राष्ट्रभाषा

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राष्ट्रीय भाषा एक ऐसी भाषा (या भाषा संस्करण, जैसे बोली) होती है जिसका किसी राष्ट्र के साथ कुछ संबंध होता है - वास्तविक या वैधानिक। यह शब्द विभिन्न संदर्भों में बिल्कुल अलग ढंग से प्रयोग किया जाता है। किसी देश के क्षेत्र में पहली भाषा के रूप में बोली जाने वाली एक या अधिक भाषाओं को अनौपचारिक रूप से संदर्भित किया जा सकता है या कानून में देश की राष्ट्रीय भाषाओं के रूप में नामित किया जा सकता है। विश्व के 150 से अधिक संविधानों में राष्ट्रीय भाषाओं का उल्लेख है।[1]

बांग्लादेश[संपादित करें]

बांग्लादेश के लोगों ने केवल बंगाली भाषा को ही अपने देश की एक मात्र राष्ट्र भाषा के रूप में अपनाया है।

भारत[संपादित करें]

भारतीय संविधान में भारत की कोई राष्ट्र भाषा नहीं है।[2] सरकार ने 22 भाषाओं को आधिकारिक भाषा के रूप में जगह दी है। जिसमें केन्द्र सरकार या राज्य सरकार अपने जगह के अनुसार किसी भी भाषा को आधिकारिक भाषा के रूप में चुन सकती है। केन्द्र सरकार ने अपने कार्यों के लिए हिन्दी[3] और रोमन भाषा को आधिकारिक भाषा के रूप में जगह दी है। इसके अलावा अलग अलग राज्यों में स्थानीय भाषा के अनुसार भी अलग अलग आधिकारिक भाषाओं को चुना गया है। फिलहाल 22 आधिकारिक भाषाओं में असमी, उर्दू, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मैथिली, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, ओडिया, पंजाबी, संस्कृत, संतली, सिंधी, तमिल, तेलुगू, बोड़ो, डोगरी, बंगाली और गुजराती है।

वर्तमान में सभी 22 भाषाओं को आधिकारिक भाषा का दर्जा प्राप्त है। 2010 में गुजरात उच्च न्यायालय ने भी सभी भाषाओं को समान अधिकार के साथ रखने की बात की थी, हालांकि न्यायालयों और कई स्थानों में केवल अंग्रेजी भाषा को ही जगह दिया गया है।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Jacques Leclerc". मूल से 28 May 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 December 2015.
  2. "Why Hindi isn't the national language". मूल से 3 जून 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 जून 2019.
  3. "संग्रहीत प्रति". मूल से 6 मार्च 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 6 मार्च 2018.

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]