Nitinkrishna के सदस्य योगदान
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28 मई 2024
- 06:2306:23, 28 मई 2024 अन्तर इतिहास +655 गौ घाट/गाय घाट No edit summary
21 मई 2024
- 07:1907:19, 21 मई 2024 अन्तर इतिहास −349 विकिपीडिया:पृष्ठ हटाने हेतु चर्चा/लेख/गौ घाट/गाय घाट No edit summary वर्तमान
- 06:3806:38, 21 मई 2024 अन्तर इतिहास +185 गोप्रेक्षेश्वर →सन्दर्भ
20 मई 2024
- 06:3406:34, 20 मई 2024 अन्तर इतिहास +4,729 सदस्य वार्ता:Nitinkrishna →गौ घाट/गाय घाट पृष्ठ का हटाने हेतु चर्चा के लिये नामांकन: उत्तर वर्तमान टैग: उत्तर
- 06:1606:16, 20 मई 2024 अन्तर इतिहास +830 विकिपीडिया:पृष्ठ हटाने हेतु चर्चा/लेख/गौ घाट/गाय घाट →गौ घाट/गाय घाट
- 05:5105:51, 20 मई 2024 अन्तर इतिहास +2,913 गोप्रेक्षेश्वर →सन्दर्भ टैग: यथादृश्य संपादिका
- 05:0905:09, 20 मई 2024 अन्तर इतिहास +95 गोप्रेक्षेश्वर No edit summary टैग: यथादृश्य संपादिका
19 मई 2024
- 07:3907:39, 19 मई 2024 अन्तर इतिहास +4 काशी →यहां के मन्दिर टैग: यथादृश्य संपादिका
- 05:5505:55, 19 मई 2024 अन्तर इतिहास +589 लालघाट →लाल घाट (गोप्रेक्षेश्वर तीर्थ) वर्तमान टैग: यथादृश्य संपादिका
- 05:4905:49, 19 मई 2024 अन्तर इतिहास +488 गौ घाट/गाय घाट No edit summary टैग: यथादृश्य संपादिका
- 04:1404:14, 19 मई 2024 अन्तर इतिहास +6,753 न गौ घाट/गाय घाट नया पृष्ठ: == गौ घाट/गाय घाट (गोप्रेक्षेश्वर तीर्थ) == अंगूठाकार|'''Shri Gopreksheshwar Mahadev Temple''' वर्ष 1972 से पहले में गौ (गाय) घाट से वर... टैग: यथादृश्य संपादिका
- 03:3803:38, 19 मई 2024 अन्तर इतिहास +3,125 न लालघाट नया पृष्ठ: == लाल घाट (गोप्रेक्षेश्वर तीर्थ) == अंगूठाकार|'''Gopreksheshwar Mahadev Temple''' पहले गौ (गाय) घाट से लेकर वर्तमान लालघाट तक गो... टैग: यथादृश्य संपादिका
17 मई 2024
- 10:3510:35, 17 मई 2024 अन्तर इतिहास +197 वाराणसी के प्रमुख मंदिर No edit summary टैग: यथादृश्य संपादिका
- 10:2410:24, 17 मई 2024 अन्तर इतिहास +107 गोपी गोविंद →काशी - भगवान विष्णु (माधव) की पुरी वर्तमान टैग: यथादृश्य संपादिका
- 10:2010:20, 17 मई 2024 अन्तर इतिहास +131 गोप्रेक्षेश्वर No edit summary टैग: यथादृश्य संपादिका
- 09:4209:42, 17 मई 2024 अन्तर इतिहास +6,986 न गोपी गोविंद काशी में माधव गोपियो के साथ पूजे जाते हैं, इस तीर्थ का नाम गोपी गोविंद है, इसी स्थान पर गायो को भगवान शंकर ने लिंग स्वरूप में और मां गौरी ने मूर्ति स्वरूप में एक ही विग्रह में साथ-साथ साक्षात दर्शन दिए, गौओ के इस प्रकार शंकर और मा गौरी के प्रत्यक्ष दर्शन से गोप्रेक्ष नाम हुआ। टैग: यथादृश्य संपादिका
- 09:1909:19, 17 मई 2024 अन्तर इतिहास +3,373 गोप्रेक्षेश्वर गोप्रेक्ष - आदि महादेव के पूर्व इस देव मंदिर की स्थिति थी। इनके दर्शन से सब कल्मष नाश होते थे। टैग: यथादृश्य संपादिका
- 08:4908:49, 17 मई 2024 अन्तर इतिहास +276 वार्ता:गोप्रेक्षेश्वर →गोप्रेक्षेश्वर तीर्थ: उत्तर वर्तमान टैग: उत्तर
16 मई 2024
- 16:1016:10, 16 मई 2024 अन्तर इतिहास +2,281 न वार्ता:गोप्रेक्षेश्वर →गोप्रेक्षेश्वर तीर्थ: नया अनुभाग टैग: New topic
- 10:2610:26, 16 मई 2024 अन्तर इतिहास +359 वाराणसी में घाट →गोप्रेक्षेश्वर तीर्थ घाट: इसी तीर्थ पर गोप्रेक्षेश्वर महादेव का सतयुग कालीन मंदिर है जहां एक ही लिंग में मां गौरी और आदि शिव विराजमान हैं। टैग: यथादृश्य संपादिका
- 09:4609:46, 16 मई 2024 अन्तर इतिहास −37 वाराणसी में घाट इसी तीर्थ पर गोप्रेक्षेश्वर महादेव का सतयुग कालीन मंदिर है जहां एक ही लिंग में मां गौरी और आदि शिव विराजमान हैं। टैग: यथादृश्य संपादिका
- 09:4409:44, 16 मई 2024 अन्तर इतिहास +5,091 वाराणसी में घाट →घाटों की सूची: इसी तीर्थ पर गोप्रेक्षेश्वर महादेव का सतयुग कालीन मंदिर है जहां एक ही लिंग में मां गौरी और आदि शिव विराजमान हैं। टैग: यथादृश्य संपादिका
- 09:2809:28, 16 मई 2024 अन्तर इतिहास +763 काशी महादेव जी का पूर्व दिशा में एक बहुत ही अध्भुत लिंग है जिसे गोप्रेक्ष नाम से जाना जाता है, यह अर्धनारीश्वर का ऐसा स्वरूप जिसमें शिव स्वयं लिंग रूप में और मां गौरी स्वयं मूर्ति रूप में एक ही विग्रह में साथ-साथ विराजते हैं भगवान शंकर ने गायो को स्वयं गोलोक से काशी जाने का आदेश दिया, जब वे भोलेनाथ की आज्ञा से काशी पहुंचे तो भगवान शंकर ने प्रसन्न होकर मां गौरी सहित दर्शन दिए, गायो को दर्शन देने के कारण गोप्रेक्ष नाम हुआ, और यहां दर्शन करने से अनंत गौ दान का फल प्राप्त होता है और दम्पत्य क्लेश नाश होत टैग: यथादृश्य संपादिका
- 08:5908:59, 16 मई 2024 अन्तर इतिहास +128 गोप्रेक्षेश्वर महादेवस्य पूर्वेण गोप्रेक्षं लिंगमुत्तमम् ।। ९ ।। तद्दर्शनाद्भवेत्सम्यग्गोदानजनितं फलम् ।। गोलोकात्प्रेषिता गावः पूर्वं यच्छंभुना स्वयम् ।। १० ।। वाराणसीं समायाता गोप्रेक्षं तत्ततः स्मृतम् ।। गोप्रेक्षाद्दक्षिणेभागे दधीचीश्वरसंज्ञितम् ||११|| टैग: यथादृश्य संपादिका
- 08:5508:55, 16 मई 2024 अन्तर इतिहास +50 स्कन्द पुराण महादेवस्य पूर्वेण गोप्रेक्षं लिंगमुत्तमम् ।। ९ ।। तद्दर्शनाद्भवेत्सम्यग्गोदानजनितं फलम् ।। गोलोकात्प्रेषिता गावः पूर्वं यच्छंभुना स्वयम् ।। १० ।। वाराणसीं समायाता गोप्रेक्षं तत्ततः स्मृतम् ।। गोप्रेक्षाद्दक्षिणेभागे दधीचीश्वरसंज्ञितम् ||११|| वर्तमान टैग: यथादृश्य संपादिका
- 08:5208:52, 16 मई 2024 अन्तर इतिहास +437 छो वाराणसी के प्रमुख मंदिर महादेवस्य पूर्वेण गोप्रेक्षं लिंगमुत्तमम् ।। ९ ।। तद्दर्शनाद्भवेत्सम्यग्गोदानजनितं फलम् ।। गोलोकात्प्रेषिता गावः पूर्वं यच्छंभुना स्वयम् ।। १० ।। वाराणसीं समायाता गोप्रेक्षं तत्ततः स्मृतम् ।। गोप्रेक्षाद्दक्षिणेभागे दधीचीश्वरसंज्ञितम् ||११|| सरल भावनाुवाद - महादेव जी का पूर्व दिशा में एक बहुत ही अध्भुत लिंग है जिसे गोप्रेक्ष नाम से जाना जाता है, यह अर्धनारीश्वर का ऐसा स्वरूप जिसमें शिव स्वयं लिंग रूप में और मां गौरी स्वयं मूर्ति रूप में एक ही विग्रह में साथ-साथ विराजते हैं भगवान शंकर ने गाय टैग: यथादृश्य संपादिका
- 07:5207:52, 16 मई 2024 अन्तर इतिहास +10,739 वाराणसी के प्रमुख मंदिर →कुछ मुख्य मंदिर: महादेवस्य पूर्वेण गोप्रेक्षं लिंगमुत्तमम् ।। ९ ।। तद्दर्शनाद्भवेत्सम्यग्गोदानजनितं फलम् ।। गोलोकात्प्रेषिता गावः पूर्वं यच्छंभुना स्वयम् ।। १० ।। वाराणसीं समायाता गोप्रेक्षं तत्ततः स्मृतम् ।। गोप्रेक्षाद्दक्षिणेभागे दधीचीश्वरसंज्ञितम् ||११|| सरल भावनाुवाद - महादेव जी का पूर्व दिशा में एक बहुत ही अध्भुत लिंग है जिसे गोप्रेक्ष नाम से जाना जाता है, यह अर्धनारीश्वर का ऐसा स्वरूप जिसमें शिव स्वयं लिंग रूप में और मां गौरी स्वयं मूर्ति रूप में एक ही विग्रह में साथ-साथ विराजते हैं टैग: यथादृश्य संपादिका
- 05:5805:58, 16 मई 2024 अन्तर इतिहास +12,004 न गोप्रेक्षेश्वर स्कंद पुराण में लिखा है - महादेवस्य पूर्वेण गोप्रेक्षं लिंगमुत्तमम् ।। ९ ।। तद्दर्शनाद्भवेत्सम्यग्गोदानजनितं फलम् ।। गोलोकात्प्रेषिता गावः पूर्वं यच्छंभुना स्वयम् ।। १० ।। वाराणसीं समायाता गोप्रेक्षं तत्ततः स्मृतम् ।। गोप्रेक्षाद्दक्षिणेभागे दधीचीश्वरसंज्ञितम् ||११|| सरल भावनाुवाद - महादेव जी का पूर्व दिशा में एक बहुत ही अध्भुत लिंग है जिसे गोप्रेक्ष नाम से जाना जाता है, यह अर्धनारीश्वर का ऐसा स्वरूप जिसमें शिव स्वयं लिंग रूप में और मां गौरी स्वयं मूर्ति रूप में एक ही विग्रह में साथ-साथ वि टैग: यथादृश्य संपादिका
- 05:3005:30, 16 मई 2024 अन्तर इतिहास +123 काशी →यहां के मन्दिर: महादेवस्य पूर्वेण गोप्रेक्षं लिंगमुत्तमम् ।। ९ ।। तद्दर्शनाद्भवेत्सम्यग्गोदानजनितं फलम् ।। गोलोकात्प्रेषिता गावः पूर्वं यच्छंभुना स्वयम् ।। १० ।। वाराणसीं समायाता गोप्रेक्षं तत्ततः स्मृतम् ।। गोप्रेक्षाद्दक्षिणेभागे दधीचीश्वरसंज्ञितम् ||११|| टैग: यथादृश्य संपादिका
- 05:2305:23, 16 मई 2024 अन्तर इतिहास +5,422 काशी →काशी के मंदिर और घाट: गोलोक से भगवान शंकर की एक कथा बहुत ही प्रचलित है कि भगवान शंकर ने गऊ को काशी जाने का आदेश दिया, जब वे भोलेनाथ की आज्ञा से काशी पहुंचे तो भगवान शंकर ने प्रसन्न होकर मां गौरी सहित दर्शन दिए, गायो को भगवान शंकर ने लिंग स्वरूप में और मां गौरी ने मूर्ति स्वरूप में एक ही विग्रह में साथ-साथ साक्षात दर्शन दिए, गौओ के इस प्रकार शंकर और मा गौरी के प्रत्यक्ष दर्शन से गोप्रेक्ष नाम हुआ। और भगवान ने आशीर्वाद दिया कि जो कलयुग में जो मनुष्य गोप्रेक्ष का दर्शन करेगा उसको अनंत गौदान का टैग: यथादृश्य संपादिका
- 05:0705:07, 16 मई 2024 अन्तर इतिहास +710 काशी काशी में माधव गोपियो के साथ पूजे जाते हैं, इस तीर्थ का नाम गोपी गोविंद है, इसी स्थान पर गायो को भगवान शंकर ने लिंग स्वरूप में और मां गौरी ने मूर्ति स्वरूप में एक ही विग्रह में साथ-साथ साक्षात दर्शन दिए, गौओ के इस प्रकार शंकर और मा गौरी के प्रत्यक्ष दर्शन से गोप्रेक्ष नाम हुआ। टैग: यथादृश्य संपादिका
- 05:0105:01, 16 मई 2024 अन्तर इतिहास +3,460 गोलोक गोलोक से गायो का काशी आगमन गोलोक से भगवान शंकर की एक कथा बहुत ही प्रचलित है कि भगवान शंकर ने गऊ को काशी जाने का आदेश दिया, जब वे भोलेनाथ की आज्ञा से काशी पहुंचे तो भगवान शंकर ने प्रसन्न होकर मां गौरी सहित दर्शन दिए, गायो को भगवान शंकर ने लिंग स्वरूप में और मां गौरी ने मूर्ति स्वरूप में एक ही विग्रह में साथ-साथ साक्षात दर्शन दिए, गौओ के इस प्रकार शंकर और मा गौरी के प्रत्यक्ष दर्शन से गोप्रेक्ष नाम हुआ। टैग: यथादृश्य संपादिका