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षड्ज

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संगीत के सात स्वरों में से पहला स्वर जो साधारणतः ‘सा’ कहलाता है। संगीत शास्त्र के अनुसार इस स्वर का उच्चारण नासा उर कण्ठ जीभ तालु और दाँतों के सम्मिलित प्रयत्न से होता है इसलिए इसका नाम षडज् (शाब्दिक अर्थ : छः से उत्पन्न) पड़ा है। प्रायः संगीतकार हमें शुरुआत में ही इस स्वर का अभ्यास कराते हैं । सा - एक शब्द ही नहीं है वरन प्राथमिक संगीत शिक्षा का सार है । ( षड्ज स्वर चिन्त्य है । क्योंकि कण्ठ उर तालु नासा और जीभ स्थान नहीं है उच्चारण का इसमें नियम है - लृतुलसा : दन्त्याः ये कहता है, कि सा का उच्चारण दाँत से होता है । उच्चारण का साधन जीभ है और प्रयत्न - विवृत्तकरणाः उष्माणाः के नियम से "सा" विवृत्त है) सम्पादक -भूदेवार्य