बल्ज़ की लड़ाई

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बैटल ऑफ बुलगे (जर्मन: आर्देन्नेन ऑफेन्सिव), जिसे अक्सर बल्ज़ की लड़ाई के रूप में जाना जाता है, द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चिमी मोर्चे पर जर्मनी द्वारा प्रारम्भ किया गया एक आक्रामक आपरेशन था। यह आक्रमण बेल्जियम और लक्समबर्ग के बीच मौजूद आर्देनेस क्षेत्र में 16 दिसंबर, 1944 से 25 जनवरी, 1945 तक चला। जर्मनी का उद्देश्य मित्र राष्ट्रों विभाजित करना था और बेल्जियम के प्रमुख बन्दरगाह प्पर कब्जा करना था। जिससे की ब्रिटेन और अमेरिकी सेना को जर्मनी के पश्चिम सीमा मे घुसने से रोका जाये। (1)

हिटलर इस बैटल को जीतना चाहता था, जिससे वह मित्रा राष्ट्रो को संधि के लिए माना सके। वास्तव मे दिसंबर 1944 के समय तक जर्मनी बहुत कमजोर हो चुका था और जर्मनी पर तीन तरफ से शत्रु सेनाए प्रवेश कर रही थी। जर्मनी के पश्चिम और दक्षिण से मित्रा राष्ट्र जर्मनी मे प्रवेश कर रही थी तो जर्मनी के पूर्व में सोवियत के बहुत बड़ी सेना जर्मनी में दाखिल होने जा रही थी। हिटलर एक समय में इन सभी मोर्चो मे नहीं लड़ सकता था। इसलिए उसने पश्चिम मोर्चे पर लड़ने पर ज्यादा ध्यान दिया क्योंकि इस मोर्चे मे उसे जीत की उम्मीद थी। इसलिए उसने निर्णय ल्लिया की वह पश्चिम मोर्चे पर लड़ेगा और बेल्जियम के बन्दरगाह को कब्जा करने के बाद ब्रिटिश और अमेरिकी राष्ट्र को संधि के लिए मजबूर कर देगा।

जर्मनी बल्ज़ की लड़ाई क्यो हारा[संपादित करें]

जर्मनी ने बुलगे की लड़ाई कई कारणों से गंवा दी। [1]उनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:

  1. मित्र राष्ट्रों को आश्चर्यचकित करने में असमर्थता: मित्र राष्ट्रों को जर्मन आक्रमण की कुछ जानकारी पहले ही मिल गई थी, और वे इसके लिए तैयार थे। इसने जर्मनों को एक महत्वपूर्ण लाभ खो दिया।
  2. लॉजिस्टिक समस्याएं: जर्मनों को अपनी सेना को आर्देनेस क्षेत्र में ले जाने में कठिनाई हुई। यह क्षेत्र घने जंगलों और पहाड़ियों से भरा हुआ था, जिससे सैनिकों और आपूर्ति को ले जाना मुश्किल हो गया।
  3. वायु श्रेष्ठता की कमी: जर्मनों के पास मित्र राष्ट्रों की तुलना में कम विमान थे। इसका मतलब था कि मित्र राष्ट्र जर्मन सेना और आपूर्ति लाइनों पर हमला कर सकते थे।
  4. सैनिकों की कमी: जर्मन सेना को अपनी सेना की संख्या के साथ समझौता करना पड़ा ताकि आर्देनेस आक्रमण के लिए पर्याप्त सैनिक मिल सकें। इसने उन्हें पूर्वी मोर्चे पर कमजोर बना दिया, जहां सोवियत सेना ने हमला कर दिया था।
  5. मित्र राष्ट्रों की मजबूत प्रतिरोध: मित्र राष्ट्रों ने जर्मन आक्रमण को रोकने के लिए कड़ी लड़ाई लड़ी। उन्होंने जर्मन सेना पर तोपखाने और हवाई हमलों के साथ बमबारी की। उन्होंने जर्मन आपूर्ति लाइनों को भी काट दिया।

संदर्भ[संपादित करें]

  1. "Battle of the Bulge World War II".