सदस्य वार्ता:Anooya.swamy/प्रयोगपृष्ठ2

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चित्र:अनुमोदित शैली.jpg
परवरिश शैली

परवरिश शैली[संपादित करें]

परवरिश शैली, बच्चे के आज और आने वाले कल को प्रभावित करता है। माता पिता कैसे अपने बच्चो की परवरिश करते है, परिवार के सदस्यों के बीच के संब्ंधो को तय करता है। हर माता-पिता का छाह होता है की उनके बच्चे खुश और संतुष्ट रहे और तरक्की करे पर कई माता- पिता अपने बच्चो के सात कुछ ज़्यादा सख्त हो जाते है और कई कुछ ज़्यादा नर्म। मनोविज्ञानिको के अनुसार एक अच्छे माता-पिता बनने के लिए आपको प्रभावी परवरिश शैली का पता होना भी जरुरी है।[1]

परवरिश की शैलियाँ चार प्रकार की होती हैं-

1. सत्तावादी शैली-[संपादित करें]

सत्तावादी माता-पिता हमेशा मानते है कि बच्चों को बिना किसी तर्क उनका कहना मानना चाहिए। ऐसे माता पिता बच्चों को अपने आप समस्या को सुलझाने का प्रोत्साहन और अनुमति नहीं देते हैं। यह माता- पिता नियम बनाते है और उन नियमो के अनुसार काम करने के लिए प्रेरित करते है। वह उनके बच्चो की राय या सुझाव का उतना महत्व भि नहीं देते है। यह परवरिश शैली दंड का उपयोग करते हैं। इसलिए वे बच्चो को गलती से सिखने की बजाय गलती की सजा या सबक पर ज्यादा जोर देते है। इस्लिए इन परिवारो में खुली बातचीत नहीं होती। मनोविज्ञान के अनुसार, इन बच्चो को कम अत्मविश्वास होने कि संभावना है और वह शर्मीले होने के साथ, बहुत असुरक्षित महसूस करते है। इस कारण कई बार ये पढाई- लिखाई मे पीछे रेह जाते है।[2]

2. अनुमोदित शैली[संपादित करें]

अनुमोदित माता-पिता अपने बच्चो के लिए बहुत कम नियम निर्धारित करते है। ऐसे माता-पिता अपने बच्चों को निराश करना पसंद नहीं करते और दयालु किस्म के होते है। ऐसे माता- पिता एक दोस्त की भूमिका पर अधिक जोर देते है। अक्सर अपने बच्चों को उनकी समस्याओं के बारे में उनसे बात करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, लेकिन कभी कभी वे अपने बच्चो के गलत विकल्पों या खराब व्यवहार को रोकने में ज्यादा प्रयास नहीं करते। इस वजह से बच्चो मे अनुशासन की कमी देखा जा सक्ता है। यह बच्चे अह्ंकारी प्र्वृत्तियों को दिखाते है। माता- पिताओं के यह समझ्ना है कि बच्चो से दोस्ती करना जरुरी है लेकिन कुछ सीमाएं और नियम निर्धारित करना भी जरुरी है ताकि बच्चे अपने जिम्मेदारी समझ सके।

3. उपेक्षित शैली[संपादित करें]

यह् सबसे परवरिश शैली में से एक है। यह अपने बच्चो के लिए किसी भी तरह की सीमाएं या नियम नही रक्ते हैं। इस् प्रकार के माता-पिता कई बार खुद कई तरह की परेशानियों जैसे अवसाद और शोषण से पीड़ित होते है। इस कारण, इन् बच्चों को ज्यादा माता-पिता का ध्यान नहीं मिल पाता है। इन बच्चों में आत्म्विश्वास की भावना कम होती है और पढाई- लिखाई पर ध्यान नहीं देते। अक्सर ये बच्चे व्यवहारिक् समस्याएं से भुगगते हैं।[3]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  1. https://www.psychologyinaction.org/psychology-in-action-1/2018/4/23/k17ziyfqt1vy9tlytr9l9k48epdnur
  2. https://www.verywellfamily.com/types-of-parenting-styles-1095045
  3. https://www.brighthorizons.com/family-resources/parenting-style-four-types-of-parenting