शिवराज आचार्य कौण्डिन्न्यायन

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शिवराज आचार्य काैण्डिन्न्यायन
अपने आवास काठमाण्डू में २००२

जन्म 2 फ़रवरी 1941 (1941-02-02) (आयु 83)
तनहुँ, नेपाल
मृत्यु 2017-08-31
जन्म का नाम शिवराज आचार्य काैण्डिन्न्यायन
जीवन संगी नारायणी देवी
निवास काठमाण्डू, नेपाल
शैक्षिक सम्बद्धता त्रिभुवन विश्वविद्यालय, आगरा विविश्वद्यालय,

सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय,

धर्म वैदिक (हिन्दू)

शिवराज आचार्य काैण्डिन्न्यायन (२ फरवरी १९४१-३१ अगस्त २०१७) विशिष्ट संस्कृत विद्वान्, वैदिक (शुक्लयजुर्वेदी), शिक्षाशास्त्री, कल्पशास्त्रमर्मज्ञ, उत्कृष्ट भाषाशास्त्री, वैयाकरण, काेषकार, वेदांगज्याेतिषविद्, मीमांसक, वेदान्तज्ञ हैं। इन्हाेंने संस्कृत शिक्षा के सुधार के लिए लम्बा संघर्ष किया। संस्कृतशिक्षा काे कैसे सन्तुलित और सर्वजनाेपयाेगी बनाया जा सकता है, इसका निदर्शन प्रस्तुत किया। धार्मिक, शास्त्रीय, वैज्ञानिक अथवा साधारण शिक्षा के रूप में संस्कृतशिक्षा संचालित की जा सकती है, इसका नवीन स्वरूप निर्माण किया है।

जीवन परिचय[संपादित करें]

इनका जन्म नेपाल के गण्डकी क्षेत्र अन्तगर्त त्रितुंगजनपद (तनहुँ जिले) में हुआ था। प्राथमिक शिक्षा वहीं पाकर आगे काठमाण्डू में अध्ययन किया। वेदान्त तथा साहित्य में आचार्य, संस्कृत तथा दर्शनशास्त्र में एम.ए. उत्तीर्ण करने के बाद वाराणसी के सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय से वैदिक यज्ञ तथा वेदान्त विषय में विद्यावारिधि और वैदिक शिक्षाशास्त्र (ध्वनिविज्ञान) में वाचस्पति (डी.लिट्.) उपाधि प्राप्त किया। इन्हाें ने अपने जीवन में वेद, वेदांग, वेदाेपांग, स्मृति, पुराण इत्यादि शास्त्राें और संस्कृत वाङ्मय के अध्ययन काे, तत्सम्बद्ध ग्रन्थप्रणयन काे और संस्कृत शिक्षा के सुधार काे ही लक्ष्य बनाया। इन्हाेंने अपने सभी पाँच पुत्राेंकाे अपने गृह स्वाध्यायशाला में संस्कृत का अध्यापन किया। आगे परीक्षाएँ देकर प्रथम पुत्र वेदाचार्य तथा विद्यावारिधि और अन्य दाे मीमा‌साचार्य तथा वेदान्ताचार्य तक अध्ययन करके विश्वविद्यालय में अध्यापक बन गये हैं और वैदिक वाङ्मय के अनुसन्धान का कार्य भी कर रहे हैं। अन्य दाे पुत्र पूर्वमध्यमा तक संस्कृत व्याकरण अध्ययन करके विज्ञान विषय लेकर परीक्षा देकर चिकित्सक और औषधविज्ञानविद् बनकर तत् तत् विषय में विश्वविद्यालयाें में अध्यापन का कार्य कर रहे हैं। विशिष्ट विद्वान् शिवराज आचार्य काैण्डिन्न्यायन ने विश्वविद्यालय में ३६ वर्ष तक वेदान्त विषय का औपचारिक अध्यापन का कार्य किया। उन्हाेंनें ४० से अधिक पुस्तकें लिखीं हैं।[1][2][3]

कृतियाँ[संपादित करें]

आप ने मुख्यतः भाषा, व्याकरण, ध्वनिविज्ञान, वेदांगज्याेतिष तथा अनेक वैदिक शास्त्र से सम्बन्धित ग्रन्थाें का प्रणयन, व्याख्यान, परिमार्जन एवं अनुवाद का कार्य किया है। इन में 'काैण्डिन्न्यायनशिक्षा' नाम की नवीन लाेक-वेदसाधारणा महाशिक्षा[4] पाणिनीय शिक्षा अाैर नारदीय शिक्षा[5] की अभिनव संस्कृत तथा हिन्दी व्याख्या, मनुस्मृति की हिन्दी व्याख्या आदि हैं। इन्हाें ने माध्यन्दिनीय-वाजसनेयि-शुक्लयजुर्वेदिनाम् सदाचारकर्म-संस्कारकर्म-श्राद्धकर्मादिवैदिकमन्त्रसंग्रह नाम का कर्मकाणडप्रधान ग्रन्थ संकलित किया है और सन्ध्याेपासनपद्धति और ब्रह्मयज्ञपद्धति विस्तृत भूमिका और विवेचना के साथ प्रकाशित करावाया है। [6] वेदभाषानिघण्टु नाम से एक नवीन पद्यबद्ध संस्कृतकाेष की रचना भी उन्हाें ने की है। इसमें ऋग्वेद से आज तक की संस्कृत भाषा के शब्द श्लाेकबद्ध रूपमें अर्थ सहित संकलित है। इसका एक भाग भूलाेककाण्ड के अन्तर्गत देववर्ग और ब्रह्मवर्ग एक भाग में प्रकाशित हुए हैं।

इन्हाेंने १५०० वर्षाें से अप्रयुक्त प्राचीनतम ज्याेतिष ग्रन्थ वेदांग ज्याेतिष की नवीन व्याख्या करके उसके अनुसार वैदिक-तिथिपत्रम् (पंचांग) का निर्माण कराकर वैदिक विद्या तथा धर्म के क्षेत्र में विशिष्ट याेगदान दिया है। भारतवर्षीय ज्याेतिष के ज्वलन्त प्रश्न और वेदांगज्याेतिष नाम का माैलिक महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ का प्रणयन किया है। इन ग्रन्थाें का प्रसिद्ध प्रकाशक चाैखम्बा विद्याभवन (दिल्ली, वाराणसी) ने प्रकाशन किया है।[7]

ब्रह्ममीमांसासूत्र की नवीन काैण्डिन्न्यायन वृत्ति भी संस्कृत में उन्हाें ने प्रकाशित की है। सूत्रार्थ हिन्दी में भी दिया गया है। इस में कुछ स्थानाें में शांकरभाष्य से भिन्न प्रकार की व्याख्या भी है। इस में भूमिका में वेदान्तदर्शन का नवीन इतिहास भी दिया गया है। सूत्रपदसूची भी समाविष्ट है। इन्हाें ने काव्यप्रकाश की नवीन हैमवती संस्कृत व्याख्या भी रचा है, जाे माेतीलाल बनारसीदास से प्रकाशित हुआ था (१९८०)।

इन्हाेंने नेपाली ध्वनिविज्ञान एवं व्याकरण में भी नेपाली वर्णाेच्चारणशिक्षा[8] एवं जिम्दाे नेपालि भासा[9] नामक ग्रन्थाें की रचना कर के याेगदान किया है। नेपाल के आदिकवि भानुभक्त आचार्य के रामायण काे भी इन्हाें ने सम्पादन किया है।

कृतियाें की सूची[संपादित करें]

संस्कृत में[संपादित करें]

हिन्दी में[संपादित करें]

नेपाली में[संपादित करें]

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. https://www.worldcat.org/search?qt=worldcat_org_all&q=acarya+sivaraja
  2. "संग्रहीत प्रति". मूल से 3 जनवरी 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 जनवरी 2017.
  3. http://www.pustakalaya.org/list.php?cat=quick_filter&sort_by=searchKey0&search_keys%5B0%5D=%E0%A4%B6%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C+%E0%A4%85%E0%A4%BE%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AF+[मृत कड़ियाँ]
  4. https://www.amazon.co.uk/Kaundinyayan-Shiksha-Shivraj-Acharya-Kaundinya/dp/B00JAHCH0A
  5. "संग्रहीत प्रति". मूल से 3 जनवरी 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 जनवरी 2017.
  6. "संग्रहीत प्रति". मूल से 3 जनवरी 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 जनवरी 2017.
  7. "संग्रहीत प्रति". मूल से 3 जनवरी 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 जनवरी 2017.
  8. अाचार्य, शिवराज नेपाली वर्णाेच्चारणशिक्षा Archived 2017-01-03 at the वेबैक मशीन (२०३१[1974]),साझा प्रकाशन, काठमाडौँ।
  9. अाचार्य, शिवराज जिम्दाे नेपालि भासा Archived 2017-01-04 at the वेबैक मशीन(२०३०[1973]),शिवराज अाचार्य, काठमाडौँ।