इंदिरा मिरी

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इंदिरा मिरी
जन्म 1910
शिलांग
मौत 5 सितंबर 2004 Edit this on Wikidata
नागरिकता भारत, ब्रिटिश राज, भारतीय अधिराज्य Edit this on Wikidata
शिक्षा एडिनबर्ग विश्वविद्यालय, ऑक्सफ़र्ड विश्वविद्यालय, कोलकाता विश्वविद्यालय, स्कॉटिश चर्च कॉलेज Edit this on Wikidata
पेशा शैक्षणिक व्यक्ती Edit this on Wikidata

इंदिरा मिरी, जिन्हें मेरंग नाम से जाना भी जाता है, असम की एक शिक्षाविद् थीं, जो उत्तर पूर्वी सीमांत एजेंसी में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये किये गये अपने प्रयासों के लिये जानी जाती हैं। इन्हें इनके कार्यों के लिए चौथे उच्चतम भारतीय नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया गया।[1]

जीवनी[संपादित करें]

इंदिरा का जन्म शिलांग में १९१० में हुआ, मिरी ने अपनी मां को कम उम्र में खो दिया था और उनके पिता सोनाधार सेनापति ने उन्हें पाला, जिन्होंने उन्हें स्कूल और कॉलेज के अध्ययन के लिए कोलकाता भेज दिया, उन्होंने बेथुइन स्कूल से शुरुआत की और स्कॉटिश चर्च कॉलेज से बीए किया। बाद में उन्होंने सेंट मैरीज कॉलेज ऑफ टीचर एजुकेशन, गुवाहाटी से शिक्षा में एक डिग्री हासिल की और अहमदाबाद में मॉन्टेसरी में एक छात्र छात्रवृत्ति पर उन्नत प्रशिक्षण पाठ्यक्रम लिया जहां उन्होंने मारिया मॉन्टेसरी द्वारा प्रशिक्षित किया गया। एक अन्य सरकारी छात्रवृत्ति ने उन्हें एडिनबर्ग विश्वविद्यालय से मास्टर की डिग्री हासिल करने और ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय में तीन महीने की प्रशिक्षण के लिए यूके की यात्रा करने में मदद की। १९४७ में भारत लौटने पर, मिरी को एक छोटे असमिया शहर सादिया में नेफा के मुख्य शिक्षा अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया था और इन्होंने दस साल तक आदिवासियों के बीच काम किया।

१९५० के भूकंप के दौरान, मिरी और उनके साथी शिक्षकों ने इस क्षेत्र के लोगों को राहत पहुँचाने के लिए काम किया। भारत सरकार ने १९७७ में पद्म श्री के नागरिक सम्मान से सम्मानित किया। २००४ में उन्हें संकर्र्ड पुरस्कार मिला। मिरी का ५ सितंबर २००४ को ९४ वर्ष की उम्र में, सिल्पुखुरी में अपने पैतृक घर पर निधन हुआ।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Padma Shri" (PDF). Padma Shri. 2015. मूल (PDF) से 15 नवंबर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि June 18, 2015.