग की अवधि कम होती है। [49] इसी प्रकार तप्त नम वायु के प्रयोग के संबंध में भी आंकड़ों की कमी है।[50] अध्ययन में यह पाया गया कि चेस्ट वेपर रब रात्रि के समय कुछ लक्षणात्मक आराम देने में सहायक हैं जैसे, खांसी, संकुलन और सोने में कठिनाई [51]

एंटीबायोटिक दवाएं और एंटीवायरल

एंटीबायटिक दवाओं का वायरल संक्रमण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता इसीलिए सामान्य ज़ुकाम पर भी इनका कोई प्रभाव नहीं पड़ता। [52] एंटीबायटिक दवाएं आम तौर पर खूब लिखी जाती हैं जबकि इन दवाओं के दुष्प्रभाव समग्रता में नुकसान पहुंचाते हैं। [52] [53] ये दवाएं इसलिए भी आम तौर पर खूब लिखी जाती हैं क्योंकि लोग चिकित्सक से ये अपेक्षा रखते हैं कि वे उन्हें ये दवाएं लिखें और चिकित्सक भी लोगों की सहायता करना चाहते हैं। एंटीबायटिक दवाओं के लिखे जाने का एक कारण यह है कि उन संक्रमणों के कारकों को अलग करना मुश्किल है जो एंटीबायटिक के माध्यम से ठीक हो सकते हैं। [54] आम ज़ुकाम के लिए कोई प्रभावी वायरलरोधी दवाएं उपलब्ध नहीं है भले ही कुछ प्रारंभिक अनुसंधानों ने लाभ प्रदर्शित किया है। [38] [55]

वैकल्पिक उपचार

हालांकि आम ज़ुकाम के लिए कई वैकल्पिक उपचार उपयोग में लाए जाते हैं, लेकिन फिर भी अधिकांश उपचारों के समर्थन में पर्याप्त वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं। [38] 2010 तक, शहद या नासिका आबपाशी के समर्थन या विरोध में पर्याप्य प्रमाण नहीं थे। [56] [57] यदि ज़ुकाम होने के 24 घंटे के अन्दर ही जिंक की पूरक खुराक ले ली जाए तो इससे लक्षणों की गंभीरता और उनकी अवधि दोनों कम हो सकते हैं। [35] आम ज़ुकाम पर विटामिन सी का प्रभाव निराशाजनक है, जबकि इस पर व्यापक शोध किया गया है। [36] [58] एकानेशिया की उपयोगिता से संबंधित प्रमाण असंगत हैं [59] [60] विभिन्न प्रकार के एकानेशिया पूरकों का प्रभाव भी भिन्न-भिन्न हो सकते हैं। [59]

परिणाम

आमतौर पर सामान्य ज़ुकाम की तीव्रता अधिक नहीं होती है और यह अधिकांश लक्षणों के एक सप्ताह में सुधरने के साथ ही अपने आप समाप्त भी हो जाता है। [2] गंभीर जटिलताएं, यदि घटित होती हैं तो उन लोगों में होती हैं जो या तो अत्यंत वृद्ध हैं, बेहद कम आयु के हैं या ऐसे लोग जिनका प्रतिरक्षा तंत्र बहुत कमज़ोर (इम्युनोसप्रेस्ड) हैं। [61] द्वितीयक जीवाणु संक्रमण हो सकते हैं जिनसे साइनोसाइटिस, फैरिंजाइटिस या कान का संक्रमण हो सकता है। [62] ऐसा आंकलन है कि 8% मामलों में साइनोसाइटिस होता है। 30% मामलों में कान का संक्रमण होता है। [63]

संभावना

आम ज़ुकाम एक सर्वाधिक होने वाली आम मानवीय बीमारी है[61] और वैश्विक स्तर पर लोग इससे प्रभावित होते हैं। [16] वयस्कों को आम तौर पर यह संक्रमण वर्ष में दो से पांच बार तक होता है। [2] [3] बच्चों को एक वर्ष में छः बार से लेकर दस बार तक ज़ुकाम होता है (स्कूल जाने वाले बच्चों में यह संख्या बारह तक होती है)। [38] बड़ी उम्र के लोगों में लक्षणात्मक संक्रमणों की दर अधिक होती है क्योंकि उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमज़ोर होती है। [24]

इतिहास

हालाँकि आम ज़ुकाम के होने के कारण की पहचान 1950 के दशक में हुई थी, लेकिन यह बीमारी मनुष्यों में बहुत प्राचीन समय से चली आ रही है। [64] इसके लक्षण और उपचार का जिक्र मिस्र के एबर्स पेपाइरस में है, जो प्राचीनतम उपलब्ध चिकित्सकीय सामग्री है तथा जिसे सोलहवीं शताब्दी ईसा पूर्व लिखा गया था। [65] यह नाम "आम ज़ुकाम" सोलहवीं शताब्दी ईसा पूर्व में प्रयोग में आया, जिसका कारण इसके लक्षणों और ठंडक के मौसम के कारण उपजे लक्षणों के बीच की समानता थी।[66]

युनाइटेड किंगडम में, द कॉमन कोल्ड यूनिट (CCU) की स्थापना 1946 में मेडिकल रिसर्च काउंसिल द्वारा की गई थी और यहीं पर 1956 में राइनोवायरस खोजा गया था [67] 1970 के दशक में, CCU ने यह दिखाया की राइनोवायरस से होने वाले संक्रमण की इन्क्यूबेशन अवधि के दौरान इंटरफेरॉन के उपचार से इस बीमारी के विरुद्ध कुछ सुरक्षा प्राप्त हुई। [68] कोई व्यवहारिक उपचार विकासित नहीं किया जा सका। जिंक ग्लूकोनेट लौजेंजेस के द्वारा राइनोवायरस से होने वाले ज़ुकाम के रोकथाम और उपचार पर शोध के पूर्ण होने के बाद, यह ईकाई 1989 में बंद कर दी गयी थी। CCU के इतिहास में जिंक,एकमात्र सफल उपचार था जिसे विकसित किया गया। [69]

आर्थिक प्रभाव

अधिकांश विश्व में आम जुकाम के आर्थिक प्रभाव को अच्छी तरह से समझा नहीं गया है। [70] संयुक्त राज्य अमरीका में, आम ज़ुकाम के कारण प्रतिवर्ष 75 मिलियन से 100 मिलियन बार चिकित्सक से परामर्श लेना पड़ता है, इसकी कमतर करके आंकी गई लागत भी $7.7 बिलियन प्रतिवर्ष है। अमेरिकी लोग ओवर द काउंटर (ओटीसी) दवाओं पर $2.9 बिलियन प्रतिवर्ष खर्च करते हैं। इसके अतिरिक्त अमेरिकी लोग लक्षणात्मक आराम के लिए लिखी गयी दवाइयों पर $400 मिलियन खर्च करते हैं। [71] चिकित्सक के पास जाने वालों में से एक-तिहाई से भी अधिक लोगों को एंटीबायटिक खाने का परामर्श दिया गया। एंटीबायटिक दवाओं का प्रयोग एंटीबायटिक प्रतिरोध को प्रभावित करता रहता है। [71] एक आंकलन के अनुसार जुकाम के कारण प्रतिवर्ष स्कूलों में 22 मिलियन से 189 मिलियन स्कूली दिनों का नुकसान होता है। नतीजतन, माता-पिता को 126 मिलियन कार्यदिवसों पर घर रहकर अपने बच्चों की देखभाल करनी पड़ी। जब इसे ज़ुकाम से पीड़ित कर्मचारियों द्वारा कार्यालय न जाने वाले 150 मिलियन कार्यदिवसों से जोड़ा गया तो ज़ुकाम से सम्बंधित कार्यहानि का आर्थिक प्रभाव प्रतिवर्ष $20 बिलियन हो गया। [12] [71] यह संयुक्त राज्य अमरीका के कार्य समय में 40% की हानि के बराबर है।[72]

शोध

आम ज़ुकाम में प्रभावकारी होने के लिए कई एंटीवायरल दवाओं का परीक्षण किया गया है। 2009 तक, कोई ऐसी दवा नहीं मिली थी जो कि प्रभावकारी भी हो और उपयोग हेतु लाइसेंसशुदा भी हो। [73] एंटीवायरल दावा प्लेसोनारिल के कई परीक्षण किए जा रहे हैं। यह पिकोर्नावायरस के विरुद्ध प्रभावी होने का वादा करती दिखती है। BTA-798 पर भी कई परीक्षण जारी हैं। [74] प्लेसोनारिल के मौखिक रूप के साथ सुरक्षा मुद्दे जुड़े थे तथा एयरोसॉल रूप पर अध्ययन जारी है। [74]

मेरीलैंड विश्वविद्यालय, कॉलेज पार्क और विस्कॉन्सिन-मैडिसन विश्वविद्यालय के शोधार्थियों ने आम ज़ुकाम के कारक सभी ज्ञात वायरस उपभेदों के जीनोम मैप कर लिए हैं। [75]

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सन्दर्भ

hi:जुकाम