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विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान[संपादित करें]

संस्था का गठनः[संपादित करें]

15 जून 1996 को संस्थान का गठन एक गैर पंजीकृत संस्था के रूप में किया गया लेकिन सरकारी अधिनियम के तहत दिसम्बर 1999 में इसके पूर्व नाम में कुछ संशोधन करके एक पंजीकृत संस्था ‘विश्व हिन्दी साहित्य सेवा संस्थान’ का रूप दिया गया।

संस्था का उद्देश्यः[संपादित करें]

संस्थान के गठन का मुख्य उद्देश्य हिंदी के विकास/हिंदी का प्रचार-प्रसार/हिंदी प्रेमियों को सम्मानित करने / रचनाकारों की रचनाओं को प्रकाशित करने / निर्धन / असहाय साहित्यकारों को यथा सम्भव सहयोग करने/पत्रकारिता के पाठ्यक्रम/हिंदी के गीत, गज़ल, कहानी, लेख, कविता, संस्मरण, उपन्यास, नाटक सहित सभी विधाओं को लिखने के लिए पाठ्यक्रम संचालित करना/काव्यगोष्ठी/कवि सम्मेलन / परिचर्चा/ पुस्तक प्रदर्शनी / लेखन प्रतियोगिता इत्यादि का समय-समय पर आयोजन करना है। साथ ही हिंदी को शासन-प्रशासन, न्याय, व्यवसाय की भाषा के रूप में स्थापित करने हेतु संघर्ष करना जिससे हिंदी प्रेमी अपने आपको हीन न समझे। साथ ही साथ स्नेहाश्रम (हिंदी विश्वविद्यालय, वृद्धाश्रम, अनाथाश्रम, पुस्तकालय, गौशाला, चिकित्सालय ) के रूप में स्थापित कर तिरस्कृत वृद्धजनों, अनाथ बच्चों, व समाज के असहाय जनों के लिए रोजी रोटी की व्यवस्था हेतु प्रयास करना, उन्हें रहने खाने की व्यवस्था सुनिश्चित करने सहित समाज व देश हित में कार्य करना।

विशेष :[संपादित करें]

संस्थान की प्रबंध कार्यकारिणी समिति का चुनाव प्रत्येक .पांच वर्ष में तथा समिति व उपसमितियों के पदाधि कारियों का चुनाव/चयन प्रत्येक दूसरे वर्ष लोकतांत्रिक प्रणाली से होता है. इस चुनावी प्रक्रिया में केन्द्रीय पदाधि कारियों के अतिरिक्त राज्य स्तर (सदस्यों की संख्या के आधार पर) पर संस्थान के प्रतिनिधि के रूप में हिन्दी सांसद (प्रभारी) व हिन्दी सांसदों का चुनाव/चयन किया जाता है. इस चुनावी प्रक्रिया में सभी प्रकार के सदस्य सहभागी होते हैं. जिसकी सूचना चुनाव के दो माह पूर्व साधारण डाक/ईमेल/वाट्सएप समूह के माध यम से दी जाती है. जिसमें चुनाव संबंधी विस्तृत विवरण दिया गया होता है. इस प्रक्रिया में किसी भी पद के लिए केवल स्थायी व आजीवन सदस्य (जो कम से कम पांच वर्ष पुराने हों) ही नामांकन कर सकते हैं. केवल विशेष परिस्थितियों में वे सदस्य जो संस्थान के प्रति सक्रिय भूमिका अदा कर रहे हैं उन्हें चयनित कार्यकारिणी अध्यक्ष व सचिव के प्रस्ताव पर विशेष क्षेत्र का हिन्दी सांसद, सलाहकार आदि पद दिया जाता है. वर्ष 2015 में यह निर्णय लिया गया है कि वे सदस्य या पदाधिकारी जो संस्थान में पूरे वर्ष में सबसे अधिक सक्रिय सहभागिता निभायेंगे उन्हें ‘विहिसा सरताज, वर्ष.. .’ की उपाधि से विभूषित किया जाएगा.

जिसकी घोषणा प्रत्येक वर्ष हिन्दी दिवस यानि 14 • सितम्बर को की जाती तथा आगामी साहित्य मेला के अवसर पर यह उपाधि प्रदान की जायेगी. जिसमें उपाधि के साथ उपहार व नगद राशि भी दी जाएगी।

सदस्यता की पात्रता :[संपादित करें]

कोई भी व्यक्ति जो हिंदी सेवी/समाज सेवी हो या हिंदी में अभिरुचि रखता हो।

नियमः[संपादित करें]

स्थायी/आजीवन सदस्य ही संस्था के पदाधिकारी / हिन्दी सांसद का चुनाव लड़ सकते हैं अथवा इसके लिए चयनित हो सकते हैं. संस्था का चुनाव लोकतांत्रिक प्रक्रिया से प्रत्येक दो साल में सम्पन्न होता है. स्थायी सदस्यों की बैठक साल में दो बार होगी. कम से कम एक बैठक में उपस्थित होना अनिवार्य होगा। साधारण सभा की बैठक साल में एक बार होगी. बैठक देश में कहीं भी हो सकती है. आप अपनी सदस्यता राशि यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की किसी शाखा में खाता आईएफएससी : यूबीआईएन0553875 बचत खाता सख्या: 538702010009259 में विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज।