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प्रवेशद्वार:झारखंड

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झारखंड प्रवेशद्वार

चित्र:JharkhandLoginMap.gif
'झारखंड' यानि झार या झाड़ जो स्थानीय रूप में वन का पर्याय है और खंड यानि टुकड़े से मिलकर बना है। अपने नाम के अनुरुप यह मूलत: एक वनप्रदेश है जो झारखंड आंदोलन के फलस्वरुप (जिसे बाद में कुछ लोगों द्वारा वनांचल आंदोलन के नाम से जाना जाता है) सृजित हुआ। प्रचुर मात्रा में खनिज की उपलबध्ता के कारण इसे भारत का 'रूर' भी कहा जाता है जो जर्मनी में खनिज-प्रदेश के नाम से विख्यात है।

72 वर्षों पहले आदिवासी महासभा ने जयपाल सिंह मुंडा की अगुआई में अलग ‘झारखंड’ का सपना देखा. पर वर्ष 2000 में कद्र सरकार ने 15 नवंबर (आदिवासी नायक बिरसा मुंडा के जन्मदिन) को भारत का अठ्ठाइसवाँ राज्य बना झारखंड भारत के नवीनतम प्रान्तों में से एक है। बिहार के दक्षिणी हिस्से को विभाजित कर झारखंड प्रदेश का सृजन किया गया था। औद्योगिक नगरी राँची इसकी राजधानी है। इस प्रदेश के अन्य बड़े शहरों में धनबाद, बोकारो एवं जमशेदपुर शामिल हैं। झारखंड की सीमाँए उत्तर में बिहार, पश्चिम में उत्तर प्रदेश एवं छत्तीसगढ, दक्षिण में उड़ीसा और पूर्व में पश्चिम बंगाल को छूती हैं। लगभ संपूर्ण प्रदेश छोटानागपुर के पठार पर अवस्थित है। कोयल, दामोदर, खड़कई, और सुवर्णरेखा। स्वर्णरेखा यहाँ की प्रमुख नदियाँ हैं। संपूर्ण भारत में वनों के अनुपात में प्रदेश एक अग्रणी राज्य माना जाता है तथा वन्यजीवों के संरक्षण के लिये मशहूर है।

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चयनित लेख

बेतला के बाघ
बेतला के बाघ
पलामू व्याघ्र आरक्षित वन झारखंड के छोटा नागपुर पठार के लातेहर जिला जिले में स्थित है। यह १९७४ में बाघ परियोजना के अंतर्गत गठित प्रथम ९ बाघ आरक्षों में से एक है।पलामू व्याघ्र आरक्ष १,०२६ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसमें पलामू वन्यजीव अभयारण्य का क्षेत्रफल 980 वर्ग किलोमीटर है। अभयारण्य के कोर क्षेत्र 226 वर्ग किलोमीटर को बेतला राष्ट्रीय उद्यान के रूप में अधिसूचित किया गया है।पलामू आरक्ष के मुख्य आकर्षणों में शामिल हैं बाघ, हाथी, तेंदुआ, गौर, सांभर और चीतल। पलामू ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। सन १८५७ की क्रांति में पलामू ने अहम भूमिका निभाई थी। चेरो राजाओं द्वारा निर्मित दो किलों के खंडहर पलामू व्याघ्र आरक्ष में विद्यमान हैं।पलामू में कई प्रकार के वन पाए जाते हैं, जैसे शुष्क मिश्रित वन, साल के वन, और बांस के झुरमुट, जिनमें सैकड़ों वन्य जीव रहते हैं।पलामू के वन तीन नदियों के जलग्रहण क्षेत्र को सुरक्षा प्रदान करते हैं। ये नदियां हैं उत्तर कोयल, औरंगा और बूढ़ा।२०० से अधिक गांव पलामू व्याघ्र आरक्ष पर आर्थिक दृष्टि से निर्भर हैं। इन गांवों की मुख्य आबादी जनजातीय है। इन गांवों में लगभग १,००,००० लोग रहते हैं।पलामू के खूबसूरत वन, घाटियां और पहाड़ियां तथा वहां के शानदार जीव-जंतु बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
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चयनित चित्र

चित्र:Jharkhand04 tabaleau.jpg
राँची में पाषाण कला का एक उत्कृष्ट नमूना
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चयनित जीवनी

सुगना मुंडा और करमी हातू के पुत्र बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को झारखंड प्रदेश मेंराँची केउलीहातू गाँव में हुआ था। साल्गा गाँव में प्रांभिक पढाई के बाद वे चाईबासा इंग्लिश मिडिल स्कूल में पढने आये। इनका मन हमेशा अपने समाज की ब्रिटिश शासकों द्वारा की गयी बुरी दशा पर सोचता रहता था। उन्होंने मुंडा लोगों को अंग्रेजों से मुक्ति पाने के लिये अपना नेतृत्व प्रदान किया। 1894 में मानसून के छोटानागपुर में असफल होने के कारण भयंकर अकाल और महामारी फैली हुई थी। बिरसा ने पूरे मनोयोग से अपने लोगों की सेवा की।
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प्रवेशद्वार:झारखंड का नक्शा

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संबंधित प्रवेशद्वार

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चयनित पर्यटन स्थल

देवघर भारत के झारखंड प्रान्त का एक शहर है। यह शहर हिन्दुओं का प्रसिद्ध तीर्थ-स्थल है। इस शहर को बाबाधाम नाम से भी जाना जाता है क्योंकि शैव पुराण में देवघर को बारह जोतिर्लिंगों में से एक माना गया है। यहाँ भगवान शिव का एक अत्यंत प्राचीन मंदिर स्थित है। हर सावन में यहाँ लाखों शिव भक्तों की भीड़ उमड़ती है जो देश के विभिन्न हिस्सों सहित विदेशों से भी यहाँ आते हैं। इन भक्तों को काँवरिया कहा जाता है। ये शिव भक्त बिहार में सुल्तानगंज से गंगा नदी से गंगाजल लेकर 105 किलोमीटर की दूरी पैदल तय कर देवघर में भगवान शिव को जल अर्पित करते हैं।
मुख्यतः देखें
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श्रेणियां

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झारखंड का खाना

झारखंड का लिट्टी चोखा


नाज़िया हसन
नाज़िया हसन
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