सत्यनारायण गोयनका

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एस एन गोयनका
जन्म सत्यनारायण गोयनका
30 जनवरी 1924
माण्डले, बर्मा, ब्रितानी भारत साम्राज्य
मौत सितम्बर 29, 2013(2013-09-29) (उम्र 89)
मुम्बई, भारत
पेशा विपासना ध्यान गुरु
जीवनसाथी इलायची देवी गोयनका
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वेबसाइट
www.dhamma.org/en/

सत्यनारायण गोयनका (जनवरी 30, 1924 – सितम्बर 29, 2013) विपस्सना ध्यान के प्रसिद्ध बर्मी-भारतीय गुरु थे। उनका जन्म बर्मा में हुआ, उन्होंने सायागयी उ बा खिन का अनुसरण करते हुए १४ वर्षों तक प्रशिक्षण प्राप्त किया। १९६९ में वो भारत प्रतिस्थापित हो गये और ध्यान की शिक्षा देना आरम्भ कर दिया और इगतपुरी में, नासिक के पास १९७६ में एक ध्यान केन्द्र की स्थापना की।[1]

जीवन[संपादित करें]

धम्म गिरि मेडिटेशन सेण्टर, इगतपुरी में पगोडा, जिसकी स्थापना गोयनका ने 1976 में की।

उनका जन्म ३० जनवरी १९२४ को बर्मा (वर्तमान म्याम्यार) में हुआ। उनके माता-पिता मारवाड़ी जातीयता समूह के भारतीय लोग थे। गोयनका का पालन पोषण रूढ़िवादी हिन्दू सनातनी घर में हुआ।[2] वो १९५५ तक एक सफल व्यवसायी थे, ३१ वर्ष की आयु में उन्हें आधासीसी नामक सरदर्द ने अपना शिकार बना लिया। उचित राहत पाने में असमर्थ होने के बाद वो एक मित्र के सहयोग से विपस्सना गुरु सायज्ञी यू बा खिन (1899 – 1971) से मिले। हालांकि बा खिन शुरू में अनिच्छुक थे लेकिन बाद में उन्होंने गोयनका को अपना शिष्य स्वीकार कर लिया।[3][4][5]

अपने गुरु के आग्रह पर गोयनका-जी ने विपस्सना को इसके मूल स्थान भारत पुनः लाये।[2]

विपश्यना एक प्रकार की साधना है जिसे भगवान बुद्ध ने ढाई हजार साल पहले खोजा था। यह मनुष्य के दुखों के निवारण करने की एक प्रक्रिया है। गोयनका-जी ने अपने प्रवचनों में स्पष्टतया ऐसा कहा है कि इस शिक्षा के द्वारा मनुष्य स्वयं के द्वारा अपने दुखों पर नियंत्रण कर सकता है। यह जानने योग्य बात है कि यह ज्ञान भारत से लगभग 2000 साल पहले राजनीतिक परिवर्तन के कारण विलुप्त हो गया था।

आज सम्पूर्ण विश्व में श्री सत्यनारायण गोयनका-जी के द्वारा (वीडियो के द्वारा) इस शिक्षा का अभ्यास कराया जाता है, और इसके बहुत ही लाभदायक परिणाम भी लोगों के द्वारा अनुभव किए गए हैं।

पुरस्कार[संपादित करें]

उन्हें २०१२ में ६३वें गणतन्त्र दिवस पर भारत के तृतीय सर्वोच्च्य नागरीक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।[6]

श्री सत्यनारायण गोयनका जी को विश्व के अनेक मंच जैसे वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम, संयुक्त राष्ट्र संघ पर आमंत्रित किया गया है ताकि वह इस विषय में लोगों को अधिक जानकारी दें।

निधन[संपादित करें]

29 सितम्बर 2013 को उनके मुम्बई स्थित घर में उनका निधन हो गया। वो अपने घर में पत्नी इलायची देवी गोयनका और छः पुत्र छोड़ गये।[3][7][8]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "नहीं रहे विपासना गुरु एसएन गोयनका". बीबीसी हिन्दी. 30 सितम्बर 2013. मूल से 3 अक्तूबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 अक्टूबर 2013.
  2. "'You have to work out your own salvation'". इण्डियन एक्सप्रेस. 3 जुलाई 2010. मूल से 8 अक्तूबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 अक्टूबर 2013.
  3. "Vipassana pioneer SN Goenka is dead". Zeenews.india.com. सितंबर 30, 2013. मूल से 21 अक्तूबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 सितंबर 2013.
  4. "Remembering SN Goenka, the man who brought Vipassana back to India" [एसएन गोयनका को याद करते हुए, एक व्यक्त जो विपासना को वापस भारत लाया] (अंग्रेज़ी में). फर्स्ट पोस्ट. 30 सितम्बर 2013. मूल से 17 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 अक्टूबर 2013.
  5. नोरमान फिसर (सितम्बर 2001). "The Universal Meditation Technique of S.N. Goenka (interview)". शम्भाला सुन. पपृ॰ 1–3. मूल से 21 अक्तूबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 अक्टूबर 2013.
  6. "Padma Awards Announced". गृह मंत्रालय एवं प्रेस सूचन ब्यूरो, भारत सरकार. 25 जनवरी 2012. मूल से 24 मई 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 अक्टूबर 2013.
  7. "नहीं रहे ध्यान एवं योग गुरू एसएन गोयनका". राजस्थान पत्रिका. मूल से ३० सितम्बर २०१३ को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 अक्टूबर 2013.
  8. "विपश्यना साधक गोयनका का निधन". नवभारत. 30 सितम्बर 2013. मूल से 21 अक्तूबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 अक्टूबर 2013.

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]