शुभदा

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'शुभदा' मानसिक रूप से विमंदित लोगों के लिए कार्यरत एक गैर सरकारी संस्था है। इस संस्था का मुख्यालय भारत देश के राजस्थान प्रदेश के अजमेर शहर में है। फिलहाल इसका कार्यक्षेत्र केवल राजस्थान प्रदेश तक ही सिमटा है, लेकिन तेजी से फैलते इंटरनेट कार्य के कारण इसका दायरा लगातार बढ़ रहा है। 'शुभदा' द्वारा वर्तमान में मानसिक विमंदित बच्चों के लिए एक विशेष विद्यालय संचालित किया जा रहा है। इसी के साथ बच्चों और उनके अभिभावकों के लिए एक बहुउद्देशीय प्रशिक्षण केन्द्र भी संचालित है, जिसमें कला और हस्तशिल्प के जरिए स्वरोजगार के उपाय किये जाते हैं। संस्था के संबंध में पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए संस्था की वेबसाइट और ब्लॉग तक पहुंचा जा सकता है। इसका पता है: https://web.archive.org/web/20120321080449/http://shubhdashakti.blogspot.com/

अवधारणा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किए गए विभिन्न अध्ययनों से यह स्पस्ट हो चुका है कि दुनियां में हर सौ लोगों के बीच 3 जन मानसिक विमंदित हैं। भारत में यह आंकड़ा 4 प्रतिशत तक माना जाता है। भारत में इन विमंदितों हेतु अनेक स्तरों पर शिक्षण, प्रशिक्षण और पुनर्वास के लिए कार्य किए जा रहे हैं। यह कार्य सरकारी और गैर सरकारी स्तर पर संचालित हैं। विमंदितों की संख्या को देखते हुए यह कार्य और प्रयास पर्याप्त नहीं हैं। यही कारण है कि सफलता और उपलब्धि का प्रतिशत संतोषजनक नहीं है। अगर यह माना जाए कि हम शत प्रतिशत उपलब्धि पा सकते हैं। फिर भी हम इसे अपनी सफलता नहीं कह सकते, क्योंकि दूसरी ओर विमंदितों की संख्या अपनी निर्धारित दर से लगातार बढ़ रही है।

'शुभदा' समर्थित अवधारणा यह है कि जब हम मानसिक विकलांगता के अधिकांश कारणों से अवगत हैं तो क्यों न अपने संसाधनों और क्षमता का एक निश्चित भाग इसी के निवारण में लगाया जाए। अगर हम मानसिक विमंदिता की बरसों से स्थिर चली आ रही दर को कम कर सकें तो शिक्षण, प्रशिक्षण और पुनर्वास के लिए किए जा रहे कार्य का बोझ कम हो सकता है। यह भी संभव है कि एक दिन हम चेचक, मलेरिया और पोलियो की तरह इस समस्या पर भी पूरी तरह अंकुश लगाने में कामयाब हों जाएं और विमंदितों के पुनर्वास के कार्य की जरूरत ही न रहे।

उपयुक्त बातों को स्वीकार करते हुए 'शुभदा' ने एक सुरक्षा कार्यक्रम तैयार किया है। समुदाय के सहयोग से गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य और पोषण संबंधी बेहतर देखभाल, फिर सुरक्षित प्रसव और बाद में शिशु की सुरक्षा से यह आसानी से संभव है। आसानी से इसलिए क्यों कि इस क्षेत्र में सरकारी और गैर सरकारी क्षेत्र में अनेक कार्यक्रम पहले से संचालित है। आवश्यकता है, उसमें बेहतर तालमेल बैठाना और मानसिक विमंदिता के मसले को प्रमुखता से नजर में रखना।

माता के गर्भ में आकर प्राणवान होने के तत्काल बाद से ही भ्रूण को बिना किसी लिंग भेदभाव के सुरक्षित रूप से जीवित रहने, विकास और सुरक्षा प्राप्त करने का अधिकार मिल जाता है। ऐसे में उनकी शारीरिक, मानसिक, संज्ञानात्मक, भावनात्मक और सामाजिक विकास की जरूरतों व अधिकारों के लिए यह सुरक्षा कार्यक्रम अपेक्षित है।

समाज में यह समझ विकसित होनी चाहिए कि बचपन से ही नहीं, गर्भकाल से सही विकास ही समूचे विकास का आधार है। गर्भकाल के जीवन का शुरूआती समय शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य और पोषण के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है, इस सुरक्षा कार्यक्रम का सर्वाधिक जोर इसी बात पर है।

गर्भवती माता और उसकी कोख में पल रहा एक और जीवन कुपोषण, रुग्णता एवं इससे पैदा होने वाली विकलांगता और मृत्यु का शिकार हो जाते हैं। इस कार्यक्रम से उन्हें सुरक्षा प्रदान की जाती है। यह सुरक्षा कार्यक्रम गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों की स्वास्थ्य संबंधी बेहतर देखभाल और अंत में शिक्षा सेवाओं तक उनकी पहुंच बनाने का समन्वित नजरिया उपलब्ध कराता है। यह विशेष रूप से गरीब समुदाय की गर्भवती महिलाओं और बच्चों का स्वयं उन्हीं के वातावरण और अपने ही परिचित लोगों के बीच सर्वांगीण विकास का एक सुरक्षा कार्यक्रम है। इस कार्यक्रम के द्वारा कम आय वर्ग वाले साधन विहीन वर्ग तक सुविधाओं की उपलब्धता और समझ पहुंचाना प्रमुख लक्ष्य है।

'शुभदा' की मान्यता है कि प्रसव से पूर्व की बेहतर देखभाल व तैयारी, प्रसव के समय की सावधानियां व प्रसव के बाद की सुरक्षा से मानसिक विकलांगता की दर पर अंकुश लगाया जा सकता है।

उद्देश्य:

1. गर्भवती महिलाओं और प्रसव के बाद उनके तीन वर्ष तक के बच्चों के मानसिक और शारीरिक पोषण, स्वास्थ्य सुरक्षा।

2. गर्भकाल से ही बच्चे की उचित मानसिक, शारीरिक और सामाजिक विकास की नींव रखना।

3. मानसिक विकलांगता दर, मातृ एवं शिशु मृत्यु दर, रुगणता और कुपोषण में कमी लाना।

4. उचित शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य तथा पोषण संबंधी शिक्षा के माध्यम से बच्चों की सामान्य व विशेष आवश्यकताओं की देखभाल व भरण-पोषण के लिए अभिभावकों की सामाजिक और आर्थिक क्षमता बढ़ाना।

5. गर्भवती महिलाओं हेतु आवश्यक आयोडीन की पूर्ती सुनिश्चित करना।

6. प्रसव से पूर्व की तैयारियां, प्रसव के समय की सावधानियां और प्रसव के बाद जच्चा-बच्चा की देखभाल सुनिश्चित करना।

7. नवजात शिशु को जन्म के बाद माता का प्रथम दूध (कोलोस्ट्रम) पिलवाने की व्यवस्था सुनिश्चित करना।

8. छह माह तक के बच्चों को केवल माता का दूध पिलाने की व्यवस्था सुनिश्चित करना।

9. बच्चों के वृद्धि विकास पर समयबद्ध निगरानी रखना व सभी प्रकार के टीके समय पर लगना सुनिश्चित करना। 10. बच्चों के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य, पोषण, जीवन-कौशल तथा शिक्षा संबंधी सुविधाएं प्रदान करना। 11. तीन वर्ष का होने पर बच्चे के विद्यालय प्रवेश की व्यवस्था कराना।

12. बाल विवाह जैसी कुरीतियों के बुरे प्रभाव से अवगत कराना और अभिभावकों को जागरुक करना।

13. सुरक्षित प्रसव की संख्या में बढ़ोतरी करना।

14. समुदाय की सहायता और विकास के लिए विभिन्न सरकारी विभागों और गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा प्रदत्त सेवाओं का प्रचार कर जरूरतमंदों तक इनका लाभ पहुंचाने में सहायता करना।

15. सरकारी व गैर सरकारी क्षेत्र में महिला एवं बाल विकास व पोषण को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता, आर्थिक उत्थान तथा शारीरिक और मानसिक विकलांगता से जुड़े शिक्षण, प्रशिक्षण, पोषण व पुनर्वास कार्यक्रमों में जुटी संस्थाओं व विभागों के कार्यक्रम लागू करने में आवश्यक समन्वय स्थापित करना।

'शुभदा' सुरक्षा कार्यक्रम का महत्व: 'शुभदा' सुरक्षा कार्यक्रम का राजस्थान राज्य में मातृ, शिशु व बाल मृत्यु दर नियंत्रित करने और शारीरिक, मानसिक विकलांगता की दर पर अंकुश लगाने में अत्यधिक महत्व है। इसी के साथ जरूरतमंद परिवारों को स्वास्थ्य जांच, टीकाकरण, पोषण और स्वास्थ्य शिक्षा, सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा, संदर्भ सेवाएं, औपचारिक शिक्षा व विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी क्षेत्र की सेवाओं के बीच समन्वय स्थापित कर विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उनके वास्तविक जरूरतमंदों तक पहुंचाने में 'शुभदाÓ सुरक्षा कार्यक्रम की महत्वपूर्ण भूमिका है।

'शुभदा' कार्यकर्ता का स्वरूप:

1. 'शुभदा' कार्यकर्ता एक सेवाभावी स्त्री या पुरुष है, जिसने स्वेच्छा से कार्य करना स्वीकार किया है।

2. 'शुभदा' कार्यकर्ता संबंधित सरकारी विभागों और गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा प्रदत सेवाओं के बीच समन्वय स्थापित कर सभी तक इनका लाभ पहुंचाते हैं।

3.'शुभदा' कार्यकर्ता समुदाय को शिक्षा, स्वास्थ्य व पोषण सहित सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा के बारे में उचित परामर्श देते हंै और समाजोपयोगी बातों को पर्याप्त प्रभावी ढंग से समाज को समझाते हैं।

4. 'शुभदा' कार्यकर्ता समुदाय में शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, विकलांगता निवारण तथा सामाजिक और आॢथक सुंरक्षा व पुनर्वास के क्षेत्र में उचित नेतृत्व प्रदान करते हैं।

5. समुदाय को इस बात की नवीनतम जानकारी उपलब्ध कराते हैं कि किस सरकारी विभाग या गैर सरकारी संस्था की ओर से समुदाय के हित में क्या-क्या सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं और उन्हें कैसे प्राप्त किया जा सकता है। शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण से जुड़े जो अच्छे कार्य और व्यवहार हो रहे हैं, 'शुभदा' कार्यकर्ता उनकी भरपूर सराहना, प्रचार और सहयोग करते हैं। जो उचित कार्य नहीं हो रहे हैं या गलत हो रहे हैं, उनके विषय में संबंधित विभाग या संस्था को उचित परामर्श देते हैं।

समन्वय: (प्रमुख सरकारी योजनाएं)

शिक्षा- सर्व शिक्षा अभियान के तहत चल रहे विभिन्न कार्यक्रम।

स्वास्थ्य- राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत 'जजनी सुरक्षा योजनाÓ में आशा कार्यकताओं के सहयोग से चिकित्सालय में सुरक्षित प्रसव एवं नगद सहायता। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्दों से जुड़े ए.एन.एम. या एल.एच.वी. द्वारा प्रदत्त स्वास्थ्य सेवाएं तथा टीकाकरण सुविधाएं। पोषण- महिला एवं बाल विकास विभाग की और से संचालित समेकित बाल विकास सेवा कार्यक्रम (आई.सी.डी.एस.) द्वारा पोषण शिक्षा और पूरक पोषाहार के लिए राजस्थान के सभी जिलों में वर्तमान में लगभग 36 हजार आंगनबाड़़ी केन्द्रों के माध्यम से बहुत बड़ा और महत्वपूर्ण कार्यक्रम संचालित है। जल्द ही 6 हजार नए केन्द्र खोले जाने की योजना है। इन केन्द्रों में कार्यरत आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पोषण के साथ ही स्वास्थ्य जांच, टीकाकरण जैसी सेवाओं में भी सहायक हैं। इसी के साथ राजस्थान सरकार की ओर से 'मिड-डे-मीलÓ योजना भी बड़े पैमाने पर चलने वाली योजना है। सुरक्षा- सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा के लिए केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की ओर चल रही विभिन्न योजनाओं के तहत संचालित कार्यक्रमों के द्वारा समुदाय को अनेक सुविधाएं मिल रही हैं। आर्थिक सुरक्षा के लिए खादी ग्रामोद्योग, जिला उद्योग केन्द्र, रूडा तथा विभिन्न बैंकों के साथ ही समय-समय पर लागू होने वाली केन्द्र या राज्य सरकारी की रोजगार योजनाएं लाभार्थी के लिए सहायक होती हैं।

समन्वय: (गैर सरकारी प्रमुख कार्यक्रम) शिक्षा- यूनिसेेफ, क्राइ, विभा। स्वास्थ्य- यूनिसेफ, लायंस क्लब, रोटरी क्लब। पोषण- अक्षय-पात्र, उत्तराफीड्स, बंगाली बाबा।

(प्रभावशाली समन्वय और समुदाय के लिए किए जा रहे कल्याणकारी कार्य समन्वय के लिए संबंधित सरकारी और गैर सरकारी योजनाओं की विस्तृत जानकारी और उनके कार्यकर्ताओं के कार्य और उत्तरदायित्व का विवरण 'शुभदा' कार्यकर्ता को उनके परिक्षेत्र के अनुरूप अलग से उपलब्ध कराया जाता है।)