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बादाम का तेल

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बादाम के तेल को ब्रिटिश फार्मेकोपिया में 'ओलियम एमिग्डैली' (Oleum amygdalae) कहते हैं। यह बादाम की गिरी से प्राप्त होता है। गिरी को कोल्हू में पेरकर, अथवा विलायकों द्वारा, तेल को अलग करते हैं। तेल की मात्रा मीठे बादाम में ४५% से ५५% और कडुवे बादाम में ३५% से ४४% हो सकती है।

गुण[संपादित करें]

बादाम का तेल अशुष्कनीय स्थिर तेल है। यह हलके पीले रंग का होता है। इसकी गंध विशेष प्रकार की होती है। निष्कर्षण द्वारा प्राप्त तेल कुछ मैले रंग का होता है। इस तेल के विशिष्ट गुण इस प्रकार हैं :

  • [[आपेक्षिक घनत्व[[ (१५°/१५°सें.) ०.९१४-०.९२१
  • हिमांक -१५° से -२०°सें.
  • साबुनीकरण मान १८३.३-२०७.६
  • आयोडीन मान ०.५-३.५
  • राइकर्ट माइकैल मान ०.५

यह जल में अविलेय, ऐल्कोहल में अल्प विलेय और ईथर, क्लोरोफार्म तथा बेंज़ीन में सहज विलेय है। इसमें मुख्यत: ओलिइक, लिनोलेइक (५.९७%) के अतिरिक्त, संतृप्त अम्लों में मिरिस्टिक और पामिटिक अम्ल कुछ रहते हैं। सूक्ष्म मशीनों के लिए स्नेहक तेल के निर्माण, ओषधियों, चेहरे की क्रीमों तथा बिस्कुट या अन्य मिठाइयों के बनाने में यह प्रयुक्त होता है।

कडुए बादाम से स्थिर तेल के अतिरिक्त ०.५% से ७% तक वाष्पशील तेल भी प्राप्त होता है। स्थिर तेल निकाल लेने पर जो अवशिष्ट अंश बच जाता है उसका पानी के साथ संप्रेषण करते हैं। अवशिष्ट अंश में एमिग्डैलिन नामक ग्लूकोसाइड रहता है और उसमें एक एंज़ाइम इमल्सिन रहता है। जल की उपस्थिति में इमल्सिन एमिग्डैलिन का विघटन कर ग्लूकोज़, बेंज़ल्डीहाइड और हाइड्रोसायनिक अम्ल मुक्त करता है। इस प्रकार से प्राप्त उत्पाद के आसवन से वाष्पशील तेल प्राप्त होता है, जिसमें बेंजल्डीहाइड और हाइड्रोसायनिक अम्ल दोनों रहते हैं। आसुत को चूने और फेरस सल्फेट के साथ उपचारित करने से हाइड्रोसायनिक अम्ल निकाला जा सकता है। बेंजल्डीहाइड के कारण आसुत में विशेष गंध होती है। इस गंध के कारण ही संगंध तेल के रूप में इसका व्यवहार होता है।