प्रवेशद्वार:धर्म और आस्था

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लघु पथ:
प्र:धर्म

धर्म अर्थात पंथ निर्दिष्ट व्यवहारों और प्रथाओं, नैतिकता, विश्व साक्षात्कार, ग्रंथों, पवित्र स्थानों, भविष्यवाणियों, नैतिकता या संगठनों का एक सामाजिक-सांस्कृतिक तंत्र है, जो मानवता को अलौकिक, पारलौकिक और आध्यात्मिक तत्वों से संबंधित करता है। हालाँकि, इस बात पर कोई विद्वता सर्वसम्मति नहीं है कि वास्तव में एक धर्म क्या है विभिन्न धर्मों में दैवीय, पवित्र चीजें, विश्वास, एक अलौकिक प्राणी या अलौकिक प्राणी या "कुछ प्रकार की अल्टिमेसी और पारगमन से लेकर विभिन्न तत्व हो सकते हैं या हो सकते हैं जो जीवन के बाकी हिस्सों के लिए आदर्श और शक्ति प्रदान करेंगे"। धार्मिक प्रथाओं में अनुष्ठान, उपदेश, स्मरण या वंदना (देवताओं और / या संतों का), बलिदान, पर्व, त्यौहार, दीक्षा, अंतिम संस्कार सेवाएं, वैवाहिक सेवा, ध्यान, प्रार्थना, संगीत, कला, नृत्य, सार्वजनिक सेवा, या शामिल हो सकते हैं। मानव संस्कृति के अन्य पहलू।

विश्व भर में अनुमानित 10,000 अलग-अलग धर्म हैं। दुनिया की आबादी का लगभग 84% ईसाई धर्म, इस्लाम, हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म या लोक धर्म के किसी न किसी रूप से जुड़ा हुआ है। धार्मिक रूप से अप्रभावित जनसांख्यिकी में वे लोग शामिल हैं जो किसी विशेष धर्म, नास्तिक और अज्ञेयवाद की पहचान नहीं करते हैं। जबकि धार्मिक रूप से असंबद्ध विश्व स्तर पर विकसित हुए हैं, धार्मिक रूप से असंबद्ध कई अब भी विभिन्न धार्मिक विश्वास हैं।

चयनित लेख
गुरु गोबिंद सिंह

गुरु गोबिन्द सिंह (गुरु गोबिंद सिंह) (जन्म:पौष शुक्ल सप्तमी संवत् 1723 विक्रमी तदनुसार 22 दिसंबर (दिसम्बर) 1666- मृत्यु 7 अक्टूबर 1708 ) सिखों के दसवें गुरु थे। उनके पिता गुरू तेग बहादुर की मृत्यु के उपरान्त 11 नवंबर (नवम्बर) सन 1675 को वे गुरू बने। वह एक महान योद्धा, कवि, भक्त एवं आध्यात्मिक नेता थे। सन 1699 में बैसाखी के दिन उन्होने खालसा पंथ (पन्थ) की स्थापना की जो सिखों के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। गुरू गोबिन्द सिंह ने सिखों की पवित्र ग्रंथ (ग्रन्थ) गुरु ग्रंथ साहिब को पूरा किया तथा उन्हें गुरु रूप में सुशोभित किया। बिचित्र नाटक को उनकी आत्मकथा माना जाता है। यही उनके जीवन के विषय में जानकारी का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है। यह दसम ग्रन्थ का एक भाग है। दसम ग्रंथ (ग्रन्थ), गुरू गोबिन्द सिंह की कृतियों के संकलन का नाम है।

उन्होने मुगलों या उनके सहयोगियों (जैसे, शिवालिक पहाडियों के राजा) के साथ 14 युद्ध लड़े। धर्म के लिए समस्त परिवार का बलिदान उन्होंने किया, जिसके लिए उन्हें 'सरबंसदानी' (सर्ववंशदानी) भी कहा जाता है। इसके अतिरिक्त जनसाधारण में वे कलगीधर, दशमेश, बाजांवाले आदि कई नाम, उपनाम व उपाधियों से भी जाने जाते हैं। गुरु गोविंद सिंह जहां विश्व की बलिदानी परम्परा में अद्वितीय थे, वहीं वे स्वयं एक महान लेखक, मौलिक चिंतक तथा संस्कृत सहित कई भाषाओं के ज्ञाता भी थे। उन्होंने स्वयं कई ग्रंथों की रचना की। वे विद्वानों के संरक्षक थे। उनके दरबार में 52 कवियों तथा लेखकों की उपस्थिति रहती थी, इसीलिए उन्हें संत सिपाही भी कहा जाता था। वे भक्ति तथा शक्ति के अद्वितीय संगम थे। अधिक पढ़ें…

चयनित धर्म
दाऊद का सितारा
दाऊद का सितारा

यहूदी धर्म या यूदावाद विश्व के प्राचीनतम धर्मों में से है, तथा यह एक इब्राहीमी एकेश्वरवादी धर्म है जो कि इस्राइल का राजधर्म भी है। इस धर्म में ईश्वर और उसके नबी यानि पैग़म्बर की मान्यता प्रधान है। इनके धार्मिक ग्रन्थों में तनख़, तालमुद तथा मिद्रश प्रमुख हैं। यहूदी मानते हैं कि यह सृष्टि की रचना से ही विद्यमान है। यहूदियों के धार्मिक स्थल को मन्दिर व प्रार्थना स्थल को सिनेगॉग कहते हैं। ईसाई धर्मइस्लाम का आधार यही परम्परा और विचारधारा है।

बाबिल (बेबीलोन) के निर्वासन से लौटकर इज़रायली जाति मुख्य रूप से येरूसलेम तथा उसके आसपास के यूदा नामक प्रदेश में बस गया था, इस कारण इज़रायलियों के इस समय के धार्मिक एवं सामाजिक संगठन को यूदावाद कहते हैं। उस समय येरूसलेम का मंदिर यहूदी धर्म का केंद्र बना और यहूदियों को मसीह के आगमन की आशा बनी रहती थी। निर्वासन के पूर्व से ही तथा निर्वासन के समय में भी यशयाह, जेरैमिया, यहेजकेल और दानिएल नामक नबी इस यूदावाद की नींव डाल रहे थे। वे यहूदियों को याहवे के विशुद्ध एकेश्वरवादी धर्म का उपदेश दिया करते थे और सिखलाते थे कि निर्वासन के बाद जो यहूदी फिलिस्तीन लौटेंगे वे नए जोश से ईश्वर के नियमों पर चलेंगे और मसीह का राज्य तैयार करेंगे। अधिक पढ़ें…

चयनित चित्र


धर्मराय स्वामी मंदिर बंगलुरु के प्राचीनतम मंदिरों में से एक है

चयनित सूक्ति
सब से अच्छा शासक लोगों को एक छाँव ही लगता है
उसे से कम अच्छा शासक लोगों को प्रिय और प्रशंसनीय होता है
उस से भी कम अच्छा वह है जिस से लोगों को भय हो
और सब से बुरा वह है जिस से लोग नफ़रत करें
लाओ त्ज़ू, प्राचीन चीनी दार्शनिक, राज्यशास्त्र पर ताओ-ते-चिंग में
धर्म संबंधित प्रवेशद्वार एवं श्रेणियाँ
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