सैनी

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सैनी ( शूरसैनी ) भारत की एक क्षत्रिय जाति है जो पारम्परिक रूप से कृषि से जुड़े हुए हैं । जो कि महाराजा शूरसेन के वंशज हैं ।[1] भारतीय राज्यों उत्तर प्रदेश,[2] पंजाब,[3] हरियाणा,[4] राजस्थान[5] और मध्य प्रदेश[6] एवं भारत सरकार के अधिनस्थ सरकारी नौकरियों और शैक्षिक संस्थानों में सैनी समाज को अन्य पिछड़ा वर्ग (अपिवा) में रखा गया है।[7]

सैनी
धर्म हिन्दू धर्म और सिख धर्म
भाषा शौरसेनी ,हरियाणवी, पंजाबी, हिंदी
देश भारत, पाकिस्तान
मूल राज्य हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड , जम्मू, उत्तर प्रदेश, और दिल्ली

1857 के भारतीय विद्रोह के बाद ब्रिटिश राज युग के दौरान एक वैधानिक कृषि जनजाति और एक नामित मार्शल रेस दोनों के रूप में सैनी मुख्य रूप से कृषि और सैन्य सेवा दोनों में लगे हुए थे ।

सैनी कितने प्रकार के होते हैं[संपादित करें]

सैनी एक ही प्रकार के होते थे , सैनी प्राचीन "शूरसैनी जाति" से संबंधित है । उत्तर भारत में प्राचीन शूरसैनी जाति से संबंध रखने वाले लोग अपने आप को सैनी बोलते थे ।[8]

उत्तर भारत के कई अन्य जातियों ने एक षड्यंत्र के तहत सैनी जाति के नाम इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है , [9] [10]इसलिए आज-कल सैनी जाति के लोगों को कई प्रकार का माना जाता है । आज भारत में कई अन्य जाति के लोग सैनी जाति के नाम का इस्तेमाल करते हैं जैसे की :-

1 . शुद्र माली / माली सैनी ( फूले माली, हल्दी माली, काछी माली, जीरे माली, मेवाड़ा माली, कजोरिया माली, वन माली, रामी माली, ढीमर माली , भादरिया माली , हरिजन/वाल्मीकि माली और भुजबल माली आदि ) ।[11]

2 . गोले ( ठाकुर क्षत्रिय )[12]

3 . भागीरथी माली [13]

4 . सैनिक क्षत्रीय माली ( गहलोत ,पवार, भाटी, चौहान , राठौर, सोलंकी और तंवर आदि ) ।[2] [14]

                     जब सैनी जाति में अन्य जाति के लोग शामिल होते हैं तो इससे भारत की "शूरसैनी क्षत्रिय जाति" की छवि खराब होती है , इन अन्य जातियों के लोगों को सैनी जाति में शामिल करने के लिए सैनी जाति के संगठन और नेता सहयोग करते हैं । सैनी जाति के संगठन पैसे के स्वार्थ के लिए और सैनी नेता अपने वोट बैंक के स्वार्थ के लिए इन अन्य जातियों को सैनी जाति से जोड़ने का कार्य करता है ।


इतिहास[संपादित करें]

[15] सैनी उत्तर भारत की एक क्षत्रिय शूरसैनी जाति है , इस जाति के लोगों को शूरसैनी , पुरु शूरसैनी और गोले सैनी के नाम से जाना जाता है । सैनी जाति के लोग अपने आप को श्री कृष्ण एवं पुरूवास के वंशज मानते हैं । सैनी जाति का संबंध प्राचीन शूरसैनी कबीले से है , इस जाति के लोगों को भेड़िया भी कहा जाता था क्योंकि इस जाति के लोग समूह में रहते थे और इस जाति के लोग समूह में ही अपने शत्रु पर हमला करते थे । शूरसैनी जाति के लोगों का मूल रूप से कार्य युद्ध लड़ना था यानी कि यह लोग क्षत्रिय योद्धा होते थे , शूरसैनी योद्धा युद्ध में इतने कुशल थे कि इन्हें कई जाति के राजाओं ने अपनी सेना का सेनापति तक रखा था और आज के भारत में भी शूरसैनी भारतीय सेना के बड़े अधिकारी हैं । भारतीय राज्यों उत्तर प्रदेश, जम्मू और कश्मीर ,पंजाब,हरियाणा, उत्तराखंड , हिमाचल और दिल्ली मैं सैनी जाति के लोग मूल रूप से पाए जाते हैं ।  [16]

सैनी जाति के लोग परंपरागत रूप से भूमि के मालिक (ज़मींदार) और किसान होते थे । आज सैनी समुदाय के लोग सरकारी नौकरी, शिक्षा, सेना, वकालत, प्रशासनिक सेवा, व्यवसाय, प्रबंधन, इंजीनियरिंग, चिकित्सा, अनुसंधान, टेक्नोलॉजी और राजनीति आदि में अपनी सेवा दे रहे है ।

सैनी शब्द की उत्पत्ति “महाराजा शूर सैनी” के नाम से हुई है, वह एक पराक्रमी शूर वीर योद्धा थे और महाराजा शूर सैनी " सम्राट शूरसेन " के पुत्र थे । कभी वर्तमान के मथुरा नगर पर सम्राट शूरसेन का शासन हुआ करता था , मथुरा प्राचीन भारत के 16 महाजनपदो में से एक था और शूर शब्द का शाब्दिक अर्थ वीर बहादुर या योद्धा होता है ।

महाराजा शूर सैनी का जन्म महाभारत काल में हुआ था, वह एक शूरवीर क्षत्रिय थें , प्राचीन ऐतिहासिक अभिलेखों के अनुसार मथुरा " शूरसेन महाजनपद " की राजधानी थी और सम्राट शूरसैन वासुदेव के पिता और भगवान कृष्ण के दादा थे । इस पौराणिक मान्यता के अनुसार यही वह वंश है , जिसमें शूरसैनी राजा कृष्ण का जन्म हुआ था और महाराजा शूर सैनी के वंशज ही सैनी कहलाए ।

सम्राट शूरसेन हिंदू पौराणिक कथाओं में वर्णित मथुरा का एक शूरसैनी शासक थे । उनका विवाह मारिशा नाम की एक नागा या नागिन महिला से हुआ था । भीम के लिए वासुकी के वरदान का कारण थी । उन्हें वह राजा कहा जाता है जिनके नाम पर शूरसैनी साम्राज्य के सैनी संप्रदाय का नाम रखा गया था ।

सम्राट शूरसेन के 15 बच्चे थे, शूरसेन समुद्रविजय (स्वयं नेमिनाथ के पिता ), वासुदेव (स्वयं वासुदेव - कृष्ण के पिता ) , महाराजा शूर सैनी ( शूरसैनीवंश के जनक ) और कुंती ( कर्ण और पांडवों की मां ) के पिता थे । उनका महाभारत और पुराणों दोनों में बड़े पैमाने पर उल्लेख किया गया है ।

धर्म[संपादित करें]

सनातन धर्म[संपादित करें]

हालांकि सैनी की एक बड़ी संख्या सनातन धर्म को मानती है, उनकी धार्मिक प्रथाओं को वैदिक और सिक्ख परंपराओं के विस्तृत परिधि में वर्णित किया जा सकता है।

सिख[संपादित करें]

पंद्रहवीं सदी में सिख धर्म के उदय के साथ कई सैनियों ने सिख धर्म को अपना लिया। इसलिए, आज पंजाब में सिक्ख सैनियों की एक बड़ी आबादी है। हिन्दू सैनी और सिख सैनियों के बीच की सीमा रेखा काफी धुंधली है क्योंकि वे आसानी से आपस में अंतर-विवाह करते हैं। एक बड़े परिवार के भीतर हिंदुओं और सिखों, दोनों को पाया जा सकता है।

1901 के पश्चात सिख पहचान की ओर जनसांख्यिकीय बदलाव[संपादित करें]

  • 1881 की जनगणना में केवल 10% सैनियों को सिखों के रूप में निर्वाचित किया गया था, लेकिन 1931 की जनगणना में सिख सैनियों की संख्या 57% से अधिक पहुंच गई। यह गौर किया जाना चाहिए कि ऐसा ही जनसांख्यिकीय बदलाव पंजाब के अन्य ग्रामीण समुदायों में पाया गया है जैसे कि जाट, महंत, कम्बोह आदि। [17] सिक्ख धर्म की ओर 1901-पश्चात के जनसांख्यिकीय बदलाव के लिए जिन कारणों को आम तौर पर जिम्मेदार ठहराया जाता है उनकी व्याख्या निम्नलिखित है[18]:
  • ब्रिटिश द्वारा सेना में भर्ती के लिए सिखों को हिंदुओं और मुसलमानों की तुलना में अधिक पसंद किया जाता था। ये सभी ग्रामीण समुदाय जीवन यापन के लिए कृषि के अलावा सेना की नौकरियों पर निर्भर करते थे। नतीजतन, इन समुदायों से पंजाबी हिंदुओं की बड़ी संख्या खुद को सिख के रूप में बदलने लगी ताकि सेना की भर्ती में अधिमान्य उपचार प्राप्त हो। क्योंकि सिख और पंजाबी हिन्दुओं के रिवाज, विश्वास और ऐतिहासिक दृष्टिकोण ज्यादातर समान थे या निकट रूप से संबंधित थे, इस परिवर्तन ने किसी भी सामाजिक चुनौती को उत्पन्न नहीं किया;
  • सिख धर्म के अन्दर 20वीं शताब्दी के आरम्भ में सुधार आंदोलनों ने विवाह प्रथाओं को सरलीकृत किया जिससे फसल खराब हो जाने के अलावा ग्रामीण ऋणग्रस्तता का एक प्रमुख कारक समाप्त होने लगा। इस कारण से खेती की पृष्ठभूमि वाले कई ग्रामीण हिन्दू भी इस व्यापक समस्या की एक प्रतिक्रिया स्वरूप सिक्ख धर्म की ओर आकर्षित होने लगे। 1900 का पंजाब भूमि विभाजन अधिनियम को भी औपनिवेशिक सरकार द्वारा इसी उद्देश्य से बनाया गया था ताकि उधारदाताओं द्वारा जो आम तौर पर बनिया और खत्री पृष्ठभूमि होते थे इन ग्रामीण समुदायों की ज़मीन के समायोजन को रोका जा सके, क्योंकि यह समुदाय भारतीय सेना की रीढ़ की हड्डी था;
  • 1881 की जनगणना के बाद सिंह सभा और आर्य समाज आन्दोलन के बीच शास्त्रार्थ सम्बन्धी विवाद के कारण हिंदू और सिख पहचान का आम ध्रुवीकरण. 1881 से पहले, सिखों के बीच अलगाववादी चेतना बहुत मजबूत नहीं थी या अच्छी तरह से स्पष्ट नहीं थी। 1881 की जनगणना के अनुसार पंजाब की जनसंख्या का केवल 13% सिख के रूप में निर्वाचित हुआ और सिख पृष्ठभूमि के कई समूहों ने खुद को हिंदू बना लिया।

विवाह[संपादित करें]

ऐसी स्थिति में विवाह नहीं हो सकता अगर[19] लड़के की ओर से चार में से एक भी गोत्र लड़की के पक्ष के चार गोत्र से मिलता हो। दोनों पक्षों से ये चार गोत्र होते हैं:

  • पैतृक दादा
  • पैतृक दादी
  • नाना
  • नानी

दोनों पक्षों में उपरोक्त किसी भी गोत्र के एक ना होने पर भी अगर दोनों ही परिवारों का गांव एक हो, इस स्थिति में भी लड़के और लड़की को एक दूसरे को पारस्परिक रूप से भाई-बहन समझा जाता है और विवाह नही होता है।

माली जाति ने अपनाया "सैनी" नाम 1937[संपादित करें]

राजस्थान राज्य के माली समुदाय ने 1937 के दशक के दौरान सैनी उपनाम अपनाया था जब भारत ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के अधीन था ।[20] [21] [22]

जब राजस्थान के माली समुदाय ने सैनी जाति का नाम अपनाया तब उन्हें देखकर भारत के अन्य माली भी सैनी जाति के सरनेम का इस्तेमाल करने लगे , वर्तमान में उत्तर भारत की कई अन्य जाति भी सैनी जाति के सरनेम का इस्तेमाल करती है ।[23]

References[संपादित करें]

  1. "SAINI CASTE HISTORY". sites.google.com. अभिगमन तिथि 2024-05-30.
  2. "17 Most Backward Castes May Play Kingmaker as Purvanchal Gears Up to Vote in Final Phase". न्यूज़18. 15 मई 2019. अभिगमन तिथि 26 फ़रवरी 2023.
  3. "Saini, Swarnkar/Sunar communities to be backward classes in Punjab". द इंडियन एक्सप्रेस (अंग्रेज़ी में). 10 सितम्बर 2016. अभिगमन तिथि 26 फ़रवरी 2023.
  4. "Haryana government adds Kushwaha, Keori, Maurya castes to BC list". द इकोनॉमिक टाइम्स. 5 नवम्बर 2013. अभिगमन तिथि 26 फ़रवरी 2023.
  5. "Rajasthan assembly polls 2018: RSS stronghold, Anta, has been electing influential leaders". हिन्दुस्तान टाइम्स (अंग्रेज़ी में). 11 सितम्बर 2018. अभिगमन तिथि 26 फ़रवरी 2023.
  6. "Shubha Mudgal: Commission starts hearing on inclusion of OBCs from Madhya Pradesh". द टाइम्स ऑफ़ इंडिया (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 26 फ़रवरी 2023.
  7. "CENTRAL LIST OF OTHER BACKWARD CLASSES" (PDF). CHANDIGARH ENGINEERING DEPARTMENT. मूल (PDF) से 4 नवंबर 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 फ़रवरी 2023.
  8. "SHOORSAINI | कौन होते हैं शूरसैनी ?". Saini News (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2024-05-28.
  9. Mourya, Dr Raj Bahadur (2021-09-03). "उत्तर-प्रदेश में मौर्य, कुशवाहा, शाक्य, सैनी समाज का राजनीतिक प्रतिनिधित्व- एक झलक". The Mahamaya. अभिगमन तिथि 2024-05-28.
  10. KushwahaShadi. "Kushwahashadi.com". Kushwahashadi.com (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2024-05-28.
  11. "माली, सैनी, कुशवाहा, शाक्य और मौर्य समाज". माली, सैनी, कुशवाहा, शाक्य और मौर्य समाज. 2022-07-09. अभिगमन तिथि 2024-05-28.
  12. Bhartiya, Ranjeet (2023-01-08). "गोले सैनी हिस्ट्री, History of gole saini". Jankari Today (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2024-05-28.
  13. Author, Nama. "सैनी समाज का इतिहास". अभिगमन तिथि 2024-05-28.
  14. Unknown (2016-04-01). "Sodalpur: क्षत्रिय मारवाड़ी समाज का इतिहास". Sodalpur. अभिगमन तिथि 2024-05-28.
  15. "SAINI CASTE HISTORY". www.sainicaste.com. अभिगमन तिथि 2024-05-28.
  16. "SHOORSAINI | कौन होते हैं शूरसैनी ?". Saini News (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2024-05-28.
  17. इतिहास और विचारधारा: 300 वर्षों में खालसा, सिख इतिहास पर योगदान के प्रपत्र, विभिन्न भारतीय इतिहास कांग्रेस में प्रस्तुत, 124 पीपी, जे एस ग्रेवाल, इंदु बंगा, तुलिका, 1999
  18. "इस प्रकार हिन्दू जाट, 1901 में 15,39574 से घटकर 1931 में 9,92309 हो गए, जबकि सिख जाट इसी समय अवधि में 13,88877 से बढ़कर 21,33152 हो गए", पंजाब का आर्थिक और सामाजिक इतिहास, हरियाणा और 1901-1939 हिमाचल प्रदेश, बीएस सैनी, ईएसएस ईएसएस प्रकाशन, 1975
  19. सगोत्र विवाह और गांव/गोत्र स्तरीय एक्सोगामी : सैनी अंतर्विवाही समुदाय है और गांव और गोत्र स्तर पर एक्सोगामी का पालन करते हैं।" वर्तमान का विधवा विवाह और तलाक उदारीकरण: "आजकल, सैनी समुदाय विधवा और विधुर के पुनर्विवाह की और दोनों लिंगों के तलाक की अनुमति देता है। कथित तौर पर समुदाय के भीतर शादी के नियमों में एक उदारीकरण किया गया है। " भारत के लोग, राष्ट्रीय सीरीज खंड VI, भारत के समुदाय NZ, 3090 पी, के.एस सिंह, भारत का मानव विज्ञान सर्वेक्षण, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, 1998
  20. "File:Mali or Neo Saini group started saini surnames in 1937.jpg - Wikimedia Commons". commons.wikimedia.org (अंग्रेज़ी में). 2020-10-12. अभिगमन तिथि 2024-05-30.
  21. "SAINI CASTE HISTORY". sites.google.com. अभिगमन तिथि 2024-05-30.
  22. "Mali caste", Wikipedia (अंग्रेज़ी में), 2024-04-17, अभिगमन तिथि 2024-05-30
  23. "Welcome to Saini World". sainiworld.com. अभिगमन तिथि 2024-05-30.

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