"हॉकी": अवतरणों में अंतर

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04:25, 25 जनवरी 2011 का अवतरण

मेलबर्न विश्वविद्यालय में फील्ड हॉकी का खेल

हॉकी एक ऐसा खेल है जिसमें दो टीमें लकड़ी या कठोर धातु या फाईबर से बनी विशेष लाठी (स्टिक) की सहायता से रबर या कठोर प्लास्टिक की गेंद को अपनी विरोधी टीम के नेट या गोल में डालने की कोशिश करती हैं । दुनिया में हॉकी निम्न प्रकार से खेली जाती है ।

इतिहास

हॉकी खेल का उद्गम सदा से ही विवाद का विषय रहा है। एक मत के अनुसार ईसा से दो हजार वर्ष पूर्व हॉकी का खेल फारस में खेला जाता था। यह खेल आधुनिक हॉकी से भिन्न था। कुछ समय बाद यह खेल कुछ परिवर्तित होकर यूनान (वर्तमान ग्रीस) पहुंचा जहां यह इतना प्रचलित हुआ कि यह यूनान की ओलंपिक प्रतियोगिता में खेला जाने लगा। धीरे-धीरे रोमवासियों में भी इस खेल के प्रति रुझान बढ़ा और रोम भी यूनान के ओलंपिक में इसे खेलने लगा।

आधुनिक युग में पहली बार ओलंपिक में हॉकी २९ अक्तूबर, १९०८ में लंदन में खेली गई। इसमें छह टीमें थीं। १९२४ में ओलपिंक में अंतर्राष्ट्रीय कारणों से यह खेल शामिल नहीं हो सका। ओलंपिक से हॉकी के बाहर हो जाने के बाद जनवरी, १९२४ में अंतर्राष्ट्रीय हॉकी संघ (इंटरनेशनल हॉकी फेडरेशन) की स्थापना हुई। हॉकी का खेल एशिया में भारत में सबसे पहले खेला गया। पहले दो |एशियाई खेलों में भारत को खेलने का अवसर नहीं मिल सका, किन्तु तीसरे एशियाई खेलों में भारत को पहली बार ये अवसर हाथ लगा। हॉकी में भारत का प्रदर्शन काफ़ी अच्छा रहा है।[1] भारत ने हॉकी में अब तक ओलंपिक में आठ स्वर्ण, एक और दो कांस्य पदक जीते हैं। स्वतंत्र भारत ने इसे अपना राष्ट्रीय खेल भी घोषित किया है। इसके बाद भारत ने हॉकी में अगला स्वर्ण पदक १९६४ और अंतिम स्वर्ण पदक १९८० में जीता। १९२८ में एम्सटर्डम में हुए ओलंपिक में भारत ने नीदरलैंड को ३-० से हराकर पहला स्वर्ण पदक जीता था। १९३६ के खेलों में जर्मनी को ८-१ से मात देकर विश्व में अपनी खेल क्षमता सिद्ध की। १९२८, १९३२ और १९३६ के तीनों मुकाबलों में भारतीय टीम का नेतृत्व हॉकी के जादूगर नाम से प्रसिद्ध मेजर ध्यानचंद ने किया। १९३२ के ओलपिंक में हुए ३७ मैचों में भारत द्वारा किए गए ३३० गोल में ध्यानचंद ने अकेले १३३ गोल किए थे।


दुनिया में अन्य खेल भी हॉकी से जन्मे हैं ।

संदर्भ

  1. हॉकी का इतिहास।हिन्दुस्तान लाइव