"धातु": अवतरणों में अंतर

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12:05, 19 जनवरी 2011 का अवतरण

रसायनशास्त्र के अनुसार धातु वे तत्व हैं जो सरलता से इलेक्ट्रान त्याग कर धनायन बनाते हैं और धातुओं के परमाणुओं के साथ धात्विक बंध बनाते हैं। इलेक्ट्रानिकमॉडल के आधार पर धातु इलेक्ट्रानोंद्वारा आच्छादित धनायनों का एक लैटिस हैं।

लुहार द्वारा धातु को गर्म करने पर

धातुओं की पारम्परिक परिभाषा उनके बाह्य गुणों के आधार पर दी जाती है। सामान्यतः धातु चमकीले, प्रत्यास्थ, आघातवर्धनीय और सुगढ होते हैं। धातु उष्मा और विद्युत के अच्छे चालक होते हैं जबकि अधातु सामान्यतः भंगुर, चमकहीन और विद्युत तथा ऊष्मा के कुचालक होते हैं।

रासायनिक गुण

धातु प्रायः रसायनिक रूप से क्रियाशील होते हैं । हवा में आक्सीजन से संयोग कर धात्विक आक्साईड बनाते हैं । सबसे ज्यादा क्रियाशील अल्कली धातु (सोडियम, लीथियम, पोटेशियम - वर्ग I के धातु) होते है जबकि उसके बाद अल्कली मृदा धातुओं (बैरेलियम, मैग्नेशियम, कैल्शियम - वर्ग II के धातु) का स्थान आता है । उदाहरणार्थ -

4Na + O2 → 2Na2O (सोडियम ऑक्साईड)
2Ca + O2 → 2CaO (कैल्शियम ऑक्साईड )
4Al + 3O2 → 2Al2O3 (अल्यूमीनियम ऑक्साईड)

संक्रमण धातुओं का ऑक्सीकरण अपेक्षाकृत धीरे से होता है । धात्विक ःक्साईड धातु के उपर एक परत बना लेते हैं, जैसे - लोहे में जंग लगना । धात्विक ऑक्साईड क्षारीय होते हैं जबकि अधात्विक ऑक्साईड प्रधानतया अम्लीय ।

हैलोजनों से अभिक्रिया करते धातु धात्विक हैलाईड लवण बनाते हैं । उदाहरणार्थ -

2Na + Cl2 → 2NaCl (सोडियम क्लोराईड - साधारण नमक)
Ca + Cl2 → CaCl2 (कैल्शियम क्लोराईड )
2Li + F2 → 2LiF (लीथियम फ्लोराईड )

अधिक क्रियाशील धातु जल के साथ अभिक्रिया करके क्षार बनाते हैं और हाइड्रोजन गैस मुक्त करते हैं ।

2Na + 2H2O → 2NaOH + H2

कम क्रियाशील धातु साधारण ताप पर जल से अभिक्रिया नहीं करते बल्कि वे तप्त अवस्था में भाप से अभिक्रिया करके धात्विक ऑक्साईड बनाते हैं ।

Mg + H2O → MgO + H2
Zn + H2O → ZnO + H2

अम्लों से अभिक्रिया करके धातु लवण बनाते हैं और हाईड्रोजन गैस मुक्त करते हैं -

Mg + H2SO4 → MgSO4 + H2

भौतिक गुण

धातु आघातवर्धनीय होते हैं - इनको हथौड़े से पीटकर लम्बा किया जा सकता है । जैसे किसी अल्यूमिनियम या तांबे के तार को पर प्रहार (आघात) करन से उसका प्रसार (वर्धन) होता है । धातु तन्य भी होते हैं, यानि उन्हें खींचकर एक लम्बा तार बनाया जा सकता है । अधातुओं में यह गुण नहीं पाया जाता है । उदाहरणार्थ फास्फोरस को कितना भी खींचने पर वो लम्बे तार के रूप में नहीं बनाया जा सकता । धातुओं का घनत्व भी उच्च होता है तथा इनमें एक विशेष प्रकार की चमक होती है जिसे धात्विक चमक कहते हैं । 4Na + O2 → 2Na2O (सोडियम ऑक्साईड) 2Ca + O2 → 2CaO (कैल्शियम ऑक्साईड ) 4Al + 3O2 → 2Al2O3 (अल्यूमीनियम ऑक्साईड)

धातुकर्म

अयस्कों से धातु के निष्काषन और उपयोग में लाने के पूर्व उनके शुद्धीकरण की प्रक्रिया को धातुकर्म कहते हैं [1]

संदर्भ

  1. सिंह, अवधेश कुमार; सिन्हा, अनिल कुमार (1996), हाई स्कूल रसायन शास्त्र (तृतीय संस्करण), भारती भवन, पृ॰ 53, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 81-7709-090-9