सूजाक

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Syphilis
वर्गीकरण एवं बाह्य साधन
Electron micrograph of Treponema pallidum
आईसीडी-१० A50.-A53.
आईसीडी- 090-097
डिज़ीज़-डीबी 29054
मेडलाइन प्लस 001327
ईमेडिसिन med/2224  emerg/563 derm/413
एम.ईएसएच D013587

सूजाक एक संक्रामक यौन रोग[1] (यौन संचारित बीमारी (एसटीडी)) है। सूजाक नीसेरिया गानोरिआ नामक जीवाणु से होता है जो महिला तथा पुरुषों में प्रजनन मार्ग के गर्म तथा गीले क्षेत्र में आसानी और बड़ी तेजी से बढ़ती है। इसके जीवाणु मुंह, गला, आंख तथा गुदा में भी बढ़ते हैं। उपदंश की तरह यह भी एक संक्रामक रोग है अतः उन्ही स्त्री-पुरुषों को होता है जो इस रोग से ग्रस्त व्यक्ति से यौन संपर्क करते हैं।[2]

सूजाक रोग में चूँकि लिंगेन्द्रिय के अंदर घाव हो जाता है और इससे पस निकलता है अतः इसे हिंदी में 'पूयमेह ' , औपसर्गिक पूयमेह और ' परमा ' कहते हैं और अंग्रेजी भाषा में गोनोरिया (gonorrhoea ) कहते हैं. पश्चिमी देशों में इसे क्लेप (clap ) के नाम से भी जाना जाता है[3].

इसके संक्रमण का मूल माध्यम यौन संपर्क है; गर्भावस्था या जन्म के समय यह रोग माँ से बच्चे अथवा गर्भ में पल रहे बच्चे में भी संक्रमित हो सकता है, जिसके कारण पैदाइशी सिफलिस होता है। संबंधित ट्रेपोनेमा पैलिडम द्वारा होने वाली अन्य रोगों में याज (उप-प्रजाति परटेन्यू), पिंटा(उप-प्रजाति काराटियम) और बेजेल (उपप्रजाति एन्डेमिकम) शामिल हैं।

सूजाक के चिह्न और लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि यह अपने चार चरणों (प्राथमिक, द्वितीयक, अव्यक्त व तृतीयक) में से किस चरण में है। प्राथमिक चरण में एकल व्रण (एक स्थिर, दर्दरहित, बिना खुजली वाला अल्सर रूप) आम तौर पर उपस्थित होता है, द्वितीयक सिफलिस में फैले हुये दाने होते हैं जो अक्सर हाथों की हथेली और पैरों के तलवों में होता है, अव्यक्त सिफलिस में बेहद कम या कोई लक्षण नहीं होते हैं और तृतीयक सिफलिस में गुमा, तंत्रिका या हृदय संबंधी लक्षण होते है। हलांकि इसकी निरंतर असमान्य प्रस्तुतिकरण के कारण इसको "महान नकलची" भी कहा जाता है। इसका निदान आमतौर पर रक्त परीक्षण द्वारा किया जाता है; हलांकि बैक्टीरिया माइक्रोस्कोप के नीचे भी देखे जा सकते हैं। सिफलिस का इलाज प्रभावी ढ़ंग से एंटीबायोटिक्स द्वारा किया जा सकता है विशेष रूप से पसंदीदा इंट्रामस्क्युलर पेनिसिलीन जी (न्यूरोसिफलिस के लिये इंट्रावीनस तरीके से दी जाने वाली) या फिर सेफट्रियाक्सोन और गंभीर पेनिसिलीन एलर्जी वाले लोगों के लिये मौखिक डॉक्सीसाइक्लीन या एजीथ्रोमाइसिन

माना जाता है कि सूजाक ने 1999 में पूरी दुनिया में 12 मिलियन लोगों को प्रभावित किया, जिसमें से 90% से अधिक मामले विकासशील दुनिया के हैं। 1940 में पेनिसिलीन की विस्तृत उपलब्धता के कारण नाटकीय रूप से कम होने के बाद, शताब्दी की शुरुआत के साथ बहुत सारे देशों में संक्रमण की दर बढ़ गयी है, अक्सर ह्यूमन इम्युनोडिफिशियेन्सी वायरस (HIV) के साथ यह दिख रहा है। यह आदमियों के साथ यौन संबंध रखने वाले आदमियों के बीच असुरक्षित यौन संबंधों के कारण, बढ़ी हुई अस्वच्छंदता, वैश्यावृत्ति और सुरक्षा साधनों के उपयोग की कमी के कारण भी आंशिक रूप से बढ़ा है।[4][5][6]

चिह्न और लक्षण[संपादित करें]

सिफलिस निम्न चार विभिन्न चरणों में से किसी एक चरण में हो सकता है: प्राथमिक, द्वितीयक, अव्यक्त व तृतीयक[7] और जन्मजात रूप से भी हो सकता है।[8] इसकी निरंतर असमान्य प्रस्तुतिकरण के कारण सर विलियम ऑस्लर ने इसे "महान नकलची" भी कहा था।[7][9]

प्राथमिक[संपादित करें]

हाथ के प्राथमिक सिफलिस का व्रण

किसी और व्यक्ति के संक्रामक घावों के साथ सीधे यौन संपर्क के कारण आम तौर पर प्राथमिक सिफलिस होता है।[10] आरंभिक संक्रमण के लगभग 3 से 90 दिनों (औसत 21 दिन) के बाद एक त्वचीय घाव, जिसे व्रण कहते हैं संपर्क बिंदु पर दिखता है।[7] यह आमतौर पर (10 में से 4 बार) एकल, सुदृढ़, दर्द रहित, खुजली/जलन रहित त्वचीय अल्सर होता है जिसका आधार स्पष्ट और किनारे तीखे होते हैं और जिसका आकार 0.3 और 3.0 सेमी का होता है।[7] व्रण हलांकि कोई भी रूप ले सकता है।[11] आम तौर पर यह मैक्यूल (त्वचा पर एक बेरंगा चकत्ता जो त्वचा से ऊपर नहीं उठा होता है) से पैप्यूल (त्वचा पर एक उभार जो त्वचा से ऊपर उठा होता है) तक जा सकता है और अंततः एक एरोसन या अल्सरमें विकसित हो सकता है।[11] कभी कभार, एक से अधिक घाव हो सकते है (~40%),[7] HIV से संक्रमित लोगों में एकाधिक घाव अधिक आम होते हैं। घाव दर्द भरे या कोमल (30%) हो सकते हैं और वे जननांगों के बाहर (2–7%) हो सकते हैं। महिलाओं में सबसे आम स्थान गर्भाशय ग्रीवा (44%), विषमलिंगी पुरुषों में लिंग (99%) और समलिंगी पुरुषों में गुदा और रेक्टल अधिक आम स्थान (34%) हैं।[11] संक्रमण के क्षेत्र में लसिका नोड अक्सर बढ़ता (80%) है,[7] जो व्रण के निर्माण के सात से 10 दिनों के बाद होता है।सन्दर्भ त्रुटि: अमान्य <ref> टैग; (संभवतः कई) अमान्य नाम

द्वितीयक[संपादित करें]

हाथों की हथेली पर चकत्ते के साथ द्वितीयक सिफलिस की विशिष्ट प्रस्तुति
शरीर के अधिकतर भाग में द्वितीयक सिफलिस के कारण लालिमा वाले पैप्यूल्स और नोड्यूल्स

प्राथमिक संक्रमण के लगभग चार से दस सप्ताहों के बाद द्वितीयक सिफलिस होता है।[7] जबकि द्वितीयक रोग कई भिन्न-भिन्न रूपों के लिये जाना जाता है, यह अधिकतर ऐसे लक्षणों से प्रकट होता है जिनमें त्वचा, म्यूकस मेम्ब्रेन और लसिका नोड शामिल होती है।[12] धड़ व अग्रांगो, जिसमें हथेली और तलवे शामिल हैं, पर समान आकार, लाल-गुलाबी, खुजली/जलन रहित चकत्ते हो सकते हैं।[7][13] ये चकत्ते मैक्युलोपॉपुलर या पुस्ट्युलर(मस्से से भरे हुये) हो सकते हैं। यह सपाट, चौड़ा, गेहुए रंग का, मस्से जैसे घाव का रूप ले सकता है जिसे श्लेष्म झिल्ली पर कोन्डिलोमा लैटम कहा जाता है। इन सभी घावों में बैक्टीरिया पलते हैं जो कि संक्रामक होते हैं। अन्य लक्षणों में बुखार, गल-शोथ,बेचैनी, वजन हानि, बालों की हानि और सिरदर्दशामिल हो सकते हैं।[7] दुर्लभ अभिव्यक्तियों में हेपीटाइटिस, किडनी रोग, गठिया, पेरियोस्टिटिस, ऑप्टिक न्यूरिटिस, यूवेटिस और इंटरटेस्टिएल केरिएटाइटिसशामिल हो सकते हैं।[7][14] गंभीर लक्षण आम तौर पर तीन से छः सप्ताह के बाद दिखते हैं;[14] हलांकि, लगभग 25% लोगों में द्वितीयक लक्षणों की पुनरावृत्ति हो सकती है। द्वितीयक लक्षणों वाले बहुत सारे लोग (40–85% महिलायें, 20–65% पुरुष) प्राथमिक सिफलिस के विशिष्ट व्रण पहले न होने को रिपोर्ट करते हैं।[12]

अव्यक्त[संपादित करें]

अव्यक्त सिफलिस को रोग के लक्षणों के बिना संक्रमण के सेरोलॉजिक साक्ष्य द्वारा परिभाषित किया जाता है।[10] अमरीका में इसे शीघ्र (early) (द्वितीयक सिफलिस के बाद 1  वर्ष से पहले) या विलम्बित (late) (द्वितीयक सिफलिस के 1 वर्ष से अधिक बाद) के रूप में भी जाना जाता है।[14] यूनाइटेड किंगडम शीघ्र (early) और विलम्बित (late) अव्यक्त सिफलिस के लिये दो वर्ष का कट-ऑफ का उपयोग करता है।[11] शीघ्र (early) अव्यक्त सिफलिस में लक्षणों का पतन हो सकता है। विलम्बित (late) अव्यक्त सिफलिस अलाक्षणिक है और शीघ्र (early) अव्यक्त सिफलिस जितना संक्रामक भी नहीं है।[14]

तृतीयक[संपादित करें]

तृतीयक (गुमैटियस) सिफलिस से पीड़ित व्यक्ति। Musée de l'Homme, पेरिस की प्रतिमा।

तृतीयक सिफलिस आरंभिक संक्रमण के 3 से 15 वर्षों के बाद हो सकता है और इसको तीन विभिन्न रूपों में विभाजित किया जा सकता है: गुमैटियस सिफलिस (15%), विलम्बित न्यूरोसिफलिस (6.5%) और कार्डियोवस्क्युलर सिफलिस (10%)।[7][14] उपचार के बिना एक तिहाई संक्रमित लोगों में तृतीयक सिफलिस रोग विकसित हो जाता है।[14] तृतीयक सिफलिस से पीड़ित लोग संक्रामक नहीं होते हैं।[7]

गुमैटियस सिफलिस या विलम्बित सौम्य सिफलिस आमतौर पर आरंभिक संक्रमण के 1 से 46 वर्षों के बाद होता है, औसत अवधि 15 वर्ष है। इस चरण को पुराने गुमा से पहचाना जाता है जो कि मुलायम, ट्यूमर जैसे फूले हुये गेंदाकार उभार होते हैं और जिनका आकार भिन्न-भिन्न होता है। वे आमतौर पर त्वचा, हड्डी और लीवर पर असर डालते हैं और कहीं भी हो सकते हैं।[7]

न्यूरोसिफलिस एक ऐसा संक्रमण है जो केंद्रीय तंत्रिका तंत्रसे संबंधित है। यह जल्दी हो सकता है और अलाक्षणिक या सिफलिस मैनिन्जाइटिसके रूप में अथवा मैनिन्गोवस्क्युलर सिफलिस, जनरल पैरिसिस या टेब्स डोर्सालिस के रूप में विलंबित हो सकता है जो कि निचले अंग्रांगों में चमक वाले दर्द और खराब संतुलन से संबंधित है।विलंबित न्यूरोसिफलिस आम तौर से, संक्रमण के 4 से 25 वर्षों के बाद होता है। मेनिंगोवस्क्युलर सिफलिस आम तौर पर उदासीनता और दौरे और सामान्य पेशियों का पक्षाघात जिनमें पागलपन और टेब्स डोर्सालिसशामिल है।[7] साथ ही, एग्रिल रॉबर्टसन प्यूपिल, हो सकते हैं जो द्विपक्षीय छोटे प्यूपिल होते हैं जो तब जकड़ते हैं जब व्यक्ति नजदीकी वस्तु पर ध्यान केंद्रित करता है लेकिन तब नहीं जकड़ते हैं जब चमकीले प्रकाश से सामना होता है। कार्डियोवस्क्युलर सिफलिस आमतौर पर संक्रमण के 10–30 वर्षों के होता है। सबसे सामान्य जटिलता सिफिलिटिक एऑर्टिटिस है जिसके परिणामस्वरूप धमनीविस्फार निर्माण हो सकता है।[7]

जन्मजात[संपादित करें]

जन्मजात सिफलिस गर्भावस्था या जन्म के दौरान हो सकता है। सिफलिस से पीड़ित दो तिहाई शिशु बिना लक्षणों के पैदा होते हैं। जीवन के शुरुआती वर्षों में विकसित होने वाले लक्षणों में:हेमिटोस्पलीनोमिगली(लीवर और तिल्ली का बढ़ना) (70%), चकत्ते (70%), बुखार (40%), न्यूरोसिफलिस (20%) और न्यूमोनिटिस (20%) शामिल हैं।यदि उपचार न हो तो 40% में विलंबित कॉग्निटल सिफलिस हो सकता है जिसमें: सैडल नोस विकृति, हिगोमिनाकिस साइन, साबेर शिन या क्लटन्स जोड़ आदि शामिल हैं।[15]

कारण[संपादित करें]

जीवाणु विज्ञान[संपादित करें]

संशोधित स्टीनर सिल्वर स्टेन का उपयोग करते हुये ट्रेपोनेमा पैलिडम स्पिरोचेट्स का ऊतकविकृति विज्ञान

पैलिडम की उपप्रजाति ट्रेपोनेमा पैलिडम एक सर्पिल आकार का, ग्राम-निगेटिव, उच्च रूप से गतिशील बैक्टीरियम है।[11][16] ट्रेपोनेमा पैलिडम से संबंधित तीन अन्य मानव रोगों में याव्स (उपप्रजाति पर्टेन्यू), पिंटा (उपप्रजाति कैरेटियम) और बेजेल (उपप्रजातिएंडेमिकम) शामिल हैं।[7] उपप्रकार पैलिडम से भिन्न, ये न्यूरोलॉजिकल रोग नहीं पैदा करते।[15] उपप्रजाति पैलिडम के लिये मानव अकेले ज्ञात प्राकृतिक भंडार हैं।[8] यह किसी मेज़बान के बिना कुछ ही दिन बचा रह सकता है। ऐसा इसके छोटे जीनोम (1.14 MDa) के कारण है जिसके कारण यह अपने सूक्ष्म न्यूट्रिएंट्स के लिये आवश्यक मेटाबोलिक मार्ग को एनकोड करने में असफल रहता है।इसके दुगने होने का समय 30 घंटों से अधिक होता है।[11]

संचरण[संपादित करें]

सिफलिस प्राथमिक रूप से यौन संपर्क या गर्भावस्था को दौरान माँ से उसके गर्भ; को संचरित होता है स्फाइरोचेयटा अक्षत श्लेष्म झिल्ली या कमज़ोर त्वचा से होकर निकल जाने में सक्षम होता है।[7][8] इस प्रकार से यह किसी घाव के निकट चूमने से, मौखिक रूप से, योनि से या गुदा मैथुन द्वारा संक्रमित हो सकता है।[7] प्राथमिक या द्वितीयक सिफलिस से संक्रमित लगभग 30 से 60% लोगों में रोग पनप सकता है।[14] इसकी संक्रामकता को इस उदाहरण से समझा जा सकता है कि एक व्यक्ति जो 57 जीवों से रक्षित है उसे भी संक्रमित होने की 50% संभावनायें हैं।[11] अमरीका के अधिकतर नये मामले (60%) न पुरुषों के हैं जो समलैंगिक हैं। यह रक्त उत्पादों द्वारा संचरित हो सकता है। हलांकि, बहुत से देशों में इसके लिये रक्त की जांच होती है इस कारण इसका जोखिम कम है। साझा की गयी सुइयों से संचरण का जोखिम सीमित दिखता है।[7] सिफलिस, टॉयलट सीट के द्वारा, दैनिक गतिविधियों, हॉट टब, बर्तनों या कपड़ों को साझा करने से संचरित नहीं हो सकता है।[17]

निदान[संपादित करें]

सिफलिस की जांच के लिये पोस्टर, जो एक मर्द और औरत को शर्म से झुका दिखा रहा है (circa 1936)

अपनी शुरुआती उपस्थिति में सिफलिस का चिकितसीय निदान कठिन है।[11] पुष्टि या तोरक्त परीक्षण या माइक्रोस्कोपी का उपयोग करते हुये प्रत्यक्ष रूप से देख कर की जाती है। रक्त परीक्षण अधिक आम तौर पर उपयोग किये जाते हैं क्योंकि उनको करना आसान होता है।[7] हलांकि नैदानिक परीक्षण रोग के चरणों के बीच पहचान करने में अक्षम होते हैं।[18]

रक्त परीक्षण[संपादित करें]

रक्त परीक्षणों को नॉनट्रेपोनमल और ट्रोपनेमन परीक्षण कहा जाता है।[11] नॉनट्रेपोनमल परीक्षण आरंभिक रूप से उपयोग किये जाते हैं और इनमें यौन रोग शोध प्रयोगशाला (VDRL) और रैपिड प्लाज़मा रियाजिन परीक्षण शामिल हैं। हलांकि, चूंकि ये परीक्षण कभी-कभार त्रुटिपूर्ण सकारात्मक होते हे, इसलिये ट्रेपोनेमल परीक्षण द्वारा पुष्टिकरण की जरूरत पड़ती है जैसे ट्रेपोन्मल पैलिडम पार्टिकल एग्लूटिनेशन(TPHA) या फ्लोरोसेंट ट्रेपोनेमल ऐंटीबॉडी एब्सार्प्शन टेस्ट (FTA-Abs).[7] नॉनट्रेपोनेमल परीक्षणों पर त्रुटिपूर्ण सकारात्मक परिणाम कुछ वायरल संक्रमणों जैसे वैरीसेला और चेचक के कारण तथा साथ ही लिम्फोमा, तपेदिक, मलेरिया, एंडोकार्डाइटिस, कनेक्टिव टिश्यू रोग और गर्भावस्थाके कारण हो सकते हैं।[10] ट्रेपोनेमल एंटीबॉडी आम तौर पर आरंभिक संक्रमण के बाद दो से पांच सप्ताहों में सकारात्मक हो जाते हैं।[11] न्यूरोसिफलिस का निदान ल्यूकोसाइट्स (मुख्यरूप सेलिम्फोसाइट्स) की बढ़ी हुयी संख्या तथा ज्ञात सिफलिस संक्रमण की सेटिंग में सेरेब्रोस्पाइन तरल में उच्च प्रोटीन स्तर द्वारा किया जाता है।[7][10]

प्रत्यक्ष परीक्षण[संपादित करें]

एक व्रण से सेरस तरलकी डार्क ग्राउंड माइक्रोस्कोपी को तत्काल निदान के लिये उपयोग किया जा सकता है। हलांकि अस्पतालों में हमेशा उपकरण या अनुभवी कर्मचारी नहीं होते हैं, जबकि परीक्षण को नमूना लिये जाने के 10 मिनट के भीतर किया जाना चाहिये। लगभग 90 % लोगों में संवेदनशीलता देखी गयी है इस प्रकार इसे केवल किसी निदान की पुष्टि के लिये उपयोग किया जा सकता है लेकिन इसको बाहर नहीं किया जा सकता है। व्रण के नमूने पर दो अन्य परीक्षण किये जा सकते हैं: डायरेक्ट फ्लोरोसेंट ऐंटीबॉडी परीक्षण और न्यूक्लिक एसिड एम्प्लीफिकेशन परीक्षण। डायरेक्ट फ्लोरोसेंट परीक्षण फ्लोरोसीन से जुड़े एंटीबॉडीज़ का उपयोग करते हुये किये जाते हैं जो विशिष्ट सिफलिस प्रोटीन से जुड़े होते हैं, जबकि न्यूक्लिक एसिड एम्प्लीफिकेशन विशिष्ट स्फलिस जीनों की उपस्थिति की जांच के लिये पॉलीमरेस चेन रिएक्शनजैसी तकनीकों का उपयोग करता है। ये परीक्षण समय-संवेदी नहीं होते हैं, क्योंकि इनको निदान के लिये जीवित बैक्टीरिया की जरूरत नहीं होती है।[11]

रोकथाम[संपादित करें]

साँचा:अभी, तक रोकथाम के लिये कोई टीका उपलब्ध नहीं है।[8] संक्रमित व्यक्ति से अंतरंग शारीरिक संपर्क से बचना सिफलिस के संचरण को कम करने में प्रभावी होता है साथ ही लैटेक्स कंडोम का उपयोग भी प्रभावी होता है। कंडोम का उपयोग हलांकि जोखिम को पूरी तरह से समाप्त नहीं करता है।[19][17] इस प्रकार रोग नियंत्रण और रोकथाम के केन्द्र एक असंक्रमित पार्टनर के साथ परस्पर एकल रिश्ता और अल्कोहल जैसे तत्वों व अन्य नशीली दवाओं से बचने की सलाह देते हैं जो जोखिम भरे यौन व्यवहार को बढ़ावा देते हैं।[17]

नवजात में जन्मजात सिफलिफ की रोकथाम, माताओं को उनके गर्भधारण के शुरुआती समय में जांच करके तथा संक्रमित माताओं के उपचार द्वारा की जा सकती है।[20] यूनाइटेड स्टेट्स प्रिवेंटिव सर्विसेस टास्क फोर्स (USPSTF) इस बात की अनुशंसा मजबूती के साथ करती है कि सभी गर्भवती महिलाओं की सार्वभौमिक जांच की जाये,[21] जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन की अनुशंसा के अनुसार, सभी महिलाओं की उनकी पहली प्रसवपूर्ण यात्रा के समय जांच की जाये और दुबारा तीसरी तिमाहीके समय।[22] यदि वे सकारात्मक हैं तो उनके पार्टनर का भी उपचार किया जाना चाहिये।[22]जन्मजात सिफलिस अभी भी प्रगतिशील दुनिया में आम है क्योंकि बहुत सारी महिलाओं को प्रसवपूर्ण देखभाल कतई प्राप्त नहीं होती है और जिनको यह देखभाल मिलती भी है तो उसमें इसकी जांच शामिल नहीं होती है,[20] और यह विकसित देशों में भी कभी-कभार होता है, क्योंकि सिफलिस से पीड़ित होने वाले (नशीली दवों आदि के माध्यम से) लोगों को गर्भावस्था के दौरान देखभाल मिलने की संभावना न्यूनतम है।[20] कम तथा मध्य आय देशों में जांच तक पहुंच बनाने के कई उपाय करने से जन्मजात सिफलिस होने की दर में प्रभावी कमी आती है।[22]

सिफलिस, बहुत से देशों में ध्यान देने योग्य रोग है जिसमें कनाडा,[23] यूरोपीय यूनियन,[24] और अमरीका शामिल हैं।[25] इसका अर्थ है कि स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को सार्वजनिक स्वास्थ्यअधिकारियों को सूचित करने की जरूरत है, जो कि आदर्श रूप में उस व्यक्ति के पार्टनर को पार्टनर सूचना प्रदान करेंगे।[26] चिकित्सक रोगियों को इस बात के लिये प्रोत्साहित कर सकते हैं कि वे अपने पार्टनर को देखभाल के लिये भेजें।[27] CDC अनुशंसा करता है कि वे पुरुष जो दूसरे पुरुषों के साथ यौन संबंध बनाने में सक्रिय हैं उनको वर्ष में कम से कम एक बार परीक्षण कराने चाहिये।[28]

उपचार[संपादित करें]

आरंभिक संक्रमण[संपादित करें]

गैर जटिल सिफलिस के लिये पहली पसंद वाला उपचार पेनिसिलीन जी का अंतःपेशीय इंजेक्शन या एज़ीथ्रोमाइसिल की एकल मौखिक खुराक है।[29] डॉक्सीसाइक्लीन और टेट्रासाइक्लीन वैकल्पिक चुनाव हैं; हलांकि, जन्म विकृतियों के जोखिम के कारण इनको गर्भवती महिलाओं को देने की अनुशंसा नहीं की जाती है। कई सारे एजेन्टों जैसे मैक्रोलाइड, क्लिन्डामाइसिन और रिफैम्पिनके प्रति एंटीबायोटिक प्रतिरोध विकसित हो गया है।[8] सेफ्ट्रियाक्सोन, एक तृतीय पीढ़ी सेफालोस्पोरिन एंटीबायोटिक, पेनिसिलीन आधारित उपचार जितना प्रभावी हो सकता है।[7]

विलंबित संक्रमण[संपादित करें]

पेनिसिलीन जी के केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र में खराब भेदन के कारण न्यूरोसिफलिस से प्रभावित लोगों के लिये अंतः शिरा पेनिसिलीन की बड़ी खुराक को कम से कम दस दिनों तक दिये जाने की अनुशंसा की जाती है।[7][8] यदि कोई व्यक्ति एलर्जी से पीड़ित है तो सेफ्ट्रियाक्सोन का उपयोग किया जा सकता है या पेनिसिलीन विसुग्राहीकरण का प्रयास किया जा सकता है।विलम्ब से दिखने वाली परिस्थितियों के लिये तीन सप्ताहों तक सप्ताह में एक बार लगाया जाने वाले अंतः पेशीय पेनिसिलीन जी को उपचार के लिये उपयोग किया जा सकता है। यदि कोई व्यक्ति एलर्जी से पीड़ित है तो जैसा कि शीघ्र रोग के मामले में होता है लंबी अवधि के लिये डॉक्सीसाइक्लीन या टेट्रासाइक्लीन या एल्बिएट का उपयोग किया जा सकता है। इस चरण में उपचार रोग के आगे बढ़ने को रोक देता है, लेकिन पहले से हो गयी क्षति पर बेहद कम प्रभावशाली होता है।[7]

जेरिस्क-हर्क्सहाइमर प्रतिक्रिया[संपादित करें]

उपचार का संभावित दुष्प्रभाव जेरिस्क-हर्क्सहाइमर प्रतिक्रियाहै। यह अक्सर एक घंटे के भीतर शुरु होती है और 24 घंटों तक बनी रहती है, इसके लक्षणों में बुखार, मांसपेशीय दर्द, सरदर्द और टैचाकार्डिया(हृदय की असमान्य गति) शामिल है।[7] यह टूट रहे सिफलिस बैक्टीरिया द्वारा निकाले गये लिपोप्रोटीन के प्रति प्रतिक्रिया स्वरूप प्रतिरक्षा तंत्र द्वारा निकाले गये साइटोकिन्स द्वारा उत्पन्न होते हैं।[30]

महामारी विज्ञान[संपादित करें]

आयु- मानकीकृत 2004 में सिफलिस के कारण प्रति 100,000 निवासियों की मृत्यु[31]
██ no data ██ <35 ██ 35-70 ██ 70-105 ██ 105-140 ██ 140-175 ██ 175-210
██ 210-245 ██ 245-280 ██ 280-315 ██ 315-350 ██ 350-500 ██ >500

ऐसा विश्वास है कि 1999 में सिफलिस से 12 मिलियन लोग संक्रमित हुये थे, जिसका 90% से अधिक हिस्सा विकासशील दुनियासे आया था।[8] इसने 700,000 से 1.6 मिलियन गर्भावस्थाओं को प्रभावित किया था, जिसके परिणाम स्वरूप स्वतः गर्भपात, मृत बच्चे का जन्म और जन्मजात सिफलिस हुआ। उप-सहारा अफ्रीका में सिफलिस 20% प्रसवकालीन मृत्यु का कारण बनता है।[15] आनुपातिक रूप से इसकी दर अंतःशिरा- नशीली दवाओं के उपयोगकर्ताओं में, HIV से संक्रमित लोगों में और पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुषों में अधिक है।[4][5][6] 2007 में संयुक्त राज्य अमरीका में महिलाओं की तुलना में पुरुषों में सिफलिस की दर छः गुना तक अधिक थी, जबकि 1997 में यह लगभग बराबर थी।[32] 2010 में अफ्रीकी अमरीकियों में संक्रमण की संख्या पूरे मामलों की आधी थी।[33]

18 वीं और 19 वीं शताब्दी में यूरोप में सिफलिस बहुत आम था। एंटीबायोटिक्स के फैलते उपयोग के कारण, 20 वीं शताब्दी की शुरुआत से लेकर 1980 और 1990 तक, विकसित दुनिया में संक्रमण काफी तेजी से कम हुआ।[16] वर्ष 2000 से प्राथमिक रूप से पुरुषों के यौन संपर्क करने वाले पुरुषों के कारण यूएसए, कनाडा, यूके और यूरोप में सिफलिस की दर बढ़ी है।[8] हलांकि इस अवधि के दौरान अमरीकी महिलाओं में सिफलिस की दर स्थिर रही है और यू॰के॰ की औरतों के बीच यह दर बढ़ी है लेकिन यह दर पुरुषों की दर से कम है।[34] 1990 से, विषमलिंगी यौन संबंध रखने वालों के बीच यह दर चीन और रूस में बढ़ी है।[8] ऐसा असुरक्षित यौन अभ्यासों जैसे यौन स्वच्छंदता, वैश्यावृत्ति और प्रतिरोधी सुरक्षा के घटते उपयोग के कारण हुआ है।[8][35][34]

यदि उपचार न किया जाये तो मृत्युदर 8% से 58% तक है जिसमें पुरुषों में मृत्यु दर अधिक है।[7] सिफलिस के लक्षणों की गंभीरता 19 वीं और 20वीं शताब्दी के मध्य घटी है, इसका आंशिक कारण प्रभावी उपचार की उपलब्धता और स्पिरोचाएटे की उग्रता में कमीं का आना है।[12] समय से उपचार होने पर कुछ ही जटिलतायें होती हैं।[11] सिफलिस HIV संचरण को दो से पांच गुना तक बढ़ा देता है और दोनो संक्रमणों की उपस्थिति की आम है (शहरी केंद्रों में संख्या का 30–60%)।[7][8]

इतिहास[संपादित करें]

रैम्ब्रैन्ट वैन राएन द्वारा जेरार्ड डे लेयरस का चित्र circa 1665–67, तैल चित्र – डे लेयरस, पेंटर, कला साद्धांतशास्त्री, जो जन्मजात सिफलिस से पीड़ित थे जिसने उनका चेहरा बिगाड़ दिया था और अंततः उनको अंधा कर दिया था।[36]

सिफलिस का सटीक मूल, अज्ञात है।[7] दो प्राथमिक परिकल्पनाओं में से एक यह प्रस्तावित करती है कि सिफलिस, अमरीकी महाद्वीप की क्रिस्टोफर कोलम्बस की यात्रा से वापसी के समय चालक दल के पुरुषों के साथ यूरोप आया था और दूसरी परिकल्पना यह है कि ये यूरोप में पहले से मौजूद था, लेकिन पहचाना नहीं गया था। इनको क्रमशः “कोलंबियाई” और “पूर्व-कोलंबियाई” परिकल्पनाओं के नाम से जाना जाता है।[18] कोलंबियाई परिकल्पना के पक्ष में साक्ष्य उपलब्ध हैं।[37][38] सिफलिस के यूरोप में होने का पहला लिखित रिकॉर्ड, फ्रांसीसी आक्रमण के समय 1494/1495 में मिलता है।[16][18] चूंकि यह लौटते फ्रांसीसी सैनिकों द्वारा फैला था इसलिये इसे "फ्रेंच डिसीस" के नाम से जाना गया, पारंपरिक रूप से इसे आज भी इसी नाम से जाना जाता है। 1530 में, "सिफलिस" शब्द सबसे पहले एक इतालवी चिकित्सक और कवि गिरोलामो फ्रक्सातोरो द्वारा उपयोग किया गया था जिसे उन्होनें अपनी छः पदों वाली लैटिन कविता का शीर्षक बनाया था जिसमें इटली में रोग के प्रकोपों का वर्णन था।[39] ऐतिहासिक रूप से इसे "ग्रेट पॉक्स" के नाम से भी जाना जाता है।[40][41]

इसका कारक जीव, ट्रेपोनेमा पैलिडम, सबसे पहले फ्रिट्ज़ शाउडिन और एरिक हॉफमैन द्वारा 1905 में पहचाना गया था।[16] पहला प्रभावी उपचार (सैल्वरसन) 1910 में पॉल एहर्लिच द्वारा विकसित किया गया था जिसके बाद पेनिसिलीन के परीक्षण शुरु हुये थे और इसकी पुष्टि 1943 में हुई।[16][40] प्रभावी उपचार के आगमन से पहले पारा और एकांत को आम तौर पर उपयोग किया जाता था जिनके कारण रोग की स्थिति और खराब हो जाती थी।[40] बहुत सारी ऐतिहासिक हस्तियां इस रोग से पीड़ित थीं, जिनमें फ्रांज़ स्कूबर्ट, आर्थर शोपेनहावर, एडवा मैने[16] और अडॉल्फ हिटलरशामिल थे,[42] माना जाता है कि इन सब को यह रोग था।

समाज और संस्कृति[संपादित करें]

कला और साहित्य[संपादित करें]

वैश्या सिफलिस से मारी गयी, होगार्थ की ए हार्लेट्स प्रोग्रेस

सिफलिस के कला में प्रदर्शन का सबस पहला यूरोपीय कार्य अल्ब्रेक्ट ड्यूरर का सिफिलिटिक मैन है जो कि एक लकड़ी की कलाकृति है जिसके बारे में माना जाता है कि बनायी गयी आकृति एक लैंडक्नेश्ट की है जो उत्तर-यूरोपीय वेतनभोगी सैनिक है।[43] 19 वीं शताब्दी की मिथकीय शब्द फेमे फेटेलया "विष महिला" (विष कन्या) के बारे में माना जाता है कि इसकी उत्पत्ति आंशिक रूप से सिफलिस के संहार से हुई है जिसका प्राचीन साहित्यिक उदाहरण जॉन कीट्स' की ला बेल दाम ज़ो मेस्की है।[44][45]

कलाकार जो वैन देस तैख्त ने 1580 के आसापास एक दृष्य पेंट किया किया था जिसमें एक धनी आदमी को सिफलिस के लिये उष्णकटिबंधीय लकड़ी गुआएकम से उपचार प्राप्त करते दिखाया गया[46] इसका कलाकृति का शीर्षक "सिफलिस के उपचार के लिये गुआयाको की तैयारी और उपयोग" है। कलाकार ने इस चित्र को कलाकृतियों की एक श्रृंखला में शामिल किया, जिसके द्वारा उसने नयी दुनिया का कीर्तिगान किया है जो संकेत करता है कि उस समय यूरोपीय रईसों के लिये सिफलिस का उपचार कितना महत्वपूर्ण था, चाहे वह कितना भी अप्रभावी रहा हो। भव्य रूप से रंगों से भरे और विस्तृत दृष्य में चार नौकर घोल तैयार कर रहे हैं जबकि चिकित्सक अपने पीछे कुछ छिपाये हुए इसे देख रहा है, जबकि बदकिस्मत रोगी इसे पी रहा है।[47]

टस्केगी और ग्वाटेमाला अध्ययन[संपादित करें]

टस्केगी सिफलिस अध्ययन 20 वीं शताब्दी के संयुक्त राज्य अमरीका के संदेहास्पद चिकित्सीय नैतिकता के सबसे बदनाम मामलों में से एक था।[48] अध्ययन टस्केगी, अल्बामा में हुआ था और जिसे यू.एस. सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा (PHS) द्वारा टस्केगी संस्थान के सहयोग से किया गया था।[49] यह अध्ययन 1932 में शुरु हुआ था, जब सिफलिस एक विस्तृत समस्या थी और इसका कोई सुरक्षित व प्रभावी उपचार नहीं था।[9] अध्ययन का निर्माण उपचार नहीं किये गये सिफलिस के बढ़ने की गणना के लिये किया गया था। 1947 तक पेनिसिलीन को सिफलिस के लिये प्रभावी उपचार की मान्यता मिल चुकी थी और इसको रोग के उपचार के लिये विस्तृत रूप से उपयोग किया जा रहा था। अध्ययन निदेशक ने हलांकि अध्ययन जारी रखा और भाग लेने वालों को पेनिसिलीन का उपचार नहीं दिया।[49] इस पर बहस होती है और कुछ लोगों ने पाया कि पेनिसिलीन कई विषयों (भाग लेने वाले) को दी गयी थी।[9] यह अध्ययन 1972 तक चलता रहा।[49]

सिफलिस से जुड़े प्रयोग 1946 से 1948 तक ग्वाटेमाला में भी किये गये। वे संयुक्त राज्य अमरीका द्वारा प्रायोजित मानव प्रयोग थे, जिनको जुआन ओसे अरिवाला की सरकार के दौरान कुछ ग्वाटेमाला स्वास्थ्य मंत्रालयों और अधिकारियों के सहयोग से चलाया गया। डॉक्टरों ने सिपाहियों, बंदियों और मानसिक रोगियों को सिफलिस तथा अन्य यौन संचारित रोगों से बिना सूचित सहमति लिये, संक्रमित किया और फिर उनका उपचार एंटीबायोटिक द्वारा किया गया। अक्टूबर 2010 में यू.एस. ने इन प्रयोगों को करने के लिये ग्वाटेमाला से माफी मांगी।[50]

सन्दर्भ[संपादित करें]

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  2. http://www.biovatica.com/sujak.htm
  3. http://www.biovatica.com/sujak.htm
  4. (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर
  5. (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर
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  7. (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर
  8. (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर
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  50. "U.S. apologizes for newly revealed syphilis experiments done in Guatemala". द वॉशिंगटन पोस्ट. 1 अक्टूबर 2010. अभिगमन तिथि 1 अक्टूबर 2010. The United States revealed on Friday that the government conducted medical experiments in the 1940s in which doctors infected soldiers, prisoners and mental patients in Guatemala with syphilis and other sexually transmitted diseases.

अतिरिक्त अध्ययन[संपादित करें]

  • Parascandola, John. Sex, Sin, and Science: A History of Syphilis in America (Praeger, 2008) 195 pp. ISBN 978-0-275-99430-3 excerpt and text search
  • Shmaefsky, Brian, Hilary Babcock and David L. Heymann. Syphilis (Deadly Diseases & Epidemics) (2009)
  • Stein, Claudia. Negotiating the French Pox in Early Modern Germany (2009)

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

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