रासायनिक ध्रुवीयता

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जल के अणु में ऑक्सीजन और हाइड्रोजन की अलग विद्युत-ऋणात्मकताएँ (3.44 और 2.20) इसके दोनों रासायनिक आबंधों में द्विध्रुवीयता उत्पन्न हो जाती है, जिस कारणवश अणु ध्रुवीय बन जाता है

रसायनशास्त्र में रासायनिक ध्रुवीयता (chemical polarity) किसी अणु (मोलिक्यूल) या उसके अंशों में विद्युत आवेशों (चार्जों) में होने वाले अलगाव को कहते हैं जिसके कारण अणु के कुछ भागों में ऋणात्मक (निगेटिव) आवेश और कुछ में धनात्मक (पोज़िटिव) अवेश देखा जा सकता है। इस से अणु में विद्युत द्विध्रुव आघूर्ण (electric dipole moment) या बहुध्रुव आघूर्ण (multipole moment) देखा जाता है। जब ऐसे द्विध्रुव या बहुध्रुव वाले कई अणु एकत्रित हों तो इन ध्रुवों के आकर्ष्ण या अपकर्षण से उनमें आपसी व्यवस्था बनती है। बर्फ़ के क्रिस्टल का ढांचा जल अणुओं में ध्रुवीयता के कारण ही होता है। रासायनिक ध्रुवीयता का प्रभाव रसायनों के कई अन्य भौतिक लक्षणों पर भी पड़ता है, मसलन पृष्ठ तनाव, विलेयता, पिघलाव तापमान और उबलाव तापमान[1][2]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Ingold, C. K.; Ingold, E. H. (1926). "The Nature of the Alternating Effect in Carbon Chains. Part V. A Discussion of Aromatic Substitution with Special Reference to Respective Roles of Polar and Nonpolar Dissociation; and a Further Study of the Relative Directive Efficiencies of Oxygen and Nitrogen". J. Chem. Soc.: 1310–1328.
  2. Pauling, L. (1960). The Nature of the Chemical Bond (3rd ed.). Oxford University Press. pp. 98–100.