कोसी बाँध

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कोसी नदी पर सन १९५८ एवं १९६२ के बीच एक बाँध (बराज) बनाया गया। यह बाँध भारत-नेपाल सीमा के पास नेपाल में स्थित है। इसमें पानी के बहाव के नियंत्रण के लिये ५६ द्वार बने हैं जिन्हें नियंत्रित करने का कार्य भारत के अधिकारी करते हैं। इस बाँध के थोड़ा आगे (नीचे) भारतीय सीमा में भारत ने तटबन्ध बनाये हैं।

इतिहास[संपादित करें]

कोसी नदी पर बांध बनाने का काम ब्रिटिश शासन के समय से विचाराधीन था। ब्रिटिश सरकार को ये चिन्ता थी कि कोसी पर तटबन्ध बनाने से इसके प्राकृतिक बहाव के कारण यह टूट भी सकता है। ब्रितानी सरकार ने तटबंध नहीं बनाने का निर्णय इस बात पर किया कि तटबंध टूटने से जो क्षति होगी उसकी भरपाई करना अधिक कठिन सिद्ध होगा।[1] इसी चिन्ता के बीच ब्रिटिश शासन समाप्त हो गया और आज़ादी के बाद सन् 1954 में भारत सरकार ने नेपाल के साथ समझौता किया और बाँध बनाया गया।

यह बाँध नेपाल की सीमा में बना और इसके रखरखाव का काम भारतीय अभियंताओं को सौंपा गया। इसके बाद अब तक सात बार ये बाँध टूट चुका है और नदी की धारा की दिशा में छोटे-मोटे बदलाव होते रहे हैं। बराज में बालू के निक्षेपण के कारण जलस्तर बढ़ जाता है और बाँध के टूटने का खतरा बना रहता है।

बाँध की क्षमता[संपादित करें]

कोसी नदीका बाँध

बाँध बनाते समय अभियंताओं ने आकलन किया था कि यह नौ लाख घनफ़ुट प्रतिसेकेंड (क्यूसेक) पानी के बहाव को बर्दाश्त कर सकेगा और बाँध की आयु 25 वर्ष आँकी गई थी। बाँध पहली बार 1963 में टूटा था। इसके बाद 1968 में यह 5 स्थानों पर टूटा। उस समय नदी में पानी का बहाव 9लाख 13 हज़ार क्यूसेक मापा गया था। वर्ष 1991 में नेपाल के जोगनिया तथा 2008 में यह नेपाल के ही कुसहा नामक स्थान पर टूटा। वर्ष 2008 में जब यह टूटा तो इसमें बहाव महज़ 1 लाख 44 हज़ार क्यूसेक था।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "तटबंध टूटने का मतलब धारा बदलना नहीं है". बीबीसी हिन्दी. मूल से 31 जनवरी 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2 सितम्बर 2008.