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'''जिप्सम''' (Gypsum) (Ca SO4, 2H2o) एक तहदार [[खनिज]] है जिसे 'सैलैनाइट' भी कहते हैं। रासायनिक संरचना की दृष्टि से यह [[कैल्सियम]] का सल्फेट है, जिसमें [[जल]] के भी दो अणु रहते हैं। गरम करने से जल के अणु निकल जाते हैं और यह अजल हो जाता है। आकृति में यह दानेदार संगमर्मर सदृश होता है। ऐसे जिप्सम को सेलेनाइट या सेलखड़ी (अलाबास्टर, Alabaster) कहते हैं। नमक की खानों में नमक के साथा जिप्सम भी मिला रहता है। समुद्र के पानी में भी जिप्सम रहता है। समुद्री पानी को सुखाने पर जो लवण प्राप्त होते हैं उनमें जिप्सम के मणिभ पाए जाते हैं। |
'''जिप्सम''' (Gypsum) (Ca SO4, 2H2o) एक तहदार [[खनिज]] है जिसे 'सैलैनाइट' भी कहते हैं। रासायनिक संरचना की दृष्टि से यह [[कैल्सियम]] का सल्फेट है, जिसमें [[जल]] के भी दो अणु रहते हैं। गरम करने से जल के अणु निकल जाते हैं और यह अजल हो जाता है। आकृति में यह दानेदार संगमर्मर सदृश होता है। ऐसे जिप्सम को सेलेनाइट या सेलखड़ी (अलाबास्टर, Alabaster) कहते हैं। नमक की खानों में नमक के साथा जिप्सम भी मिला रहता है। समुद्र के पानी में भी जिप्सम रहता है। समुद्री पानी को सुखाने पर जो लवण प्राप्त होते हैं उनमें जिप्सम के मणिभ पाए जाते हैं। |
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15:38, 8 मार्च 2011 का अवतरण
जिप्सम (Gypsum) (Ca SO4, 2H2o) एक तहदार खनिज है जिसे 'सैलैनाइट' भी कहते हैं। रासायनिक संरचना की दृष्टि से यह कैल्सियम का सल्फेट है, जिसमें जल के भी दो अणु रहते हैं। गरम करने से जल के अणु निकल जाते हैं और यह अजल हो जाता है। आकृति में यह दानेदार संगमर्मर सदृश होता है। ऐसे जिप्सम को सेलेनाइट या सेलखड़ी (अलाबास्टर, Alabaster) कहते हैं। नमक की खानों में नमक के साथा जिप्सम भी मिला रहता है। समुद्र के पानी में भी जिप्सम रहता है। समुद्री पानी को सुखाने पर जो लवण प्राप्त होते हैं उनमें जिप्सम के मणिभ पाए जाते हैं।
प्राप्ति
यह खनिज विशेषतः ऊसर भूमि और शुष्क भागों में अधिक पाया जाता है। जिप्सम संसार के अन्य देशों में प्रचुरता से पाया जाता है। भारत में राजस्थान, गुजरात, तमिलनाडु और बिहार में इसके निक्षेप मिले हैं।
उपयोग
- उर्वरक के निर्माण में इसका प्रयोग होता है। ऐमोनियम सल्फेट उर्वरक का सल्फेट जिप्सम से ही प्राप्त होता है।
- खनिज के रूप में जिप्सम, कृषि, कांच और पोर्सिलेन के निर्माण में काम आता है।
- जिप्सम से अग्निसह ईटें भी बनाई जाती हैं।
- इसके स्वच्छ टूटे पट्टों का उपयोग सेलों के वर्गीकरण में तथा सेलों के प्रकाशीय नियतांकों के निर्धारण में होता है।
- प्लास्टर आफ पेरिस, रंग-रोगन, रासायनिक पदार्थों, गंधक का अम्ल एवं रासायनिक खाद बनाने में किया जाता है।
गुणधर्म
जिप्सम के मणिभ प्रिज्म के आकार के या नलाकार होते हैं। अनेक स्थलों में सेलेनाइट के सुंदर, सूक्ष्म मणिभ पाए गए हैं।
जिप्सम कोमल होता है। नखों से इसपर खरोच पड़ जाती है। इसकी कठोरता 1.5 से 2 तक होती है तथा विशिष्ट गुरुत्व 2.3 के लगभग। यह जल में अल्प विलेय होता है। जिप्सम से होकर बहते हुए पानी में जिप्सम का कुछ अंश घुला हुआ रहता है, जिससे पानी कठोर हो जाता है।
शुद्ध जिप्सम सफेद या वर्णरहित होता है। पर साधारण: अपद्रव्यों के कारण इसका रंग धूसर, पीला या गुलाबी दिखाई देता है। यदि 75% जल निकालकर जिप्सम को पीस डाला जाए तो उत्पाद प्लास्टर ऑव पैरिस के नाम से व्यापक रूप से सीमेंट के रूप में प्रयुक्त होता है। जिप्सम को प्लास्टर पत्थर या साँचा पत्थर भी कहते हैं क्योंकि इस प्लास्टर ऑव पैरिस बड़ी मात्रा में और साँचे बड़ी संख्या में बनते हैं।