सदस्य:Satish 545/प्रयोगपृष्ठ

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मदन मोहन जी का मंनदिरमंदिर[संपादित करें]

मदन मोहनजी मंदिर करॉली किले के अन्दर स्थित हॅ। इस मंदिर का निर्माण महाराजा गोपाल सिंह ने करवाया था जिन्होने इस मंदिर को मदन मोहनजि जॉ भगवान कृषण के रूप हॅ कॉ समर्पित किया था। इस मंदिर मॅ भगवान कृष्ण ऑर देवी राधा की २ मूर्तियँ हॅ जॉ ३ ऑर २ फीट उंची हॅ।लोगॉं का मानना हॅ की दॉलताबाद कॉ जीतनी के बाद एक बार महाराजा गॉपाल सींह नॅ भगवान

श्री कृषण को अपने सपने मे देखा जिन्होंने राजा को आपना मंदिर बनवाने का निर्देश का फालन करते हुए अजमेर से भगवान की मूर्ति मंगवाई ऑर उसे यहाँ स्थापित कराया।

इस मंदिर के निर्माण में करॉलि के प्त्थरों का इस्तेमाल हुआ हॅ जिसकी वास्तुकाल मन को मोह कर रख देने वाली हॅ साथ ही ये मंदिर मध्ययुगीन कला को बहुत ही बेहतर दंग से द्रर्शाता हॅ।मंदिर के गर्भगृह के चक्करदार पत पर चित्रो की एक बदी संख्या को भी देखा जा सकता हॅ। मंदिर की वास्तुकाल के सॉंर्दय को गर्भगृह,चॉक ऑर यहाँ के विशाल जगमोहन में दर्शाया गया हॅ।

राधा ऑर कृष्ण से स्म्बन्ध रखने वाले त्योहारों को यहाँ के लोगॉं व्दरा बदें ही हर्ष ऑर उल्लास के साथ मनाया जाता हॅ।यहाँ आने पर्यटक जन्माष्टमी ,राधा अष्ठमी,गॉष्ठ्मी ऑर हिंडोला में भाग ले सकते हॅ साथ ही यहाँ पर अमावस्या में स्थानीय लोगॉं के अलावा बाहर से आये हुए लोगॉं के लिए एक मेले का भी आयॉजना किया जाता हॅ।

धामिक मान्यताएँ एवं कथा

श्रीक्र्ष्ण बगवान के अनेक नामों में से एक प्रीय नाम मदन मोहन भी हॅ।इसी नाम से एक मंदिर कालीदह घाट के समिप शहर के दूसरी ओरी ऊँची चीमे पर विघमान हॅ।विशालकायिक नाग के फन पर भगवान चरणघात कर रहे हॅं।लक्ष्मणदास के भक्त-सिन्धु मे इसकी कथा दी गयी हॅ।यह भक्त-माल का आधुनिक संस्करण हॅ।गॉस्वमीपाद रुप गॉस्वामी ऑर सनतान गॉस्वामी को गॉविन्द जी की मूर्ति नन्दगाँव से प्राप्त हुई थी।एक दिन पंजाब में मुल्तान का रामदास खत्री -जॉ कपुरी नाम से अधिक जाना जाता था,आगरा जाता हुआ व्यापार के माल से भरी नाव लेकर यमूना में आया किन्तु कालिदह घाट के पास रेतीले तट पर नाव अटक गयी।तीन दिनों तक निकालने के असफल प्रयासो के बाद वह स्थानिय देवता को खोजने ऑर सहायता माँगने लगा। वह किनारे पर आकर पहाडी पर चदा।वहाँ उअसे सनातन मिले।सतान ने व्यापारी से मदनमोहन से प्रार्थना करने का आदेश दिया।उसने एसा ही किया ऑर तत्काल नाव तॅरने लग गई।जब वह आगरे से माल बेचकर लॉटा तॉ उसने सारा पॅसा सनातन को अर्पण कर दीया ऑर उससे वहाँ मंदिर बनाने की विनती की।मंदिर बन ग्या ऑर लाल प्त्थर का घाट भी बना ।

१७२५ में बना था ये मंदिर

करॉली के राजा गोपाल सिंह ने १७२५ में ये म्ंदिर बनवाया था।कहा जाता हॅ कि दॉलताबाद पर विजय के बाद महाराजा गॉपाल सिंह जि को सपना आया,जिसमे उन्हें मदन मोहन जी ने कहा की मुझे करॉली ले चलॉ।तब मदन मॉहन की प्रतीमा को जयपुर के आमेर से करॉली ले जाकर स्थापित किया गया । इस म्ंदिर के नीर्मण में दॉ से तीन साल का समय लगा था।

संदर्भ

<http://m.livehindustan.com/astrology/spiritual/article1-karaulimadan-mohan-temple-507168.html>

<http://www.devasthan.rajasthan.gov.in/images/Karauli/madanmohanji.htm>