व्यंकटेश माडगूलकर

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व्यंकटेश दिगम्बर माडगुलकर (मराठी: व्यंकटेश दिगंबर माडगूळकर) (1927-2001) मराठी लेखक थे। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास सत्तांतर के लिये उन्हें सन् 1983 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।[1]

लेखन[संपादित करें]

माडगूलकर ने ८ उपन्यास, २०० से अधिक लघु कथायें, लगभग ४० पटकथा, कुछ लोक नाटक, यात्रा वृत्तांत और कुछ प्रकृति पर निबन्ध लिखे। उन्होंने कुछ अंग्रेज़ी पुस्तकों का मराठी में अनुवाद भी किया जिसमें मुख्यतः वन्य जीवन पर आधारित हैं। इससे उन्हें "कर्नल बहादूर" उपनाम भी मिला।

उनकी पहली पुस्तक "माणदेशी माणसे" १९४९ में प्रकाशित हुई जब वो केवल २२ वर्ष के थे। उनका १९५४ का उपन्यास बानगरवाडी, अंग्रेज़ी, जर्मन और हिन्दी सहित विभिन्न भाषाओं में अनुवाद किया गया। उनका उपन्यास वावटळ 'रादुगा प्रकाशक" द्वारा अंग्रेज़ी, कन्नड़, और रूसी भाषाओं में अनुवादित किया गया।[उद्धरण चाहिए][2] अमोल पालेकर के निर्देशन में उनके उपन्यास बानगरवाडी पर आधारित एक फ़िल्म बनायी गयी।[3]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "अकादमी पुरस्कार". साहित्य अकादमी. मूल से 15 सितंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 सितंबर 2016.
  2. "संग्रहीत प्रति" (PDF). मूल से 10 मार्च 2016 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि 10 मार्च 2016.
  3. "New York Times review of Bangarwadi" [बानगरवाडी की न्यूयॉर्क टाइम्स पर समालोचना] (अंग्रेज़ी में). न्यूयॉर्क टाइम्स. मूल से 10 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १० मार्च २०१६.