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पिछड़े वर्गों के लिए राष्ट्रीय आयोग

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पिछड़े वर्गों के लिए राष्ट्रीय आयोग
एनसीबीसी
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग
आयोग अवलोकन
गठन 14 अगस्त 1993; 30 वर्ष पूर्व (1993-08-14)
Constitutional status granted on 11 अगस्त 2018; 5 वर्ष पूर्व (2018-08-11)
अधिकारक्षेत्रा भारत सरकार
मुख्यालय नई दिल्ली
उत्तरदायी मंत्री विरेंद्र कुमार खटीक, समाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री
आयोग कार्यपालक हंसराज गंगाराम अहीर, चेयरमैन
एन॰ए॰, वाइस चेयरमैन
वेबसाइट
www.ncbc.nic.in

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (संक्षिप्त नाम : एनसीबीसी) सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार के अधिकार क्षेत्र में एक भारतीय संवैधानिक निकाय हैं। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 338बी के तहत इसे एक संवैधानिक निकाय बनाने के लिए संविधान में इसका गठन राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम, 1993 के प्रावधानों के अनुसार किया गया था।[1]

संवैधानिक प्रावधान[संपादित करें]

1992 के इंद्रा साहनी मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को निर्देश दिया था कि वह सुरक्षा और लाभ के उद्देश्य से विभिन्न पिछड़े वर्गों के समावेशन और बहिष्करण पर विचार करने तथा जाँच एवं सिफारिश के लिये एक स्थायी निकाय का गठन करे। इन निर्देशों के अनुपालन में संसद् ने वर्ष 1993 में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम पारित किया और एनसीबीसी का गठन किया।

संघटन[संपादित करें]

अनुच्छेद 338बी के अनुसार :—

आयोग में पाँच सदस्य होते हैं जिसमें अध्यक्ष, उपाध्यक्ष तथा तीन अन्य सदस्य शामिल हैं। इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित एवं उसके मुहरयुक्त आदेश द्वारा होती है। अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और अन्य सदस्यों के पद की सेवा शर्तें तथा कार्यकाल का निर्धारण राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है।

कार्य और शक्ति[संपादित करें]

आयोग नौकरी में आरक्षण के उद्देश्य से पिछड़ें वर्ग के रूप में अधिसूचित समुदायों की सूची में शामिल करने पर विचार किया। एनसीबीसी अधिनियम, 1993 की धारा 9(1) के अनुसार केंद्र सरकार के सलाह के पर राज्यों ने भी इस आयोग का गठन किया। 24 जुलाई 2014 तक दो हजार से अधिक समूहों को ओबीसी के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग और साथ ही राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग का गठन किया।[2][3][4]

अनुच्छेद 338बी (5) के अनुसार आयोग का यह कर्तव्य निम्नलिखित हैं।—

  1. सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के अधिकारों और सुरक्षा उपायों से वंचित करने के संबंध में विशिष्ट शिकायतों की जाँच करना।
  2. शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के सामाजिक-आर्थिक गतिविधियों में भाग लेना और सलाह देना।
  3. संघ और किसी राज्य के तहत उनके विकास की प्रगति का मूल्यांकन करना।
  4. आरक्षित वर्ग के विकाश को ध्यान में रखते हुए आयोग द्वारा राष्ट्रपति के समक्ष वार्षिक रिपोर्ट पेश करना।

संदर्भ[संपादित करें]

  1. "एन॰सी॰बी॰सी॰ अधिनियम, 1993 1993". ncbc.nic.in (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2017-02-13.
  2. "पिछड़ा वर्ग के लिए राष्ट्रीय आयोग". Press Information Bureau. 24 जुलाई 2014. अभिगमन तिथि 26 जुलाई 2014.
  3. भारत का संविधान (PDF). अभिगमन तिथि 10 मई 2019.
  4. "राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग".