"तीव्रग्राहिता": अवतरणों में अंतर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
छो r2.7.3) (Robot: Adding ky:Анафилакция
Article translated by Ashutosh Mitra, Sanjeev Poonia, and Amar Nath with translators without borders.
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{Infobox disease
'''तीव्रग्राहिता''' (Anaphlaxis) अथवा तीव्रग्राहिताजन्य स्तब्धता (shock) जीवित प्राणी की शरीरगत उस विशेष अवस्था को कहते हैं जो शरीर में किसी प्रकार के बाह्य [[प्रोटीन]] को प्रथम बार सुई द्वारा प्रविष्ट करने के तत्काल बाद, अथवा कुछ दिनों के उपरांत, दूसरी बार उसी प्रोटीन को सुई के द्वारा प्रविष्ट कराते ही प्रकट होती है। दूसरें शब्दों में यह भी कहा जा सकता है कि तीव्रग्राहिता मनुष्यों एवं जानवरों में होनेवाली बाह्य प्रोटीन के प्रति अत्यधिक बढ़ी हुई प्रभाववश्यता (susceptibility) की अवस्था है, जो एक ही बाह्य प्रोटीन के योग को द्वितीय बार सुई द्वारा प्रविष्ट कराने के कारण स्तब्धता तथा प्रधात (assault) और मादक द्रव्यों से उत्पन्न लक्षणों के रूप में प्रगट होती है।
 | Name            = Anaphylaxis 
 | Image           = Angioedema2010.JPG 
 | Caption         = [[Angioedema]] of the face such that the boy is unable to open his eyes. This reaction was due to an [[allergen]] exposure.
 | DiseasesDB      = 29153
 | ICD10           = {{ICD10|T|78|2|t|66}}
 | ICD9            = {{ICD9|995.0}}
 | ICDO            =
 | OMIM            =
 | MedlinePlus     = 000844
 | eMedicineSubj   = med
 | eMedicineTopic  = 128
 | MeshID          = D000707
}}


<!--Definition, symptoms, and causes  -->
तीवग्राहिता का पता सर्वप्रथम चालर्स रॉबर्ट रीशे (Charles Robert Richet) ने 1883 ई0 में गिनीपिग, कुत्ते खरगोश इत्यादि पर परीक्षण करके लगाया था। तीव्रग्राहिताजन्य (anaphylactic) घटना को अनेक वियोजित अवयवों जैसे गर्भाशय तथा क्षुद्रआंत्र के कुछ भागों पर परीक्षण करके जब देखा गया तब इनमें भी विशेष प्रकार की प्रतिक्रिया का नामकरण शुल्त्से डेल परीक्षण (schultz Dale Test) हो गया।
एनाफाइलैक्सिस (तीव्रग्राहिता) एक गम्भीर एलर्जी (प्रत्यूर्जता) रिऐक्शन है जो अचानक आरम्भ होती है और इसके कारण मृत्यु हो सकती है। <ref name=Tint10>{{cite book|author=Tintinalli, Judith E. |title=Emergency Medicine: A Comprehensive Study Guide (Emergency Medicine (Tintinalli))|publisher=McGraw-Hill Companies|location=New York |year=2010 |pages=177–182 |isbn=0-07-148480-9 |oclc= |doi= |accessdate=}}</ref> एनाफाइलैक्सिस में विशेष रूप से अनेक लक्षण होते हैं जिनमें खुजलीयुक्त त्वचा विस्फोट, गले की सूजन और निम्न रक्तचाप शामिल हैं। इसके साधारण कारणों में कीटों द्वारा काटना, भोजन और दवाएँ शामिल हैं।


<!--Pathophysiology, diagnosis, and management  -->
स्थानिक रूप में यह घटना तभी दृष्टिगोचर होती है जब बाह्य प्रोटीन को द्वितीय बार अधरत्वक सूई द्वारा प्रविष्ट किया गया हो। इसके लक्षणों के अंतर्गत सूई लगने के स्थान पर शोथ, दृढ़ीकरण (induration) तथा कोथयुक्त (gangrenous) परिवर्तन दिखाई देते हैं। यह प्रक्रिया सुई लगाने के 48 घंटें बाद होती है। इस प्रकार की स्थानिक उग्र तीव्रग्राहिताजन्य प्रतिक्रिया का वर्णन सर्वप्रथम मॉरिस ऑर्थर (Maurice Arthur) ने किया।
एनाफाइलैक्सिस का कारण विभिन्न प्रकार की श्‍वेत रक्त कणिकाओं द्वारा प्रोटीनों का स्राव करना है। ये प्रोटीन ऐसे पदार्थ हैं जो एलर्जीयुक्त रिऐक्शन को आरम्भ कर सकते हैं या रिऐक्शन को अधिक गम्भीर बना सकते हैं। उनका स्राव प्रतिरक्षण प्रणाली रिऐक्शन या अन्य किसी कारण से हो सकता है जो प्रतिरक्षा प्रणाली से संबंधित न हो। एनाफाइलैक्सिस का निदान व्यक्ति के लक्षणों और संकेतों के आधार पर किया जाता है। इसका प्राथमिक उपचार एपाइनफराइन का इंजेक्शन है जो कभी- कभी अन्य दवाओं के साथ दिया जाता है।

<!--Epidemiology and history  -->
पूरे विश्‍व में लगभग 0.05 -2% लोगों को अपने जीवन में कभी ना कभी एनाफाइलैक्सिस होता है। इसकी दर में वृद्धि होती दिखाई दे रही है। इस शब्द की उत्पति ग्रीक शब्दों ἀνά एना, ''प्रतिकूल'', और φύλαξις फाइलैक्सिस, ''सुरक्षा''से हुई है।
{{TOC limit|3}}

==संकेत और लक्षण==
[[File:Signs and symptoms of anaphylaxis.png|thumb|250px|एनाफाइलैक्सिस के संकेत और लक्षण।]]
एनाफाइलैक्सिस में अनेक प्रकार के लक्षण मिनटों या घंटों में उत्पन्न होते हैं। <ref>{{cite journal |author=Oswalt ML, Kemp SF |title=Anaphylaxis: office management and prevention |journal=Immunol Allergy Clin North Am |volume=27 |issue=2 |pages=177–91, vi |year=2007 |month=May |pmid=17493497|doi=10.1016/j.iac.2007.03.004|quote=Clinically, anaphylaxis is considered likely to be present if any one of three criteria is satisfied within minutes to hours}}</ref><ref name=Review09/> यदि इसका कारण ऐसा पदार्थ है जो शरीर में सीधे रक्त प्रवाह में प्रवेश करता है (अन्त:शिरा) तो इसके लक्षण औसतन 5 से 30 मिनटों में ही दिखाई देने लगते हैं &nbsp; यदि इसका कारण वह भोजन है जो व्यक्ति ने खाया है तो इसका औसत समय 2 घंटे होता है। <ref name=Rosen2010/> इससे प्रभावित होने वाले अति सामान्य अंग हैं : त्वचा (80–90%), फेफड़े और श्‍वसन मार्ग(70%), पेट और आँतें(30–45%), हृदय और रक्त वाहिनियाँ (10–45%), और केन्द्रीय तंत्रिका प्रणाली(10–15%)<ref name=Review09/> इनमें से दो या अधिक प्रणालियां शामिल होती हैं।<ref name=World11/>

===त्वचा===
[[Image:BackRed.JPG|thumb|left|एनाफाइलैक्सिस से पीड़ित व्यक्ति में पित्ती और कमर का लाल हो जाना]]
इसके लक्षणों में विशेष रूप से त्वचा पर उठे हुए उभार (पित्ती), बैचेनी, लाल चेहरा या त्वचा (लाल हो जाना), या सूजनयुक्त होंठ शामिल हैं।<ref name=Diag06>{{cite journal |author=Sampson HA, Muñoz-Furlong A, Campbell RL, ''et al.'' |title=Second symposium on the definition and management of anaphylaxis: summary report—Second National Institute of Allergy and Infectious Disease/Food Allergy and Anaphylaxis Network symposium |journal=J. Allergy Clin. Immunol. |volume=117 |issue=2 |pages=391–7 |year=2006 |month=February |pmid=16461139|doi=10.1016/j.jaci.2005.12.1303}}</ref> उन व्यक्तियों को जिन्हें, त्वचा के नीचे सूजन(एन्जियोइडीमा)होती है वे उनकी त्वचा के नीचे खुजली की बजाय जलन महसूस कर सकते हैं। <ref name=Rosen2010/> 2% मामलों में जीभ या गले में सूजन हो सकती है। <ref name=Shock10/> इसके अन्य लक्षणों में नाक का बहना या नेत्र की सतह और पलक पर श्‍लेष्म झिल्ली की सूजन (कन्जन्कटाइवा)हो सकते हैं। <ref name=Aus06/> ऑक्सीजन की कमी के कारण त्वचा का रंग नीला (साइनोसिस) हो सकता है।<ref name=Aus06/>

===श्‍वसन===
श्‍वसन संकेतों और लक्षणों में साँस की छोटी अवधि, श्‍वसन में निम्न तीव्रता की कठिनाई (व्हीजीस) या अधिक तीव्रता की श्‍वसन कठिनाई (स्ट्राइडर) शामिल हैं।<ref name=Diag06/> श्‍वसन में निम्न तीव्रता की कठिनाई विशिष्‍ट रूप से श्‍वसनमार्ग (ब्रोंकिआल पेशियों) में पेशियों के अतिसंकुचन के कारण होती है।<ref name=Cardio08/> अधिक तीव्रता की श्‍वसन कठिनाई ऊपरी वायुमार्ग में सूजन के कारण होती है जो श्‍वसन मार्ग को संकुचित कर देती है।<ref name=Aus06>{{cite journal|last=Brown|first=SG|coauthors=Mullins, RJ, Gold, MS|title=Anaphylaxis: diagnosis and management.|journal=The Medical journal of Australia|date=2006 Sep 4|volume=185|issue=5|pages=283–9|pmid=16948628}}</ref> आवाज में कर्कशता, निगलने के साथ पीड़ा या कफ उत्पन्न हो सकता है।<ref name=Rosen2010/>

===हृदय===
हृदय में स्थित अनेक केशिकाओं से हिस्टामाइन का स्राव होने के कारण हृदय की रक्त वाहिकाओं में अचानक संकुचन (हृदय महाधमनी) में संकुचन हो सकता है। <ref name=Cardio08/> यह हृदय तक रक्त प्रवाह को बाधित कर सकता है जिसके कारण हृदय कोशिकाएँ समाप्त (मायोकार्डियल इनफ्रेक्शन) हो सकती हैं या हृदय की धड़कन बहुत धीमी या बहुत तेज (कार्डिक डिसरिदमिया) हो सकती है, अथवा हृदय की धड़कन अचानक बंद (हृदय आघात) हो सकती है।<!--  even in the absence of epinephrine use -->.<ref name=Review09/><ref name=World11/> वह व्यक्ति जिन्हें पहले ही हृदय रोग हैं वे एनाफाइलैक्सिस के हृदय पर पड़ने वाले प्रभावों के उच्च जोखिम में हैं। <ref name=Cardio08/> निम्न रक्तचाप के कारण हृदय की गति तेज होना बहुत सामान्य है,<ref name=Aus06/> एनाफाइलैक्सिस से पीड़ि‍त 10% व्यक्तियों को निम्न रक्तचाप के साथ हृदय धड़कन की गति में कमी (ब्रैडीकार्डिया) हो सकती है।(हृदयगति की निम्न दर और निम्न रक्तचाप को बेजोल्ड-जैरिस्क रिफ्लैक्स के रूप में जाना जाता है)<ref name=CEA11/> व्यक्ति रक्तदाब में कमी के कारण सिर का हल्कापन या हल्की बेहोशी अनुभव कर सकता है। इस रक्तदाब का कारण रक्त शिराओं का चौड़ा होना (डिस्ट्रीब्यूटीव शॉक) या हृदय के निलयों के समाप्त होने (कार्डियोजेनिक शॉक) के कारण हो सकता है। <ref name=Cardio08/> बहुत ही दुर्लभ मामलों में निम्न रक्तदाब एनाफाइलैक्सिस का संकेत हो सकता है।<ref name=Shock10/>

===अन्य===
पेट और आँत्र के लक्षणों में ऐंठनयुक्त उदर पीड़ा, डायरिया या वमन (उल्टी) हो सकते हैं।<ref name=Diag06/> व्यक्ति के विचार भ्रामक हो सकते हैं, अपने पित्त पर नियन्त्रण खो सकते हैं और श्रोणी (पेल्विस) में पीड़ा हो सकती है जो गर्भाशय की ऐंठन के समान अनुभव हो सकती है। <ref name=Diag06/><ref name=Aus06/> मस्तिष्‍क के चारों तरफ रक्त वाहिकाओं का चौड़ा होना सिरदर्द का कारण हो सकता है। <ref name=Rosen2010/> व्यक्ति व्याकुल अनुभव कर सकते हैं और यह कल्पना कर सकते हैं कि वे मरने जा रहे हैं।<ref name=World11/>


==कारण==
==कारण==
एनाफाइलैक्सिस लगभग किसी भी बाहरी पदार्थ के प्रति शरीर शरीर द्वारा रिऐक्शन के कारण हो सकता है। <ref name=His11/> इसके सामान्य प्रेरकों में कीटों द्वारा काटने या दंश के कारण जहर, भोजन और दवाएँ शामिल हैं।<ref name=CEA11/><ref>{{cite journal|last=Worm|first=M|title=Epidemiology of anaphylaxis.|journal=Chemical immunology and allergy|year=2010|volume=95|pages=12–21|pmid=20519879}}</ref> बच्चों और युवा वयस्कों में भोजन इसका अति सामान्य प्रेरक है। बुजुर्ग वयस्कों में दवाईयां और कीटों द्वारा काटना और दंश अति सामान्य प्रेरक हैं। <ref name=World11/> कम सामान्य कारणों में शारीरिक तत्व, जैविक कारक (जैसे वीर्य), लैटेक्स, हार्मोनों में बदलाव, भोजन में मिलाए जाने वाले तत्व (जैसे मोनोसोडियम ग्लूटामेट और भोजन के रंग) और त्वचा पर लगाई जाने वाली दवाईयाँ (सीमित दवाएं) शामिल हैं। <ref name=Aus06/> व्यायाम या तापमान (गर्म या ठण्‍डा) भी विभिन्न ऊतक कोशिकाओं (मास्ट कोशिकाओं) को रसायनों स्रावित करने के माध्‍यम से जो ऐलर्जिक रिऐक्शन को शुरू करते हैं और एनाफाइलैक्सिस को प्रेरित कर सकते हैं। <ref name=World11/><ref name=APLS07>{{cite book|last=editors|first=Marianne Gausche-Hill, Susan Fuchs, Loren Yamamoto,|title=The pediatric emergency medicine resource|year=2007|publisher=Jones & Bartlett|location=Sudbury, Mass.|isbn=9780763744144|pages=69|edition=Rev. 4. ed.|url=http://books.google.ca/books?id=lLVfDC2dh54C&pg=PA69}}</ref> व्यायाम से जुड़ा हुआ एनाफाइलैक्सिस प्राय: विभिन्न प्रकार के भोजन खाने से भी संबंधित होता है।<ref name=Rosen2010/> यदि एनाफाइलैक्सिस उस समय उत्पन्न होता जब व्यक्ति ऐनेस्थीसिया ग्रहण कर रहा है तो इसके अति सामान्य कारणों में विभिन्न प्रकार की दवाएं हैं जो पक्षाघात उत्पन्न करने के लिए (तंत्रिकापेशी अवरोधक एजेन्ट) दी जाने वाली दवाएँ, एंटीबॉयोटिक्स और लैटेक्स शामिल हैं। <ref>{{cite journal|last=Dewachter|first=P|coauthors=Mouton-Faivre, C, Emala, CW|title=Anaphylaxis and anesthesia: controversies and new insights.|journal=Anesthesiology|date=2009 Nov|volume=111|issue=5|pages=1141–50|pmid=19858877|doi=10.1097/ALN.0b013e3181bbd443}}</ref>  32-50% मामलों में कारण ज्ञात नहीं होता है (इडीयोपैथिक एनाफाइलैक्सिस).<ref>{{cite book|last=editor|first=Mariana C. Castells,|title=Anaphylaxis and hypersensitivity reactions|year=2010|publisher=Humana Press|location=New York|isbn=9781603279505|pages=223|url=http://books.google.ca/books?id=bEvnfm7V-LIC&pg=PA223}}</ref>
तीव्रग्राहिता की उत्पत्ति के यद्यपि कई कारण हैं, तथापि मूल कारण हेनरी एच0 डेल (Henry H. Dale) का बताया माना गया है। इन्होंने 1928 ई0 में परीक्षणों द्वारा यह सिद्ध किया कि तीव्रग्राहिता की उत्पत्ति का मुख्य कारण जीव के शरीर की कोशिकाओं एवं ऊतकों में बाह्य प्रोटीन के द्वारा उत्पन्न प्रतिजन (antigen) तथा शरीर में अंदर से प्रत्युत्पन्न रोगप्रतिकारक प्रतिपिंड (antibodies) की आपस में परस्पर क्रिया है, जिसके फलस्वरूप हिस्टामिन (histamine) नामक पदार्थ की प्रत्युत्पत्ति होती है। यह देखा गया है कि यदि रक्तोद (serum) के रोगप्रतिकारक प्रतिपिंड निश्चित रूप से भ्रमण करते रहते हैं, तो प्रतिजन उनसे मिलकर निष्प्रभाव हो जाया करते हैं और जब वे कोशिकाओं में स्थिर हो जाते हैं तो प्रतिजन से मिलकर हिस्टामिन की उत्पत्ति करते हैं, जिसके कारण तीव्रग्राहिताजन्य प्रतिक्रिया होती है। हिस्टामिन की उत्पत्ति से शरीरगत अनैच्छिक मांसपेशियों में संकोच, स्थानिक ऊतकों में शोथ, सामान्य स्तब्धता, त्वचा पर पित्ति का उछलना, असह्य कंडू (खुजली), जलन तथा रक्तचाप में न्यूनता इत्यादि लक्षण प्रकट होत हैं। अन्य सामान्य लक्षणों में अत्यध्कि कमजोरी, वमन, चक्कर, भ्रम तथा संज्ञाहीनता आदि प्रधान हैं। ये लक्षण जब मृदु रूप में होते हैं तब कई घंटे तक विद्यमान रहकर धीरे धीरे कम होने लगते हैं, परंतु जब उग्र रूप के होते हैं तो कुछ ही मिनटों अथवा सेकंडों में घातक रूप धारण कर लेते हैं। अत: उपर्युक्त विकारों से बचने के लिये ऐसी ओषधियों का सेवन कराया जाता है जिनका प्रतिकारक प्रभाव होता है, जैस बेनाड्रिल पाइरोबेंजामिन एवं अन्य एंटीएलर्जिक औषधियाँ। ये औषधियाँ हिस्टामिन को निष्प्रभाव करते तीव्रग्राहिता दूर करती है।

===भोजन===
अनेक तरह के भोजन एनाफाइलैक्सिस को प्रेरित करते हैं, चाहे भोजन का सेवन पहली बार ही किया गया है।<ref name=CEA11/> पश्चिमी संस्कृति में मूँगफली, गेहूँ, ट्री-नट, शैलफिश, मछली, अण्‍डों का सेवन या इनके सम्पर्क में आना अति सामान्य कारण हैं।<ref name=Review09/><ref name=World11/> मध्‍य-पूर्व में सी-सेम इसका एक सामान्य प्रेरक है। एशिया में चावल और चिकपीज प्राय: एनाफाइलैक्सिस के कारण होते हैं।<ref name=World11/> गंभीर मामले प्राय: भोजन के सेवन के कारण होते हैं,<ref name=CEA11/> परन्तु कुछ लोगों में तीव्र रिऐक्शन हो सकता है यदि इसके लिए प्रेरित करने वाला भोजन शरीर के किसी अंग के संपर्क में आ जाता है। बच्चे अपनी एलर्जी से निपट सकते हैं। 16 वर्ष की आयु तक दूध और अण्‍डों के कारण एनाफाइलैक्सिस से पी‍ड़ि‍त 80% बच्चे और मूंगफली के कारण एनाफाइलैक्सिस के एकल मामले से पी‍ड़ि‍त 20% बच्चे, इन भोजनों को बगैर समस्या के कारण ग्रहण कर सकते हैं।<ref name=His11/>

===दवाईयाँ===
किसी भी दवाई के कारण एनाफाइलैक्सिस हो सकता है। इनमें β-लैक्टम एन्टीबॉयोटिक्स (जैसे पेंसिलिन) के बाद एस्प्रिन और एनएसएआईडी हैं।<ref name=Review09/><ref name=Book2009>{{cite book|last=Volcheck|first=Gerald W.|title=Clinical allergy : diagnosis and management|year=2009|publisher=Humana Press|location=Totowa, N.J.|isbn=9781588296160|pages=442|url=http://books.google.ca/books?id=pWZLkZB7EW8C&pg=PA442}}</ref> यदि किसी व्यक्ति को एक एनएसएआईडी से एलर्जी है तो वह सामान्यत एनाफाइलैक्सिस को प्रेरित किए बगैर किसी दूसरी का प्रयोग कर सकता है।<ref name=Book2009/> एनाफाइलैक्सिस के अन्य कारणों में कीमोथैरेपी, वैक्सीन, प्रोटामाइन (वीर्य में उपस्थित) और जड़ी-बूटियों से निर्मित औषधियाँ शामिल हैं<ref name=World11/><ref name=Book2009/> कुछ दवाईयाँ जिनमें वेन्कोमा
सिन, मार्फिन और एक्स-रे प्रतिबिम्ब उन्नत करने के लिए दी जाने वाली दवाईयाँ (रेडियोकन्ट्रॉस्ट एजेन्ट) शामिल हैं जो ऊतकों में विभिन्न कोशिकाओं को नष्‍ट करके उनसे हिस्टामाइन (मास्ट कोशिका खुरदरापन) स्राव का कारण बनते हैं जिसके कारण एनाफाइलैक्सिस होता है।
<ref name=CEA11/>

किसी दवा के प्रति रिऐक्शन करने की आवृति आंशिक रूप से इस बात पर निर्भर करती है कि वह दवा उस व्यक्ति को कितनी बार दी जाती है और आंशिक रूप से शरीर के अन्दर दवा के कैसे कार्य करती है।<ref name=Drug01>{{cite journal|last=Drain|first=KL|coauthors=Volcheck, GW|title=Preventing and managing drug-induced anaphylaxis.|journal=Drug safety : an international journal of medical toxicology and drug experience|year=2001|volume=24|issue=11|pages=843–53|pmid=11665871}}</ref> पेन्सिलिन या सेफालॉसपोरिन से एनाफाइलैक्सिस केवल तभी उत्पन्न हो सकता है जब वे शरीर के अन्दर प्रोटीनों से संयोजन करते हैं और इनमें से कुछ दूसरों की तुलना में बहुत आसानी से संयोजन करते हैं।<ref name=Rosen2010/> पेन्सिलिन के कारण एनाफाइलैक्सिस 2000 से 10,000 लोगों में से एक में उत्पन्न होता है जिनका उपचार किया गया है। उपचार किए गये 50,000 लोगों में से एक की मृत्यु होती है।<ref name=Rosen2010/> एस्प्रिन और एनएसएडीआई के कारण एनाफाइलैक्सिस लगभग 50,000 व्यक्तियों में से एक व्यक्ति में होता है।<ref name=Rosen2010/> यदि किसी व्यक्ति को पेन्सिलिन के कारण रिऐक्शन होती है है तो उसे सेफालोस्पोरिन के कारण रिऐक्शन का जोखिम अधिक होता है परंतु यह जोखिम 1000 व्यक्तियों में एक से भी कम होता है। <ref name=Rosen2010/> पुरानी दवाईयाँ जिनका उपयोग एक्स-रे प्रतिबिम्ब (रेडियोकान्ट्रास्ट एजेन्ट) उन्नत करने के लिए किया गया है उनके कारण 1% मामलों में रिऐक्शन होती है। नयी, कम ओस्मोलर रेडियोकन्ट्रास्ट एजेन्टों के कारण 0.04% मामलों में रिऐक्शन होती है। <ref name=Drug01/>

===विष===
कीटों जैसे मधुमक्खियां और ततैया /बर्र (हाइमेनाप्टेरा) या किसिंग बग (ट्राईएटोमाइन) के दंश या काटने से विष के कारण एनाफाइलैक्सिस हो सकता है। <ref name=Review09/><ref name="Klotz">{{cite journal|last=Klotz|first=JH|coauthors=Dorn, PL, Logan, JL, Stevens, L, Pinnas, JL, Schmidt, JO, Klotz, SA|title="Kissing bugs": potential disease vectors and cause of anaphylaxis.|journal=Clinical infectious diseases : an official publication of the Infectious Diseases Society of America|date=2010 Jun 15|volume=50|issue=12|pages=1629–34|pmid=20462351}}</ref> यदि किसी व्यक्ति को पहले कभी विष के कारण रिऐक्शन हुआ है और इसका असर मात्र दंश/काटे जाने के स्थान से अधिक विस्तृत रहा है तो उसे भविष्‍य में एनाफाइलैक्सिस का अधिक जोखिम होता है। <ref>{{cite journal|last=Bilò|first=MB|title=Anaphylaxis caused by Hymenoptera stings: from epidemiology to treatment.|journal=Allergy|date=2011 Jul|volume=66 Suppl 95|pages=35–7|pmid=21668850}}</ref><ref>{{cite journal|last=Cox|first=L|coauthors=Larenas-Linnemann, D, Lockey, RF, Passalacqua, G|title=Speaking the same language: The World Allergy Organization Subcutaneous Immunotherapy Systemic Reaction Grading System.|journal=The Journal of allergy and clinical immunology|date=2010 Mar|volume=125|issue=3|pages=569–74, 574.e1-574.e7|pmid=20144472}}</ref> परंतु एनाफाइलैक्सिस के कारण मरने वाले आधे से अधिक व्यक्तियों में पहले व्यापक (दैहिक) रिऐक्शन नहीं हुई है। <ref>{{cite journal|last=Bilò|first=BM|coauthors=Bonifazi, F|title=Epidemiology of insect-venom anaphylaxis.|journal=Current opinion in allergy and clinical immunology|date=2008 Aug|volume=8|issue=4|pages=330–7|pmid=18596590}}</ref>

===जोखिम कारक===
एटोपिक रोगों जैसे अस्थमा, एकजिमा, या एलेर्जिक नासाशोथ से पीड़ि‍त व्यक्तियों में भोजन, लैटेक्स और रेडियोकन्ट्रास्ट एजेन्टों के कारण एनाफाइलैक्सिस होने का उच्च जोखिम होता है। इन लोगों को इंजेक्शन से दी जाने वाली दवाओं या दंश के कारण अधिक जोखिम नहीं होता है। <ref name=World11/><ref name=CEA11/> एनाफाइलैक्सिस से पीड़ि‍त बच्चों के एक अध्‍ययन से ज्ञात हुआ कि 60% बच्चों में पहले एटोपिक रोगों का इतिहास रहा है। एनाफाइलैक्सिस के कारण मरने वाले 90% बच्चे अस्थमा से पीड़ि‍त थे। <ref name=CEA11/> वह व्यक्ति जिन्हें ऊतकों में बहुत अधिक मास्ट कोशिकाओं के कारण विकार(मस्टोसाइटोसिस) हैं या जो इनसे समृद्ध हैं इसके अधिक जोखिम वाले क्षेत्र में हैं। <ref name=World11/><ref name=CEA11/> वह एजेन्ट जिसके कारण एनाफाइलैक्सिस हुआ है उस तक पहुंच जितनी पुरानी हो जायेगी, नए रिऐक्शन का जोखिम उतना ही कम होता जाता है।<ref name=Rosen2010/>

==क्रियातन्त्र==
एनाफाइलैक्सिस एक गंभीर एलेर्जिक रिऐक्शन है जो अचानक आरम्भ होता है और यह शरीर की अनेक प्रणालियों को प्रभावित करता है।<ref name=Tint10/><ref name=Khan11>{{cite journal|last=Khan|first=BQ|coauthors=Kemp, SF|title=Pathophysiology of anaphylaxis.|journal=Current opinion in allergy and clinical immunology|date=2011 Aug|volume=11|issue=4|pages=319–25|pmid=21659865}}</ref> यह दाहक कारकों और मास्ट कोशिकाओं तथा बैसाफिल्स से साइटोकाइन के स्राव के कारण होता है। उनका स्राव विशेषकर प्रतिरक्षण प्रणाली रिऐक्शन के कारण होता है परन्तु इन कोशिकाओं के क्षतिग्रस्त होने के कारण हो सकता है जो प्रतिरक्षा प्रणाली से संबंधित नहीं हैं।<ref name=Khan11/>

===प्रतिरक्षी===

एनाफाइलैक्सिस जब प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के कारण होता है, इम्यूनोग्लोबिन E (IgE) बाहरी पदार्थ से संयोजन करता है जो ऐलर्जिक रिऐक्शन (एंटीजन) आरम्भ करता है। IgE का संयोजन मास्ट कोशिकाओं और बैसोफिल्स पर ग्राह्यी FcεRI प्रतिरक्षी सक्रियता से जुड़ा होता है। मास्ट कोशिकाएँ और बैसोफिल दाहक कारकों जैसे हिस्टामाइन के स्राव करने के द्वारा प्रतिक्रिया करते हैं। ये कारक ब्रोंकिओली की कोमल पेशियों में संकुचन पैदा करते हैं, रक्तवाहिनियों को चौड़ा (वैसोडाइलेशन) कर देते हैं, रक्त वाहिकाओं से द्रव के स्राव को बढ़ा देते हैं और हृदय पेशियों की क्रिया को कम कर देते हैं। <ref name=Rosen2010/><ref name=Khan11/> एक प्रतिरक्षी तन्त्र भी होता है जो IgE पर निर्भर नहीं होता है,परन्तु यह ज्ञात नहीं है कि क्या यह मनुष्‍यों में भी उत्पन्न होता है। <ref name=Khan11/>

===गैर- प्रतिरक्षी===
एनाफाइलैक्सिस जब प्रतिरक्षी प्रणाली की प्रतिक्रिया के कारण नहीं होता है, तो रिऐक्शन का कारण वह एजेन्ट होता है जो सीधे मास्ट कोशिकाओं और बैसोफिल को नष्‍ट कर देता है, जिसके कारण हिस्टामिन और अन्य पदार्थों का स्राव होता है जो प्राय: ऐलर्जिक रिऐक्शन से जुड़े होते हैं(डिग्रेन्युलेशन)।<!-- <ref name=Khan11/> --> वह कारक जो इन कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त कर सकते हैं उनमें शामिल हैं एक्स-रे के लिए कन्ट्रास्ट कारक, ओपिओडिस, तापमान (गर्म या ठण्‍डा), और कम्पन। <ref name=APLS07/><ref name=Khan11/>

==रोग की पहचान==
एनाफाइलैक्सिस (तीव्रग्राहिता) रोग की पहचान नैदानिक तथ्यों के आधार पर की जाती है। <refname=World11/> जब किसी एलर्जी पैदा करने वाले तत्व के संपर्क में आने के कुछ मिनटों/घंटों के भीतर निम्नलिखित तीन स्थितियों में से कोई भी एक होती है तो इस बात की संभावना बहुत अधिक है कि व्यक्ति को एनाफाइलैक्सिस है:<ref name=World11/>
# त्वचा या म्यूकोसल (श्लेष्म) ऊतक की सहभागिता के साथ या तो श्वसन संबंधी परेशानी या फिर निम्न रक्तचाप हो
# निम्नलिखित दो या उससे अधिक लक्षण:-
#: ए. त्वचा या म्यूकोसा की सहभागिता
#: बी. श्वसन संबंधी परेशानियां
#: सी. निम्न रक्तचाप
#: डी. गैस्ट्रोइन्टेसटाइनल(जठरांत्रिय) लक्षण
# एलर्जी पैदा करने वाले किसी ज्ञात तत्व के संपर्क में आने के बाद निम्न रक्तचाप

अगर कीट के डंक मारने या दवा से किसी व्यक्ति पर विषैली प्रतिक्रिया होती है तो एनाफाइलैक्सिस रोग की पहचान करने में ट्रिप्टेस या हिस्टामाइन (मस्तूल कोशिकाओं से निकलने वाली अमीन) के लिए खून की जांच करना उपयोगी हो सकता है।<!-- <ref name=World11/> --> हलांकि, अगर यह खाद्य के कारण हो या व्यक्ति का रक्तचाप सामान्य हो तो ये जांच बहुत अधिक उपयोगी नहीं होती हैं <ref name=World11/> और वे एनाफाइलैक्सिस रोग की पहचान की संभावना को नकार नहीं सकतीं। <ref name=His11/>

===वर्गीकरण===
एनाफाइलैक्सिस की तीन प्रमुख विशेषताएं होती हैं। एनाफ्लैक्टिक आघात तब होता है जब पूरे शरीर के ज्यादातर हिस्सों (प्रणालीगत वैसोडाइलेशन) में रक्त वाहिकाएं चौड़ी हो जाती है जिस कारण से रक्तचाप निम्न हो जाता है जो व्यक्ति के सामान्य रक्तचाप से कम-से-कम 30% कम या मानक मान से 30% कम होता है। <ref name=Shock10>{{cite journal|last=Limsuwan|first=T|coauthors=Demoly, P|title=Acute symptoms of drug hypersensitivity (urticaria, angioedema, anaphylaxis, anaphylactic shock).|journal=The Medical clinics of North America|date=2010 Jul|volume=94|issue=4|pages=691–710, x|pmid=20609858|url=http://smschile.cl/documentos/cursos2010/MedicalClinicsNorthAmerica/Acute%20Symptoms%20of%20Drug%20Hypersensitivity%20(Urticaria,%20Angioedema,%20Anaphylaxis,%20Anaphylactic%20Shock).pdf}}</ref> बा
फेसिक एनाफाइलैक्सिस की पहचान तब होती है जब इसके लक्षण 1-72 घंटों के भीतर फिर से दिखने लगें, भले ही व्यक्ति एलर्जी करने वाले तत्वों के साथ नए संपर्क में न आया हो, जिनके कारण पहली बार प्रतिक्रिया हुई थी। <ref name=World11/> कुछ अध्ययन दावा करते हैं कि एनाफाइलैक्सिस के कुल मामलों में 20% मामले बाइफेसिक होते हैं। <ref name=BI05/> लक्षणों की वापसी आम तौर पर 8 घंटों के भीतर होती है। <ref name=CEA11/> दूसरी प्रतिक्रिया का उपचार भी मूल एनाफाइलैक्सिस की तरह ही होता है। <ref name=Review09/> सूडो-एनाफिलाक्सिस या एनाफिलैक्टॉयड प्रतिक्रियाएं उस एनाफाइलैक्सिस के पुराने नाम हैं जो एलर्जी वाली प्रतिक्रिया के कारण नहीं बल्कि मस्तूल कोशिकाओं(मस्तूल कोशिका डिग्रैनुलेशन) पर सीधी चोट के कारण होता है। <ref name=CEA11>{{cite journal|last=Lee|first=JK|coauthors=Vadas, P|title=Anaphylaxis: mechanisms and management.|journal=Clinical and experimental allergy : journal of the British Society for Allergy and Clinical Immunology|date=2011 Jul|volume=41|issue=7|pages=923–38|pmid=21668816}}</ref><ref name=His10/>  वर्ल्ड एलर्जी ऑर्गेनाइजेशन द्वारा उपयोग किया जाने वाला वर्तनाम नाम “नॉन-इम्यून एनाफाइलैक्सिस” है। <ref name=His10/> कुछ लोग इस बात कि सिफारिश करते हैं कि पुराने नाम का उपयोग अब नहीं किया जाना चाहिए। <ref name=CEA11/>

===एलर्जी जांच===
[[Image:Allergy skin testing.JPG|thumb|Skin allergy testing being carried out on the right arm]]
एलर्जी जांच इस बात का निर्धारण करने में सहायक हो सकती है कि व्यक्ति को एनाफाइलैक्सिस होने का कारण क्या है। त्वचा एलर्जी जांच [जैसे धब्बों (पैच) की जांच] कुछ निश्चित खाद्यों और जीव-विषों (वेनम) के लिए उपलब्ध है। <ref name=His11/> दूध, अंडे, मूंगफली, मेवे और मछली से संबंधित एलर्जी की पुष्टि के लिए विशिष्ट रोग प्रतिकारकों के लिए की जाने वाली रक्त जांच उपयोगी हो सकती है। <ref name=His11/> त्वचा की जांचों से पेनसिलिन एलर्जियों की पुष्टि हो सकती हैं लेकिन, अन्य औषधियों के लिए त्वचा संबंधी कोई जांच नहीं है। <ref name=His11/> एनाफाइलैक्सिस के नॉन-इम्यून रूपों की पहचान केवल व्यक्ति के इतिहास की जांच-पड़ताल या व्यक्ति को एलर्जी पैदा करने वाले ऐसे तत्वों के संपर्क में लाकर हो सकती है जिनसे उसको अतीत में प्रतिक्रिया हुई हो। नॉन-इम्यून एनाफाइलैक्सिस के लिए त्वचा या रक्त संबंधी कोई जांच नहीं है। <ref name=His10/> 

===विभेदक रोग-पहचान===
कभी-कभी अस्थमा, ऑक्सीजन की कमी से मूर्च्छित होने के कारण और आकस्मिक भय से एनाफाइलैक्सिस को अलग से पहचान पाना कठिन हो जाता है। <ref name=World11/> अस्थमा से पीड़ित लोगों में आम तौर पर खुजली या पेट अथवा आंत संबंधी लक्षण नहीं होते हैं। जब कोई व्यक्ति मूर्च्छित होता है तो त्वचा पीली पड़ जाती है लेकिन, उसमें ददोरे नहीं होते हैं। आकस्मिक भय से ग्रस्त व्यक्ति की त्वचा लाल हो सकती है लेकिन, उसमें चकत्ते नहीं होते हैं। <ref name=World11/> दूसरी स्थितियां जिनमें ऐसे समान लक्षण हो सकते हैं उनमें, खराब मछली से होने वाली भोजन की विषाक्तता (स्कॉम्ब्राइडोसिस) और कुछ परजीवियों से होने वाले संक्रमण शामिल हैं। <ref name=CEA11/>

==निवारण==
जिन कारणों से अतीत में प्रतिक्रिया हुई हो उनसे परहेज करना, एनाफाइलैक्सिस की रोकथाम का अनुशंसित तरीका है।<!-- <ref name=World11/> --> जब ऐसा संभव न हो तो, ऐसे उपचार भी हैं जिनसे शरीर का किसी एलर्जी करने वाले ज्ञात तत्व के प्रति प्रतिक्रिया करना बंद (संवेदनहीनता) किया जा सकता है। <!-- <ref name=World11/> --> मधुमक्खियों, ततैयों, लखेरियों, येलोजैकेटों और फायर एंट से होने वाली एलर्जियों के लिए हाइमेनोप्टेरा विषों के द्वारा इम्यून सिस्टम यानी प्रतिरक्षा प्रणाली का उपचार (इम्यूनोथेरेपी) प्रभावी होता है जिससे 80-90% वयस्कों और 98% बच्चों में संवेदनहीनता प्रभावी रही है। <!-- <ref name=World11/> --> दूध, अंडे, मेवे और मूंगफली सहित कुछ खाद्यों के मामले में मुंख से लिया जाने वाला प्रतिरक्षा उपचार कुछ लोगों को संवेदनहीन करने में प्रभावी हो सकता है; तथापि ऐसे उपचारों से अक्सर दुष्प्रभाव पैदा होते हैं। <!-- <ref name=World11/> --> संवेदनहीनता, कई दवाओं के लिए भी संभव है, इसके बावजूद ज्यादातर लोगों को केवल समस्या पैदा करने वाली औषधियों से परहेज करना चाहिए। <!-- <ref name=World11/> --> लैटेक्स (वनस्पतियों के दूध) से प्रतिक्रिया दिखाने वाले व्यक्तियों को ऐसे खाद्य से परहेज करना बेहतर होगा, जिनमें ऐसे तत्व शामिल हो जो उनमें प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया (परस्पर विरोधी प्रतिक्रिया वाले खाद्य) पैदा करते हैं, जिनमें अवाकाडो, केला और आलू तथा अन्य शामिल हैं। <ref name=World11/>

==प्रबंधन==
एनाफाइलैक्सिस एक प्रकार की चिकित्सीय आपात स्थिति है जिसमें श्वसन-मार्ग प्रबंधन, पूरक ऑक्सीजन, नसों के माध्यम से दिए जाने वाले तरल पदार्थों की बड़ी मात्रा और गहन निगरानी जैसे जीवन रक्षक उपायों की आवश्यकता पड़ सकती है। <ref name=Review09/> इपाइनेफ्राइन उपचार का एक विकल्प है। इपाइनेफ्राइन के अतिरिक्त अक्सर एंटीहिस्टामाइंस और स्टेरॉयड का इस्तेमाल किया जाता है।<ref name=World11/> जब व्यक्ति सामान्य स्थिति में आ जाएं तो यह सुनिश्चित करने के लिए अस्पताल में 2 से 24 घंटे तक उनकी निगरानी की जानी चाहिए कि लक्षणों की पुनरावृत्ति न हो क्योंकि, अगर व्यक्ति को बाइफेसिक एनाफाइलैक्सिस हो तो ऐसा फिर से हो सकता है ।<ref name=CEA11/><ref name=BI05/><ref name=UK08>{{cite web|url=http://www.resus.org.uk/pages/reaction.pdf |title=Emergency treatment of anaphylactic reactions – Guidelines for healthcare providers|month=January | year=2008 |accessdate=2008-04-22 |format=PDF |work= |publisher=Resuscitation Council (UK)}}</ref><ref name=Rosen2010/>

=== इपाइनेफ्राइन===
[[Image:Epipen.jpg|thumb|एपीपेन स्वचालित-सुई लगाने वाले उपकरण का एक पुराना संस्करण]]
इपाइनेफ्राइन (एड्रेनालाइन) एनाफाइलैक्सिस के लिए प्राथमिक उपचार है। इसका उपयोग (सम्पूर्ण कॉन्ट्राइंडीकेशन नहीं) न करने का कोई कारण नहीं है । <ref name=Review09/> इस बात की सिफारिश की जाती है कि जैसे ही एनाफाइलैक्सिस की संदिग्ध स्थिति की पहचान हो, मध्य अग्रपार्श्विक (एंटोरोलेटरल) जांघ में इपाइनेफ्राइन तरल का इंजेक्शन दिया जाए। <ref name=World11/> यदि व्यक्ति उपचार के प्रति बेहतर प्रतिक्रिया न दे तो इस इंजेक्शन को प्रत्येक 5 से 15 मिनट में दुहराया जाए जाता है। <ref name=World11/> 16 से 35% मामलों में दूसरी खुराक की आवश्यकता पड़ती है। <ref name=CEA11/> दो से अधिक खुराकों की आवश्यकता बहुत ही कम मामलों में पड़ती है। <ref name=World11/>  त्वचा के नीचे दिए जाने वाले इंजेक्शन (सबक्यूटेनस एडमिनिस्ट्रेशन) के मुकाबले नसों में दिए जाने वाले इंजेक्शन (अंतःपेशीय एडमिनिस्ट्रेशन) को प्राथमिकता दी जाती है जिसमें, दवा को अत्यंत धीमी गति से अवशोषित किया जा सकता है।<ref name=Epi10>{{cite journal|last=Simons|first=KJ|coauthors=Simons, FE|title=Epinephrine and its use in anaphylaxis: current issues.|journal=Current opinion in allergy and clinical immunology|date=2010 Aug|volume=10|issue=4|pages=354–61|pmid=20543673}}</ref> इपाइनेफ्राइन से होने वाली छोटी-मोटी समस्याओं में झटके, बेचैनी, सिरदर्द और धुकधुकी शामिल हैं। <ref name=World11/>

इपाइनेफ्राइन ऐसे लोगों पर प्रभावी नहीं होती है जो बी-ब्लॉकर लेते हैं। <ref name=CEA11/> इस स्थिति में, अगर इपाइनेफ्राइन प्रभावी नहीं हो तो नसों में ग्लूकागॉन दिया जा सकता है। ग्लूकागॉन में ऐसी कार्य प्रणाली है जिसमें β-अभिग्राहक (ग्राही) शामिल नहीं होते हैं। <ref name=CEA11/>

अगर आवश्यक हो तो तनु-तरल (द्रव को पतला करके) का उपयोग करके इपाइनेफ्राइन को नसों में (इंट्रावेनस) भी दिया जा सकता है। हलांकि, इंट्रावेनस इपाइनेफ्राइन को दिल की अनियमित धड़कनों (डाईस्रीथिमिया) और ह्रदयाघातों (मायोकार्डियल इंफारक्शन) से जोड़ा गया है। <ref>{{cite journal|last=Mueller|first=UR|title=Cardiovascular disease and anaphylaxis.|journal=Current opinion in allergy and clinical immunology|date=2007 Aug|volume=7|issue=4|pages=337–41|pmid=17620826}}</ref> एनाफाइलैक्सिस से पीड़ित व्यक्तियों को नसों में खुद ही इपाइनेफ्राइन इंजेक्ट करने की सुविधा प्रदान करने वाला इपाइनेफ्राइन ऑटो इंजेक्टर आम तौर पर दो तरह की खुराकों में उपलब्ध है, एक 25 &nbsp; कि.ग्रा. से अधिक वजन वाले वयस्क या बच्चों के लिए और दूसरा ऐसे बच्चों के लिए, जिनका वजन 10 से 25&nbsp; कि.ग्रा. के बीच हो। <ref>{{cite journal|last=Sicherer|first=SH|coauthors=Simons, FE, Section on Allergy and Immunology, American Academy of, Pediatrics|title=Self-injectable epinephrine for first-aid management of anaphylaxis.|journal=Pediatrics|date=2007 Mar|volume=119|issue=3|pages=638–46|pmid=17332221}}</ref>

===अनुबद्ध===
इपाइनेफ्राइन के अतिरिक्त एंटीहिस्टामाइन का उपयोग सामान्य रूप से होता है। सैद्धान्तिक तर्कों पर इनको प्रभावी माना गया था लेकिन इस बात के बहुत ही कम साक्ष्य हैं कि एनाफाइलैक्सिस के उपचार में एंटीहिस्टामाइन वास्तव में प्रभावी है। 2007 कोकरेन समीक्षा (Cochrane review) में अच्छी गुणवत्ता वाला ऐसा कोई भी अध्ययन नहीं पाया गया जिसे इसकी सिफारिश के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। <ref>{{cite journal |author=Sheikh A, Ten Broek V, Brown SG, Simons FE |title=H1-antihistamines for the treatment of anaphylaxis: Cochrane systematic review|journal=Allergy |volume=62 |issue=8 |pages=830–7 |year=2007 |month=August |pmid=17620060 |doi=10.1111/j.1398-9995.2007.01435.x |url=}}</ref> श्वसन-मार्ग में तरल निर्माण या ऐंठन पर एंटीहिस्टामाइन का कोई भी प्रभाव नहीं देखा गया है। <ref name=CEA11/> अगर व्यक्ति को वर्तमान समय में एनाफाइलैक्सिस हो तो कॉर्टिकॉस्टेरॉयडों से कोई अंतर होने की संभावना बेहद कम है। उसका उपयोग इस आशा से किया जा सकता है कि बाइफेसिक एनाफाइलैक्सिस का खतरा कम हो लेकिन भविष्य में एनाफाइलैक्सिस की रोकथाम करने में इसकी प्रभावोत्पाद्कता अनिश्चित है। <ref name=BI05>{{cite journal |author=Lieberman P |title=Biphasic anaphylactic reactions |journal=Ann. Allergy Asthma Immunol.|volume=95 |issue=3 |pages=217–26; quiz 226, 258 |year=2005 |month=September |pmid=16200811 |doi= 10.1016/S1081-1206(10)61217-3|url=}}</ref> जब श्वसनी-आकर्ष लक्षणों में इपाइनेफ्राइन राहत नहीं देता है तो सांस के माध्यम से दवा लेनेवाले उपकरण (नेबुलाइज़र) की सहायता से दिया जाने वाला साल्बुटामॉल प्रभावी हो सकता है। <ref name=CEA11/> मेथिलीन ब्लू का उपयोग ऐसे व्यक्तियों के लिए किया जाता है जो दूसरे उपायों पर प्रतिक्रिया नहीं करते हैं क्योंकि यह कोमल नसों को शिथिल कर सकता है। <ref name=CEA11/>

===तैयारी===
जिन लोगों को एनाफाइलैक्सिस का खतरा हो उन्हें “एलर्जी एक्शन प्लान” का पालन करने की सलाह दी जाती है। बच्चों की एलर्जी की समस्या के बारे में, उनके माता-पिता को इसकी जानकारी स्कूल को देनी चाहिये और यह भी बताना चाहिये कि एनाफ्लिटिक आपात स्थिति में क्या किया जाना चाहिए। <ref name=Mart08/> एक्शन प्लान में आम तौर पर इपाइनेफ्राइन ऑटो-इंजेक्टरों के इस्तेमाल, चिकित्सीय अलर्ट वाले ब्रेसलेट पहनने की सलाह और ऐसी परिस्थितियों को पैदा करने वाले प्रेरकों से परहेज के बारे में परामर्श शामिल होता है। <ref name=Mart08>{{cite journal|last=Martelli|first=A|coauthors=Ghiglioni, D, Sarratud, T, Calcinai, E, Veehof, S, Terracciano, L, Fiocchi, A|title=Anaphylaxis in the emergency department: a paediatric perspective.|journal=Current opinion in allergy and clinical immunology|date=2008 Aug|volume=8|issue=4|pages=321–9|pmid=18596589}}</ref> कुछ नियत परिस्थितियों को पैदा करने वाले प्रेरकों के लिए एलर्जी वाली प्रतिक्रिया करने वाले पदार्थ के प्रति शरीर को कम संवेदनशील बनाने संबंधी उपचार (एलर्जेन इम्यूनोथेरेपी) उपलब्ध है। इस प्रकार की थेरेपी भविष्य में होने वाली एनाफाइलैक्सिस की रोकथाम कर सकती है। उपचर्म संवेदनहीनता के लिये बहु-वर्षीय उपचार को डंक मारनेवाले कीटों के मामले में प्रभावी पाया गया जबकि कई खाद्यों के लिए मौखिक संवेदनहीनता उपचार प्रभावी है। <ref name=Review09/>


==दृष्टिकोण== 

जब कारण ज्ञात हों और व्यक्ति का तुरंत उपचार किया जाए तो इसके ठीक होने की संभावना बहुत अधिक है। <ref>{{cite book|last=Harris|first=edited by Jeffrey|title=Head and neck manifestations of systemic disease|year=2007|publisher=Informa Healthcare|location=London|isbn=9780849340505|pages=325|url=http://books.google.ca/books?id=31yUl-V90XoC&pg=PA325|coauthors=Weisman, Micheal S.}}</ref> भले ही कारणों की जानकारी नहीं हो, अगर प्रतिक्रिया को रोकने के लिए औषधि उपलब्ध हो तो व्यक्ति में आम तौर पर अच्छा सुधार होता है। <ref name=Rosen2010/> अगर मृत्यु होती है तो आम तौर पर इसके कारण श्वसन संबंधी (आम तौर पर श्वसन-मार्ग का बंद होना) या कार्डियोवैस्कुलर (शॉक) होते हैं। <ref name=CEA11/><ref name=Khan11/> एनाफाइलैक्सिस 0.7&ndash;20% मामलों में मृत्यु का कारण बनती है। <ref name=Rosen2010>{{cite book |title=Rosen's emergency medicine: concepts and clinical practice 7th edition |last=Marx |first=John |authorlink= |coauthors=|year=2010 |publisher=Mosby/Elsevier |location=Philadelphia, PA |isbn=9780323054720|page=15111528 }}</ref><ref name=Cardio08>{{cite journal|last=Triggiani|first=M|coauthors=Patella, V, Staiano, RI, Granata, F, Marone, G|title=Allergy and the cardiovascular system.|journal=Clinical and experimental immunology|date=2008 Sep|volume=153 Suppl 1|pages=7–11|pmid=18721322|url=http://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC2515352/?tool=pubmed|pmc=2515352}}</ref> कुछ मौतें महज कुछ मिनटों के भीतर हुई हैं। <ref name=World11/> जिन लोगों ने प्रेरित एनाफाइलैक्सिस का उपयोग किया होता है उनमें, अच्छे परिणाम देखे गए हैं, उनमें उनकी बढ़ती उम्र के साथ निम्न स्तरीय और कम तीव्र घटनाएं देखी गयीं हैं। <ref>{{cite book|last=editor|first=Mariana C. Castells,|title=Anaphylaxis and hypersensitivity reactions|year=2010|publisher=Humana Press|location=New York|isbn=9781603279505|pages=223|url=http://books.google.ca/books?id=bEvnfm7V-LIC&pg=PA223}}</ref>


==संभाव्यता==
मनुष्यों में तीव्रग्राहिता प्राय: तब देखी जाती है जब डिप्थीरिया, धनुस्तंभ इत्यादि का रक्तोद शरीर में सुई द्वारा प्रविष्ट किया जाता है और इससे आशंका, श्वासकष्ट, रक्तचाप में गिरावट तथा कभी कभी आक्षेप इत्यादि लक्षण प्रकट हुआ करते हैं।
एनाफाइलैक्सिस की घटना प्रति वर्ष प्रति 100,000 व्यक्तियों में 4&ndash;5 होती है जिसमें <ref name=CEA11/> आजीवन खतरा 0.5%&ndash;2% तक होता है।<ref name=World11>{{cite journal|last=Simons|first=FE|coauthors=World Allergy, Organization|title=World Allergy Organization survey on global availability of essentials for the assessment and management of anaphylaxis by allergy-immunology specialists in health care settings.|journal=Annals of allergy, asthma & immunology : official publication of the American College of Allergy, Asthma, & Immunology|date=2010 May|volume=104|issue=5|pages=405–12|pmid=20486330|url=http://www.csaci.ca/include/files/WAO_Anaphylaxis_Guidelines_2011.pdf}}</ref> इन दरों में वृद्धि देखी जा रही है। 1980 के दशक में एनाफाइलैक्सिस से ग्रस्त लोगों की संख्या प्रति वर्ष लगभग प्रति 100,000 में 20 थी जबकि, 1990 के दशक में यह प्रति वर्ष 100,000 व्यक्तियों में 50 था। <ref name=Review09>{{cite journal |author=Simons FE |title=Anaphylaxis: Recent advances in assessment and treatment |journal=J. Allergy Clin. Immunol.|volume=124 |issue=4 |pages=625–36; quiz 637–8 |year=2009 |month=October |pmid=19815109 |doi=10.1016/j.jaci.2009.08.025|url=https://secure.muhealth.org/~ed/students/articles/JAClinImmun_124_p0625.pdf}}</ref> एनाफाइलैक्सिस में वृद्धि प्राथमिक तौर पर खाद्यों के कारण देखी गई है। <ref>{{cite journal|last=Koplin|first=JJ|coauthors=Martin, PE, Allen, KJ|title=An update on epidemiology of anaphylaxis in children and adults.|journal=Current opinion in allergy and clinical immunology|date=2011 Oct|volume=11|issue=5|pages=492–6|pmid=21760501}}</ref> इसका खतरा सबसे अधिक युवा लोगों और महिलाओं के लिए है। <ref name=Review09/><ref name=CEA11/> 


वर्तमान में, एनाफाइलैक्सिस के कारण संयुक्त राज्य अमरीका में प्रति वर्ष (2.4 प्रति मिलियन) 500-1,000 मौतें, युनाईटेड किंगडम में प्रति वर्ष (0.33 मिलियन) 20 मौतें और ऑस्ट्रेलिया में प्रति वर्ष (0.64 मिलियन) 15 मौतें होती हैं। <ref name=CEA11/> 1970 के दशक से लेकर 2000 के दशक में मृत्यु दरों में कमी आई है। <ref>{{cite journal|last=Demain|first=JG|coauthors=Minaei, AA, Tracy, JM|title=Anaphylaxis and insect allergy.|journal=Current opinion in allergy and clinical immunology|date=2010 Aug|volume=10|issue=4|pages=318–22|pmid=20543675}}</ref> आस्ट्रेलिया में, खाद्य जनित एनाफाइलैक्सिस से हुई मौतें प्राथमिक रूप से महिलाओं में देखी गई जबकि, पुरुषों में इसका प्राथमिक कारण कीटों का डंक मारना था। <ref name=CEA11/> एनाफाइलैक्सिस से मृत्यु आम तौर पर औषधीय प्रतिक्रिया द्वारा होती हैं। <ref name=CEA11/>
रक्तोद संबंधी बीमारी में, जो तीव्रग्राहिता की अपेक्षा मनुष्यों में अधिक हुआ करती हैं, मुख्यत: पित्ति (urticaria), ज्वर, संधिश्लूा तथा ससिकाग्रथियों (lymph nodes) में सूजन आदि लक्षण प्रकट होते हैं। ये लक्षण रक्तोद की सूई लगाने के सात आठ दिनों के पश्चात दृष्टिगोचर होते हैं। यद्यपि रक्तोद संबंधी बीमारी एवं तीव्रग्राहिता के परस्पर संबंध का ठीक पता नहीं लग पाया है। फिर भी कुछ विद्वान रक्तोद संबंधी बीमारी को उपतीव्र (subacute) प्रकार की तीव्रग्राहिता ही मानते हैं।


==इतिहास==
==बाहरी कड़ियाँ==
चार्ल्स रिचेट ने 1902 ई. में "एफिलैक्सिस" शब्द की रचना की थी जिसे, बाद में बदलकर "एनाफाइलैक्सिस" कर दिया गया क्योंकि, यह बेहतर लगता था। <ref name=His11>{{cite journal|last=Boden|first=SR|coauthors=Wesley Burks, A|title=Anaphylaxis: a history with emphasis on food allergy.|journal=Immunological reviews|date=2011 Jul|volume=242|issue=1|pages=247–57|pmid=21682750}}</ref> उन्हें बाद में 1913 ई. में एनाफाइलैक्सिस पर उनके कार्यों के लिए चिकित्सा और शरीर-विज्ञान के नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। <ref name=Rosen2010/> हलांकि, प्राचीन समय से इस प्रतिक्रिया को देखा गया है। <ref name=His10>{{cite journal|last=Ring|first=J|coauthors=Behrendt, H, de Weck, A|title=History and classification of anaphylaxis.|journal=Chemical immunology and allergy|year=2010|volume=95|pages=1–11|pmid=20519878|url=http://media.wiley.com/product_data/excerpt/42/04708611/0470861142.pdf}}</ref> यह शब्द ग्रीक भाषा के शब्दों ἀνά तथा φύλαξις से लिया गया है जिनका अर्थ क्रमश: "विरुद्ध" और "सुरक्षा" है। <ref name=Dict>{{cite web|url=http://www.merriam-webster.com/dictionary/anaphylaxis|title=anaphylaxis |accessdate=2009-11-21|publisher=merriam-webster.com }}</ref>
* [http://www.aaaai.org/patients/publicedmat/tips/whatisanaphylaxis.stm Anaphylaxis information] from the American Academy of Allergy and Immunology
* [http://www.uptodate.com/patients/content/topic.do?topicKey=~u55pia.nJGQ/Gs Patient information: Anaphylaxis] from [[UpToDate]]
* [http://www.resus.org.uk/pages/reaction.pdf Emergency treatment of anaphylactic reactions] - Resuscitation Council (UK)
* [http://www.redcross.org.uk/What-we-do/First-aid/First-aid-tips-and-videos/Anaphylactic-shock First aid for anaphylactic shock] from the British Red Cross


==अनुसंधान==
[[श्रेणी:चिकित्सकीय आपात्काल]]
एनाफ्लैसिस के उपचार के लिए जिह्वा के नीचे लगाए जा सकने वाले (सबलिंगुअल इपाइनेफ्राइन) इपाइनेफ्राइन को विकसित करने के लिए अविरत प्रयास जारी हैं। <ref name=CEA11/> इसके पुन: होने की घटना को रोकने के लिए IgE-रोधी (anti-Ige) प्रतिकारक ओमालीज़ुमाब को त्वचा के नीचे इंजेक्शन द्वारा दिए जाने का अध्ययन किया जा रहा है लेकिन, यह अभी तक अनुशंसित नहीं है। <ref name=World11/><ref>{{cite journal|last=Vichyanond|first=P|title=Omalizumab in allergic diseases, a recent review.|journal=Asian Pacific journal of allergy and immunology / launched by the Allergy and Immunology Society of Thailand|date=2011 Sep|volume=29|issue=3|pages=209–19|pmid=22053590}}</ref>


==संदर्भ==
[[ar:تأق]]
{{Reflist|colwidth=30em}}
[[az:Anafilaktik şok]]
[[be:Анафілактычны шок]]
[[bg:Анафилактичен шок]]
[[ca:Anafilaxi]]
[[cs:Anafylaktický šok]]
[[cy:Anaffylacsis]]
[[da:Anafylaktisk shock]]
[[de:Anaphylaxie]]
[[el:Αναφυλαξία]]
[[en:Anaphylaxis]]
[[es:Anafilaxia]]
[[eu:Anafilaxi]]
[[fa:آنافیلاکسی]]
[[fi:Anafylaksia]]
[[fr:Choc anaphylactique]]
[[he:אנפילקסיס]]
[[id:Shock anaphilaktik]]
[[it:Anafilassi]]
[[ja:アナフィラキシー]]
[[ka:ანაფილაქსია]]
[[kk:Анафилаксия]]
[[ko:과민성 쇼크]]
[[ky:Анафилакция]]
[[lt:Anafilaksinis šokas]]
[[new:एनाफाइल्याक्सिस]]
[[nl:Anafylaxie]]
[[nn:Anafylaksi]]
[[no:Anafylaksi]]
[[pl:Anafilaksja]]
[[pt:Anafilaxia]]
[[ro:Anafilaxie]]
[[ru:Анафилактический шок]]
[[simple:Anaphylaxis]]
[[sk:Anafylaxia]]
[[sl:Anafilaktični šok]]
[[sr:Анафилактични шок]]
[[sv:Anafylaxi]]
[[th:แอนาฟิแล็กซิส]]
[[tr:Anafilaksi]]
[[uk:Анафілаксія]]
[[zh:全身型過敏性反應]]

22:42, 5 जुलाई 2012 का अवतरण

{{Infobox disease  | Name            = Anaphylaxis   | Image           = Angioedema2010.JPG   | Caption         = Angioedema of the face such that the boy is unable to open his eyes. This reaction was due to an allergen exposure.  | DiseasesDB      = 29153  | ICD10           = T78.2  | ICD9            = 995.0  | ICDO            =  | OMIM            =  | MedlinePlus     = 000844  | eMedicineSubj   = med  | eMedicineTopic  = 128  | MeshID          = D000707 }}

एनाफाइलैक्सिस (तीव्रग्राहिता) एक गम्भीर एलर्जी (प्रत्यूर्जता) रिऐक्शन है जो अचानक आरम्भ होती है और इसके कारण मृत्यु हो सकती है। [1] एनाफाइलैक्सिस में विशेष रूप से अनेक लक्षण होते हैं जिनमें खुजलीयुक्त त्वचा विस्फोट, गले की सूजन और निम्न रक्तचाप शामिल हैं। इसके साधारण कारणों में कीटों द्वारा काटना, भोजन और दवाएँ शामिल हैं।

एनाफाइलैक्सिस का कारण विभिन्न प्रकार की श्‍वेत रक्त कणिकाओं द्वारा प्रोटीनों का स्राव करना है। ये प्रोटीन ऐसे पदार्थ हैं जो एलर्जीयुक्त रिऐक्शन को आरम्भ कर सकते हैं या रिऐक्शन को अधिक गम्भीर बना सकते हैं। उनका स्राव प्रतिरक्षण प्रणाली रिऐक्शन या अन्य किसी कारण से हो सकता है जो प्रतिरक्षा प्रणाली से संबंधित न हो। एनाफाइलैक्सिस का निदान व्यक्ति के लक्षणों और संकेतों के आधार पर किया जाता है। इसका प्राथमिक उपचार एपाइनफराइन का इंजेक्शन है जो कभी- कभी अन्य दवाओं के साथ दिया जाता है।

पूरे विश्‍व में लगभग 0.05 -2% लोगों को अपने जीवन में कभी ना कभी एनाफाइलैक्सिस होता है। इसकी दर में वृद्धि होती दिखाई दे रही है। इस शब्द की उत्पति ग्रीक शब्दों ἀνά एना, प्रतिकूल, और φύλαξις फाइलैक्सिस, सुरक्षासे हुई है।

संकेत और लक्षण

एनाफाइलैक्सिस के संकेत और लक्षण।

एनाफाइलैक्सिस में अनेक प्रकार के लक्षण मिनटों या घंटों में उत्पन्न होते हैं। [2][3] यदि इसका कारण ऐसा पदार्थ है जो शरीर में सीधे रक्त प्रवाह में प्रवेश करता है (अन्त:शिरा) तो इसके लक्षण औसतन 5 से 30 मिनटों में ही दिखाई देने लगते हैं   यदि इसका कारण वह भोजन है जो व्यक्ति ने खाया है तो इसका औसत समय 2 घंटे होता है। [4] इससे प्रभावित होने वाले अति सामान्य अंग हैं : त्वचा (80–90%), फेफड़े और श्‍वसन मार्ग(70%), पेट और आँतें(30–45%), हृदय और रक्त वाहिनियाँ (10–45%), और केन्द्रीय तंत्रिका प्रणाली(10–15%)[3] इनमें से दो या अधिक प्रणालियां शामिल होती हैं।[5]

त्वचा

एनाफाइलैक्सिस से पीड़ित व्यक्ति में पित्ती और कमर का लाल हो जाना

इसके लक्षणों में विशेष रूप से त्वचा पर उठे हुए उभार (पित्ती), बैचेनी, लाल चेहरा या त्वचा (लाल हो जाना), या सूजनयुक्त होंठ शामिल हैं।[6] उन व्यक्तियों को जिन्हें, त्वचा के नीचे सूजन(एन्जियोइडीमा)होती है वे उनकी त्वचा के नीचे खुजली की बजाय जलन महसूस कर सकते हैं। [4] 2% मामलों में जीभ या गले में सूजन हो सकती है। [7] इसके अन्य लक्षणों में नाक का बहना या नेत्र की सतह और पलक पर श्‍लेष्म झिल्ली की सूजन (कन्जन्कटाइवा)हो सकते हैं। [8] ऑक्सीजन की कमी के कारण त्वचा का रंग नीला (साइनोसिस) हो सकता है।[8]

श्‍वसन

श्‍वसन संकेतों और लक्षणों में साँस की छोटी अवधि, श्‍वसन में निम्न तीव्रता की कठिनाई (व्हीजीस) या अधिक तीव्रता की श्‍वसन कठिनाई (स्ट्राइडर) शामिल हैं।[6] श्‍वसन में निम्न तीव्रता की कठिनाई विशिष्‍ट रूप से श्‍वसनमार्ग (ब्रोंकिआल पेशियों) में पेशियों के अतिसंकुचन के कारण होती है।[9] अधिक तीव्रता की श्‍वसन कठिनाई ऊपरी वायुमार्ग में सूजन के कारण होती है जो श्‍वसन मार्ग को संकुचित कर देती है।[8] आवाज में कर्कशता, निगलने के साथ पीड़ा या कफ उत्पन्न हो सकता है।[4]

हृदय

हृदय में स्थित अनेक केशिकाओं से हिस्टामाइन का स्राव होने के कारण हृदय की रक्त वाहिकाओं में अचानक संकुचन (हृदय महाधमनी) में संकुचन हो सकता है। [9] यह हृदय तक रक्त प्रवाह को बाधित कर सकता है जिसके कारण हृदय कोशिकाएँ समाप्त (मायोकार्डियल इनफ्रेक्शन) हो सकती हैं या हृदय की धड़कन बहुत धीमी या बहुत तेज (कार्डिक डिसरिदमिया) हो सकती है, अथवा हृदय की धड़कन अचानक बंद (हृदय आघात) हो सकती है।.[3][5] वह व्यक्ति जिन्हें पहले ही हृदय रोग हैं वे एनाफाइलैक्सिस के हृदय पर पड़ने वाले प्रभावों के उच्च जोखिम में हैं। [9] निम्न रक्तचाप के कारण हृदय की गति तेज होना बहुत सामान्य है,[8] एनाफाइलैक्सिस से पीड़ि‍त 10% व्यक्तियों को निम्न रक्तचाप के साथ हृदय धड़कन की गति में कमी (ब्रैडीकार्डिया) हो सकती है।(हृदयगति की निम्न दर और निम्न रक्तचाप को बेजोल्ड-जैरिस्क रिफ्लैक्स के रूप में जाना जाता है)[10] व्यक्ति रक्तदाब में कमी के कारण सिर का हल्कापन या हल्की बेहोशी अनुभव कर सकता है। इस रक्तदाब का कारण रक्त शिराओं का चौड़ा होना (डिस्ट्रीब्यूटीव शॉक) या हृदय के निलयों के समाप्त होने (कार्डियोजेनिक शॉक) के कारण हो सकता है। [9] बहुत ही दुर्लभ मामलों में निम्न रक्तदाब एनाफाइलैक्सिस का संकेत हो सकता है।[7]

अन्य

पेट और आँत्र के लक्षणों में ऐंठनयुक्त उदर पीड़ा, डायरिया या वमन (उल्टी) हो सकते हैं।[6] व्यक्ति के विचार भ्रामक हो सकते हैं, अपने पित्त पर नियन्त्रण खो सकते हैं और श्रोणी (पेल्विस) में पीड़ा हो सकती है जो गर्भाशय की ऐंठन के समान अनुभव हो सकती है। [6][8] मस्तिष्‍क के चारों तरफ रक्त वाहिकाओं का चौड़ा होना सिरदर्द का कारण हो सकता है। [4] व्यक्ति व्याकुल अनुभव कर सकते हैं और यह कल्पना कर सकते हैं कि वे मरने जा रहे हैं।[5]

कारण

एनाफाइलैक्सिस लगभग किसी भी बाहरी पदार्थ के प्रति शरीर शरीर द्वारा रिऐक्शन के कारण हो सकता है। [11] इसके सामान्य प्रेरकों में कीटों द्वारा काटने या दंश के कारण जहर, भोजन और दवाएँ शामिल हैं।[10][12] बच्चों और युवा वयस्कों में भोजन इसका अति सामान्य प्रेरक है। बुजुर्ग वयस्कों में दवाईयां और कीटों द्वारा काटना और दंश अति सामान्य प्रेरक हैं। [5] कम सामान्य कारणों में शारीरिक तत्व, जैविक कारक (जैसे वीर्य), लैटेक्स, हार्मोनों में बदलाव, भोजन में मिलाए जाने वाले तत्व (जैसे मोनोसोडियम ग्लूटामेट और भोजन के रंग) और त्वचा पर लगाई जाने वाली दवाईयाँ (सीमित दवाएं) शामिल हैं। [8] व्यायाम या तापमान (गर्म या ठण्‍डा) भी विभिन्न ऊतक कोशिकाओं (मास्ट कोशिकाओं) को रसायनों स्रावित करने के माध्‍यम से जो ऐलर्जिक रिऐक्शन को शुरू करते हैं और एनाफाइलैक्सिस को प्रेरित कर सकते हैं। [5][13] व्यायाम से जुड़ा हुआ एनाफाइलैक्सिस प्राय: विभिन्न प्रकार के भोजन खाने से भी संबंधित होता है।[4] यदि एनाफाइलैक्सिस उस समय उत्पन्न होता जब व्यक्ति ऐनेस्थीसिया ग्रहण कर रहा है तो इसके अति सामान्य कारणों में विभिन्न प्रकार की दवाएं हैं जो पक्षाघात उत्पन्न करने के लिए (तंत्रिकापेशी अवरोधक एजेन्ट) दी जाने वाली दवाएँ, एंटीबॉयोटिक्स और लैटेक्स शामिल हैं। [14]  32-50% मामलों में कारण ज्ञात नहीं होता है (इडीयोपैथिक एनाफाइलैक्सिस).[15]

भोजन

अनेक तरह के भोजन एनाफाइलैक्सिस को प्रेरित करते हैं, चाहे भोजन का सेवन पहली बार ही किया गया है।[10] पश्चिमी संस्कृति में मूँगफली, गेहूँ, ट्री-नट, शैलफिश, मछली, अण्‍डों का सेवन या इनके सम्पर्क में आना अति सामान्य कारण हैं।[3][5] मध्‍य-पूर्व में सी-सेम इसका एक सामान्य प्रेरक है। एशिया में चावल और चिकपीज प्राय: एनाफाइलैक्सिस के कारण होते हैं।[5] गंभीर मामले प्राय: भोजन के सेवन के कारण होते हैं,[10] परन्तु कुछ लोगों में तीव्र रिऐक्शन हो सकता है यदि इसके लिए प्रेरित करने वाला भोजन शरीर के किसी अंग के संपर्क में आ जाता है। बच्चे अपनी एलर्जी से निपट सकते हैं। 16 वर्ष की आयु तक दूध और अण्‍डों के कारण एनाफाइलैक्सिस से पी‍ड़ि‍त 80% बच्चे और मूंगफली के कारण एनाफाइलैक्सिस के एकल मामले से पी‍ड़ि‍त 20% बच्चे, इन भोजनों को बगैर समस्या के कारण ग्रहण कर सकते हैं।[11]

दवाईयाँ

किसी भी दवाई के कारण एनाफाइलैक्सिस हो सकता है। इनमें β-लैक्टम एन्टीबॉयोटिक्स (जैसे पेंसिलिन) के बाद एस्प्रिन और एनएसएआईडी हैं।[3][16] यदि किसी व्यक्ति को एक एनएसएआईडी से एलर्जी है तो वह सामान्यत एनाफाइलैक्सिस को प्रेरित किए बगैर किसी दूसरी का प्रयोग कर सकता है।[16] एनाफाइलैक्सिस के अन्य कारणों में कीमोथैरेपी, वैक्सीन, प्रोटामाइन (वीर्य में उपस्थित) और जड़ी-बूटियों से निर्मित औषधियाँ शामिल हैं[5][16] कुछ दवाईयाँ जिनमें वेन्कोमा सिन, मार्फिन और एक्स-रे प्रतिबिम्ब उन्नत करने के लिए दी जाने वाली दवाईयाँ (रेडियोकन्ट्रॉस्ट एजेन्ट) शामिल हैं जो ऊतकों में विभिन्न कोशिकाओं को नष्‍ट करके उनसे हिस्टामाइन (मास्ट कोशिका खुरदरापन) स्राव का कारण बनते हैं जिसके कारण एनाफाइलैक्सिस होता है। [10]

किसी दवा के प्रति रिऐक्शन करने की आवृति आंशिक रूप से इस बात पर निर्भर करती है कि वह दवा उस व्यक्ति को कितनी बार दी जाती है और आंशिक रूप से शरीर के अन्दर दवा के कैसे कार्य करती है।[17] पेन्सिलिन या सेफालॉसपोरिन से एनाफाइलैक्सिस केवल तभी उत्पन्न हो सकता है जब वे शरीर के अन्दर प्रोटीनों से संयोजन करते हैं और इनमें से कुछ दूसरों की तुलना में बहुत आसानी से संयोजन करते हैं।[4] पेन्सिलिन के कारण एनाफाइलैक्सिस 2000 से 10,000 लोगों में से एक में उत्पन्न होता है जिनका उपचार किया गया है। उपचार किए गये 50,000 लोगों में से एक की मृत्यु होती है।[4] एस्प्रिन और एनएसएडीआई के कारण एनाफाइलैक्सिस लगभग 50,000 व्यक्तियों में से एक व्यक्ति में होता है।[4] यदि किसी व्यक्ति को पेन्सिलिन के कारण रिऐक्शन होती है है तो उसे सेफालोस्पोरिन के कारण रिऐक्शन का जोखिम अधिक होता है परंतु यह जोखिम 1000 व्यक्तियों में एक से भी कम होता है। [4] पुरानी दवाईयाँ जिनका उपयोग एक्स-रे प्रतिबिम्ब (रेडियोकान्ट्रास्ट एजेन्ट) उन्नत करने के लिए किया गया है उनके कारण 1% मामलों में रिऐक्शन होती है। नयी, कम ओस्मोलर रेडियोकन्ट्रास्ट एजेन्टों के कारण 0.04% मामलों में रिऐक्शन होती है। [17]

विष

कीटों जैसे मधुमक्खियां और ततैया /बर्र (हाइमेनाप्टेरा) या किसिंग बग (ट्राईएटोमाइन) के दंश या काटने से विष के कारण एनाफाइलैक्सिस हो सकता है। [3][18] यदि किसी व्यक्ति को पहले कभी विष के कारण रिऐक्शन हुआ है और इसका असर मात्र दंश/काटे जाने के स्थान से अधिक विस्तृत रहा है तो उसे भविष्‍य में एनाफाइलैक्सिस का अधिक जोखिम होता है। [19][20] परंतु एनाफाइलैक्सिस के कारण मरने वाले आधे से अधिक व्यक्तियों में पहले व्यापक (दैहिक) रिऐक्शन नहीं हुई है। [21]

जोखिम कारक

एटोपिक रोगों जैसे अस्थमा, एकजिमा, या एलेर्जिक नासाशोथ से पीड़ि‍त व्यक्तियों में भोजन, लैटेक्स और रेडियोकन्ट्रास्ट एजेन्टों के कारण एनाफाइलैक्सिस होने का उच्च जोखिम होता है। इन लोगों को इंजेक्शन से दी जाने वाली दवाओं या दंश के कारण अधिक जोखिम नहीं होता है। [5][10] एनाफाइलैक्सिस से पीड़ि‍त बच्चों के एक अध्‍ययन से ज्ञात हुआ कि 60% बच्चों में पहले एटोपिक रोगों का इतिहास रहा है। एनाफाइलैक्सिस के कारण मरने वाले 90% बच्चे अस्थमा से पीड़ि‍त थे। [10] वह व्यक्ति जिन्हें ऊतकों में बहुत अधिक मास्ट कोशिकाओं के कारण विकार(मस्टोसाइटोसिस) हैं या जो इनसे समृद्ध हैं इसके अधिक जोखिम वाले क्षेत्र में हैं। [5][10] वह एजेन्ट जिसके कारण एनाफाइलैक्सिस हुआ है उस तक पहुंच जितनी पुरानी हो जायेगी, नए रिऐक्शन का जोखिम उतना ही कम होता जाता है।[4]

क्रियातन्त्र

एनाफाइलैक्सिस एक गंभीर एलेर्जिक रिऐक्शन है जो अचानक आरम्भ होता है और यह शरीर की अनेक प्रणालियों को प्रभावित करता है।[1][22] यह दाहक कारकों और मास्ट कोशिकाओं तथा बैसाफिल्स से साइटोकाइन के स्राव के कारण होता है। उनका स्राव विशेषकर प्रतिरक्षण प्रणाली रिऐक्शन के कारण होता है परन्तु इन कोशिकाओं के क्षतिग्रस्त होने के कारण हो सकता है जो प्रतिरक्षा प्रणाली से संबंधित नहीं हैं।[22]

प्रतिरक्षी

एनाफाइलैक्सिस जब प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के कारण होता है, इम्यूनोग्लोबिन E (IgE) बाहरी पदार्थ से संयोजन करता है जो ऐलर्जिक रिऐक्शन (एंटीजन) आरम्भ करता है। IgE का संयोजन मास्ट कोशिकाओं और बैसोफिल्स पर ग्राह्यी FcεRI प्रतिरक्षी सक्रियता से जुड़ा होता है। मास्ट कोशिकाएँ और बैसोफिल दाहक कारकों जैसे हिस्टामाइन के स्राव करने के द्वारा प्रतिक्रिया करते हैं। ये कारक ब्रोंकिओली की कोमल पेशियों में संकुचन पैदा करते हैं, रक्तवाहिनियों को चौड़ा (वैसोडाइलेशन) कर देते हैं, रक्त वाहिकाओं से द्रव के स्राव को बढ़ा देते हैं और हृदय पेशियों की क्रिया को कम कर देते हैं। [4][22] एक प्रतिरक्षी तन्त्र भी होता है जो IgE पर निर्भर नहीं होता है,परन्तु यह ज्ञात नहीं है कि क्या यह मनुष्‍यों में भी उत्पन्न होता है। [22]

गैर- प्रतिरक्षी

एनाफाइलैक्सिस जब प्रतिरक्षी प्रणाली की प्रतिक्रिया के कारण नहीं होता है, तो रिऐक्शन का कारण वह एजेन्ट होता है जो सीधे मास्ट कोशिकाओं और बैसोफिल को नष्‍ट कर देता है, जिसके कारण हिस्टामिन और अन्य पदार्थों का स्राव होता है जो प्राय: ऐलर्जिक रिऐक्शन से जुड़े होते हैं(डिग्रेन्युलेशन)। वह कारक जो इन कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त कर सकते हैं उनमें शामिल हैं एक्स-रे के लिए कन्ट्रास्ट कारक, ओपिओडिस, तापमान (गर्म या ठण्‍डा), और कम्पन। [13][22]

रोग की पहचान

एनाफाइलैक्सिस (तीव्रग्राहिता) रोग की पहचान नैदानिक तथ्यों के आधार पर की जाती है। <refname=World11/> जब किसी एलर्जी पैदा करने वाले तत्व के संपर्क में आने के कुछ मिनटों/घंटों के भीतर निम्नलिखित तीन स्थितियों में से कोई भी एक होती है तो इस बात की संभावना बहुत अधिक है कि व्यक्ति को एनाफाइलैक्सिस है:[5]

  1.  त्वचा या म्यूकोसल (श्लेष्म) ऊतक की सहभागिता के साथ या तो श्वसन संबंधी परेशानी या फिर निम्न रक्तचाप हो
  2.  निम्नलिखित दो या उससे अधिक लक्षण:-
     ए. त्वचा या म्यूकोसा की सहभागिता
     बी. श्वसन संबंधी परेशानियां
     सी. निम्न रक्तचाप
     डी. गैस्ट्रोइन्टेसटाइनल(जठरांत्रिय) लक्षण
  3.  एलर्जी पैदा करने वाले किसी ज्ञात तत्व के संपर्क में आने के बाद निम्न रक्तचाप

अगर कीट के डंक मारने या दवा से किसी व्यक्ति पर विषैली प्रतिक्रिया होती है तो एनाफाइलैक्सिस रोग की पहचान करने में ट्रिप्टेस या हिस्टामाइन (मस्तूल कोशिकाओं से निकलने वाली अमीन) के लिए खून की जांच करना उपयोगी हो सकता है। हलांकि, अगर यह खाद्य के कारण हो या व्यक्ति का रक्तचाप सामान्य हो तो ये जांच बहुत अधिक उपयोगी नहीं होती हैं [5] और वे एनाफाइलैक्सिस रोग की पहचान की संभावना को नकार नहीं सकतीं। [11]

वर्गीकरण

एनाफाइलैक्सिस की तीन प्रमुख विशेषताएं होती हैं। एनाफ्लैक्टिक आघात तब होता है जब पूरे शरीर के ज्यादातर हिस्सों (प्रणालीगत वैसोडाइलेशन) में रक्त वाहिकाएं चौड़ी हो जाती है जिस कारण से रक्तचाप निम्न हो जाता है जो व्यक्ति के सामान्य रक्तचाप से कम-से-कम 30% कम या मानक मान से 30% कम होता है। [7] बा फेसिक एनाफाइलैक्सिस की पहचान तब होती है जब इसके लक्षण 1-72 घंटों के भीतर फिर से दिखने लगें, भले ही व्यक्ति एलर्जी करने वाले तत्वों के साथ नए संपर्क में न आया हो, जिनके कारण पहली बार प्रतिक्रिया हुई थी। [5] कुछ अध्ययन दावा करते हैं कि एनाफाइलैक्सिस के कुल मामलों में 20% मामले बाइफेसिक होते हैं। [23] लक्षणों की वापसी आम तौर पर 8 घंटों के भीतर होती है। [10] दूसरी प्रतिक्रिया का उपचार भी मूल एनाफाइलैक्सिस की तरह ही होता है। [3] सूडो-एनाफिलाक्सिस या एनाफिलैक्टॉयड प्रतिक्रियाएं उस एनाफाइलैक्सिस के पुराने नाम हैं जो एलर्जी वाली प्रतिक्रिया के कारण नहीं बल्कि मस्तूल कोशिकाओं(मस्तूल कोशिका डिग्रैनुलेशन) पर सीधी चोट के कारण होता है। [10][24]  वर्ल्ड एलर्जी ऑर्गेनाइजेशन द्वारा उपयोग किया जाने वाला वर्तनाम नाम “नॉन-इम्यून एनाफाइलैक्सिस” है। [24] कुछ लोग इस बात कि सिफारिश करते हैं कि पुराने नाम का उपयोग अब नहीं किया जाना चाहिए। [10]

एलर्जी जांच

Skin allergy testing being carried out on the right arm

एलर्जी जांच इस बात का निर्धारण करने में सहायक हो सकती है कि व्यक्ति को एनाफाइलैक्सिस होने का कारण क्या है। त्वचा एलर्जी जांच [जैसे धब्बों (पैच) की जांच] कुछ निश्चित खाद्यों और जीव-विषों (वेनम) के लिए उपलब्ध है। [11] दूध, अंडे, मूंगफली, मेवे और मछली से संबंधित एलर्जी की पुष्टि के लिए विशिष्ट रोग प्रतिकारकों के लिए की जाने वाली रक्त जांच उपयोगी हो सकती है। [11] त्वचा की जांचों से पेनसिलिन एलर्जियों की पुष्टि हो सकती हैं लेकिन, अन्य औषधियों के लिए त्वचा संबंधी कोई जांच नहीं है। [11] एनाफाइलैक्सिस के नॉन-इम्यून रूपों की पहचान केवल व्यक्ति के इतिहास की जांच-पड़ताल या व्यक्ति को एलर्जी पैदा करने वाले ऐसे तत्वों के संपर्क में लाकर हो सकती है जिनसे उसको अतीत में प्रतिक्रिया हुई हो। नॉन-इम्यून एनाफाइलैक्सिस के लिए त्वचा या रक्त संबंधी कोई जांच नहीं है। [24] 

विभेदक रोग-पहचान

कभी-कभी अस्थमा, ऑक्सीजन की कमी से मूर्च्छित होने के कारण और आकस्मिक भय से एनाफाइलैक्सिस को अलग से पहचान पाना कठिन हो जाता है। [5] अस्थमा से पीड़ित लोगों में आम तौर पर खुजली या पेट अथवा आंत संबंधी लक्षण नहीं होते हैं। जब कोई व्यक्ति मूर्च्छित होता है तो त्वचा पीली पड़ जाती है लेकिन, उसमें ददोरे नहीं होते हैं। आकस्मिक भय से ग्रस्त व्यक्ति की त्वचा लाल हो सकती है लेकिन, उसमें चकत्ते नहीं होते हैं। [5] दूसरी स्थितियां जिनमें ऐसे समान लक्षण हो सकते हैं उनमें, खराब मछली से होने वाली भोजन की विषाक्तता (स्कॉम्ब्राइडोसिस) और कुछ परजीवियों से होने वाले संक्रमण शामिल हैं। [10]

निवारण

जिन कारणों से अतीत में प्रतिक्रिया हुई हो उनसे परहेज करना, एनाफाइलैक्सिस की रोकथाम का अनुशंसित तरीका है। जब ऐसा संभव न हो तो, ऐसे उपचार भी हैं जिनसे शरीर का किसी एलर्जी करने वाले ज्ञात तत्व के प्रति प्रतिक्रिया करना बंद (संवेदनहीनता) किया जा सकता है। मधुमक्खियों, ततैयों, लखेरियों, येलोजैकेटों और फायर एंट से होने वाली एलर्जियों के लिए हाइमेनोप्टेरा विषों के द्वारा इम्यून सिस्टम यानी प्रतिरक्षा प्रणाली का उपचार (इम्यूनोथेरेपी) प्रभावी होता है जिससे 80-90% वयस्कों और 98% बच्चों में संवेदनहीनता प्रभावी रही है।  दूध, अंडे, मेवे और मूंगफली सहित कुछ खाद्यों के मामले में मुंख से लिया जाने वाला प्रतिरक्षा उपचार कुछ लोगों को संवेदनहीन करने में प्रभावी हो सकता है; तथापि ऐसे उपचारों से अक्सर दुष्प्रभाव पैदा होते हैं।  संवेदनहीनता, कई दवाओं के लिए भी संभव है, इसके बावजूद ज्यादातर लोगों को केवल समस्या पैदा करने वाली औषधियों से परहेज करना चाहिए।  लैटेक्स (वनस्पतियों के दूध) से प्रतिक्रिया दिखाने वाले व्यक्तियों को ऐसे खाद्य से परहेज करना बेहतर होगा, जिनमें ऐसे तत्व शामिल हो जो उनमें प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया (परस्पर विरोधी प्रतिक्रिया वाले खाद्य) पैदा करते हैं, जिनमें अवाकाडो, केला और आलू तथा अन्य शामिल हैं। [5]

प्रबंधन

एनाफाइलैक्सिस एक प्रकार की चिकित्सीय आपात स्थिति है जिसमें श्वसन-मार्ग प्रबंधन, पूरक ऑक्सीजन, नसों के माध्यम से दिए जाने वाले तरल पदार्थों की बड़ी मात्रा और गहन निगरानी जैसे जीवन रक्षक उपायों की आवश्यकता पड़ सकती है। [3] इपाइनेफ्राइन उपचार का एक विकल्प है। इपाइनेफ्राइन के अतिरिक्त अक्सर एंटीहिस्टामाइंस और स्टेरॉयड का इस्तेमाल किया जाता है।[5] जब व्यक्ति सामान्य स्थिति में आ जाएं तो यह सुनिश्चित करने के लिए अस्पताल में 2 से 24 घंटे तक उनकी निगरानी की जानी चाहिए कि लक्षणों की पुनरावृत्ति न हो क्योंकि, अगर व्यक्ति को बाइफेसिक एनाफाइलैक्सिस हो तो ऐसा फिर से हो सकता है ।[10][23][25][4]

इपाइनेफ्राइन

एपीपेन स्वचालित-सुई लगाने वाले उपकरण का एक पुराना संस्करण

इपाइनेफ्राइन (एड्रेनालाइन) एनाफाइलैक्सिस के लिए प्राथमिक उपचार है। इसका उपयोग (सम्पूर्ण कॉन्ट्राइंडीकेशन नहीं) न करने का कोई कारण नहीं है । [3] इस बात की सिफारिश की जाती है कि जैसे ही एनाफाइलैक्सिस की संदिग्ध स्थिति की पहचान हो, मध्य अग्रपार्श्विक (एंटोरोलेटरल) जांघ में इपाइनेफ्राइन तरल का इंजेक्शन दिया जाए। [5] यदि व्यक्ति उपचार के प्रति बेहतर प्रतिक्रिया न दे तो इस इंजेक्शन को प्रत्येक 5 से 15 मिनट में दुहराया जाए जाता है। [5] 16 से 35% मामलों में दूसरी खुराक की आवश्यकता पड़ती है। [10] दो से अधिक खुराकों की आवश्यकता बहुत ही कम मामलों में पड़ती है। [5]  त्वचा के नीचे दिए जाने वाले इंजेक्शन (सबक्यूटेनस एडमिनिस्ट्रेशन) के मुकाबले नसों में दिए जाने वाले इंजेक्शन (अंतःपेशीय एडमिनिस्ट्रेशन) को प्राथमिकता दी जाती है जिसमें, दवा को अत्यंत धीमी गति से अवशोषित किया जा सकता है।[26] इपाइनेफ्राइन से होने वाली छोटी-मोटी समस्याओं में झटके, बेचैनी, सिरदर्द और धुकधुकी शामिल हैं। [5]

इपाइनेफ्राइन ऐसे लोगों पर प्रभावी नहीं होती है जो बी-ब्लॉकर लेते हैं। [10] इस स्थिति में, अगर इपाइनेफ्राइन प्रभावी नहीं हो तो नसों में ग्लूकागॉन दिया जा सकता है। ग्लूकागॉन में ऐसी कार्य प्रणाली है जिसमें β-अभिग्राहक (ग्राही) शामिल नहीं होते हैं। [10]

अगर आवश्यक हो तो तनु-तरल (द्रव को पतला करके) का उपयोग करके इपाइनेफ्राइन को नसों में (इंट्रावेनस) भी दिया जा सकता है। हलांकि, इंट्रावेनस इपाइनेफ्राइन को दिल की अनियमित धड़कनों (डाईस्रीथिमिया) और ह्रदयाघातों (मायोकार्डियल इंफारक्शन) से जोड़ा गया है। [27] एनाफाइलैक्सिस से पीड़ित व्यक्तियों को नसों में खुद ही इपाइनेफ्राइन इंजेक्ट करने की सुविधा प्रदान करने वाला इपाइनेफ्राइन ऑटो इंजेक्टर आम तौर पर दो तरह की खुराकों में उपलब्ध है, एक 25   कि.ग्रा. से अधिक वजन वाले वयस्क या बच्चों के लिए और दूसरा ऐसे बच्चों के लिए, जिनका वजन 10 से 25  कि.ग्रा. के बीच हो। [28]

अनुबद्ध

इपाइनेफ्राइन के अतिरिक्त एंटीहिस्टामाइन का उपयोग सामान्य रूप से होता है। सैद्धान्तिक तर्कों पर इनको प्रभावी माना गया था लेकिन इस बात के बहुत ही कम साक्ष्य हैं कि एनाफाइलैक्सिस के उपचार में एंटीहिस्टामाइन वास्तव में प्रभावी है। 2007 कोकरेन समीक्षा (Cochrane review) में अच्छी गुणवत्ता वाला ऐसा कोई भी अध्ययन नहीं पाया गया जिसे इसकी सिफारिश के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। [29] श्वसन-मार्ग में तरल निर्माण या ऐंठन पर एंटीहिस्टामाइन का कोई भी प्रभाव नहीं देखा गया है। [10] अगर व्यक्ति को वर्तमान समय में एनाफाइलैक्सिस हो तो कॉर्टिकॉस्टेरॉयडों से कोई अंतर होने की संभावना बेहद कम है। उसका उपयोग इस आशा से किया जा सकता है कि बाइफेसिक एनाफाइलैक्सिस का खतरा कम हो लेकिन भविष्य में एनाफाइलैक्सिस की रोकथाम करने में इसकी प्रभावोत्पाद्कता अनिश्चित है। [23] जब श्वसनी-आकर्ष लक्षणों में इपाइनेफ्राइन राहत नहीं देता है तो सांस के माध्यम से दवा लेनेवाले उपकरण (नेबुलाइज़र) की सहायता से दिया जाने वाला साल्बुटामॉल प्रभावी हो सकता है। [10] मेथिलीन ब्लू का उपयोग ऐसे व्यक्तियों के लिए किया जाता है जो दूसरे उपायों पर प्रतिक्रिया नहीं करते हैं क्योंकि यह कोमल नसों को शिथिल कर सकता है। [10]

तैयारी

जिन लोगों को एनाफाइलैक्सिस का खतरा हो उन्हें “एलर्जी एक्शन प्लान” का पालन करने की सलाह दी जाती है। बच्चों की एलर्जी की समस्या के बारे में, उनके माता-पिता को इसकी जानकारी स्कूल को देनी चाहिये और यह भी बताना चाहिये कि एनाफ्लिटिक आपात स्थिति में क्या किया जाना चाहिए। [30] एक्शन प्लान में आम तौर पर इपाइनेफ्राइन ऑटो-इंजेक्टरों के इस्तेमाल, चिकित्सीय अलर्ट वाले ब्रेसलेट पहनने की सलाह और ऐसी परिस्थितियों को पैदा करने वाले प्रेरकों से परहेज के बारे में परामर्श शामिल होता है। [30] कुछ नियत परिस्थितियों को पैदा करने वाले प्रेरकों के लिए एलर्जी वाली प्रतिक्रिया करने वाले पदार्थ के प्रति शरीर को कम संवेदनशील बनाने संबंधी उपचार (एलर्जेन इम्यूनोथेरेपी) उपलब्ध है। इस प्रकार की थेरेपी भविष्य में होने वाली एनाफाइलैक्सिस की रोकथाम कर सकती है। उपचर्म संवेदनहीनता के लिये बहु-वर्षीय उपचार को डंक मारनेवाले कीटों के मामले में प्रभावी पाया गया जबकि कई खाद्यों के लिए मौखिक संवेदनहीनता उपचार प्रभावी है। [3]


==दृष्टिकोण== 

जब कारण ज्ञात हों और व्यक्ति का तुरंत उपचार किया जाए तो इसके ठीक होने की संभावना बहुत अधिक है। [31] भले ही कारणों की जानकारी नहीं हो, अगर प्रतिक्रिया को रोकने के लिए औषधि उपलब्ध हो तो व्यक्ति में आम तौर पर अच्छा सुधार होता है। [4] अगर मृत्यु होती है तो आम तौर पर इसके कारण श्वसन संबंधी (आम तौर पर श्वसन-मार्ग का बंद होना) या कार्डियोवैस्कुलर (शॉक) होते हैं। [10][22] एनाफाइलैक्सिस 0.7–20% मामलों में मृत्यु का कारण बनती है। [4][9] कुछ मौतें महज कुछ मिनटों के भीतर हुई हैं। [5] जिन लोगों ने प्रेरित एनाफाइलैक्सिस का उपयोग किया होता है उनमें, अच्छे परिणाम देखे गए हैं, उनमें उनकी बढ़ती उम्र के साथ निम्न स्तरीय और कम तीव्र घटनाएं देखी गयीं हैं। [32]

संभाव्यता

एनाफाइलैक्सिस की घटना प्रति वर्ष प्रति 100,000 व्यक्तियों में 4–5 होती है जिसमें [10] आजीवन खतरा 0.5%–2% तक होता है।[5] इन दरों में वृद्धि देखी जा रही है। 1980 के दशक में एनाफाइलैक्सिस से ग्रस्त लोगों की संख्या प्रति वर्ष लगभग प्रति 100,000 में 20 थी जबकि, 1990 के दशक में यह प्रति वर्ष 100,000 व्यक्तियों में 50 था। [3] एनाफाइलैक्सिस में वृद्धि प्राथमिक तौर पर खाद्यों के कारण देखी गई है। [33] इसका खतरा सबसे अधिक युवा लोगों और महिलाओं के लिए है। [3][10] 

वर्तमान में, एनाफाइलैक्सिस के कारण संयुक्त राज्य अमरीका में प्रति वर्ष (2.4 प्रति मिलियन) 500-1,000 मौतें, युनाईटेड किंगडम में प्रति वर्ष (0.33 मिलियन) 20 मौतें और ऑस्ट्रेलिया में प्रति वर्ष (0.64 मिलियन) 15 मौतें होती हैं। [10] 1970 के दशक से लेकर 2000 के दशक में मृत्यु दरों में कमी आई है। [34] आस्ट्रेलिया में, खाद्य जनित एनाफाइलैक्सिस से हुई मौतें प्राथमिक रूप से महिलाओं में देखी गई जबकि, पुरुषों में इसका प्राथमिक कारण कीटों का डंक मारना था। [10] एनाफाइलैक्सिस से मृत्यु आम तौर पर औषधीय प्रतिक्रिया द्वारा होती हैं। [10]

इतिहास

चार्ल्स रिचेट ने 1902 ई. में "एफिलैक्सिस" शब्द की रचना की थी जिसे, बाद में बदलकर "एनाफाइलैक्सिस" कर दिया गया क्योंकि, यह बेहतर लगता था। [11] उन्हें बाद में 1913 ई. में एनाफाइलैक्सिस पर उनके कार्यों के लिए चिकित्सा और शरीर-विज्ञान के नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। [4] हलांकि, प्राचीन समय से इस प्रतिक्रिया को देखा गया है। [24] यह शब्द ग्रीक भाषा के शब्दों ἀνά तथा φύλαξις से लिया गया है जिनका अर्थ क्रमश: "विरुद्ध" और "सुरक्षा" है। [35]

अनुसंधान

एनाफ्लैसिस के उपचार के लिए जिह्वा के नीचे लगाए जा सकने वाले (सबलिंगुअल इपाइनेफ्राइन) इपाइनेफ्राइन को विकसित करने के लिए अविरत प्रयास जारी हैं। [10] इसके पुन: होने की घटना को रोकने के लिए IgE-रोधी (anti-Ige) प्रतिकारक ओमालीज़ुमाब को त्वचा के नीचे इंजेक्शन द्वारा दिए जाने का अध्ययन किया जा रहा है लेकिन, यह अभी तक अनुशंसित नहीं है। [5][36]

संदर्भ

  1. Tintinalli, Judith E.  (2010 ). Emergency Medicine: A Comprehensive Study Guide (Emergency Medicine (Tintinalli)). New York : McGraw-Hill Companies. पपृ॰ 177–182 . OCLC [1] |oclc= के मान की जाँच करें (मदद). आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-07-148480-9  |isbn= के मान की जाँच करें: invalid character (मदद). डीओआइ:[2] |doi= के मान की जाँच करें (मदद). |year= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  2. Oswalt ML, Kemp SF  (2007 ). "Anaphylaxis: office management and prevention ". Immunol Allergy Clin North Am . 27  (2 ): 177–91, vi . PMID 17493497. डीओआइ:10.1016/j.iac.2007.03.004. Clinically, anaphylaxis is considered likely to be present if any one of three criteria is satisfied within minutes to hours नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद); |year= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  3. Simons FE  (2009 ). "Anaphylaxis: Recent advances in assessment and treatment " (PDF). J. Allergy Clin. Immunol. 124  (4 ): 625–36, quiz 637–8 . PMID 19815109  |pmid= के मान की जाँच करें (मदद). डीओआइ:10.1016/j.jaci.2009.08.025. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद); |year= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  4. Marx , John  (2010 ). Rosen's emergency medicine: concepts and clinical practice 7th edition . Philadelphia, PA : Mosby/Elsevier . पृ॰ 15111528 . आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780323054720. |year= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  5. Simons, FE (2010 May). "World Allergy Organization survey on global availability of essentials for the assessment and management of anaphylaxis by allergy-immunology specialists in health care settings" (PDF). Annals of allergy, asthma & immunology : official publication of the American College of Allergy, Asthma, & Immunology. 104 (5): 405–12. PMID 20486330. नामालूम प्राचल |coauthors= की उपेक्षा की गयी (|author= सुझावित है) (मदद); |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  6. Sampson HA, Muñoz-Furlong A, Campbell RL, et al.  (2006 ). "Second symposium on the definition and management of anaphylaxis: summary report—Second National Institute of Allergy and Infectious Disease/Food Allergy and Anaphylaxis Network symposium ". J. Allergy Clin. Immunol. . 117  (2 ): 391–7 . PMID 16461139. डीओआइ:10.1016/j.jaci.2005.12.1303. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद); |year= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  7. Limsuwan, T (2010 Jul). "Acute symptoms of drug hypersensitivity (urticaria, angioedema, anaphylaxis, anaphylactic shock)" (PDF). The Medical clinics of North America. 94 (4): 691–710, x. PMID 20609858. नामालूम प्राचल |coauthors= की उपेक्षा की गयी (|author= सुझावित है) (मदद); |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  8. Brown, SG (2006 Sep 4). "Anaphylaxis: diagnosis and management". The Medical journal of Australia. 185 (5): 283–9. PMID 16948628. नामालूम प्राचल |coauthors= की उपेक्षा की गयी (|author= सुझावित है) (मदद); |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  9. Triggiani, M (2008 Sep). "Allergy and the cardiovascular system". Clinical and experimental immunology. 153 Suppl 1: 7–11. PMID 18721322. पी॰एम॰सी॰ 2515352. नामालूम प्राचल |coauthors= की उपेक्षा की गयी (|author= सुझावित है) (मदद); |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  10. Lee, JK (2011 Jul). "Anaphylaxis: mechanisms and management". Clinical and experimental allergy : journal of the British Society for Allergy and Clinical Immunology. 41 (7): 923–38. PMID 21668816. नामालूम प्राचल |coauthors= की उपेक्षा की गयी (|author= सुझावित है) (मदद); |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  11. Boden, SR (2011 Jul). "Anaphylaxis: a history with emphasis on food allergy". Immunological reviews. 242 (1): 247–57. PMID 21682750. नामालूम प्राचल |coauthors= की उपेक्षा की गयी (|author= सुझावित है) (मदद); |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  12. Worm, M (2010). "Epidemiology of anaphylaxis". Chemical immunology and allergy. 95: 12–21. PMID 20519879.
  13. editors, Marianne Gausche-Hill, Susan Fuchs, Loren Yamamoto, (2007). The pediatric emergency medicine resource (Rev. 4. ed. संस्करण). Sudbury, Mass.: Jones & Bartlett. पृ॰ 69. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780763744144.सीएस1 रखरखाव: फालतू चिह्न (link) सीएस1 रखरखाव: फालतू पाठ: authors list (link) सीएस1 रखरखाव: फालतू पाठ (link)
  14. Dewachter, P (2009 Nov). "Anaphylaxis and anesthesia: controversies and new insights". Anesthesiology. 111 (5): 1141–50. PMID 19858877. डीओआइ:10.1097/ALN.0b013e3181bbd443. नामालूम प्राचल |coauthors= की उपेक्षा की गयी (|author= सुझावित है) (मदद); |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  15. editor, Mariana C. Castells, (2010). Anaphylaxis and hypersensitivity reactions. New York: Humana Press. पृ॰ 223. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9781603279505.सीएस1 रखरखाव: फालतू चिह्न (link) सीएस1 रखरखाव: फालतू पाठ: authors list (link)
  16. Volcheck, Gerald W. (2009). Clinical allergy : diagnosis and management. Totowa, N.J.: Humana Press. पृ॰ 442. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9781588296160.
  17. Drain, KL (2001). "Preventing and managing drug-induced anaphylaxis". Drug safety : an international journal of medical toxicology and drug experience. 24 (11): 843–53. PMID 11665871. नामालूम प्राचल |coauthors= की उपेक्षा की गयी (|author= सुझावित है) (मदद)
  18. Klotz, JH (2010 Jun 15). ""Kissing bugs": potential disease vectors and cause of anaphylaxis". Clinical infectious diseases : an official publication of the Infectious Diseases Society of America. 50 (12): 1629–34. PMID 20462351. नामालूम प्राचल |coauthors= की उपेक्षा की गयी (|author= सुझावित है) (मदद); |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  19. Bilò, MB (2011 Jul). "Anaphylaxis caused by Hymenoptera stings: from epidemiology to treatment". Allergy. 66 Suppl 95: 35–7. PMID 21668850. |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  20. Cox, L (2010 Mar). "Speaking the same language: The World Allergy Organization Subcutaneous Immunotherapy Systemic Reaction Grading System". The Journal of allergy and clinical immunology. 125 (3): 569–74, 574.e1-574.e7. PMID 20144472. नामालूम प्राचल |coauthors= की उपेक्षा की गयी (|author= सुझावित है) (मदद); |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  21. Bilò, BM (2008 Aug). "Epidemiology of insect-venom anaphylaxis". Current opinion in allergy and clinical immunology. 8 (4): 330–7. PMID 18596590. नामालूम प्राचल |coauthors= की उपेक्षा की गयी (|author= सुझावित है) (मदद); |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  22. Khan, BQ (2011 Aug). "Pathophysiology of anaphylaxis". Current opinion in allergy and clinical immunology. 11 (4): 319–25. PMID 21659865. नामालूम प्राचल |coauthors= की उपेक्षा की गयी (|author= सुझावित है) (मदद); |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  23. Lieberman P  (2005 ). "Biphasic anaphylactic reactions ". Ann. Allergy Asthma Immunol. 95  (3 ): 217–26, quiz 226, 258 . PMID 16200811  |pmid= के मान की जाँच करें (मदद). डीओआइ:10.1016/S1081-1206(10)61217-3. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद); |year= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  24. Ring, J (2010). "History and classification of anaphylaxis" (PDF). Chemical immunology and allergy. 95: 1–11. PMID 20519878. नामालूम प्राचल |coauthors= की उपेक्षा की गयी (|author= सुझावित है) (मदद)
  25. "Emergency treatment of anaphylactic reactions – Guidelines for healthcare providers" (PDF ).  . Resuscitation Council (UK). अभिगमन तिथि 2008-04-22 . नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद); नामालूम प्राचल | year= की उपेक्षा की गयी (मदद); |accessdate= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  26. Simons, KJ (2010 Aug). "Epinephrine and its use in anaphylaxis: current issues". Current opinion in allergy and clinical immunology. 10 (4): 354–61. PMID 20543673. नामालूम प्राचल |coauthors= की उपेक्षा की गयी (|author= सुझावित है) (मदद); |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  27. Mueller, UR (2007 Aug). "Cardiovascular disease and anaphylaxis". Current opinion in allergy and clinical immunology. 7 (4): 337–41. PMID 17620826. |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  28. Sicherer, SH (2007 Mar). "Self-injectable epinephrine for first-aid management of anaphylaxis". Pediatrics. 119 (3): 638–46. PMID 17332221. नामालूम प्राचल |coauthors= की उपेक्षा की गयी (|author= सुझावित है) (मदद); |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  29. Sheikh A, Ten Broek V, Brown SG, Simons FE  (2007 ). "H1-antihistamines for the treatment of anaphylaxis: Cochrane systematic review". Allergy . 62  (8 ): 830–7 . PMID 17620060  |pmid= के मान की जाँच करें (मदद). डीओआइ:10.1111/j.1398-9995.2007.01435.x . नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद); |year= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  30. Martelli, A (2008 Aug). "Anaphylaxis in the emergency department: a paediatric perspective". Current opinion in allergy and clinical immunology. 8 (4): 321–9. PMID 18596589. नामालूम प्राचल |coauthors= की उपेक्षा की गयी (|author= सुझावित है) (मदद); |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  31. Harris, edited by Jeffrey (2007). Head and neck manifestations of systemic disease. London: Informa Healthcare. पृ॰ 325. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780849340505. नामालूम प्राचल |coauthors= की उपेक्षा की गयी (|author= सुझावित है) (मदद)सीएस1 रखरखाव: फालतू पाठ: authors list (link)
  32. editor, Mariana C. Castells, (2010). Anaphylaxis and hypersensitivity reactions. New York: Humana Press. पृ॰ 223. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9781603279505.सीएस1 रखरखाव: फालतू चिह्न (link) सीएस1 रखरखाव: फालतू पाठ: authors list (link)
  33. Koplin, JJ (2011 Oct). "An update on epidemiology of anaphylaxis in children and adults". Current opinion in allergy and clinical immunology. 11 (5): 492–6. PMID 21760501. नामालूम प्राचल |coauthors= की उपेक्षा की गयी (|author= सुझावित है) (मदद); |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  34. Demain, JG (2010 Aug). "Anaphylaxis and insect allergy". Current opinion in allergy and clinical immunology. 10 (4): 318–22. PMID 20543675. नामालूम प्राचल |coauthors= की उपेक्षा की गयी (|author= सुझावित है) (मदद); |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  35. "anaphylaxis ". merriam-webster.com . अभिगमन तिथि 2009-11-21.
  36. Vichyanond, P (2011 Sep). "Omalizumab in allergic diseases, a recent review". Asian Pacific journal of allergy and immunology / launched by the Allergy and Immunology Society of Thailand. 29 (3): 209–19. PMID 22053590. |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)