श्री कुल्लू वाली माताजी, रेनवाल धाम

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से

कुल्लू वाली माता या शक्तिपीठ श्री कुल्लू वाली माताजी मंदिर,रेनवाल धाम हिन्दू मान्यता अनुसार, माँ आदिशक्ति दुर्गा स्वरूप माँ जीण भवानी नाम से भी जाना जाता है, देवी को समर्पित मुख्य पवित्रतम हिन्दू मंदिरों में से एक है, जो भारत केेे राजस्थान के जयपुर जिले के ७० किलोमीटर दूर किशनगढ़ रेनवाल शहर में स्थित है। इस धार्मिक स्थल की आराध्य देवी, कुल्लू देवी को सामान्यतः माता रानी, जीण माता, भुवनेश्वरी, दुर्गा तथा शेरावाली माता,रेनवाल माता जैसे अनेक नामो से भी जाना जाता है। यहा पर आदिशक्ति स्वरूप सन् २००६ से रेनवाल धाम में विराजमान है और माता कुल्लू वाली भवानी स्वयं यहां पर अपने शाश्वत निराकार रूप मे विराजमान है। ये मंदिर शक्ति पीठ में भी शामिल है। यहा पर पहुँचने के लिए मुख्य दो साधन है - रेलवे और रोडवे जिसमे से जादातार लोग रेलवे अर्थार्थ ट्रेन से आना पसंद करते है। यहा का रेलवे स्टेशन किशनगढ़ रेनवाल पूरे भारत से जुड़ा हुआ है।

किशनगढ़ रेनवाल 303603

यह मंदिर राजस्थान राज्य के जयपुर के रियासी मण्डल में किशनगढ़ रेनवाल नगर में अवस्थित है। यह उत्तरी भारत में सबसे पूजनीय पवित्र स्थलों में से एक है। प्रतिवर्ष, हजारों तीर्थ यात्री, इस मंदिर का दर्शन करते हैं और यह भारत में कुछ सबसे मुख्य और सर्वाधिक देखे जाने वाले तीर्थस्थलों मे से एक है। इस मंदिर की देख-रेख श्री कुल्लू वाली माताजी मन्दिर सेवा समिति नामक न्यास द्वारा की जाती है। इस शक्तिपीठ श्री कुल्लू वाली माताजी मन्दिर के मुख्य पुजारी श्री नाथूराम जी हैं।

शक्तिपीठ श्री कुल्लू वाली माताजी मन्दिर, रेनवाल धाम

यह मन्दिर भारत के राजस्थान राज्य के जयपुर जिले से 70 किलोमीटर दूर किशनगढ़ रेनवाल कस्बे में स्थित हैं । यह मन्दिर बहुत चमत्कारी मन्दिर हैं। जो श्रद्धालु यहां मन्नत मांगता हैं, उसकी मनोकामना पूर्ण होती हैं ।

सन् 2006 में श्री कुल्लू वाली माताजी का आगमन

यहां के लोगों का कहना हैं कि किशनगढ़ रेनवाल के मूलनिवासी नाथूराम जी साँखला ने हिमाचल प्रदेश राज्य के कुल्लू जिले में माता की आरधना करके अपने साथ कुल्लू शहर से रेनवाल नगरी में विराजन किया । उसके बाद माता ने अपने धीरे धीरे अपने चमत्कार किए । जो व्यक्ति माता के दरबार में मन्नत करता, उसकी मनोकामना पूर्ण होती ।

सन् 2023 को श्री कुल्लू वाली माताजी भव्य मंदिर में विराजमान

28 मई 2023 को श्री कुल्लू वाली माताजी की भव्य कलश यात्रा हुईं । 29 मई 2023 को श्री कुल्लू वाली माताजी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हुई, उसके बाद विशाल भंडारा हुआ। शक्तिपीठ श्री कुल्लू वाली माताजी मन्दिर के मुख्य पुजारी नाथूराम जी हैं ।

शक्तिपीठ श्री कुल्लू वाली माताजी मन्दिर, रेनवाल धाम में कार्यक्रम

इस मन्दिर प्रत्येक वर्ष महत्वपूर्ण कार्यक्रम होते हैं, जिसमें चैत्र नवरात्रि और आश्विन नवरात्रि में मन्दिर परिसर में सजावट एवं विशेष श्रृंगार किया जाता हैं । इस समय हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन करने आते हैं। साथ ही श्रावण माह में विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता हैं ।

श्री कुल्लू वाली माताजी मन्दिर सेवा समिति

इस मन्दिर में मुख्य पुजारी श्री नाथूराम जी के द्वारा सेवा समिति बनाई गई हैं। जिसके प्रबन्धक जसवंत पुजारी हैं। इस सेवा समिति में सुनिल साँखला, सेवक मोतीराम साँखला, शंकरसिंह साँखला, सोहनलाल साँखला, संदीप साँखला, हितेन्द्र सिंह साँखला, राजवीर सिंह साँखला, महादेव प्रजापत, गिरधारी राजोरा, राकेश प्रजापत, दिनेश शर्मा, राजेन्द्र स्वामी, अर्जुन योगी, कुलदीप साँखला, जितेन्द्र साँखला, रोहित साँखला, राकेश कुमार चौबे, हेमन्त साँखला, सिद्धार्थ वर्मा, मुकेश मीणा , मनीष डाबरिया आदि सदस्य हैं। इस समिति के सदस्य अपनी सेवा श्रद्धालुओं के लिए देते हैं।

श्री कुल्लू वाली माताजी का इतिहास

यह श्री कुल्लू वाली माता का मंदिर है। जो भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य के कुल्लू शहर है जो राजस्थान से सैकड़ों किलोमीटर दूर है। कुल्लू वाली माता मन्दिर की कहानी बेहद रोचक है। हिमाचल की स्थानीय देवी मां भुवनेश्वरी माता ने किशनगढ़ रेनवाल में रहने वाले एक भक्त नाथूराम जी के सपने में आकर खुद अपना नाम कुल्लू शहर के नाम पर रखा।

भुवनेश्वरी माता का रेनवाल धाम में विराजमान

भक्त नाथूराम जी माता की भव्य मूर्ति लेकर रेनवाल में आए थे। नाथूराम जी रोजी-रोटी की तलाश में हिमाचल प्रदेश के कुल्लू गए थे । वहां छोटा-मोटा काम कर बड़ी मुश्किल से घर का गुजारा चला पा रहे थे । जब जीवन को अनेक परेशानियों में घिरता हुआ पाया तो नाथूराम जी ने कुल्लू पहाड़ियों में स्थित भुवनेश्वरी माता को अपनी ईष्ट देवी मानते हुए उनकी पूजा अर्चना शुरू कर दी । धीरे-धीरे भुवनेश्वरी माता की कृपा से नाथूराम जी के जीवन की परेशानियों का समाधान और आर्थिक स्थिति मजबूत होने लगी और उन्होंने हिमाचल प्रदेश के कुल्लू शहर में ही कपड़े की दुकान शुरू की।

माता ने नाथूराम जी को सपने में दिए दर्शन

कई साल बाद भुवनेश्वरी माता ने अपने प्रिय भक्त नाथूराम जी के सपने में आकर कहा “मैं तुम्हारे घर राजस्थान चलना चाहती हूं”। नाथूराम जी ने भुवनेश्वरी माता के आग्रह को तुरन्त स्वीकार कर लिया और उन्हें राजस्थान ले जाने का वचन दिया। माता को हिमाचल से राजस्थान लाना आसान नहीं था। कई साल ऐसे गुज़र गए एक दिन अचानक नाथूराम जी की दुकान में आग लग गई। सारा सामान जलकर राख हो गया। उसके बाद नाथूराम जी को माता को दिया वचन याद आया । उन्होंने ये बात अपनी पत्नी श्रीमती सुप्यार देवी को बताई । उसके बाद सन् 2006 में चार गाड़ियों में माता रानी का श्रृंगार वस्त्र और अन्य सामान भरकर मूर्ति को रथ में विराजमान कर राजस्थान ले आए।

जीण माता मंदिर में मां भुवनेश्वरी का अभिषेक

हिमाचल की देवी मां भुवनेश्वरी माता को सर्वप्रथम राजस्थान के प्रसिद्ध शक्तिपीठ जीण माता मंदिर लाया गया। यहां पवित्र जल से अभिषेक किया गया । जीण माता मंदिर के पुजारी ने माता भुवनेश्वरी की पूजा अर्चना की । यहां नाथूराम जी ने माता का रात्रि जागरण किया और फिर माता की मूर्ति को रथ में विराजमान कर अपने घर रेनवाल ले आए।

भुवनेश्वरी माता ने कहा -“मैं कुल्लू वाली माता हूं”

वर्षों तक माता अपने भक्त नाथूराम जी के घर की छत पर विराजमान रही। सन् 2023 में संत हीरापुरी जी महाराज और महंत डॉ जुगल किशोर जी शरण के सानिध्य में माता की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम हुआ । जिसमें 21सौ महिलाओं ने कलश यात्रा में भाग लिया और 11 हज़ार श्रद्धालुओं ने भंडारे की प्रसादी ग्रहण की । माता भुवनेश्वरी की तीन दिन पूजा करने के बाद भक्त नाथूराम जी को फिर माता ने सपने में दर्शन दिए और कहा रेनवाल धाम में मेरी पूजा ”कुल्लू वाली माता ” के रूप में होगी।