समांतर (ज्यामिति)

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तीन प्रकार की समांतर रेखाएँ

ज्यामिति में समांतर (parallel) या समानांतर रेखाएँ किसी समतल में बनी ऐसी रेखाएँ होती हैं जो कभी नहीं मिलती। यह तभी सम्भव है जब इन रेखाओं की आपस की दूरी (अंतर) एक ही रहता है, यानि कभी नहीं बदलता।[1][2][3]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Richards, Joan L. (1988), Mathematical Visions: The Pursuit of Geometry in Victorian England, Boston: Academic Press, ISBN 0-12-587445-6
  2. Wilson, James Maurice (1868), Elementary Geometry (1st ed.), London: Macmillan and Co.
  3. Wylie, Jr., C. R. (1964), Foundations of Geometry, McGraw–Hill